ओडिशा में पहली राज्य प्रायोजित तेंदुआ जनगणना
ओडिशा में पहली राज्य प्रायोजित तेंदुआ जनगणना के परिणामों के अनुसार, विभिन्न वन क्षेत्रों में कुल 696 तेंदुए पाए गए हैं। इस जनगणना का मुख्य उद्देश्य राज्य में तेंदुआ आबादी का आकलन करना था।
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व:
यहां लगभग 200 तेंदुए पाए गए, जो राज्य में सबसे बड़ी तेंदुआ आबादी है।
सतकोसिया परिदृश्य:
यहां 150 तेंदुए मिले, जो राज्य में दूसरी सबसे बड़ी तेंदुआ आबादी दर्शाता है।
अन्य क्षेत्रों:
संबलपुर जिले में हीराकुंड, रेधाखोल और संबलपुर क्षेत्रों में 70 से 80 तेंदुए पाए गए।
नुआपाड़ा जिले के सुनाबेड़ा और खारियार जंगलों में 40 तेंदुए पाए गए।
संरक्षित क्षेत्र:
ओडिशा में तेंदुओं की 45% आबादी संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क के बाहर स्थित है।
जनगणना की विधि:
ओडिशा के वन विभाग ने 47 वन प्रभागों में विभिन्न संकेतों जैसे पगमार्क, खरोंच, स्कैट, रेक, मूत्र स्प्रे, वोकलाइजेशन और पशुधन की लूट का उपयोग कर तेंदुओं की उपस्थिति की पहचान की।
तेंदुओं के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष साक्ष्य वाले स्थलों पर कैमरा ट्रैप का उपयोग किया गया।
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है। यह अपने समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख जानकारी दी गई है:
नामकरण:
सिमलीपाल का नाम 'सिमुल' (रेशम कपास) के पेड़ से लिया गया है।
स्थापना और संरक्षण:
इसे 1956 में 'टाइगर रिजर्व' के रूप में घोषित किया गया।
1973 में इसे राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम 'प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत शामिल किया गया।
1994 में इसे बायोस्फीयर रिजर्व क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली।
2009 में, यह यूनेस्को द्वारा बायोस्फीयर रिजर्व के विश्व नेटवर्क में शामिल किया गया।
जनजातीय जनसंख्या:
सिमलीपाल के आसपास का क्षेत्र कई जनजातियों का घर है, जैसे कोल्हा, संथाला, भूमिजा, भटुडी, गोंडा, खड़िया, और मनकडिया।
पौधों की विविधता:
यहाँ 94 ऑर्किड और लगभग 1,000 अन्य पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
पशु विविधता:
उभयचरों की 12 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 29 प्रजातियाँ, पक्षियों की 264 प्रजातियाँ, और स्तनधारियों की 42 प्रजातियाँ यहाँ पाई जाती हैं, जो सिमलीपाल की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाते हैं।
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