राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड को मिला नवरत्न दर्जा
सार्वजनिक उद्यम विभाग ( डीपीई) ने राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (आरसीएफ) को ' नवरत्न दर्जा ' प्रदान किया है I
सार्वजनिक उद्यम विभाग के बारे में-
लोक उद्यम विभाग सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Central Public Sector Enterprises-CPSEs) का नोडल विभाग है और CPSEs से संबंधित नीतियाँ तैयार करता है।
CPSEs का वर्गीकरण
श्रेणी:
महारत्न
नवरत्न
मिनीरत्न
महारत्न:
CPSEs के लिये महारत्न योजना मई, 2010 में शुरू की गई थी, ताकि मेगा CPSEs को अपने संचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गजों के रूप में उभारने के लिये सशक्त बनाया जा सके।
कंपनी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियामकों के अंतर्गत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी के साथ भारतीय शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होनी चाहिये।
विगत तीन वर्षों की अवधि में औसत वार्षिक व्यवसाय 25,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।
पिछले तीन वर्षों में औसत वार्षिक निवल मूल्य15,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।
पिछले तीन वर्षों का औसत वार्षिक शुद्ध लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिये।
कंपनियों की व्यापार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में महत्वपूर्ण उपस्थिति होनी चाहिये।
उदाहरण: भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, आदि।
नवरत्न:
नवरत्न योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी ताकि उन CPSEs की पहचान की जा सके जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ प्राप्त करते हैं और वैश्विक खिलाड़ी बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।
मिनीरत्न श्रेणी - I और अनुसूची 'A' के तहत आने वाली CPSEs, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में से तीन में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत 'उत्कृष्ट' या 'बहुत अच्छी' रेटिंग प्राप्त की है और छह प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर प्राप्त किया हो।
उदाहरण: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, आदि।
मिनीरत्न:
मिनीरत्न योजना की शुरूआत वर्ष 1997 में सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल एवं प्रतिस्पर्द्धी बनाने और लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिक स्वायत्तता तथा शक्तियों का प्रत्यायोजन प्रदान करने के नीतिगत उद्देश्य के अनुसरण में की गई थी।
मिनीरत्न श्रेणी- 1: मिनीरत्न कंपनी श्रेणी 1 का दर्जा प्राप्त करने के लिये आवश्यक है कि कंपनी ने पिछले तीन वर्षों से लगातार लाभ प्राप्त किया हो तथा तीन साल में एक बार कम से कम 30 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो।
उदाहरण (श्रेणी- I): भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, आदि।
मिनीरत्न श्रेणी- 2 : CPSE द्वारा पिछले तीन साल से लगातार लाभ अर्जित किया हो और उसकी निवल संपत्ति सकारात्मक हो, वे मिनीरत्न- II का दर्जा देने के लिये पात्र हैं।
उदाहरण (श्रेणी- II): भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO ), भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड (BPCL), आदि।
मिनीरत्न CPSE को सरकार के किसी भी ऋण पर ऋण / ब्याज भुगतान के पुनर्भुगतान में चूक नहीं करनी चाहिये।
मिनीरत्न CPSE कंपनियाँ बजटीय सहायता या सरकारी गारंटी पर निर्भर नहीं होंगे।
राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ) के बारे में-
स्वामित्व: भारत में सरकार के स्वामित्व वाला उद्यम
मुख्यालय: मुंबई, भारत
प्राथमिक संचालन: रसायनों और उर्वरकों का उत्पादन
सरकारी मंत्रालय: रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत आता है
स्थापना: भारतीय उर्वरक निगम के पुनर्गठन के बाद 1978 में स्थापना
उत्पाद पोर्टफोलियो: इसमें यूरिया और जटिल उर्वरक (एनपीके) और औद्योगिक रसायन शामिल हैं
रैंकिंग: भारत में सरकारी स्वामित्व वाले उर्वरकों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक
यूरिया उत्पादन: भारत में चौथा सबसे बड़ा यूरिया निर्माता
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक: एस. सी. मुदगेरीकर
ताइवान में समुद्री तूफान 'हाइकुई'
ताइवान के सुदूर दक्षिण-पूर्व में टाइफून हाइकुई दस्तक दी, जो चार साल में ताइवान में आने वाला पहला तूफान था।
चक्रवात (Cyclone):
ये निम्न वायुदाब के केन्द्र हैं जिनके चारों ओर क्रमशः बढ़ते वायुदाब की समदाब रेखाएँ होती हैं।
चक्रवात में पवन की दिशा परिधि से केन्द्र की ओर होती है। इनकी दिशा उ. गोलार्द्ध में घड़ी की हुई की दिशा के विपरीत एवं द. गोलार्द्ध में घड़ी की हुई की दिशा की ओर होती है।
इनका आकार गोलाकार, अंडाकार या V अक्षर के समान होता है।
जलवायु एवं मौसम के निर्धारण में इनका पर्याप्त महत्व होता है। जहाँ ये पहुँचते हैं, वहाँ ये वर्षा एवं तापक्रम की दशाओं को प्रभावित करते हैं।
चक्रवात दो प्रकार के होते हैं-
(i) शीतोष्णकटिबंधीय
(ii) उष्णकटिबंधीय
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के लिये अलग-अलग नामः
टाइफून: दक्षिण पूर्व एशिया और चीन
हरिकेनः उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत
टॉरनेडो: पश्चिम अफ्रीका और दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका
विली-विलीज: उत्तर पश्चिम ऑस्ट्रेलिया
उष्णकटिबंधीय चक्रवातः दक्षिण पश्चिम प्रशांत और हिंद महासागर
मोहन बागान ने डूरंड कप 2023 जीता
मोहन बागान ने 3 सितंबर, 2023 को कोलकाता के साल्ट लेक स्टेडियम में ईस्ट बंगाल को 1-0 से हराकर डूरंड कप फुटबॉल 2023 जीत ली है।
3 अगस्त से 3 सितंबर 2023 तक असम एवं पश्चिम बंगाल के कुछ शहरों में डूरंड कप 2023 फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी ।
मोहन बागान एसजी डूरंड कप के इतिहास में 17 खिताब जीतने वाली पहली टीम बन गई है।
दिमित्री पेट्राटौस ने मोहन बागान की तरफ से एक मात्र गोल किए।
ईस्ट बंगाल डूरंड कप जीतने वाली दूसरी सबसे सफल टीम है जिसके नाम 16 खिताब दर्ज हैं।
मोहन बागान ने पिछला डूरंड कप वर्ष 2000 में जीता था।
मोहन बागान ने 2004, 2009 और 2019 में डूरंड कप फाइनल में पहुंचा था लेकिन जीत दर्ज करने में असफल रहा।
डूरंड कप 2023 पुरस्कार विजेता-
गोल्डन ग्लव्स पुरस्कार: विशाल कैथ (मोहन बागान)
गोल्डन बूट पुरस्कार: डेविड लालह्लानसंगा (मोहम्मडन एससी)
गोल्डन बॉल पुरस्कार: नंदकुमार शेखर (ईस्ट बंगाल एफसी)
डूरंड कप के बारे में:
यह एशिया का सबसे पुराना और दुनिया का तीसरा सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट है, जिसमें देश भर के शीर्ष भारतीय फुटबॉल क्लब भाग लेते हैं।
इसका पहली बार आयोजन 1888 में शिमला में हुआ था, जब इसकी शुरुआत आर्मी कप के रूप में हुई थी, जो केवल भारत में ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों के लिए खुला था।
इस टूर्नामेंट का नाम इसके संस्थापक सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया है।
गवर्नर शक्तिकांत दास विश्व स्तर पर बने शीर्ष केंद्रीय बैंकर
Central Bankers Report Card 2023 के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को दुनिया के शीर्ष बैंकर्स लिस्ट में नंबर-1 पायदान पर रखा गया है.
अमेरिका स्थित पत्रिका ग्लोबल फाइनेंस ने वैश्विक स्तर पर शीर्ष केंद्रीय बैंकर का दर्जा दिया है तथा शक्तिकांत दास को ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड 2023 में A+ रेटिंग दी गई है.
शक्तिकांत दास के बाद दूसरे नंबर पर स्विट्जरलैंड के थामस जे जॉर्डन और तीसरे नंबर पर वियतनाम के गुयेन थी हांग को जगह दी गई है.
रिजर्व बैंक के बारे में-
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी।
शुरुआत में रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे वर्ष 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया।
यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वमित्व वाला था, वर्ष 1949 में RBI के राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
इसरो ने आदित्य - L1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपना पहला सौर मिशन, आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण किया है ।
इसका प्रक्षेपण PSLV-C57 रॉकेट का उपयोग करके किया गया था।
आदित्य - एल 1 विद्युत चुंबकीय और पार्टिकल डिटेक्टर्स की सहायता से सूर्य के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर : सबसे बाहरी परत (कोरोना) का पर्यवेक्षण करेगा। इसके लिए यह अपने साथ सात पेलोड्स ले गया है।
आदित्य - L1 अपनी चार महीने की यात्रा के बाद सूर्य एवं पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (L1) के चारों ओर 'प्रभामंडल कक्षा (Halo Orbit)' में स्थापित हो जाएगा ।
लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन कि.मी. दूर हैं।
इस मिशन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
कोरोनल हीटिंग और सौर पवनों के त्वरण को समझना
कोरोनल मास इजेक्शन (CME) एवं सौर ज्वालाओं की उत्पत्ति की परिघटनाओं और पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष मौसम को समझना
सौर पवन के वितरण और अलग-अलग दिशाओं में तापमान संबंधी विविधता (टेम्परेचर अनिसोट्रॉपी) समझना आदि ।
लैग्रेंज पॉइंट क्या है ?
लैग्रेंज पॉइंट्स अंतरिक्ष में वे विशेष स्थान होते हैं जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो बड़े परिक्रमा करने वाले पिंडों की गुरुत्वाकर्षण शक्तियाँ एक-दूसरे को संतुलित करती हैं।
कुल पाँच लैग्रेंज पॉइंट होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की अलग-अलग विशेषताएँ हैं।
L1: L1 को सौर अवलोकन के लिये लैग्रेंज बिंदुओं में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। L1 के आस पास प्रभामंडल कक्षा में रखा गया उपग्रह, सूर्य का बिना किसी प्रच्छादन/ग्रहण के लगातार अवलोकन करने में मदद करता है।
L2: यह सूर्य से देखने पर पृथ्वी के ठीक 'पीछे' स्थित है, L2 पृथ्वी की छाया के हस्तक्षेप के बिना बड़े ब्रह्मांड का अवलोकन करने में मदद करता है।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप, L2 के पास सूर्य की परिक्रमा करता है।
L3: सूर्य के पीछे, पृथ्वी के विपरीत और पृथ्वी की कक्षा से ठीक परे स्थित यह सूर्य के सुदूर भाग का संभावित अवलोकन प्रदान करता है।
L4 एवं L5: L4 और L5 पर वस्तुएँ स्थिर स्थिति बनाए रखती हैं, जिससे दो बड़े पिंडों के साथ एक समबाहु त्रिभुज बनता है।
इनका उपयोग अक्सर अंतरिक्ष वेधशालाओं के लिये किया जाता है,जैसे कि क्षुद्रग्रहों की जाँच करने के लिये उपयोग किया जाता है।
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