ह्यूमन मिल्क पर FSSAI द्वारा निर्देश
- भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने फिर से स्पष्ट किया है कि खाद्य संरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत ह्यूमन मिल्क व उसके उत्पादों के व्यावसायीकरण की अनुमति नहीं है।
- इसने राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को इसके लिए लाइसेंस नहीं देने का भी निर्देश दिया है।
ह्यूमन मिल्कः
- परिपक्व मानव दूध में 3%--5% वसा, 0.8%--0.9% प्रोटीन, 6.9%--7.2% कार्बोहाइड्रेट होता है जिसे लैक्टोज के रूप में परिकलित किया जाता
- इसमें कई विशिष्ट जैव-सक्रिय अणु होते हैं, जो संक्रमण और इन्फ्लेमेशन से बचाते हैं।
- ये अणु प्रतिरक्षा में वृद्धि करते हैं और अंग विकास एवं स्वास्थ्यप्रद माइक्रोबियल कॉलोनाइजेशन में योगदान करते हैं।
- नवजात शिशु को सुरक्षित दाता से माँ का दूध उपलब्ध कराना एक पुरानी परंपरा है और पिछले 100 वर्षों से दुनिया भर में इसका पालन किया जा रहा है।
- मानव दूध के मुख्य प्रोटीन गोजातीय बीटा-कैसिइन, अल्फा-लैक्टलबुमिन, लैक्टोफेरिन, इम्युनोग्लोबुलिन IgA, लाइसोजाइम, तथा सीरम एल्ब्यूमिन के समरूप कैसिइन हैं।

|
एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रएम-II
- रक्षा एवं अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रएम-II का सफल परीक्षण किया है।
रुद्रएम-II मिसाइल के विषय में
- रुद्रम मिसाइल पहली स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-रेडिएशन मिसाइल है जिसे दुश्मन के जमीनी राडार (निगरानी, ट्रैकिंग) और संचार स्टेशनों को दबाने के मिशन (SEAD) में लक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- इसे दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली, जिसमें रडार , रेडियो फ़्रीक्वेंसी संपत्तियाँ और अन्य संचार उपकरण शामिल हैं, को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
विशेषताएं
- यह मिसाइल एक ठोस प्रणोदक सुपरसोनिक मिसाइल है।
- डीआरडीओ के अनुसार, रुद्रम-II मिसाइल 200 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकती है और 6,791 किमी/घंटा (मैक 5.5) की अधिकतम गति प्राप्त कर सकती है।
- मिसाइल को 3 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई से लॉन्च किया जा सकता है
- इसकी मारक क्षमता 350 किलोमीटर है।
नोट
रुद्रएम-1 मिसाइल, जिसका परीक्षण 2000 में किया गया था, की मारक क्षमता 100-150 किलोमीटर है और यह मैक 2 (ध्वनि की गति से दो गुना) की गति तक पहुँच सकती है।

|
क्वांटम डायमंड माइक्रोचिप इमेजर
- भारत कापहला क्वांटम डायमंड माइक्रोचिप इमेजरविकसित किया जाएगा
- इसेटाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) द्वारा IIT-बॉम्बेके साथ साझेदारी में विकसित किया जाएगा।
- यह परियोजना भारत केराष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के अनुरूप है।
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM)
- NQM को2023 मेंशुरू किया गया था।
- इसका कार्यान्वयन केंद्र सरकार काविज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) कर रहा है।
- राष्ट्रीय क्वांटम मिशन काउद्देश्यदेश को क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेल में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करना है।
- क्वांटम प्रौद्योगिकी एक प्रकार की तकनीक है, जो क्वांटम मैकेनिक्स (उप-परमाणु कणों की भौतिकी) के सिद्धांतों का उपयोग करके कार्य करती है।
क्वांटम डायमंड माइक्रोचिप इमेजर के बारे में
- यह सेमीकंडक्टर चिप इमेजिंग के लिए एक उन्नत सेंसिंग टूल है।
- यहसेमीकंडक्टर चिप्स में विसंगतियों का पता लगाने के लिए हीरे की संरचना में मौजूद डिफेक्ट्स अर्थात् नाइट्रोजन-वैकेंसी (NV) सेंटर्स का उपयोग करताहै।
- यह चिपफेलीयर के मामलों को कमकरेगा और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की ऊर्जा दक्षता में सुधार करेगा।
- साथ ही, यह देश में सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास को बढ़ावा भी देगा।
- माइक्रोचिप इमेजर दूसरी क्वांटम क्रांति को सुगम बनाएगा।
- दूसरी क्वांटम क्रांति क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्रमें प्रगति और सफलताओं की एक समकालीन स्थिति को व्यक्त करती है (उदाहरण के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग)।
- यह 20वीं सदी की शुरुआत में आरंभ हुई पहली क्वांटम क्रांति की अगली कड़ी है।

