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समसामयिकी 9 सितंबर 2024

Updated : 9th Sep 2024
समसामयिकी 9 सितंबर 2024

विदेश मंत्री एस जयशंकर का सऊदी अरब दौरा और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी)

विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचे, जहां वे पहले भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे।

खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी): 

  • खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) अरब प्रायद्वीप के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है।

  •  ये छह देश हैं: बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात। 

  • 1981 में स्थापित जीसीसी का उद्देश्य इन देशों के बीच आर्थिक, सुरक्षा, सांस्कृतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना है। जीसीसी हर वर्ष शिखर सम्मेलन आयोजित करता है जिसमें सहयोग और क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा की जाती है।

भारत के लिए जीसीसी का महत्व:

  • ऊर्जा सुरक्षा: जीसीसी देशों के पास विश्व के लगभग आधे तेल भंडार हैं। वर्तमान में, भारत के कच्चे तेल आयात में जीसीसी आपूर्तिकर्ताओं की हिस्सेदारी लगभग 34% है।

  • व्यापार एवं निवेश: जीसीसी क्षेत्र अब ऊर्जा क्षेत्र से आगे बढ़कर पर्यटन, निर्माण और वित्त जैसे अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार कर रहा है, जिससे भारत जैसे देशों के लिए व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल रहे हैं।

  • प्रवासी भारतीयों की उपस्थिति: मध्य पूर्व में भारतीय प्रवासियों की संख्या लगभग 8.9 मिलियन है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र से भेजा गया धन भारत को विदेशों से प्राप्त कुल धन का लगभग 30% है।

  • भू-रणनीतिक: जीसीसी देश फारस की खाड़ी के पार स्थित हैं, जो वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है। भारत और जीसीसी क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा की इच्छा रखते हैं।

भारत और जीसीसी के संबंध:

  1. परिचय: खाड़ी भारत का निकटतम पड़ोसी क्षेत्र है, जो केवल अरब सागर द्वारा अलग किया जाता है। जीसीसी भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक और निवेश साझेदार के रूप में उभरा है।

  2. राजनीतिक संवाद: पहली भारत-जीसीसी राजनीतिक वार्ता 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित की गई थी। सितंबर 2022 में भारत और जीसीसी ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो वार्षिक वार्ता के लिए रूपरेखा तैयार करता है।

  3. आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध: वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत-जीसीसी द्विपक्षीय व्यापार 161.59 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। भारत का निर्यात 56.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 105.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  4. भारत-जीसीसी मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए): भारत और जीसीसी ने अगस्त 2004 में आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए। एफटीए पर बातचीत चल रही है, और भारत-यूएई एफटीए के बाद इसमें तेजी आने की संभावना है।

  5. ऊर्जा सहयोग: जीसीसी भारत के तेल आयात में 35% और गैस आयात में 70% का योगदान करता है। भारत अपने रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) के दूसरे चरण का क्रियान्वयन कर रहा है, जिसमें कई जीसीसी देशों ने रुचि व्यक्त की है।

  6. प्रवासी भारतीय और प्रेषण: जीसीसी देशों में लगभग 8.9 मिलियन भारतीय प्रवासी रह रहे हैं, जो अनिवासी भारतीयों का लगभग 66% है। भारत के आवक प्रेषण में जीसीसी क्षेत्र से प्रेषण की हिस्सेदारी 2016-17 में 50% से घटकर 2020-21 में लगभग 30% होने का अनुमान है, फिर भी यह भारत के कुल आवक धन प्रेषण का एक बड़ा हिस्सा है।

सेमीकॉन इंडिया 2024 

  • उत्तर प्रदेश सरकार के नेतृत्व में 11 से 13 सितंबर 2024 तक ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में सेमीकॉन इंडिया 2024 आयोजित किया जाएगा । 

  • यह आयोजन सेमी, मेसे मुएनचेन इंडिया, और इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से किया जाएगा ,जो दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स मेलों में से एक है।

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को मजबूत करना और इसे वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है।

  •  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे।

एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटरक्राफ्ट (ASWSWC)

