भारत में आदिवासी समुदायों की एक समृद्ध और विविध आबादी है, जिनकी संख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 10.45 करोड़ है, जो देश की कुल जनसंख्या का 8.6% है। 705 से अधिक विभिन्न समूहों वाले ये समुदाय पूरे देश में फैले हुए हैं, और विशेष रूप से दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं। इन आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए भारत सरकार ने कई योजनाएँ और नीतियाँ लागू की हैं, जिनका उद्देश्य सतत विकास, सांस्कृतिक संरक्षण, और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण है।
मेधावी एसटी छात्रों को विदेश में स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट अध्ययन के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इसमें 30% सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।
पीवीटीजी के सबसे कमजोर समुदायों को लक्षित कर, उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ जल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता में सुधार प्रदान किया जाता है। यह 22,000 से अधिक बस्तियों में लगभग 7 लाख पीवीटीजी परिवारों तक पहुँचने का प्रयास है।
आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और उनकी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए टीआरआई को सहायता दी जाती है। यह योजना अनुसंधान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती है।
डीएपीएसटी यह सुनिश्चित करती है कि सभी केंद्रीय मंत्रालय आदिवासी कल्याण पर ध्यान केंद्रित करें। यह योजना शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में काम करती है।
यह योजना उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे आदिवासी छात्रों को डिजिलॉकर के माध्यम से डिजिटल प्रक्रियाओं से समय पर वित्तीय सहायता सुनिश्चित करती है।
एनएसटीएफडीसी आय-सृजन गतिविधियों के लिए आदिवासी समुदायों को रियायती ब्याज दरों पर वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
ट्राइफेड आदिवासी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ट्राइब्स इंडिया आउटलेट्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से आदिवासी कारीगरों को स्थायी आजीविका प्रदान करता है।
ये उत्सव आदिवासी कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए मंच प्रदान करते हैं, जिससे आदिवासी विरासत को बढ़ावा मिलता है। आदिवासी गौरव दिवस और प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन जैसी पहलें भी इन उत्सवों का हिस्सा हैं।
जनजातीय समुदायों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण
भारत सरकार ने आदिवासी कल्याण के लिए अपनी वित्तीय प्रतिबद्धता बढ़ाई है। DAPST का बजट सालाना ₹25,000 करोड़ से बढ़ाकर 2023-24 में ₹1.2 लाख करोड़ किया गया। 2024-25 के केंद्रीय बजट में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए आवंटन ₹13,000 करोड़ किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 73.60% की वृद्धि है।
इन योजनाओं के माध्यम से सरकार आदिवासी समुदायों के सतत विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और उनके सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए पहल
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