क्रोएशिया
- आंद्रेज प्लेंकोविक लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए क्रोएशिया के प्रधान मंत्री नियुक्त हुए हैं।
भौगोलिक अवस्थिति
- क्रोएशिया दक्षिण-पूर्वी यूरोप में अवस्थित है।
- यह देश बाल्कन प्रायद्वीप का हिस्सा है।
इसकी सीमा उत्तर में हंगरी और स्लोवेनिया से; पूर्व में सर्बिया से तथा दक्षिण और पूर्व, दोनों में बोनिया एवं हर्जेगोविना से लगती है। इसके पश्चिम में एड्रियाटिक सागर है।
भौगोलिक विशेषताएं
- प्रमुख पर्वत श्रृंखलाः डायनारिक आल्प्स। यह कार्स्ट (चूना पत्थर) स्थलाकृति के रूप में प्रसिद्ध है।
- उच्चतम बिंदुः डाइनारा पर्वत
- प्रमुख नदियांः सावा और द्रावा
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पी.एम. गति शक्ति
- केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय सामाजिक सुरक्षा कवरेज में विद्यमान कमियों की पहचान करने और उन्हें दूर करने के लिए पी. एम. गति शक्ति पोर्टल से जुड़ गया है।
पी.एम. गति शक्ति के बारे में
- इसे 2021 में शुरू किया गया था।
- यह मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान के रूप में भी विख्यात है।
- यह रेलवे तथा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय सहित 16 मंत्रालयों को एक मंच पर लाने वाला एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
उद्देश्यः
- इन्फ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाओं को अमल में लाने के लिए एकीकृत तरीके से योजना बनाना और आपस में समन्वय करना।
- लोगों, वस्तुओं और सेवाओं को परिवहन के एक साधन से दूसरे साधन तक पहुँचाने के लिए कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- लोगों की सुविधा के लिए यात्रा में लगने वाले समय को कम करना।
यह 6 स्तंभों पर पर आधारित है। ये हैं- व्यापकता (Comprehensiveness), प्राथमिकता (Prioritization), इष्टतमीकरण/अनुकूलन (Optimization), सामंजस्य / समन्वय (Synchronization), विश्लेषणात्मक (Analytical), और गतिशीलता (Dynamic)।
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इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX)
- भारतीय स्टेट बैंक IIBX का पहला ट्रेडिंग-सह-क्लियरिंग सदस्य बन गया है।
IIBX के बारे में
- इसे 2022 में GIFT इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC), गांधीनगर (गुजरात) में स्थापित किया गया था।
- यह एक्सचेंज IFSC प्राधिकरण (IFSCA) की देख-रेख में कार्य करता है।
- इसके प्रमोटर्स में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया जैसे भारत के अग्रणी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्टर संस्थान शामिल हैं।
IIBX की स्थापना से मुख्य लाभः
- यह भारत में बुलियन यानी सोना-चांदी के आयात का माध्यम है।
- यह IFSC में बुलियन व्यापार, बुलियन वित्तीय उत्पादों में निवेश और वॉल्टिंग सुविधा के लिए विश्व स्तरीय बुलियन एक्सचेंज इकोसिस्टम उपलब्ध कराता है।
- उच्च शुद्धता वाले सोना और चांदी को बुलियन कहा जाता है। इन्हें अक्सर बार, सिल्लियां (इंगोट्स) या सिक्कों के रूप में रखा जाता है।
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यूनेस्को के "मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड (MOW)-एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर" में भारत की तीन साहित्यिक कृतियों को शामिल किया गया
- "यूनेस्को-मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड-एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर" में 20 साहित्यिक कृतियां शामिल की गई हैं।
- इनमें तीन भारतीय साहित्यिक कृतियों (पांडुलिपिया) को भी शामिल किया गया है, ये हैं- रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक-लोकन ।
- इन कृतियों को सूची में शामिल करने का निर्णय मंगोलिया के उलानबाटर में आयोजित मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (MOWCAP) की 10वीं बैठक में लिया गया।
सूची में शामिल तीन भारतीय साहित्यिक कृतियों के बारे में:
रामचरितमानसः
