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अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण और अप्रसार जागरूकता दिवस 2024

Updated : 29th Mar 2024
अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण और अप्रसार जागरूकता दिवस 2024

अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण और अप्रसार जागरूकता दिवस 2024

  • 5 मार्च को 'अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण और अप्रसार जागरूकता दिवस' मनाया जाता है। 

  • NGA ने शांति और सुरक्षा के लिए निरस्त्रीकरण और अप्रसार को बढ़ावा देने के लिए 2021 में इसकी स्थापना की।

लक्ष्य:

  • डब्लूएमडी के खतरों और निरस्त्रीकरण और अप्रसार के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

  • व्यक्तियों को प्रासंगिक मुद्दों के बारे में शिक्षित करना।

  • हथियारों के खतरे को कम करने और शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यों को प्रोत्साहित करना 



अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण और अप्रसार जागरूकता दिवस का इतिहास 

 

  •  संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में संकल्प प्रस्ताव  के माध्यम से वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण और अप्रसार जागरूकता दिवस लाया गया था।

  • इस संदर्भ में 7 दिसंबर 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव अपनाया। हर वर्ष 5 मार्च को "अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण और अप्रसार जागरूकता दिवस" ​​के रूप में घोषित किया गया।

  • निरस्त्रीकरण और अप्रसार जागरूकता के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 5 मार्च 2023 को मनाया गया।



अणु-अस्त्रों के विस्तार को रोकने, अंतरिक्ष और जलाशयों में अणु परीक्षणों पर रोक लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने बहुत सराहनीय प्रयास किए हैं। 

इसी संदर्भ में 1963 में आंशिक परमाणु परीक्षक निषेध संधि और 1968 में परमाणु शस्त्र प्रसंग निषेध संधि पर राज्यों के हस्ताक्षर कराने में उसे बहुत सफलता प्राप्त हुई है।

 

नि:शस्त्रीकरण के मार्ग में मुख्य रूप से निम्नलिखित बाधाएं सामने आती हैं

राष्ट्रों के मध्य अविश्वास

  1. निशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा राष्ट्रों के मध्य अविश्वास पूर्ण वातावरण है। 

  2. इसका कारण यह है कि संसार के विभिन्न राष्ट्र आपसी संदेह और अविश्वास के कारण इस दिशा में पहल करते हुए हिचकिचाते हैं।

अस्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक रवैया 

  1. महा शक्तियां अपने शस्त्रास्त्रों के आधुनिकीकरण का मोह छोड़ने को तैयार नहीं है। 

  2. अतः स्वाभाविक है कि एक देश के आधुनिकतम आयुधों की प्रतिक्रिया में दूसरा देश उससे भी बढ़कर अत्याधुनिक आयुधों की खोज एवं निर्माण प्रक्रिया में लग जाता है

अनुपात की समस्या 

  1. नि:शस्त्रीकरण की मूल समस्या सभी देशों के शस्त्रों को अनुपातिक रूप से कम करना है। 

  2. शस्त्रों की सीमा निर्धारण के समय प्रत्येक देश को दूसरे देश के प्रति आशंका रहती है कि शायद वह अपनी शक्ति को बढ़ाने तथा विरोधी पक्ष की शक्ति घटाने का प्रयत्न कर रहा है। 

राजनीतिक समस्या

  1. नि:शस्त्रीकरण राजनीतिक समस्याओं के समाधान पर निर्भर करता है।

  2.  अतः पहले नि:शस्त्रीकरण किया जाए या राजनीतिक समस्याओं का समाधान किया जाए। 

  3. यह दोनों एक दूसरे के मार्ग में बाधा डालते हैं और एक के हल हो जाने पर दूसरे का हल हो जाना शुगम है।

 

सी.टी.बी.टी और भारत ( India and Comprehensive Test Ban Treaty )

  • सीटीबीटी अथवा व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध या निषेध संधि विश्व में परमाणु परीक्षणों विशेष रूप से परमाणु हथियार बनाने पर रोक लगाने के उद्देश्य से प्रस्तावित की गई है।

  • सीटीबीटी 1968 में अस्तित्व में आई तथा 1970 से प्रभावी हुई परमाणु अप्रसार संधि ( Nuclear Non-Proliferation Testy or NPT ) का ही अगला चरण है।

  • सी.टी.बी.टी का मुख्य उद्देश्य एन.पी.टी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों को इस संधि में सम्मिलित करके उनके परमाणु हथियार बनाने के विकल्प को समाप्त कर देना है।

  • सी.टी.बी.टी के एंट्री इनटू फोर्स प्रावधान के अनुसार 18 जून 1996 को जेनेवा में हुए नि:शस्त्रीकरण सम्मेलन में भाग लेने वाले परमाणु रिएक्टर संपन्न सभी 40 राष्ट्रों को सी.टी.बी.टी का अनुमोदन करना होगा ,यह तभी प्रभावी होगा। भारत ,पाकिस्तान इजराइल भी इसमें सम्मिलित है।

 

भारत के CTBT संधि पर हस्ताक्षर न करने के मुख्य कारण

 

भारत का मानना है कि परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने के लक्ष्य से वह पूरी तरह सहमत है किंतु इसे परमाणु हथियारों को समाप्त करने की प्रक्रिया से जोड़ा जाना चाहिए। यह तभी हो सकता है जबकि परमाणु संपन्न राष्ट्र यह स्वीकार करें कि एक निश्चित अवधि के भीतर वे अपने परमाणु भंडारों को नष्ट कर देंगे।

  1. भारत को आशंका है कि परमाणु शक्तियां उसकी परमाणु हथियार क्षमता को रोकने के लिए इस संधि पर जोर दे रही है।

  2. फ्रांस तथा चीन के द्वारा परमाणु परीक्षण जारी रखने का निर्णय इस बात का प्रमाण है कि परमाणु संपन्न राष्ट्र नि:शस्त्रीकरण के संदर्भ में स्वयं गंभीर नहीं है।

  3. परमाणु परीक्षण स्थगन का स्वयं पालन करने वाले भारत को इस संधि पर हस्ताक्षर करने का कोई लाभ नजर नहीं आ रहा।

  4. परमाणु हथियारों को समयबद्ध कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्ण समाप्त करने की मांग को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों ने ठुकरा दिया।

  5. भारत ने इस संधि के साथ यह जोड़े जाने पर बल दिया कि परमाणु आयुध संपन्न देश कितने वर्षों में पूरी तरह परमाणु हथियारों का परित्याग करेंगे।