चीन का नया 'मानक मानचित्र' जारी
चीन ने 2023 के लिए एक "मानक मानचित्र" जारी किया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन और दक्षिण चीन सागर पर क्षेत्रीय दावे किए गए।
नए मानचित्र में चीनी दावे हैं :
क्षेत्रीय दावे:
मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीन के हिस्से के रूप में दर्शाया गया है।
मानचित्र में "नाइन-डैश लाइन" भी शामिल है, जो एक विवादास्पद सीमांकन है, यह पूरे दक्षिण चीन सागर को कवर करती है और इस रणनीतिक समुद्री क्षेत्र पर बीजिंग के दावों को रेखांकित करती है।
मानचित्र में दसवीं-डैश लाइन को भी दर्शाया गया है जो ताइवान द्वीप पर बीजिंग के दावों को रेखांकित करती है।
भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का मुद्दा:
भारत-चीन 3,488 मीटर की लम्बी सीमा साझा करते हैं जिस पर विवाद लंबे समय से चला आ रहा है और जटिल क्षेत्रीय विवादों को संदर्भित करता है।
विवाद के मुख्य क्षेत्र पश्चिमी क्षेत्र में स्थित अक्साई चिन और पूर्वी क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश हैं।
अक्साई चिन :
चीन, अक्साई चिन को अपने शिनजियांग क्षेत्र के हिस्से के रूप में दावा करता है, जबकि भारत इसे अपने केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा मानता है। यह क्षेत्र चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के निकट होने और सैन्य मार्ग के रूप में इसकी क्षमता के कारण रणनीतिक महत्त्व रखता है।
अरुणाचल प्रदेश:
चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश राज्य पर दावा करता है और इसे "दक्षिण तिब्बत" कहता है। भारत इस क्षेत्र को पूर्वोत्तर राज्य के रूप में प्रशासित करता है तथा अपने क्षेत्र का अभिन्न अंग मानता है।
कोई स्पष्ट सीमांकन नहीं:
भारत और चीन के बीच सीमा स्पष्ट रूप से सीमांकित नहीं है और कुछ हिस्सों पर कोई पारस्परिक रूप से सहमत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) नहीं है।
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद LAC अस्तित्व में आई।
भारत-चीन सीमा को तीन सेक्टरों में बाँटा गया है।
पश्चिमी क्षेत्र: लद्दाख
मध्य क्षेत्र: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड
पूर्वी क्षेत्र: अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम
राजमाश और सुलाई शहद को जीआई टैग
हाल ही में,जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह के राजमाश (लाल राजमा) और जम्मू-कश्मीर के रामबन सुलाई शहद ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के समर्थन से भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग हासिल किया है।
भद्रवाह राजमाश:
जम्मू के डोडा जिले की चिंता घाटी में खेती की जाने वाली यह प्रीमियम लाल राजमा किस्म अपने छोटे आकार, विशिष्ट बनावट, मीठे अखरोट के स्वाद और विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों में उपयोग के लिए जानी जाती है।
रामबन सुलाई शहद:
रामबन और डोडा के हिमालय में सुलाई पौधों से प्राप्त, यह शहद अपने अद्वितीय स्वाद के लिए विश्व स्तर पर एक प्रीमियम और विदेशी प्रतिष्ठा का दावा करता है।
जीआई टैग के बारे में-
वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान तथा उनकी विशेषता शामिल होती है ।
जीआई टैग वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा दिया जाता है।
भारत में, जीआई टैग के पंजीकरण को ‘वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 द्वारा विनियमित किया जाता है।
इसका पंजीकरण 10 वर्ष के लिए मान्य होता है तथा 10 वर्ष बाद पंजीकरण का फिर से नवीनीकरण कराया जा सकता है।
सुपर ब्लू मून
30 अगस्त, 2023 की रात आकाश में सुपर ब्लू मून की घटना देखी गई ।
हालाँकि अपने नाम के बावजूद इस पूर्णिमा का चंद्रमा न तो नीले रंग का था और न ही आकार में बड़ा।
राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) के अनुसार, आखिरी सुपर ब्लू मून वर्ष 2009 में देखा गया था और अगली बार वर्ष 2037 में दिखाई देगा।
सुपर मून:
'सुपर मून' वह स्थिति है जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इसे पेरिज फुल मून' भी कहा जाता। इसमें चन्द्रमा 14% ज्यादा बड़ा एवं 30% अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है।
"सुपर मून" शब्द वर्ष 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल द्वारा गढ़ा गया था।
ब्लू मूनः