- इसकी रचना 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।
- यह अवधी भाषा में लिखा गया एक महाकाव्य है, जिसमें सात कांड हैं।
- इसमें रामायण से जुड़ी हुई घटनाओं का काव्यात्मक रूप से वर्णन किया गया है।
पंचतंत्रः
- यह आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा संस्कृत में रचित एक विख्यात ग्रंथ है।
- यह जीवंत भारतीय दंतकथाओं के सबसे पुराने संग्रहों में से एक है।
- यह पांच भागों से मिलकर बना है। इस ग्रंथ की सबसे अनोखी विशेषता "कहानी के भीतर कहानी" की प्रस्तुति है।
सहृदयालोक-लोकनः
- यह आचार्य आनंदवर्धन द्वारा संस्कृत में लिखित और भारतीय काव्यशास्त्र की एक कालजयी रचना है।
- दार्शनिक अभिनव गुप्त ने इस पर एक भाष्य लिखा है।
यूनेस्को के MoW प्रोग्राम के बारे में
- इसे 1992 में शुरू किया गया था।
- इसमें तीन तरह के रजिस्टर शामिल हैं- अंतर्राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय रजिस्टर।
अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में भारत की कई कृतियां या पांडुलिपियां शामिल हैं, जैसे- तमिल मेडिकल मैन्युस्क्रिप्ट कलेक्शन, शैव पांडुलिपियां, ऋग्वेद, आदि।
इस प्रोग्राम के मुख्य लक्ष्य हैंः
- विश्व भर के दस्तावेजी विरासत को सुरक्षित रखना,
- इन दस्तावेजी विरासत तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करना, और
- दस्तावेजी विरासतों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।
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वित्त वर्ष 2024 में चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश बन गया है
- हाल ही में, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) नामक एक थिंक टैंक ने व्यापार संबंधी डेटा जारी किए हैं।
- डेटा के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 118.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
- इस तरह वित्त वर्ष 2024 में चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
- गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2022 और 2023 में संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश था।
- GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 के बीच, चीन को भारत से किए जाने वाले निर्यात में 0.6% की मामूली गिरावट दर्ज की गई, वहीं चीन से होने वाले आयात में 44.7% की वृद्धि दर्ज की गई है।
चीन से आयात पर भारत की बढ़ती निर्भरता से जुड़ी चिंताएं:
- राष्ट्रीय सुरक्षाः चीन, इस आयात निर्भरता का इस्तेमाल भारत पर राजनीतिक दबाव डालने या अपने रणनीतिक हितों को साधने के लिए एक टूल के रूप में कर सकता है।
- यह स्थिति सीमा विवादों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के प्रयासों को जटिल बनाएगी क्योंकि वार्ताओं में चीन सौदेबाजी कर सकता है।
- भारत दूरसंचार जैसे संवेदनशील क्षेत्रकों में भी चीनी प्रौद्योगिकी और उपकरणों के आयात पर निर्भर है। इससे चीन की ओर से साइबर युद्ध के मामले में भारत पर अधिक खतरा बना रहेगा।
- गौरतलब है कि भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रक के आयात में चीन की हिस्सेदारी लगभग 43.9% है। इसमें दूरसंचार क्षेत्रक में होने वाले आयात भी शामिल हैं।
- सामरिक स्वायत्तता पर प्रभावः इस तरह की स्थिति से दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र के पड़ोसी देशों में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने या कम करने में भारत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- सप्लाई चेन से जुड़ा खतराः भारत का फार्मास्युटिकल सेक्टर, चीन से एक्टिव फार्मास्युटिकल
- इंग्रीडिएंट्स (APIs) के आयात पर अत्यधिक निर्भर है। यदि चीन APIs की आपूर्ति में बाधा खड़ी करता है तब भारत में दवाइयों का उत्पादन प्रभावित होगा।
- अन्य चिंताएं: चीन से सस्ती वस्तुओं के अधिक आयात जारी रहने से भारत के घरेलू उद्योगों की विनिर्माण और विकास क्षमता प्रभावित होती है।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन के सस्ते उत्पादों के समक्ष भारत में विनिर्मित महंगे उत्पाद प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते हैं।
