मत्स्य पालन और उत्तर प्रदेश
- प्रदेश में गंगा नदी प्रणाली में मछलियों की लगभग 200 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसलिए मत्स्य पालन को रोजगारोन्मुख (विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में) करने के लिये केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं।
- इसके अन्तर्गत जल संसाधनों का मत्स्य क्षमता के अनुसार दोहन करते हुये मत्स्यिकी को आधुनिक उद्योग के रूप में परिवर्तित करने, मछुआरों व मत्स्य पालकों की आय दोगुना करने, प्रदेश की खाद्य व पौषणिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, मत्स्य विपणन व पोस्ट हार्वेस्ट अवसंरचना का विकास तथा नदियों में मत्स्य संपदा के संरक्षण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
राज्य में मछलीपालन :
- उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग की स्थापना वर्ष 1966 में की गई। इस विभाग का मूल उद्देश्य राज्य में मछली उत्पादन और रोजगार को बढ़ाना है। तत्पश्चात् मत्स्य क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम की स्थापना की गई।
- प्रदेश में छठी व सातवीं पंचवर्षीय योजनाओं में मछली पालन के विकास के लिए त्रिस्तरीय अधोसंरचना की स्थापना की गई है। इस अधोसंरचना में राज्य स्तर पर,'मत्स्य जीवन सहकारी संघ लिमिटेड जिला स्तर पर 'जिला सहकारी मत्स्य विकास एवं विपणन संघ' तथा पंचायत स्तर पर 'प्राथमिक मत्स्य जीवन सहकारी समिति' शामिल हैं।
- मछली बीज के बड़े उत्पादन की सुविधा के लिए मत्स्य विकास निगम ने राज्य में 9 बड़ी और 48 मध्यम और छोटी हैचरियों का निर्माण किया है। यहां तक कि निजी क्षेत्र में भी 214 हैचरी हैं।
- वर्ष 1985-86 में मछुआरा दुर्घटना बीमा योजना की शुरुआत हुई। इस योजना के तहत मछुआरों को मृत्यु के मामले में एक लाख रुपये और स्थायी अपंगता के मामले में 750,000 रुपये दिए जाएंगे।
- राज्य सरकार ने 10 जून, 2015 को मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया। भारत सरकार ने मछुआरों की आवास सुविधा के लिए राष्ट्रीय मछुआरा कल्याण कोष कार्यक्रम शुरू किया। यह 50:50 शेयर के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वित्त पोषित है।
विजन एण्ड पर्सपेक्टिव प्लान फार द डेवलपमेंट आफ फिशरीज सेक्टर 2013
- प्रदेश में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि लाने हेतु विजन एण्ड पर्सपेक्टिव प्लान फॉर द डेवलेपमेन्ट आफ फिशरीज सेक्टर 2013 का अवधारण करते हुए दस वर्षीय कार्यक्रमों को लागू कराने का संकल्प लिया है, जिसके अन्तर्गत मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा प्रदान करते हुए उसके प्राविधानों का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
- प्रदेश में उपलब्ध वृहद एवं मध्यमाकार जलाशयों, प्राकृतिक झीलों तथा ग्रामीण अंचलों के तालाबों का कुल 5.34 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र उपलब्ध है।
- इन जल संसाधनों की उपलब्धता तथा मत्स्य पालन के अन्तर्गत लाये गये जल क्षेत्र से सम्बन्धित विवरण निम्नवत है: