विश्व तंबाकू निषेध दिवस
- तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए 31 मई को 'वर्ल्ड नो टोबैको' के रूप में मनाया जाता है.
- साल 2024 की थीम है Protecting Children from Tobacco Industry Interference'
- इस थीम का अर्थ है कि तंबाकू के उद्योग में बच्चों की दखल को कम करना
विश्व तंबाकू निषेध दिवस के विषय में
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की विश्व स्वास्थ्य सभा ने 1988 में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया था।
- 31 मई 1988 को प्रथम विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया गया।
- वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश और दो सहयोगी देश सदस्य हैं।
भारत में तंबाकू
- भारत में तम्बाकू की खेती शुरू करने का श्रेय पुर्तगालियों को जाता है। वे 1605 में भारत में इस फसल की शुरुआत की थी ।
- भारत, चीन के बाद दुनिया में तम्बाकू कादूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है
- यह ब्राजील के बाद दुनिया मेंतम्बाकू का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है
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यूरेशियन या कॉमन व्हिम्ब्रेल
- छत्तीसगढ़ राज्य के बेमतरा मेंपहली बार एक लंबी दूरी का प्रवासी पक्षी, यूरेशियन या कॉमन व्हिम्ब्रेल को देखा गया
यूरेशियन व्हिम्ब्रेल के विषय में
- यूरेशियन या सामान्य व्हिम्ब्रेल ( न्यूमेनियस फियोपस ), जिसे उत्तरी अमेरिका में व्हाइट-रम्प्ड व्हिम्ब्रेल के रूप में भी जाना जाता है, बड़े परिवार स्कोलोपैसिडे में एक पक्षी है।
- वे ग्रीष्मकाल के दौरानसाइबेरिया और अलास्का केउप-आर्कटिक क्षेत्रों में प्रजनन करते हैं, उसके बाददक्षिणी अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका , अफ्रीका और नेपालसहित दक्षिण एशिया के शीतकालीन क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं ।
विशेषताएँ :
- व्हिम्ब्रेल्स अपनी ऊंची आवाज के लिए जाने जाते हैं, जिसमें सात स्वरों की एक दोहरावदार श्रृंखला शामिल होती है ।
- यह काफी बड़ा धूसर-भूरे रंग का पक्षी है, जिसकी लंबी, मुड़ी हुई चोंच होती है।
- इसके सिर पर एक विशिष्ट पैटर्न है, जिसमें गहरे रंग की आंख जैसी धारियां और मुकुट के किनारे हैं।
- यह ऊपर से गहरे भूरे रंग का, नीचे से हल्के भूरे रंग का होता है, तथा गले और छाती पर काफी भूरे रंग की धारियाँ होती हैं।
- घोंसला बनाते समय सामान्यतः एकान्त रहने वाला व्हिम्ब्रेल प्रजनन ऋतु के बाहर झुंड में रहने लगता है ।
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77वें विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन
- 77वें विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन का आयोजन जेनेवा में किया जा रहा है
- भारत नेनॉर्वे, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) और मातृ, नवजात शिशु और बच्चों की स्वास्थ्य भागीदारी (पीएमएनसीएच)के सहयोग से महिला, बाल और किशोर स्वास्थ्य पर एक अन्य कार्यक्रम की मेजबानी की।
कार्यक्रम का उद्देश्य
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य उभरते साक्ष्य और खोजों को साझा करना, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य और कल्याण में निवेश के लिए महत्वपूर्ण अवसरों पर बातचीत को बढ़ावा देना था।
नोट -
भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्र को 77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) में समिति A का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
- स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization-WHO) की स्थापना वर्ष 1948 हुई थी।
- इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- वर्तमान में 194 देश WHO के सदस्य हैं।
- 150 देशों में इसके कार्यालय होने के साथ-साथ इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
- यह एक अंतर-सरकारी संगठन है तथा सामान्यतः अपने सदस्य राष्ट्रों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के सहयोग से कार्य करता है।
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EarthCARE / अर्थकेयर मिशन
- अर्थ क्लाउड एरोसोल एंड रेडिएशन एक्सप्लोरर (EarthCARE / अर्थकेयर) मिशन लॉन्च किया गया
- अर्थकेयर मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JXA) के बीच एक संयुक्त वेंचर है।
- इस मिशन का उद्देश्य बादलों, एरोसोल और विकिरण के बीच जटिल परस्पर अभिक्रिया का समग्र विवरण प्रदान करना है। इससे जलवायु संकट के दौरान पृथ्वी के विकिरण संतुलन में नई अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी।
सूर्य-तुल्यकालिक (Sun-synchronous)। अर्थकेयर में लगे हुए उपकरणः
- एटमॉस्फेरिक लिडार, क्लाउड प्रोफाइलिंग रडार, मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजर (MSI) और ब्रॉडबैंड रेडियोमीटर।
बादलों, एरोसोल और पृथ्वी के विकिरण संतुलन के बीच संबंध :बादलः
- एरोसोल के साथ मिलकर बादल पृथ्वी के हीट बजट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- वे सूर्य से आने वाली किरणों को परावर्तित करके यापृथ्वी की सतह से परावर्तित होने वाली अवरक्त विकिरणोंको रोककर पृथ्वी की सतह को ठंडा या गर्म कर सकते हैं।
- पृथ्वी पर बादलों द्वारा उष्णता और शीतलन प्रभाव की सीमा बादलों के आकार, उनकी अवस्थिति, ऊंचाई, उनमें जल की माला और कणों के आकार पर निर्भर करती है।
एरोसोलः
- ये धूल और प्रदूषक जैसे छोटे कण होते हैं, जो वायुमंडल में निलंबित अवस्था में रहते हैं।
- सीधे तौर पर वे सौर विकिरण को परावर्तित और अवशोषितकरते हैं तथा पृथ्वी की सतह से परावर्तित होने वाले विकिरण को अंतरिक्ष में जाने से रोकते हैं।
- अप्रत्यक्ष रूप से वे बादलों के निर्माण के लिए केंद्रक के रूप में कार्य करते हैं, जिसका जलवायु पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
- औद्योगीकरण, कृषि जैसी मानव-जनित गतिविधियां वायुमंडलीय एरोसोल सांद्रता में व्यापक बदलाव कर देती हैं। इससे क्षेत्रीय जलवायु पैटर्न प्रभावित होते हैं।
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माइक्रोसेफली
चर्चा में क्यों
- हालिया अध्ययनों के अनुसार, SASS6 (SAS-6 सेंट्रीओलर असेंबली प्रोटीन)नामक जीन माइक्रोसेफली विकार का कारण हो सकता है।
- SASS6 प्रोटीन की कोडिंग करने वाला जीन है।यह सेंट्रीओल्स का एक केंद्रीय घटक है।
- सेंट्रीओल्स बैरल के आकार का युग्मित कोशिकांग (Organelles) है। यह पशुओं की कोशिका के कोशिका-द्रव्य (साइटोप्लाज्म) में पाया जाता है।
माइक्रोसेफली के बारे में
- इसविकार से पीड़ित बच्चे का सिर सामान्य आकार से बहुत छोटा होताहै।
- माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क के विकास में समस्या उत्पन्न होने पर, उसके जन्म के बाद मस्तिष्क का विकास अवरुद्ध हो जाता है।
- कारणःविविध आनुवंशिक कारक, जीका जैसे वायरल संक्रमण आदि।
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लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) के लिए 8 मिलियन डॉलर के वित्त-पोषण
- आपदा-रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (CDRI) ने लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) के लिए 8 मिलियन डॉलर के वित्त-पोषण की घोषणा एंटीगुआ और बारबुडा में SIDS पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र के चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में की है।