एक कैलेन्डर माह में जब दो पूर्णिमाएँ हों तो दूसरी पूर्णिमा का चाँद ‘ब्लू मून’ कहलाता है। इसका नीले रंग से कोई संबंध नहीं है। वस्तुतः इसका मुख्य कारण दो पूर्णिमाओं के बीच के अंतराल का 31 दिनों से कम होना है। ऐसा हर दो-तीन साल पर होता है।
जुलाई, 2015 में ब्लू मून की स्थिति देखी गई। जब किसी वर्ष विशेष में दो या अधिक माह ब्लू मून के होते हैं, तो उसे ब्लू मून ईयर कहा जाता है। वर्ष 2018 'ब्लू मून ईयर था।
अमावस्या:
जिस दिन को चन्द्रमा पूर्ण चक्रीय/गोलाकार दिखाई देता है, उस दिन को पूर्णिमा कहते हैं।
इसके पश्चात् प्रत्येक रात्रि को चन्द्रमा का चमकीला भाग घटता चला जाता है। 15वें दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं पड़ता। इस दिन को अमावस्या कहते हैं। अगले दिन चन्द्रमा का एक छोटा भाग आकाश में दिखाई देता है। इसे बालचन्द्र कहते हैं।
श्री नारायण गुरु जयंती
हाल ही में प्रधानमंत्री ने श्री नारायण गुरु को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री नारायण गुरु के बारे में-
श्री नारायण गुरु (1856-1928) एक श्रद्धेय भारतीय आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक थे जिनका जन्म केरल के चेमपज़ंथी (Chempazhanthy) में हुआ था।
उन्होंने जाति की परवाह किये बिना समानता, शिक्षा एवं सामाजिक उत्थान का समर्थन किया।
उनके दर्शन "एक जाति, एक धर्म, सभी के लिये एक भगवान" (ओरु जथि, ओरु माथम, ओरु दैवम, मनुष्यु) ने विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया।
वह अद्वैत वेदांत, आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित गैर-द्वैत (Non-duality) के सिद्धांत के सबसे प्रमुख समर्थकों एवं पुनर्मूल्यांकनकर्ताओं में से एक थे।
उन्होंने श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) के संस्थापक के रूप में एक परोपकारी समाज की स्थापना की।
भारतीय युद्धपोत महेंद्रगिरी लॉन्च
भारत ने अपने नवीनतम युद्धपोत, महेंद्रगिरि को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स में लॉन्च किया |
महेंद्रगिरि, जिसका नाम ओडिशा में पूर्वी घाट पर्वत शिखर के नाम पर रखा गया है, प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स का सातवां पोत है।
प्रोजेक्ट 17ए के बारे में:
प्रोजेक्ट 17ए को भारतीय नौसेना द्वारा 2019 में स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट्स की एक श्रृंखला के निर्माण के लिए लॉन्च किया गया था।
प्रोजेक्ट 17ए जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा इन-हाउस डिजाइन किया गया है।
'आत्मनिर्भरता' के प्रति देश की दृढ़ प्रतिबद्धता के अनुरूप प्रोजेक्ट 17ए जहाजों के उपकरण और प्रणालियों के लिए 75% ऑर्डर स्वदेशी फर्मों से हैं।
इस प्रोजेक्ट के तहत 2019 में लांच किया गया पहला स्टील्थ जहाज नीलगिरि था।
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार
हाल ही में असम के डॉ. आर. रवि कन्नन को वर्ष 2023 का प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया है ।
पुरस्कार विजेता |
देश |
योगदान |
रवि कन्नन |
भारत |
जन-केंद्रित, गरीब-समर्थक स्वास्थ्य देखभाल और कैंसर देखभाल की सीमाओं को आगे बढ़ाने में कौशल, प्रतिबद्धता और करुणा के संयोजन के लिए |
कोरवी रक्षंद |
बांग्लादेश |
बांग्लादेश में वंचित बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा विकसित करने की दिशा में उनके काम के लिए |
यूजेनियोमोस |
तिमोर- लेस्ते |
लोगों के लिए पर्याप्त भोजन सुनिश्चित करने और पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समानता के महत्व को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए। |
मरियम कोरोनेल - फेरर |
फिलिपींस |
अहिंसक शांति निर्माण तकनीकों की परिवर्तनकारी शक्ति में उनके अटूट विश्वास के लिए। |
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के बारे में-
इसे वर्ष 1957 में एशिया के सर्वोच्च सम्मान तथा प्रमुख पुरस्कार के रूप में स्थापित किया गया।
यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है जो अपनी पृष्ठभूमि की परवाह किये बिना एशिया के लोगों की सेवा में असाधारण भावना प्रदर्शित करते हैं।
यह पुरस्कार प्रतिवर्ष 31 अगस्त को प्रदान किया जाता है जो कि फिलीपींस गणराज्य के तीसरे राष्ट्रपति, रेमन मैग्सेसे के जन्मदिन को चिह्नित करता है, जिन्होंने इस पुरस्कार की स्थापना में प्रेरणास्त्रोत की भूमिका निभाई थी।
यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एशिया के नोबेल पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है।
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