  • केरल के कोचीन शिपयार्ड में भारतीय नौसेना के लिए दो स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटरक्राफ्ट (ASWSWC) का लॉन्च किया गया।

  •  ये नौसेना के लिए बनाए जा रहे चौथे और पाँचवें शैलो वाटरक्राफ्ट हैं।

  •  नौसेना में शामिल होने पर इन्हें INS मालपे और INS मुल्की नाम दिया जाएगा।

इन पोतों की मुख्य विशेषताएँ:

  • ये पोत तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियान, कम तीव्रता वाले समुद्री और माइन बिछाने के अभियान, साथ ही सतह के नीचे निगरानी और खोज एवं बचाव अभियान चलाने में सक्षम हैं।

 हथियार प्रणाली- 

  • ये हल्के वजन वाले टॉरपीडो, पनडुब्बी रोधी युद्ध रॉकेट, क्लोज-इन हथियार प्रणाली और रिमोट-नियंत्रित बंदूकों से लैस हैं। 

तकनीकी विशेषताएँ- 

  • पोत की लंबाई 78 मीटर, चौड़ाई 11 मीटर और पूर्ण भार विस्थापन 900 टन है। यह अधिकतम 25 समुद्री मील की गति प्राप्त कर सकता है

पहले की तीन एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASWSWC) 

  • भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्मित आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASWSWC) की श्रृंखला के तीन जहाजों को कोच्चि के शिपयार्ड में एक साथ लॉन्च किया गया। 

  • भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद इन तीनों जहाजों का नाम INS माहे, INS मालवन और INS मंगरोल रखा गया  

सार्क और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख का आह्वान

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने "सार्क की भावना" को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है। उन्होंने जोर दिया है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) क्षेत्र के कई ज्वलंत मुद्दों को हल करने में सक्षम हो सकता है।

  • उरी आतंकवादी हमले के बाद 2016 का सार्क शिखर सम्मेलन रद्द कर दिया गया। बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान जैसे देशों ने इसमें भाग लेने से मना कर दिया था।

  • पिछला सार्क द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन 2014 में नेपाल द्वारा आयोजित किया गया था।

सार्क की निष्क्रियता के कारण:

  1. राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव: सदस्य देश अक्सर क्षेत्रीय सहयोग के बजाय राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हैं, जो सार्क की प्रगति में बाधा डालता है।

  2. संरचनात्मक कमज़ोरी: सार्क सर्वसम्मति के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका अर्थ है कि सभी निर्णयों के लिए प्रत्येक सदस्य देश की सहमति की आवश्यकता होती है। यह प्रणाली गतिरोध पैदा कर सकती है, विशेष रूप से जब भारत और पाकिस्तान जैसे प्रमुख सदस्य अपने मतभेदों को लेकर असहमत होते हैं।

  3. आर्थिक असमानताएँ: भारत की आर्थिक शक्ति अन्य सदस्य देशों पर हावी है, जिससे छोटे देशों में नाराज़गी और असंतोष उत्पन्न होता है।

  4. सहयोग का सीमित दायरा: जबकि सार्क ने स्वास्थ्य, शिक्षा और आपदा प्रबंधन में कुछ सफलताएँ प्राप्त की हैं, सुरक्षा, व्यापार और आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में इसे संघर्ष करना पड़ा है।

  5. बाहरी प्रभाव: चीन और अमेरिका जैसी बाहरी शक्तियों के भू-राजनीतिक प्रभाव ने सार्क की आंतरिक गतिशीलता को जटिल बना दिया है।

  6. आंतरिक संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता: कई सदस्य देशों में आंतरिक संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता ने क्षेत्रीय सहयोग में उनकी क्षमता को बाधित किया है।

सार्क के पुनरुद्धार की आवश्यकता:

  1. शांति और सुरक्षा के लिए क्षेत्रीय सहयोग: सार्क एक ऐसा मंच प्रदान कर सकता है जो कूटनीतिक वार्ता और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को प्रोत्साहित करे।