- यह वित्त-पोषण CDRI के इंफ्रास्ट्रक्बर फॉर रेजिलिएट आइलैंड स्टेट्स प्रोग्राम (IRIS) का एक घटक है।
IRIS के बारे में
- इसका उद्देश्य SIDS को तकनीकी समर्थन प्रदान करना
- SIDS में अवसंरचना परिसंपत्तियों की आपदा और जलवायु संकट प्रतिरोधकता को बढ़ावा देना है।
कबशुरू किया गया -
- इसे यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के COP-26 में लॉन्च किया गया था।
- यह यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों द्वारा समर्थित है।
लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) के बारे में
- यह 39 देशों और संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय आयोगों के 18 एसोसिएट सदस्यों का एक समूह है।
- SIDS कई प्रकार की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं का खतरा झेल रहा है। इन समस्याओं से निपटने के लिए इन्हें वित्त पोषण पर निर्भर रहना पड़ता है।
- ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित हुए पृथ्वी शिखर सम्मेलन अथवा पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (1992) में SIDS को पर्यावरण एवं विकास के लिए एक विशिष्ट स्पेशल केस के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी।
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लिग्नोसेंट (Lignosat)
- नासा और जाक्सा (जापानी अंतरिक्ष एजेंसी) इस पहल में सहयोग से जापान के शोधकर्ताओं ने लकड़ी से बनी दुनिया की पहली सैटेलाइट 'लिग्रोसैट' निर्मित की है।
लिग्रोसैट के विषय में
- यह छोटा घनाकार यान है। इसे स्पेसएक्स रॉकेट से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा।
- इस पहल का उद्देश्य अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन में योगदान देना और अधिक पर्यावरण अनुकूल अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
- लिग्नोसैट को मैगनोलिया लकड़ी से बनाया गया है। यह लकड़ी अधिक मजबूत और लचीली होती है।
लाभः
- एल्यूमीनियम निर्मित पारंपरिक उपग्रह वायुमंडल में पुनः प्रवेश के दौरान हानिकारक कण मुक्त करते हैं। वहीं लकड़ी से बना लिनोसैट जलकर नष्ट हो जाएगा और कोई हानिकारक कण मुक्त नहीं करेगा।
- विद्युतचुंबकीय तरंगें लकड़ी से आसानी से गुजर सकती हैं। इससे उपकरण उपग्रह की लकड़ी की संरचना के भीतर ही बने रहते हैं। इससे उपकरणों के अलग होने और मलबा बनने का जोखिम समाप्त हो जाता है।
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दक्ष परियोजना
- इस परियोजना में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR), रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) आदि शामिल है ।
- इस परियोजना का नेतृत्व IIT- बॉम्बे कर रहा है।
दक्ष (Daksha) परियोजना के बारे में
- इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत हाई-एनर्जी वाले दो स्पेस टेलीस्कोप बनाया जाएगा ।
- ये टेलीस्कोपखगोलीय विस्फोटक घटनाओं के स्रोतों का अध्ययन करेंगे।
- इनमें से प्रत्येक टेलीस्कोप में लो-एनर्जी से लेकर हाई रेंज एनर्जी बैंड को दर्ज करने के लिए तीन प्रकार के सेंसर लगे होंगे।
उद्देश्य
- गुरुत्वाकर्षण तरंगों के स्रोतों के हाई-एनर्जी समकक्षों या स्रोतों का पता लगाना, उनकी अवस्थिति निर्धारित करना और उनकी विशेषताएं बताना।
- गामा रे बर्स्ट (GRB) के आंशिक संकेत का भी पता लगाना और उसका अध्ययन करना।
- गामा रे बर्स्ट वास्तव में अंतरिक्ष में प्रकाश के क्षणिक विस्फोट हैं।
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अलास्का की नदियां नारंगी रंग की हो रही है ।