चीन से आयात पर नियंत्रण रखने के लिए पहल
- चीन से आयात पर निर्भरता कम करने के लिए शुरू की गई पहलें मेक इन इंडिया पहल शुरू की गई है।
- देश में ही विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उत्पादन-से-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI)योजनाएं शुरू की गई हैं। ये योजनाएं चिकित्सा उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक घटकों जैसे कई महत्वपूर्ण (क्रिटिकल) क्षेत्रकों में शुरू की गई हैं।
- बल्क ड्रग पार्क्स की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे चीन से API के आयात पर निर्भरता कम हो सकती है।
- चीन से सस्ते उत्पादों के आयात को हतोत्साहित करने के लिए समय-समय पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाए जाते हैं।
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भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह पर टर्मिनल के संचालन के लिए दीर्घकालिक द्विपक्षीय कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए
- चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहिश्ती पोर्ट टर्मिनल के विकास के लिए दोनों देशों ने 10 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इससे क्षेत्रीयकनेक्टिविटी बढ़ेगी तथा भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार एवं निवेश के बेहतर अवसर भी सुनिश्चित होंगे।
- चाबहार विदेश में स्थित उन बंदरगाहों में से एक है जिसका प्रबंधन भारत द्वारा किया जाएगा।
- ऐसा अन्य बंदरगाह म्यांमार का सितवे बंदरगाह है।
चाबहार बंदरगाह के बारे में
- यह ईरान के दक्षिण-पूर्वी भाग में मकरान तट पर होर्मुज जलडमरूमध्य के आगे ओमान की खाड़ी के किनारे स्थित है। मकरान तट, ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है।
- यह सीधे समुद्री क्षेत्र तक पहुंच सुनिश्चित करने वाला ईरान का एकमात्र डीप-सी पोर्ट है।
- चाबहार बंदरगाह परियोजना में दो टर्मिनल हैं यानी शाहिद बेहिश्ती और शाहिद कलंतरी।
चाबहार बंदरगाह प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (International North-South Transport Corridor: INSTC) का हिस्सा है।
INSTC
- INSTC वस्तुतः 7,200 किलोमीटर लंबी एक मल्टी-मॉडल परिवहन परियोजना है।
- यह परियोजना हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान से होते हुए कैस्पियन सागर से जोड़ती है।
- इसके आगे यह रूस में स्थित सेंट पीटर्सबर्ग के जरिए उत्तरी यूरोप को भी जोड़ती है।
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सिकल सेल रोग:
- हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका का एक 12 वर्षीय लड़का, सिकल सेल रोग से पीड़ित दुनिया का पहला व्यक्ति बन गया, जिसने व्यावसायिक रूप से अनुमोदित जीन थेरेपी शुरू की, जो इस स्थिति को ठीक कर सकती है।
- अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कैसगेवी नामक जीन थेरेपी को मंजूरी दे दी है, जो सिकल सेल रोग के उपचार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
सिकल सेल रोग के बारे में:
- सिकल सेल रोग वंशानुगत विकारों का एक समूह है जो हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है, प्रोटीन जो शरीर के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाता है।
एससीडी वाले लोगों में हीमोग्लोबिन एस नामक असामान्य हीमोग्लोबिन अणु होते हैं, जो आरबीसी को सिकल या अर्धचंद्राकार आकार में विकृत कर सकते हैं।
- यह विकृति कई जटिलताओं को जन्म देती है, जिनमें क्रोनिक एनीमिया, तीव्र दर्दनाक एपिसोड (सिकल सेल संकट के रूप में जाना जाता है), अंग रोधगलन (अवरुद्ध रक्त प्रवाह के कारण ऊतक क्षति), और क्रोनिक अंग क्षति शामिल है।
- दुर्भाग्य से, एससीडी प्रभावित व्यक्तियों के लिए जीवन प्रत्याशा को काफी कम कर देता है।
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किलिंग कर्व