|
सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट (CD)
- नकदी की तंगी के बीच बैंकों द्वारा सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट के माध्यम से धन जुटाने में वृद्धि दर्ज की गई है।
सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट के बारे में:
- यह बाजार से धन जुटाने वाला एक नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट है।
- धन जमा करने पर इसे डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म(इलेक्ट्रॉनिक) या प्रॉमिसरी नोट के रूप में जारी किया जाता है।
- प्रॉमिसरी नोट एक प्रकार का कानूनी डॉक्यूमेंट है, जिसमें ऋणी व्यक्ति ऋणदाता को निर्धारित राशि चुकाने का वचन देता है।
- ये सर्टिफिकेट्सक्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों सहित अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जारी किए जाते हैं। साथ ही, इसे कुछ अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान भी जारी करते हैं।
- इन्हें व्यक्तियों, कॉर्पोरशन, कंपनियों आदि को जारी किया जा सकता है।
- इन्हें न्यूनतम 5 लाख रुपये के मूल्यवर्गमें जारी किया जाता है।
- इन्हें न्यूनतम 7 दिनों और अधिकतम 1 वर्ष की अवधिके लिए जारी किया जाता है।
- हालांकि, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान न्यूनतम 1 वर्ष और अधिकतम 3 वर्ष के लिएसर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट जारी कर सकते हैं।

|
प्रगति-2024 (PRAGATI-2024)
- केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् (CCRAS)ने फार्मा रिसर्च इन आयुर्ज्ञान एंड टेक्नो इनोवेशन (प्रगति/ PRAGATI-2024) लॉन्च किया है।
प्रगति / PRAGATI-2024 के बारे में:
- यह आयुर्वेद के क्षेल में CCRAS और उद्योग के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान का अवसर प्रदान करता है।
- आयुर्वेद 'भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है।
- इसके अलावा, यह आयुर्वेद और हर्बल उद्योग की विशाल क्षमता का भी प्रदर्शन करेगा।
केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् (CCRAS के बारे में:
- CCRAS केंद्रीयआयुष मंलालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है।
- यह आयुर्वेद और सोवा-रिग्पा चिकित्सा प्रणाली में वैज्ञानिक आधार पर अनुसंधान, समन्वय, विकास एवं प्रचार के लिए शीर्ष निकाय है।

|
एशिया-प्रशांत रोजगार और सामाजिक परिदृश्य 2024 रिपोर्ट
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए यह रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रोजगार जनसंख्या अनुपात (EPR) 2022 के 57.4% से बढ़कर 2023 में 58.2% हो गया था। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारतीय महिलाओं की रोजगार में बढ़ोतरी के कारण हुई है।
- भारत में, वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात मौजूदा 0.10 से बढ़कर 2050 तक 0.22 होने का अनुमान है।
- भारत को 2050 तक उच्च आय वाले देश का दर्जा प्राप्त करने के लिए उत्पादकता में तीव्र वृद्धि की आवश्यकता है।
- 'भारत में लगभग 76% विनिर्माताओं ने कुशल श्रमिकों की कमी होने की सूचना दी है।