- अलास्का की नदियां अपना रंग बदल रही हैं। उनका पानी साफ, सफेद और नीले रंग से अब नारंगी रंग में बदल रहा है।
- ऐसा जलवायु परिवर्तन के कारण पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से हो रहा है।
- पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से हजारों वर्षों से दबी विषाक्त धातुएं वातावरण में प्रकट होती हैं।इससे नदियां अत्यधिकअम्लीयहो जाती हैं।
- अलास्का की नदियों के जल का रासायनिक विश्लेषण किया गया है। इस विश्लेषण में इन नदियों केजल में जिंक, निकल, तांबा, कैडमियम और लोहे की सांद्रताके उच्च स्तर दर्ज किए गए हैं।
अलास्का के बारे में
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका का एक राज्य है। यह उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के सुदूर उत्तर- पश्चिम में अवस्थित है।
- इसके उत्तर में व्यूफोर्ट सागर और आर्कटिक महासागर; दक्षिण में अलास्का की खाड़ी और प्रशांत महासागर तथा पश्चिम में बेरिंग सागर एवं चुक्सी सागर स्थित हैं।
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शरावती नदी
चर्चा में क्यों
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने कर्नाटक सरकार को शरावती नदी में अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया है।
शरावती नदी के बारे में
- यह भारत के पश्चिमी भाग की ओर बहने वाली नदी है, जो अरब सागर में गिरती है।
- उद्गमःकर्नाटक के शिमोगा जिले में अंबुतीर्थ (पश्चिमी घाट) से।
- सहायक नदियांःहरिद्रवती, येनहोल, नागोडी आदि।
- जलप्रपातःजोग जलप्रपात। यह काफी ऊंचा जलप्रपात है।
- शरावती घाटी वन्यजीव अभयारण्य शरावती नदी घाटी में अवस्थित है।
- यहीं परमहात्मा गांधी पनबिजली पॉवर स्टेशनबना हुआ है।
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क्रायोनिक्स
चर्चा में क्यों
- एक क्रायोनिक्स कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया में अपने पहले ग्राहक को इस उम्मीद में फ्रीज कर दिया है कि भविष्य में उसे पुनः जीवित किया जा सकेगा।
क्रायोनिक्स के विषय में
- भविष्य में किसी समय उस व्यक्ति कोपुनर्जीवितकरने के उद्देश्यसे क्रायोनिक्स, किसी मृतव्यक्ति को फ्रीज करने की प्रथा, जिसका उद्देश्य भविष्य में किसी समय उस व्यक्ति को पुनर्जीवित करना है।
- क्रायोनिक्स शब्द ग्रीक शब्दक्रियोससे लिया गया है, जिसका अर्थ है"बर्फीला ठंडा।"
- यह ऐसे ठंडे तापमान का उपयोग करके जीवन बचाने का एक प्रयास है, जिससे आज की चिकित्सा से परे किसी व्यक्ति को दशकों या सदियों तक सुरक्षित रखा जा सके, जब तक कि भविष्य की चिकित्सा तकनीक उस व्यक्ति को पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान न कर दे ।
- ऐसी अवस्था में रखे गए व्यक्ति को " क्रायोप्रिजर्व्ड रोगी" कहा जाता है, क्योंकि क्रायोनिस्ट (क्रायोनिक्स के समर्थक)क्रायोप्रिजर्व्ड व्यक्तिको वास्तव में मृत नहीं मानते हैं।
- क्रायोनिक संरक्षण केवल तभी किया जा सकता है जब किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत घोषित कर दिया गया हो।
- यह प्रक्रिया मृत्यु के तुरंत बाद शुरू की जाती है, जिसमें शव को बर्फ में पैक करके क्रायोनिक्स सुविधा में भेज दिया जाता है।
- वहां, रक्त को शरीर से निकाल दिया जाता है और उसके स्थान पर एंटीफ्रीज और अंग-संरक्षणयौगिक, जिन्हेंक्रायोप्रोटेक्टिव एजेंटकहा जाता है , डाल दिए जाते हैं।
- इसविट्रिफाइड अवस्था में, शरीर को तरल नाइट्रोजन से भरे एक कक्ष में रखा जाता है , जहां यह सैद्धांतिक रूप से -196 डिग्री सेल्सियसपर तब तक संरक्षित रहेगा जब तक कि वैज्ञानिक भविष्य में शरीर को पुनर्जीवित करने का कोई तरीका नहीं खोज लेते ।
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