  2. आर्थिक एकीकरण और विकास: पुनर्जीवित सार्क SAFTA जैसे समझौतों के माध्यम से क्षेत्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा दे सकता है।

  3. साझा चुनौतियों का समाधान: जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और खाद्य सुरक्षा जैसी साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।

  4. रोहिंग्या और शरणार्थी संकट: क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से मानवीय संकटों, जैसे कि रोहिंग्या शरणार्थी संकट, से निपटा जा सकता है।

  5. भू-राजनीतिक संतुलन: दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव के साथ, सार्क को पुनर्जीवित करने से सदस्य देशों को बाहरी शक्तियों के प्रभाव को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।

  6. वैश्विक मंचों का लाभ उठाना: पुनर्जीवित सार्क दक्षिण एशिया की आवाज को वैश्विक मंचों पर मजबूती से प्रस्तुत कर सकता है।

भविष्य की दिशा:

  • राजनीतिक इच्छाशक्ति को मजबूत करना: सदस्य देशों को द्विपक्षीय विवादों के बजाय क्षेत्रीय सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए।

  • अंतर-क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देना: व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाना और SAFTA को पूरी तरह से लागू करना क्षेत्र की अप्रयुक्त व्यापार क्षमता को खोलने में मदद करेगा।

  • उप-क्षेत्रीय पहलों का लाभ उठाना: बिम्सटेक और एक्ट ईस्ट नीति के साथ सार्क लक्ष्यों को संरेखित करते हुए पारस्परिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।

फतह-360 मिसाइल

  •  हाल ही में, वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट किया कि ईरान ने रूस को फतह-360 सहित छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें सौंपी हैं।

  • फतह-360 (Fateh-360) एक ईरानी कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है, जिसे विशेष रूप से विभिन्न सामरिक लक्ष्यों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

फतह-360 मिसाइल की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. प्रक्षेपण वजन: 787 किलोग्राम।

  2. गति: यह मिसाइल मैक 3 से लेकर मैक 4 तक की गति से यात्रा करती है।

  3. ईंधन: यह एक ठोस ईंधन इंजन से लैस है, जो तेजी से तैनाती और त्वरित प्रक्षेपण समय की अनुमति देता है।

  4. मारक क्षमता: लगभग 120 से 300 किलोमीटर तक।

  5. विस्फोटक वजन: यह 150 किलोग्राम का हथियार ले जा सकती है।

  6. डिजाइन: इसका डिजाइन छोटा और गतिशील है, जिससे इसे वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा रोकना मुश्किल हो जाता है।

  7. मार्गदर्शन प्रणाली: 30 मीटर की सटीकता के लिए जड़त्वीय मार्गदर्शन प्रणाली और उपग्रह नेविगेशन का संयोजन।

  8. लॉन्च सिस्टम: यह एक ट्रक पर लगे ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लांचर (TEL) का उपयोग करती है, जो कई मिसाइलों को ले जाने और प्रक्षेपित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

फतह-360 मिसाइल की ये विशेषताएँ इसे युद्ध के मैदान में एक प्रभावी और सक्षम हथियार बनाती हैं, खासकर जब इसे तेजी से तैनात और प्रक्षिप्त किया जा सकता है।

बैलिस्टिक मिसाइल 

बैलिस्टिक मिसाइल एक प्रकार की रॉकेट-चालित, स्व-निर्देशित रणनीतिक हथियार प्रणाली है जो अपने प्रक्षेपण स्थल से एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य तक पेलोड पहुँचाने के लिए बैलिस्टिक प्रक्षेप पथ का अनुसरण करती है।

प्रकार:

  • कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें (SRBM): जैसे फतह-360, जिनकी मारक क्षमता कुछ सौ किलोमीटर तक होती है। ये तटीय क्षेत्रों में उपयोगी होती हैं।

  • मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें (MRBM): जिनकी मारक क्षमता लगभग 1,000 से 3,000 किलोमीटर तक होती है।

  • दीर्घ दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें (IRBM): जिनकी मारक क्षमता 3,000 से 5,500 किलोमीटर तक होती है।

  • अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM): जिनकी मारक क्षमता 5,500 किलोमीटर से अधिक होती है और ये महाद्वीपों के बीच लक्ष्य भेदने में सक्षम होती हैं।

विशेषताएँ:

  • विस्फोटक वारहेड: बैलिस्टिक मिसाइलें विभिन्न प्रकार के वारहेड ले जा सकती हैं, जैसे कि परमाणु, पारंपरिक विस्फोटक, रासायनिक, या जैविक।

  • मार्गदर्शन प्रणाली: आधुनिक बैलिस्टिक मिसाइलें अत्यधिक सटीकता के लिए जड़त्वीय मार्गदर्शन, उपग्रह नेविगेशन (GPS) और अन्य सटीक मार्गदर्शन तकनीकों का उपयोग करती हैं।

  • ठोस या तरल ईंधन: बैलिस्टिक मिसाइलें ठोस या तरल ईंधन द्वारा संचालित हो सकती हैं, जिसमें ठोस ईंधन मिसाइलें आमतौर पर तेजी से तैनात की जाती हैं।

पेरिस पैरालिंपिक 2024

  • भारत ने पेरिस 2024 खेलों में पैरालंपिक इतिहास में अपना सबसे सफल प्रदर्शन करते हुए कुल 29 पदक जीते, जिसमें 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य पदक शामिल है 

  • 28 अगस्त से 8 सितंबर तक फ्रांस की राजधानी में आयोजित पेरिस 2024 पैरालंपिक में रिकॉर्ड 84 पैरा-एथलीटों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया

प्रमुख तथ्य - 

  • अवनि लेखरा पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. 

  • हाई जंप T42 वर्ग में कांस्य पदक के साथ, मरियप्पन थंगावेलु लगातार तीन पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने रियो 2016 में स्वर्ण पदक और टोक्यो 2020 में रजत पदक जीता।

