भारत में दालों के आयात में वृद्धि
चर्चा में क्यों
- वित्त वर्ष 2024 में भारत में दाल का आयात 2023 की तुलना में 84% बढ़कर छह साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है।
वित्त वर्ष 2023-2024 में आयात में वृद्धि
- 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष 2024 में भारत ने 4.65 मिलियन मीट्रिक टन दालों का आयात किया था, जो वित्त वर्ष 2018 के बाद से सर्वाधिक है।
- वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में 2.53 मिलियन टन से अधिक दाल का आयात किया गया था।
- वित्त वर्ष 2024 में आयात 93% बढ़कर 3.75 बिलियन डॉलर का हो गया था।
आयात में वृद्धि का कारणः
- कम उत्पादन के कारण भारत को लाल मसूर और पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देने के लिए बाध्य होना पड़ा।
भारत में दलहन की स्थिति
- भारत विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक देश है।
- प्रमुख उत्पादक राज्यः राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक।
- उत्पादित प्रमुख दालें: चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर, मटर तथा अलग-अलग प्रकार की फलिया (गौण दालें या माइनर
- पल्सेस)।
- देश में कुल दलहन उत्पादन में चने का योगदान लगभग 40% है। इसके बाद तुअर / अरहर (15-20%) का स्थान आता है।
किस देश से आयात किया जाता है -
- भारत मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, तुर्की, तंजानिया, सूडान, मोजाम्बिक, मलावी और म्यांमार से दालों का आयात करता है।
भारत निर्यात करता है -
- भारत से बांग्लादेश, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका और नेपाल को दालों का निर्यात किया जाता है
दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई प्रमुख पहलें •
वैश्विक पहलेंः
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM): इसके तहत दलहन कृषि क्षेल विस्तार और उत्पादकता में वृद्धि के माध्यम से दालों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
प्रधान मंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM- AASHA): यह एक मूल्य समर्थन योजना है। इसके तहत पंजीकृत किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तिलहन और दलहन की खरीद की जाती है।
- फसल विविधीकरण कार्यक्रम (CDP): यह राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की एक उप-योजना है। इसका उद्देश्य हरित क्रांति से सर्वाधिक लाभ उठाने वाले राज्यों (हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में अधिक जल की खपत वाली धान की फसल की जगह दलहन की फसल उगाने के लिए किसानों को प्रेरित करना है।
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विरुपाक्ष मंदिर
चर्चा में क्यों
- कर्नाटक केहम्पी में भारी वर्षा के कारण विरुपाक्ष मंदिर के 'सालू मंडप' का एक हिस्सा ढह गया है।
विरुपाक्ष मंदिर के विषय में
- यह मंदिर शिव का एक रूप भगवान विरुपाक्ष (या पम्पापति) को समर्पित है।
- इनकी माता पार्वती का अवतार मानी जाने वाली देवी पंपा इसकी पत्नी है ।
- हम्पी विजयनगर साम्राज्य (14वीं ईस्वी 16वीं ईस्वी) की राजधानी थी।
- यह मंदिर हम्पी में स्मारकों के उस समूह का एक हिस्सा है, जो यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में सूचीबद्ध हैं।
- यह मंदिर स्थापत्य की द्रविड़ शैली में बना है।
- इस शैली की खास विशेषताएं भव्य गोपुरम, विमान, जटिल नक्काशी, स्तंभ युक्त सभाकक्ष आदि हैं।
- पल्लव, चालुक्य, होयसल, चोल जैसे राजवंशों ने मंदिर के विस्तार और अलंकरण में अपना योगदान दिया है। हालांकि, इसका सर्वाधिक विस्तार विजयनगर शासकों ने कराया था
- कृष्णदेव राय (1509-29 ई.) ने अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में मुख्य मंदिर के सामने एक सभाकक्ष के निर्माण के साथ-साथ पूर्वी गोपुरम का भी निर्माण कराया था
विरुपाक्ष मंदिर के स्थापत्य की खास विशेषताएं
- मंदिर के गर्भगृह के ऊपर मौजूद विमान सबसे छोटा है। गर्भगृह मंदिर का सबसे पुराना हिस्सा है।
मंदिर परिसर एक प्राचीर से घिरा हुआ है। मंदिर में एक प्रवेश द्वार है, जिसे गोपुरम कहा जाता है।
- मुख्य मंदिर के विमान का आकार सीढ़ीदार पिरामिड के समान है। उल्लेखनीय है कि द्रविड़ शैली में निर्मित मंदिरों के विमान नागर शैली में निर्मित मंदिरों के वक्राकार शिखरों की बजाय ज्यामितीय आकार के होते हैं।
