1. भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत एनसीएपी) लॉन्च
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा नई दिल्ली में भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Bharat NCAP) लॉन्च किया गया। यह कार्यक्रम 1 अक्टूबर 2023 से शुरू होगा।
एनसीएपी के बारे में:
यह एक नया कार सुरक्षा मूल्यांकन कार्यक्रम है जो क्रैश परीक्षणों में उनके प्रदर्शन के आधार पर ऑटोमोबाइल को 'स्टार रेटिंग' देने की व्यवस्था का प्रस्ताव करता है।
प्रस्तावित भारत एनसीएपी मूल्यांकन 1 से 5 स्टार तक स्टार रेटिंग आवंटित करेगा।
इस कार्यक्रम के लिए वाहनों का परीक्षण आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ परीक्षण एजेंसियों में किया जाएगा।
भारत एनसीएपी के लॉन्च के साथ भारत अब अमेरिका, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के बाद इस तरह का स्वदेशी कार क्रैश टेस्ट प्रोग्राम रखने वाला विश्व का पांचवां देश बन गया है।
2. गुवाहाटी हवाईअड्डे को मिलेगी 'डिजी यात्रा' सुविधा
हाल ही में गुवाहाटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर डिजी यात्रा सुविधा शुरू हुई है। ऐसा करने वाला नॉर्थ-ईस्ट का यह पहला एयरपोर्ट बन गया है।
डिजी यात्रा के बारे में-
डिजी यात्रा पहल ‘चेहरे की पहचान प्रौद्योगिकी’ पर आधारित है, जो यात्रियों के संपर्क रहित और निर्बाध आवागमन की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
इस पहल के तहत हवाई अड्डों पर अपनी पहचान साबित करने हेतु विभिन्न चेक पॉइंट्स पर कागज रहित और संपर्क रहित आवागमन के लिये चेहरे की विशेषताओं का उपयोग किया जाता है।
डिजी यात्रा फाउंडेशन, एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जो डिजी यात्रा पहल के लिये नोडल निकाय है।
3. मेरा बंगाल, ‘व्यसन मुक्त बंगाल' अभियान
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राजभवन, कोलकाता में ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित 'नशा मुक्त भारत अभियान' के तहत 'मेरा बंगाल, व्यसन मुक्त बंगाल' अभियान का शुभारंभ किया।
यह ब्रह्माकुमारीज़ के साथ साझेदारी में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है, जिसका प्राथमिक लक्ष्य युवा आबादी के बीच नशीली दवाओं के दुरुपयोग की खतरनाक समस्या का समाधान करना है।
4. WHO का पहला पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन
प्रथम "विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक शिखर सम्मेलन गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया गया।
इस शिखर सम्मेलन में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के समाधान में पारंपरिक, पूरक और एकीकृत भूमिका पर परिचर्चा की गई।
पहली बार इस तरह के शिखर सम्मेलन में TCIM के वित्त पोषण, देशज लोगों के स्वास्थ्य, गुणवत्ता आश्वासन, पारंपरिक चिकित्सीय ज्ञान, जैव विविधता, व्यापार रोगी सुरक्षा इत्यादि विषयों पर चर्चा की गई।
इस शिखर सम्मेलन की थीम ”सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण की ओर (Towards Health and Well-being for All)" थी,I
पारंपरिक चिकित्सा के बारे में:
पारंपरिक चिकित्सा से आशय बीमारियों के उपचार, निदान और रोकथाम या लोगों के कल्याण के लिए स्वास्थ्य पद्धतियों, दृष्टिकोणों, ज्ञान व मान्यताओं से है। इसमें जड़ी-बूटियों व आध्यात्मिक थेरेपी से उपचार किया जाता है।
इसमें आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी), यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) तथा सोवा रिग्पा शामिल हैं।
भारत में 2014 से 2023 के बीच पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में 8 गुना वृद्धि दर्ज की गई है।
पारंपरिक चिकित्सा के लाभ:
यह सहज रूप से सुलभ और किफायती उपचार प्रणाली है।
इस पद्धति में रोगी विशिष्ट उपचार पर ध्यान दिया जाता है तथा संभावित सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
इसके इलाज से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता या नाममात्र का होता है।
इसमें किसी व्यक्ति की समग्र देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए किए गए उपाय-
गुजरात के जामनगर में WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) की स्थापना की गई है।
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (PHC ) पर अस्ताना घोषणा-पत्र 2018 अपनाया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बारे में-
‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization-WHO) की स्थापना वर्ष 1948 हुई थी।
इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
वर्तमान में 194 देश WHO के सदस्य हैं। 150 देशों में इसके कार्यालय होने के साथ-साथ इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
यह एक अंतर-सरकारी संगठन है तथा सामान्यतः अपने सदस्य राष्ट्रों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के सहयोग से कार्य करता है।
WHO ने 7 अप्रैल, 1948 से कार्य आरंभ किया, अतः वर्तमान में 7 अप्रैल को प्रतिवर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
5. चर्चा में हिरण "हंगुल"
हाल ही में, कश्मीर के अद्वितीय हिरण हंगुल (जम्मू और कश्मीर का राज्य पशु) पर एक नवीनतम जनगणना ने दो वर्षों के बाद इसकी आबादी में मामूली वृद्धि का संकेत दिया, जिससे क्षेत्र में वन्यजीव उत्साही और संरक्षणवादियों में खुशी हुई।
अप्रैल में आयोजित और हाल ही में जारी नवीनतम द्विवार्षिक जनगणना से पता चला है कि हंगुल की आबादी 2021 में 261 से बढ़कर 289 हो गई है, जो 10% की वृद्धि दर्शाती है।
हंगुल हिरण की प्रमुख विशेषताएँ :
कश्मीर बारहसिंगा जिसे हंगुल भी कहा जाता है, कश्मीर और आसपास के क्षेत्रों में पाए जाने वाले मध्य एशियाई लाल हिरणों की एक उप-प्रजाति है।
यह जम्मू-कश्मीर और उत्तरी हिमाचल प्रदेश की ऊंची घाटियों और पहाड़ों में घने नदी जंगलों में पाया जाता है।
कश्मीर में, यह मुख्य रूप से दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में पाया जाता है जहाँ इसे संरक्षण प्राप्त होता है।
दक्षिण कश्मीर में ओवेरा-अरु वन्यजीव अभयारण्य में भी एक छोटी आबादी देखी गई है ।
संरक्षण की स्थिति:
IUCN: गंभीर रूप से लुप्तप्राय
उद्धरण: परिशिष्ट I
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के बारे में :
पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने के कारण, दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान की ऊंचाई में भारी भिन्नता है जो समुद्र तल से 1600 मीटर से 4200 मीटर तक है।
ऊंचाई में यह भिन्नता दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान को दो क्षेत्रों में वर्गीकृत करती है- ऊपरी क्षेत्र और निचला क्षेत्र।
वनस्पति: यह जंगली चेरी, नाशपाती, बेर, आड़ू, सेब, खुबानी, अखरोट, चेस्टनट, ओक, विलो, चिनार, चिनार, बिर्च, पाइन और एल्म में बेहद समृद्ध है।
जीव-जंतु: हंगुल (कश्मीरी बारहसिंगा), कस्तूरी मृग , भूरा भालू, तेंदुआ, जंगली बिल्लियाँ, हिमालयी काला भालू, और जंगली बकरियों की कुछ प्रजातियाँ जैसे मार्खोर और आइबेक्स।
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