पदक तालिका - 

संख्या

एथलीट

खेल

इवेंट

पदक

1

अवनि लेखरा

शूटिंग

महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1

स्वर्ण

2

मोना अग्रवाल

शूटिंग

महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1

कांस्य

3

प्रीति पाल

एथलेटिक्स

महिला 100 मीटर T35

कांस्य

4

मनीष नरवाल

शूटिंग

पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल SH1

रजत

5

रुबीना फ्रांसिस

शूटिंग

महिला 10 मीटर एयर पिस्टल SH1

कांस्य

6

प्रीति पाल

एथलेटिक्स

महिला 200 मीटर T35

कांस्य

7

निषाद कुमार

एथलेटिक्स

पुरुष हाई जंप T47

रजत

8

योगेश कथूनिया

एथलेटिक्स

पुरुष डिस्कस थ्रो F56

रजत

9

नितेश कुमार

बैडमिंटन

पुरुष एकल SL3

स्वर्ण

10

थुलासिमाथी मुरुगेसन

बैडमिंटन

महिला एकल SU5

रजत

11

मनीषा रामदास

बैडमिंटन

महिला एकल SU5

कांस्य

12

सुहास यथिराज

बैडमिंटन

पुरुष एकल SL4

रजत

13

राकेश कुमार / शीतल देवी

आर्चरी

मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन

कांस्य

14

सुमित अंतिल

एथलेटिक्स

पुरुषों का जैवलिन थ्रो F64

स्वर्ण

15

निथ्या श्री सिवान

बैडमिंटन

महिला एकल SH6

कांस्य

16

दीप्ति जीवनजी

एथलेटिक्स

महिला 400 मीटर T20

कांस्य

17

मरियप्पन थंगावेलु

एथलेटिक्स

पुरुष ऊंची कूद T63

कांस्य

18

शरद कुमार

एथलेटिक्स

पुरुष ऊंची कूद T63

रजत

19

अजीत सिंह

एथलेटिक्स

पुरुष भाला फेंक F46

रजत

20

सुंदर सिंह गुर्जर

एथलेटिक्स

पुरुष भाला फेंक F46

कांस्य

21

सचिन खिलारी

एथलेटिक्स

पुरुष शॉट पुट F46

रजत

22

हरविंदर सिंह

तीरंदाजी

पुरुष इंडिविजुअल रिकर्व ओपन

स्वर्ण

23

धरमबीर

एथलेटिक्स

पुरुष क्लब थ्रो F51

स्वर्ण

24

प्रणव सूरमा

एथलेटिक्स

पुरुष क्लब थ्रो F51

रजत

25

कपिल परमार

जूडो

पुरुष 60 किग्रा J1

कांस्य

26

प्रवीण कुमार

एथलेटिक्स

पुरुष हाई जंप T64

स्वर्ण

27

होकाटो होतोझे सेमा

एथलेटिक्स

पुरुष शॉट पुट F57

कांस्य

28

सिमरन

एथलेटिक्स

महिला 200 मीटर T12

कांस्य

29

नवदीप सिंह

एथलेटिक्स

पुरुष भाला फेंक F41

स्वर्ण


पदक 

  • एथलेटिक्स : 17 पदक

  • बैडमिंटन : 5 पदक

  • निशानेबाजी : 4 पदक

  • तीरंदाजी : 1 पदक

  • जूडो : 1 पदक


विश्व में भारत की स्थिति 

रैंक

देश

सोना

चाँदी

पीतल

कुल

1

चीनी जनवादी गणराज्य

94

76

50

220

2

ग्रेट ब्रिटेन

49

44

31

124

3

संयुक्त राज्य अमेरिका

36

42

27

105

4

नीदरलैंड

27

17

12

56

5

ब्राज़िल

25

26

38

89

18

भारत

7

9

13

29

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस

  •  8 सितंबर को विश्व  में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है. 

  • अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2024 का विषय है " बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना: आपसी समझ और शांति के लिए साक्षरता।" 

पृष्ठभूमि - 

  • 1966 में आयोजित यूनेस्को महासम्मेलन में 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया।  

  • पहला अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 1967 में मनाया गया था।

प्रमुख कार्यक्रम 

  • भारत में, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने यूनेस्को के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने के लिए  नई दिल्ली में एक समारोह का आयोजन किया ।

  • समारोह के मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ थे।

भारत में साक्षरता का मानक - 

  • जनगणना 2011 के उद्देश्य से, सात वर्ष या उससे अधिक आयु का व्यक्ति, जो किसी भी भाषा को समझकर पढ़ और लिख सकता है, उसे साक्षर माना जाता है। ऐसा व्यक्ति जो केवल पढ़ सकता है लेकिन लिख नहीं सकता, साक्षर नहीं है। 

  • 1991 से पहले की जनगणनाओं में, पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों को अनिवार्य रूप से निरक्षर माना जाता था।

भारत में साक्षरता की स्थिति - 

  • 2011 की जनगणना के नतीजे बताते हैं कि देश में साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। 

  • देश में साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों के लिए 82.14 और महिलाओं के लिए 65.46 प्रतिशत है। 

  • भारत में सर्वाधिक साक्षरता - केरल ने 93.91 प्रतिशत >लक्षद्वीप (92.28 प्रतिशत) > मिजोरम (91.58 प्रतिशत) 

  • भरता में सबसे कम साक्षरता - बिहार 63.82 <अरुणाचल प्रदेश (66.95 प्रतिशत) < राजस्थान (67.06 प्रतिशत) का स्थान है।  स्त्रोत - https://knowindia.india.gov.in)


भारत में साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए किये गए प्रयास - 

  1. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (एनएलएम) - 1988 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य 15 से 35 वर्ष की आयु के गैर-साक्षर वयस्कों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करना था।

  2. मध्याह्न भोजन योजना - 1995 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराकर स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति में सुधार करना था।

  3. सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) - 2001 में शुरू हुआ, यह योजना 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित थी।

  4. राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) - 2009 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य माध्यमिक शिक्षा में नामांकन बढ़ाना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना था।

  5. साक्षर भारत योजना - 2009 में शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य निरक्षर वयस्कों को साक्षर बनाना था। यह योजना 2018 तक चली और इसके तहत 7.64 करोड़ से अधिक वयस्कों को साक्षर किया गया।