- मंदिर परिसर में द्वारपाल की मूर्तियां बनाई गई हैं।
- इसके अलावा, मंदिर में एक बड़ा जलाशय भी निर्मित है
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रूस भारत के साथ परमाणु सहयोग बढ़ाने को तैयार है
हाल ही में, भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष ने रूस के टॉम्स्क क्षेत्र में "प्रोरीव" या "ब्रेकथ्रू" परियोजना स्थल का दौरा किया। इस दौरान दोनों देशों ने परमाणु सहयोग के विस्तार के क्षेत्रों पर चर्चा की।
- प्रोजेक्ट प्रोरीव बंद परमाणु ईंधन चक्र (Closed nuclear fuel cycle) के साथ नए तकनीकी मंच के निर्माण पर केंद्रित है। यह प्रयुक्त हो चुके परमाणु ईंधन और रेडियोधर्मी अपशिष्ट संबंधी समस्याओं का समाधान करेगा।
- परमाणु ईंधन चक्र में 'फ्रंट एंड' (ईंधन तैयार करना), 'सर्विस पीरियड' (रिएक्टर परिचालन के दौरान प्रयुक्त ईंधन का उपयोग) और 'बैंक एंड' (प्रयुक्त परमाणु ईंधन का सुरक्षित प्रबंधन) शामिल है।
• बंद परमाणु ईंधन चक्र में प्रयुक्त ईंधन को पुनः प्रसंस्कृत और पुनर्चक्रित किया जाता है। यदि प्रयुक्त ईंधन को फिर से प्रसंस्कृत नहीं किया जाता है, तो इसे "ओपन फ्यूल साइकल (खुला ईंधन चक्र)" कहा जाता है।
फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र (FNPP) के बारे में
- यह एक या अधिक परमाणु रिएक्टर्स वाली साइट है, जो समुद्र में एक प्लेटफॉर्म पर निर्मित होती है।
आमतौर पर स्वच्छ विद्युत, ऊष्मा और अलवणीकृत जल प्रदान करने के लिए जहाजों पर स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) स्थापित किए जाते हैं।
- वर्तमान में, रूस एकमात्न ऐसा देश है, जिसके पास परिचालनरत फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। इसे एकेडेमिक लोमोनोसोव के नाम से जाना जाता है।
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साइलेंस पीरियड
- लोक सभा चुनाव के तहत राज्यों में किसी चरण में मतदान दिवस के 48 घंटे पहले साइलेंस पीरियड लागू किया जाता है।
- साइलेंस पीरियड मतदान के दिन से 48 घंटे पहले शुरू होता है और मतदान समाप्त होने के बाद खत्म होता है।
- वैसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में साइलेंस पीरियड पद का उल्लेख नहीं किया गया है।
साइलेंस पीरियड के दौरान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कुछ प्रतिबंध निम्नलिखित हैं:
- धारा 126 (1) टेलीविजन या इसी तरह के अन्य डिवाइस का उपयोग करके किसी भी प्रकार के चुनाव प्रचार, या किसी भी मनोरंजन कार्यक्रम (जैसे संगीत कार्यक्रम) के माध्यम से चुनाव प्रचार-प्रसार पर रोक लगाती है।
- धारा 126Aएग्जिट पोल आयोजित करने और प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करके एग्जिट पोल के परिणाम प्रकाशित करने पर रोक लगाती है।
- धारा 126 (1) (b) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चुनाव से संबंधित कोई भी ओपिनियन पोल प्रदर्शित करने पर रोक लगाती है।

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लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (Cost Inflation Index: CII)
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) की गणना हेतु वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (CII) को अधिसूचित किया।
दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के बारे में
- यह 12 से 36 महीने या उससे अधिक समय तक अपने पास रखी गई परिसंपत्तियों को बेचने पर अर्जित किया जाता है। पूंजीगत परिसंपत्तियों में स्टॉक, बॉण्ड, आभूषण, भवन, आदि शामिल हैं।
- अलग-अलग परिसंपत्तियों के लिए पूंजीगत लाभ की गणना की अवधि अलग-अलग होती है।
लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (CII) के बारे में
- CII को प्रत्येक वर्ष आयकर अधिनियम (1961) के तहत अधिसूचित किया जाता है।
- इसका उपयोग करदाताओं द्वारा पूंजीगत परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्त धन को मुद्रास्फीति से समायोजित करने के बाद लाभ की गणना करने के लिए किया जाता है।

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घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान (Ghughwa National Fossils Park)
