लद्दाख की छठी अनुसूची की मांग
छठी अनुसूची
यह अनुच्छेद 244 के अंतर्गत आता है जो स्वायत्त प्रशासनिक प्रभागों - स्वायत्त जिला परिषदों (एडीसी) के गठन का प्रावधान करता है
इस अनुसूची में शामिल राज्य के भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता है।
यह पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम (प्रत्येक में तीन परिषद), और त्रिपुरा (एक परिषद) पर लागू होता है
भारतीय संविधान में छठी अनुसूची का महत्व
यह स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण के माध्यम से जनजातीय आबादी की स्वायत्तता की रक्षा करता है।
ये परिषदें भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य और कृषि पर कानून बना सकती हैं।
यह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन का प्रावधान करता है।
इसका उद्देश्य जनजातीय आबादी को शोषण से बचाना और उनकी अद्वितीय सांस्कृतिक और सामाजिक प्रथाओं को संरक्षित करना है।
छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदों के पास खनन के लिए लाइसेंस जारी करने, जनजातियों को धन उधार देने पर नियंत्रण और क्षेत्रों में व्यापार और वाणिज्य को विनियमित करने की शक्ति है।
छठी अनुसूची एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान है जो आदिवासी आबादी की अद्वितीय सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक जरूरतों को पहचानती है और स्वशासन के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।यह आदिवासी आबादी की रक्षा करता है, स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण की अनुमति देता है जो भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि पर कानून बना सकते हैं।
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