  6. पढ़े भारत बढ़े भारत - 2014 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य प्रारंभिक कक्षाओं में छात्रों की बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक कौशल में सुधार करना था।

  7. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ - 2015 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना और लिंग अनुपात में सुधार करना था।

  8. प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) - 2017 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार के कम से कम एक सदस्य को डिजिटल रूप से साक्षर बनाना था।

  9. नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (NILP)यह कार्यक्रम साल 2022-23 से 2026-27 के लिए लॉन्च किया गया था. इसका मकसद ऑनलाइन शिक्षा के ज़रिए 15 साल और उससे ज़्यादा उम्र के 1 करोड़ निरक्षरों को शिक्षित करना है. इस कार्यक्रम के लिए 1037.90 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था




नेपाल में गिद्धों की संख्या में वृद्धि 

  • नेपाल में गिद्धों के संरक्षण के प्रयास एक सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं। हाल की गिद्ध गणना के अनुसार, पोखरा और आसपास के क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

  • सुदूरपश्चिम प्रांत में सफेद-पूंछ वाले गिद्धों और पतली-चोंच वाले गिद्धों के 147 घोंसले देखने को मिले हैं, जो लुप्तप्राय प्रजातियों की आबादी की बहाली का संकेत देते हैं।

गिद्ध संरक्षण के लिए नेपाल ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:

  1. गिद्ध संरक्षण कार्य योजना: गिद्धों की आबादी को बढ़ाने के लिए विस्तृत योजना तैयार की गई है, जिसमें कई संरक्षण उपाय शामिल हैं।

  2. गिद्ध रेस्तरां: विभिन्न क्षेत्रों में गिद्धों के लिए फीडिंग सेंटर खोले गए हैं, जैसे कि नवलपरासी में जटायु गिद्ध रेस्तरां। इन रेस्तरां के माध्यम से गिद्धों को मृत मवेशियों के सुरक्षित शवों तक पहुँच मिलती है।

  3. डिक्लोफेनाक पर प्रतिबंध: गिद्धों की घटती आबादी के प्रमुख कारणों में से एक डिक्लोफेनाक दवा का उपयोग था। नेपाल ने 2006 में इस दवा पर प्रतिबंध लगा दिया और 76 जिलों को डिक्लोफेनाक मुक्त क्षेत्र घोषित किया। इसके बजाय मेलोक्सिकैम का उपयोग किया जाता है, जो गिद्धों के लिए सुरक्षित है।

  4. फीडिंग सेंटर: बर्ड कंजर्वेशन नेपाल ने विभिन्न जिलों में सात और फीडिंग सेंटर स्थापित किए हैं, जो गिद्धों के लिए भोजन उपलब्ध कराते हैं और उनकी आबादी को स्थिर करने में मदद करते हैं।

  5. वनों की कटाई और प्रदूषण: वनों की कटाई, औद्योगिक प्रदूषण, और जल निकायों की कमी जैसे अन्य कारकों को भी संबोधित किया जा रहा है, जो गिद्धों के जीवन और आबादी को प्रभावित करते हैं।

नुआखाई जुहार: एक प्रमुख कृषि उत्सव
हाल ही में, भारतीय प्रधानमंत्री ने 'नुआखाई जुहार' के अवसर पर देश के किसानों को शुभकामनाएँ दीं।

उत्सव का नाम और महत्व:

  • नाम: नुआखाई जुहार (Nuakhai Juhar), जिसे नुआखाई पर्व (Nuakhai Parab) या नुआखाई भेटघाट (Nuakhai Bhetghat) भी कहा जाता है।

  • अर्थ: 'नुआ' का मतलब है नया और 'खाई' का मतलब है भोजन। यह उत्सव नए चावल खाने और नई फसल का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है।

  • यह त्योहार मुख्य रूप से पश्चिमी ओडिशा, दक्षिणी छत्तीसगढ़, और झारखंड के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है।

  • समय: गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद।

प्रमुख परंपराएँ:

  • किसान इस दिन अन्न की पूजा करते हैं और देवी समलेश्वरी को भूमि की पहली उपज अर्पित करते हैं।