चर्चा में क्यों
- घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान में जीवाश्म लकड़ी से बनी प्रागैतिहासिक कलाकृतियां प्राप्त हुई है।
- यह खोज आदि मानवों द्वारा औजारों के निर्माण हेतु जीवाश्म वृक्षों के तनों के उपयोग का संकेत देती हैं।
घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान के बारे में
- यह मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में स्थित है।
- यहाँ पर उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन।
- इसे 1983 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया था।
इस उद्यान में ऐसे पादपों के जीवाश्म मौजूद हैं, जो 40 मिलियन से 150 मिलियन वर्ष पहले भारत में मौजूद थे।
- यहां से प्राप्त उल्लेखनीय वस्तुओं में शामिल हैं; काष्ठीय पादप (यूकेलिप्टस, खजूर, नीम आदि), लताएं, पत्तियां, फूल, फल आदि के संरक्षित जीवाश्म और डायनासोर के अंडो के जीवाश्म ।
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नेफ्रोटिक सिंड्रोम
- हाल ही में, वैज्ञानिकों ने पाया कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम के बढ़ने की निगरानी के लिए एंटी-नेफ्रिन ऑटो-एंटीबॉडीज 'बायोमार्कर' के रूप में काम करते हैं।
- बायोमार्कर ब्लडप्रेशर जैसी नैदानिक जांच करने के लिए उपयोग किए जाने वाले साधन हैं।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के बारे में:
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम लक्षणों का एक समूह है जो यह संकेत देता है किगुर्देठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं
- मूत्र में बहुत अधिक प्रोटीन , जिसे प्रोटीनुरिया कहा जाता है
- रक्त में एल्ब्यूमिन नामक प्रोटीन का निम्न स्तर , जिसे हाइपोएल्ब्यूमिनीमिया कहा जाता है
शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन, जिसे एडिमा कहा जाता है
- रक्त में कोलेस्ट्रॉल और अन्य लिपिड (वसा) का उच्च स्तर , जिसे हाइपरलिपिडिमिया कहा जाता है
- इस सिंड्रोम के कारण किडनी के फ़िल्टरिंग भाग (ग्लोमेरुली) में घाव या क्षति हो जाती है।
- ग्लोमेरुली छोटी रक्त वाहिकाएं होती हैं। ये रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त पानी को फ़िल्टर करती हैं तथा उन्हें मूत्र के रूप में मूत्राशय में भेजती हैं।
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INS किल्टन मुरा
- भारतीय नौसेना पोत INS किल्टन मुरा (ब्रूनेई) पहुंचा।
- यह यात्रा दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े की परिचालन तैनाती का एक हिस्सा है।
- INS किल्टन चार P28 पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों (ASW) के कॉर्वेट्स (जंगी जहाज) में से तीसरा है।
प्रोजेक्ट 28 के बारे में
- इसका उद्देश्य 4 स्वदेशी ASW कॉवेंट्स या कामोर्टा श्रेणी के जहाजों का निर्माण करना था।
ASW कॉर्वेट्स की विशेषताएं:
- ये विमानभेदी तोपों, टारपीडो लॉन्चर, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली व अग्नि नियंत्रण रडार आदि से सुसज्जित हैं।
- इन्हें परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध स्थितियों में तैनात किया जा सकता है।
इनके निर्माण में स्वदेशी रूप से विकसित "विशेषीकृत हाई स्ट्रेंथ वॉरशिप ग्रेड स्टील DMR 249A" का उपयोग किया गया है।
- इसे भारतीय नौसेना के नौसेना डिज़ाइन निदेशालय ने डिज़ाइन किया है।
- इसका निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE)ने किया है।
- INS कामोर्टा, INS कदमत्त, INS किल्टन और INS कवरत्ती इसके तहत निर्मित होने वाले युद्धपोत है
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पेरियार नदी
- हाल ही में, पेरियार नदी में बड़ी संख्या में मछलियों के मरने की घटना दर्ज की गई है।
पेरियार नदी के बारे में
यह पश्चिमी घाट की शिवगिरि पहाड़ियों से निकलने वाली केरल की एक बारहमासी और सबसे लंबी नदी है।
- यह पेरियार टाइगर रिजर्व से होकर बहती है और पेरियार झील (मानव निर्मित जलाशय) तक पहुंचती है।
- यहां से पानी वेम्बनाड झील में और अंत में अरब सागर में गिरता है।
- सहायक नदियांः मुतिरापुड्यर, मुल्लायार, चेरुतोनी, पेरिंजनकुट्टी, एडमाला आदि।
- पेरियार बेसिन पर मुख्य बांधः इडुक्की, मुल्लापेरियार, एडमालायर आदि।