- मार्च, 2024 में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की वैश्विक औसत सांद्रता मार्च, 2023 की तुलना में 4.7 पार्ट्स पर मिलियन (PPM) अधिक थी।
- यह कीलिंग कर्व में उच्च वृद्धि को दर्शाती है।
- मार्च, 2024 में CO2 की वैश्विक औसत सांद्रता बढ़कर रिकॉर्ड 425.22 PPM पहुंच गई है। यह अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि है।
कीलिंग कर्व के बारे में:
- यह मौना लोआ वेधशाला (MLO) में वायुमंडल में CO2 की सांद्रता का रिकॉर्ड है। यह रिकॉर्ड 1958 से दर्ज किया जा रहा है।
मौना लोआ वेधशाला वायुमंडल में उन तत्वों को मापती है जो जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं।
- यह वेधशाला दुनिया के सबसे बड़े सक्रिय ज्वालामुखी मौना लोआ के पास स्थित है।
- इस ज्वालामुखी का बड़ा हिस्सा प्रशांत महासागर की गहराई में स्थित है। इसलिए इसके आधार से शीर्ष तक की कुल ऊंचाई 17,000 मीटर (56,000 फीट) से अधिक है।
- इस वेधशाला का नाम डॉ. चार्ल्स डेविड किलिंग के नाम पर रखा गया है।
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लेपर्ड कैलेपर्ड कैटट
- पहली बार महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व में लेपर्ड कैट (Prionailurus bengalensis) देखी गई।
लेपर्ड कैट के बारे में:
- जंगलों में रहने वाली यह बिल्ली फेलिडे कुल से संबंधित है। यह तेंदुए जैसे रंग के लिए विख्यात है।
- वितरण क्षेत्रः यह संपूर्ण भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और आस-पास के द्वीपीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
विशेषताएं:
- इसके शरीर के ऊपरी हिस्से पर पीले या लाल-भूरे रंग का एक आकर्षक पैटर्न होता है और निचला भाग सफेद होता है।
- इसके शरीर पर काले धब्बे और धारियां भी होती हैं।
- पर्यावासः यह बिल्ली उष्णकटिबंधीय वर्षावन से लेकर चौड़ी पत्ती वाले शीतोष्ण वन, शंकुधारी वन, झाड़ीदार वन, घास के मैदान आदि में पाई जाती है।
संरक्षण की स्थिति
- IUCN: लीस्ट कंसर्न
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
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हाई एनर्जी फोटोन सोर्स (HEPS)
चीन, हाई एनर्जी फोटॉन सोर्स (HEPS) बनाने की योजना बना रहा है।
- इससे चीन विश्व के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास चौथी पीढ़ी के सिंक्रोट्रॉन लाइट सोर्स हैं।
- वर्तमान में दुनिया भर में लगभग 70 सिंक्रोट्रॉन मौजूद हैं। हालांकि, कुछ ही देशों, जैसे- स्वीडन, ब्राज़ील, फ्रांस आदि के पास चौथी पीढ़ी के सिंक्रोट्रॉन हैं।
HEPS के बारे में:
- यह एशिया का पहला सबसे दीप्तिमान सिंक्रोट्रॉन एक्स-रे होगा।
- सिंक्रोट्रॉन बिजली की मदद से सूर्य की तुलना में दस लाख गुना अधिक दीप्तिमान प्रकाश की तीव्र किरणें उत्पन्न करता है।
- HEPS में मल्टी-बेंड एक्रोमैट लैटिस नामक चुंबकों की श्रृंखला के जरिए अति केंद्रित और दीप्तिमान एक्स-रे बीम उत्पन्न की जाती है।
लाभः
- शोधकर्ताओं को पदार्थ को स्पेस, टाइम और एनर्जी के आयामों के साथ-साथ अणुओं, परमाणुओं, इलेक्ट्रॉनों और उनके घूर्णन के बारे में समझ को विकसित करने में मदद मिलेगी।
इंडस-1 पहला भारतीय सिंक्रोट्रॉन सोर्स है।
- भारत फ्रांस के ग्रेनोबल में स्थित यूरोपीय सिंक्रोट्रॉन रेडिएशन फैसिलिटी (ESRF) का एक सहयोगी सदस्य भी है।

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भीष्म पोर्टेबल क्यूब्स
चर्चा में क्यों
- एक महत्वपूर्ण परीक्षण के भाग के रूप में आगरा में भारतीय वायु सेना द्वारा भीष्म पोर्टेबल क्यूब्स को एक हवाई जहाज से गिराया गया था।
- ये मोबाइल अस्पताल कहीं भी आपातकालीन चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए हैं, और यह कार्यक्रम उनका पहला परीक्षण था।
प्रोजेक्ट भीष्म के विषय में
प्रोजेक्ट भीष्म, "सहयोग, हित और मैत्री के लिए भारत स्वास्थ्य पहल" में मोबाइल अस्पताल इकाइयाँ स्थापित करना शामिल है जो एक बार में 200 लोगों का इलाज कर सकती हैं।
- इस प्रयास का लक्ष्य आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देना और पूर्ण देखभाल प्रदान करना है।
विशेषताएं
- भीष्म क्यूब्स 72 हल्के, मजबूत और जलरोधक भागों से बने होते हैं जिन्हें जल्दी और विभिन्न तरीकों से तैनात किया जाता है।
- इन हिस्सों को हाथ, बाइक या ड्रोन से ले जाया जा सकता है, जो आपको विभिन्न प्रकार की आपात स्थितियों से निपटने के विकल्प देता है।
- क्यूब को केवल 12 मिनट में भी पूरी तरह से स्थापित किया जा सकता है, जो बहुत अधिक हताहत होने वाली घटनाओं के दौरान बहुत महत्वपूर्ण है
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'मानव-केंद्रित' कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उत्कृष्टता केंद्र
- भारत के सबसे बड़े आईटी सेवा निर्यातक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड (टीसीएस) ने पेरिस में एक अद्वितीय 'मानव-केंद्रित' कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करने की योजना की घोषणा की है।
- यह घोषणा नवीन एआई अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए यूरोपीय बाजारों में टीसीएस के रणनीतिक विस्तार के अनुरूप है।
एआई सीओई का उद्देश्य
इस सेंटर का प्रमुख उद्देश्य एआई कैसे व्यावसायिक दक्षता बढ़ा सकता है और सामाजिक मुद्दों से निपट सकता है।
टीसीएस ने कहा कि केंद्र तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा:
- ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस प्रौद्योगिकी।
- मशीन इंटरैक्शन में सहानुभूति का संचार करना।
- कला और संस्कृति के क्षेत्र में एआई के उपयोग का विस्तार करना।
फ़्रांस में सामरिक स्थान
- एआई सीओई ला डिफेंस, पेरिस में स्थित होगा, जो अपनी जीवंत आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है।
- पेरिस सेंटर वैश्विक स्तर पर सात 'टीसीएस पेसपोर्ट्स' में से एक बन जाएगा , जो नवाचार के केंद्र के रूप में काम करता है।
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस के बारे में अधिक जानकारी
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) मस्तिष्क और बाहरी उपकरणों के बीच सीधे संचार को सक्षम बनाता है, जिसका उपयोग अक्सर विकलांगों की सहायता के लिए किया जाता है।
- हाल के विकास मस्तिष्क संकेतों की व्याख्या करने वाले तंत्रिका प्रत्यारोपण के माध्यम से उपकरणों को नियंत्रित करने की अनुमति देते हैं।
- ओपन-ब्रेन सर्जरी के बिना प्रत्यारोपण योग्य स्टेंटरोड जैसे नवाचार, कम आक्रामक तरीकों का नेतृत्व कर रहे हैं।
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संयुक्त राष्ट्र द्वारा 25 मई को विश्व फुटबॉल दिवस घोषित किया गया
- 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा हर साल 25 मई को विश्व फुटबॉल दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर दिया
- इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में लीबिया के राजदूत ताहेर अल-सोन्नी द्वारा पेश किया गया था।
25 मई को फुटबाल दिवस क्यों
25 मई 1924 को 1924 के पेरिस ग्रीष्मकालीन ओलंपिक फुटबॉल प्रतियोगिता मेंपहली बार दुनिया के सभी क्षेत्रोंसे टीमों ने हिस्सा लिया था।
- इस वर्ष ग्रीष्मकालीन ओलंपिक पेरिस में आयोजित किया जा रहा है और 25 मई 2024 को 1924 फुटबॉल आयोजन की 100वीं वर्षगांठ भी हैं ।
फुटबॉल और ओलंपिक
फुटबॉल की शुरुआत 1900 में पेरिस ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में हुई थी। शुरुआत में केवल पुरुष फुटबॉल टीम को ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में खेलने की अनुमति थी।
- महिला फुटबॉल को 1996 में अटलांटा ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में शामिल किया गया था।
- 1932 को छोड़कर फुटबॉल ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की एक स्थायी विशेषता रही है।
- पुरुष ओलंपिक में फुटबॉल खिलाड़ियों की उम्र 23 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- हालाँकि ओलंपिक में भाग ले रही राष्ट्रीय टीम की 18 पुरुष टीम में तीन खिलाड़ी 23 वर्ष से अधिक के हो सकते हैं।
- ओलंपिक में भाग लेने वाली महिला फुटबॉल टीम के लिए कोई आयु सीमा नहीं है।

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