|
ओडोक्लेडियम सह्याद्रिकम (Oedocladium sahyadricum)
चर्चा में क्यों
- कैथोलिक कॉलेज, पठानमथिट्टा के वनस्पति विज्ञानियों की एक टीम ने पश्चिमी घाट में एकनई शैवाल प्रजाति, ओडोक्लेडियम सह्याद्रिकम की खोज की है।
- सह्याद्रि क्षेत्र के नाम पर इसका नाम रखा गया है।
ओडोक्लेडियम सह्याद्रिकम के बारे में
- यह एक शैवाल प्रजाति है, जो प्रकृति में एकलिंगाश्रयी (Dioecious) और स्थलीय है।
- एकलिंगाश्रयी जीवों में मादा व नर जननांग अलग-अलग जीव में होते हैं।
- यहशैवाल गीली मिट्टी पर लेबे तंतुओंवाली एक फिल्मी मैट की तरह पाया गया है।
- यहदोमट व अम्लीय प्रकृति की मिट्टीमें पाया जाता है।
उपयोगः
- इसका चिकित्सा, कृषि और प्राकृक्तिक वर्णक के उत्पादन में उपयोग किया जा सकता है।
- शैवाल पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और विश्व बाजार में उच्च मूल्य वाले उत्पादों से लेकर अपशिष्ट जल उपचार तक इनका बहुत बड़ा आर्थिक महत्व है

|
जंपिंग जींस
- केरल की एक नई पादप प्रजाति (स्टेलेरिया मैक्लिंटॉकिया) का नाम बारबरा मैक्लिंटॉक के नाम पर रखा गया है।
- उल्लेखनीय है किमैक्लिंटॉक ने जंपिंग जीनकी खोज के लिए नोबेल पुरस्कार जीता था।
जंपिंग जीन के बारे में
- ट्रांसपोजेबल तत्व (टी.ई.), जिन्हें "जंपिंग जीन" या ट्रांसपोजोन के नाम से भी जाना जाता है, वे डी.एन.ए. अनुक्रम होते हैं जो जीनोम में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं (या कूदते हैं)
- ये स्वयं की प्रतिकृति बना सकते हैं और नए स्थानों पर प्रतियाँ समाविष्ट कर सकते हैं।
- इनकी गतिविधि आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Genetic mutations) का कारण बन सकती है और जीनोम विकास में योगदान कर सकती है।
|
गोल्डन राइस
चर्चा में क्यों
- हाल ही में, फिलीर्पीस ने आनुवंशिक रूप से संशोधित गोल्डन राइस की व्यावसायिक खेती के लिए जैव- सुरक्षा परमिट रद्द कर दिया है।
गोल्डन राइस के बारे में
- गोल्डन राइस किस्म का विशिष्ट पोषण आवश्यकता को ध्यान में रखकर विकास किया गया है।
- इसमें में न तो अतिरिक्त लागत आई है और न ही मूल चावल के स्वाद में किसी प्रकार की कमी दर्ज की गई है।
- गोल्डन राइस के दाने में सूक्ष्म पोषक तत्वों आयरन और जिंक का उच्च्च स्तर होता है।
- इसके अतिरिक्त, इसमेंबीटा-कैरोटीन भीहोता है।बीटा कैरोटीन शरीर की आवश्यकतानुसार विटामिन A में परिवर्तितहो जाता है।
- बीटा कैरोटीन के कारण ही गोल्डन राइस का रंग पीला या सुनहरा होताहै।

