गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया गया
हाल ही में भारत सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाते हुए 490 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) तय किया है। इस कदम का उद्देश्य चावल निर्यात को प्रोत्साहित करना और घरेलू बाजार की स्थिरता बनाए रखना है। सरकार ने इससे पहले चावल पर 20% निर्यात शुल्क हटाकर तीन अन्य चावल श्रेणियों पर निर्यात शुल्क को 20% से घटाकर 10% कर दिया था।
निर्यात प्रतिबंध हटाने के प्रमुख कारण:
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अधिक धान की बुवाई:
- मानसून की अच्छी बारिश के कारण 2023 में भारत में धान की बुवाई में 2.2% की वृद्धि हुई।
- 20 सितंबर 2023 तक धान की खेती का रकबा 413.50 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया।
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रिकॉर्ड चावल उत्पादन:
- 2023-24 में भारत का चावल उत्पादन 137.82 मिलियन टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष से 1.5% अधिक है।
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थोक मूल्यों में गिरावट:
- 27 सितंबर 2023 को चावल का थोक मूल्य 3,324.99 रुपये प्रति क्विंटल था, जो एक महीने पहले के 3,502.91 रुपये से कम था।
- निर्यात प्रतिबंध के बाद मुद्रास्फीति में भी गिरावट देखी गई, जो जुलाई 2023 में 13.09% थी और अगस्त में घटकर 9.52% हो गई।
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अधिशेष चावल स्टॉक:
- 1 सितंबर 2023 तक भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास केंद्रीय पूल में 323.11 लाख टन चावल था।
- बिना पिसाई वाले धान सहित कुल स्टॉक 423 लाख टन था, जो बफर स्टॉक मानदंडों से काफी अधिक है।
निर्यात प्रतिबंध हटने का प्रभाव:
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निर्यातकों को लाभ:
- निर्यातकों को अब 20% शुल्क नहीं देना होगा, जिससे उनके व्यापार में तेजी आएगी और निर्यात में सुधार होगा।
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किसानों को फायदा:
- विशेष रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के प्रीमियम चावल (जैसे सोना मसूरी) उगाने वाले किसानों को इसका लाभ होगा, क्योंकि उनके निर्यात में बढ़ोतरी होगी।
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घरेलू उपभोक्ताओं पर प्रभाव:
- चावल की खुदरा कीमतें, जो पहले से ही ऊंचे स्तर पर हैं, और बढ़ सकती हैं। इससे घरेलू बाजार में उपभोक्ताओं के लिए थोड़ी चिंता हो सकती है।
भारत की वैश्विक स्थिति:
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक और सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। 2023 में वैश्विक चावल निर्यात का 33% भारत से हुआ। चावल के निर्यात में भारत का प्रमुख प्रतिस्पर्धी थाईलैंड और वियतनाम हैं, जबकि प्रमुख आयातक देशों में सऊदी अरब, इराक, मलेशिया, और अफ्रीकी देशों का नाम शामिल है।
इस नीति के तहत भारत अपनी निर्यात क्षमता को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, साथ ही घरेलू आपूर्ति और कीमतों को संतुलित रखने का प्रयास कर रहा है।