- शंकराचार्य का जन्मस्थान 'कलाडी'पेरियार के तट पर ही स्थित है। शंकराचार्य ने अद्वैत दर्शन का प्रतिपादन किया गया था।
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बीडब्ल्यूएफ मलेशिया मास्टर्स 2024
- मलेशिया के कुआलालंपुर में खेले गए महिला एकल फाइनल में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की वांग झी यी ने भारत की पीवी सिंधु को पराजित कर बीडब्ल्यूएफ मलेशिया मास्टर्स 2024 का खिताब जीत लिया
बीडब्ल्यूएफ मलेशिया मास्टर्स 2024 के विजेता
आयोजन
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विजेता
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उपविजेता
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एकल (पुरुष)
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वी. एक्सेलसन (डेनमार्क)
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जेडजेली (मलेशिया)
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एकल (महिला)
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वांग ज़ी यी (चीन)
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पीवी सिंधु (भारत)
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पुरुष (युगल)
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किम एस्ट्रुप और एंडर्स रासमुसेन (डेनमार्क)
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जिन योंग और ना सुंग सुएंग
(दक्षिण कोरिया)
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महिला (युगल)
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रिन इवानागा और की नाकानिशी (जापान)
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ली यू लिम और शिन सेउंग चान (दक्षिण कोरिया)
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मिश्रित युगल
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गोह सून हुआत और लाई शेवॉन जेमी (मलेशिया)
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रिनोव रिवाल्डी और पिथा हनिंगत्यास मेंटारी (इंडोनेशिया)
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77वें कान फिल्म महोत्सव 2024
- पायल कपाड़िया कान्स फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।
- पायल कपाड़िया द्वारा निर्देशित फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट ने 77वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में फीचर फिल्म सेगमेंट में ग्रैंड प्रिक्स पुरस्कार जीता ।
77वें कान फिल्म महोत्सव पुरस्कार 2024
- सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए पाल्मे डी'ओर या गोल्डन पाम - एनोरा फिल्म (संयुक्त राज्य अमेरिका), सीन बेकर द्वारा निर्देशित।
- सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए ग्रांड प्रिक्स- ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट (भारत-फ्रेंच), निर्देशक पायल कपाड़िया।
- फीचर फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक - मिगुएल गोम्स (पुर्तगाल) फिल्म ग्रैंड टूर के लिए।
- फीचर फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता - जेसी प्लेमन्स (संयुक्त राज्य अमेरिका) फिल्म काइंड्स फॉर काइंडनेस के लिए।
- फीचर फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री - सेलेना गोमेज़ (संयुक्त राज्य अमेरिका) फिल्म एमिलिया पेरेज़ के लिए।
- फीचर फिल्म के लिए विशेष पुरस्कार - द सीड फॉर द सेक्रेड फिग (जर्मन, फ्रांस, ईरान) निर्देशक: मोहम्मद रसूलोफ
77वें कान फिल्म महोत्सव 2024में भारतीयों की स्थिति
- भारत के लिए चिदानंद नाइक को प्रथम पुरस्कार मिला। उनकी लघु फिल्म "सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट ओन्स टू नो" को ला सिनेफ सेक्शन में पुरस्कार मिला।
- अभिनेत्री अनसूया सेनगुप्ता ने अपनी फिल्म शेमलेसके लिए अन सर्टेन रिगार्ड खंड में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतकर कान फिल्म महोत्सव में इतिहास रच दिया।
- पायल कपाड़िया निर्देशित फिल्म 'ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट' ने ग्रांड प्रिक्स पुरस्कार जीता।
- संतोष सिवन को सिनेमैटोग्राफी के लिए प्रतिष्ठित पियरे एंजेन्यूक्स ट्रिब्यूट पुरस्कार जीता।

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