|
निडोवायरस (Nindoviruse)
चर्चा में क्यों
- शोधकर्ता ने एक नई कंप्यूटर विश्लेषण पद्धति की मदद से, हमने मछली से लेकर कुतरने वाले जीवों तक विभिन्न कशेरुकी जीवों में 40 पूर्व अज्ञात निडोवायरस की खोज की
निडोवायरस के बारे में
- येपॉजिटिव-सेंस राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA)वायरस होते हैं।
- ये स्थलीय और समुद्री स्तनधारियों, मछली सहित कई तरह के जानवरों को संक्रमित करते हैं।
- ये समानजीनोम संरचना और जीन एक्सप्रेशनरणनीति साझा करते हैं, लेकिन इनके जीनोमिक RNA के आकार में भिन्नता होती है।
- येनिडोविरालेस वर्गके अंतर्गत आते हैं।
- निडोवायरस के बड़े समूह में से, केवल कोरोना वायरस ही अब तक मनुष्यों में बीमारी का कारण बना है।
- शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जबहोस्टजानवर एक ही समय में अलग-अलग वायरसों से संक्रमित होते हैं, तो वायरल जीन के पुनर्संयोजन के परिणामस्वरूप एक नया वायरस उभर सकता है।

|
मैगलन मिशन
- मैगलन अंतरिक्ष यान द्वारा ली गई 30 साल पुरानी रडार छवियों के नए विश्लेषण से पता चला है कि शुक्र ग्रह वर्तमान में ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय हो सकता है।
मैगलन मिशन के बारे में
- यह मिशननासा ने 1989 में लॉन्चकिया था।
- यह शुक्र ग्रह की संपूर्ण सतह की छवि लेने वाला पहला अंतरिक्ष यान था।
- इसने शुक्रग्रह की सतह का मानचित्रण करने के लिएसिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) का उपयोग किया था।
- SAR एक रिज़ॉल्यूशन लिमिटेड रडार सिस्टम सेफाइन-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां बनानेकी एक तकनीक है।
- शुक्र ग्रह के भू-भाग की छवियां ज्वालामुखी, टेक्टोनिक एक्टिविटी, अशांत सतही पवनों और अन्य विशेषताओं का संकेत प्रदर्शित करती हैं।

|
भारत ने 2024-26 के लिए कोलंबो प्रक्रिया की अध्यक्षता संभाली
- भारत ने दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवासी श्रमिक मूल देशों की क्षेत्रीय परामर्श प्रक्रिया की शुरुआत के बाद पहली बार 2024-26 के लिए कोलंबो प्रक्रिया की अध्यक्षता संभाली है।
कोलंबो प्रक्रिया (सीपी)
- कोलंबो प्रक्रिया (सीपी) की पहली बैठक 2003 मेंकोलंबो, श्रीलंकामें हुई थी। इसमें मूल के दस देश और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) शामिल हुए थे।
- पहली बैठक के बाद से, मनीला, फिलीपींस (2004), बाली, इंडोनेशिया (2005) और ढाका, बांग्लादेश (2011)में मंत्रिस्तरीय परामर्श आयोजित किए गए हैं। 2005 में तीसरी बैठक पहली थी जिसमें गंतव्य देशों, जिन्हें'पर्यवेक्षक राज्य'कहा जाता है, ने भाग लिया।
सदस्य -
इसके 11 सदस्य देश हैं: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम।आठ पर्यवेक्षकदेशों में बहरीन, इटली, कुवैत, मलेशिया, कतर, कोरिया गणराज्य, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
उद्देश्य
- श्रम प्रवासन प्रबंधन में अनुभव, सीखे गए सबक और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना
- प्रवासियों, मूल देशों और गंतव्य देशों के समक्ष आने वाले मुद्दों पर परामर्श करना
- संगठित विदेशी रोजगार से विकास लाभों को अनुकूलित करना तथा गंतव्य देशों के साथ संवाद बढ़ाना
- सिफारिशों के कार्यान्वयन की समीक्षा और निगरानी करना तथा आगे की कार्रवाई के कदमों की पहचान करना

|