  • विशेष भोजन तैयार किया जाता है।

इतिहास 

  • नुआखाई उत्सव वैदिक काल में शुरू हुआ माना जाता है। इसमें पंचयज्ञ का हिस्सा प्रलंबन यज्ञ था, जिसमें नई फसलों की कटाई और उन्हें देवी माँ को अर्पित करने की परंपरा रही है।

उत्सव का उद्देश्य:

  • नुआखाई महोत्सव का उद्देश्य कृषि की प्रासंगिकता को उजागर करना और देश की आर्थिक प्रगति में इसकी भूमिका के बारे में समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देना है।

सांस्कृतिक संदर्भ:

  • तटीय ओडिशा में इसी प्रकार का त्योहार 'नबन्ना' नाम से मनाया जाता है।

  • ओडिशा में त्योहारों की एक जीवंत संस्कृति है, जो कृषि और धार्मिक परंपराओं से गहराई से जुड़ी हुई है।

अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु नील गगन दिवस 2024

  • 07 सितंबर 2024 को जयपुर में अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु नील गगन दिवस (स्वच्छ वायु दिवस) मनाया गया।

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा की उपस्थिति में यह कार्यक्रम मनाया गया । 

  • इस कार्यक्रम की मेजबानी राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया गया । 


कार्यक्रम की मुख्य बातें:


  • एनसीएपी (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) के तहत वायु गुणवत्ता में सुधार को दर्शाने वाला एक वीडियो प्रदर्शित किया गया।

  • 95 शहरों में वायु प्रदूषण में कमी के रुझान दिखाई दिए हैं। इनमें से 51 शहरों ने पीएम10 के स्तर में 20 प्रतिशत से अधिक कमी की है, जबकि 21 शहरों ने 40 प्रतिशत से अधिक की कमी दर्ज की है।

स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पुरस्कार:

  1. श्रेणी-1 (10 लाख से अधिक जनसंख्या): सूरत, जबलपुर, आगरा

  2. श्रेणी-2 (3 से 10 लाख जनसंख्या): फिरोजाबाद, अमरावती, झांसी

  3. श्रेणी-3 (3 लाख से कम जनसंख्या): रायबरेली, नलगोंडा, नालागढ़

पुरस्कार और सराहना:

  • विजेता शहरों के नगर आयुक्तों को नकद पुरस्कार, ट्रॉफी, और प्रमाणपत्र दिए गए।

  • वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान, जन भागीदारी पहल, और तकनीकी सुधार की सराहना की गई।

थीम और भविष्य की योजनाएँ:

  • थीम: 'स्वच्छ वायु में निवेश करें'

  • संदेश: स्वच्छ वायु और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए समय, संसाधनों और प्रयासों का निवेश करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

रणधीर सिंह

  • नई दिल्ली में महाद्वीपीय निकाय की 44वीं आम सभा के दौरान अनुभवी खेल प्रशासक रणधीर सिंह को एशियाई ओलंपिक परिषद (OCA) का अध्यक्ष चुना गया. 

  • 77 वर्षीय श्री रणधीर सिंह को सर्वसम्मति से ओसीए अध्यक्ष चुना गया . 

  • अवधि -  2024-2028 

  • योगासन को जापान के ऐची-नागोया में होने वाले 2026 एशियाई खेलों में एक प्रदर्शन कार्यक्रम के रूप में शामिल किया गया।


रणधीर सिंह के विषय में 

  • 1968 से 1984 के बीच, उन्होंने पांच ओलंपिक खेलों में भाग लिया और ऐसा करने वाले वह केवल दूसरे भारतीय बने।

  • 1978 में उन्होंने ट्रैप शूटिंग में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता, 1982 में ट्रैप शूटिंग में कांस्य पदक और 1986 में ट्रैप शूटिंग टीम इवेंट में रजत पदक अपने नाम किया।

  • उन्होंने 1978 में कनाडा के एडमंटन में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया।

  • 1979 में, रणधीर सिंह को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, साथ ही उन्हें महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार भी प्रदान किया गया।

  • रणधीर सिंह को 2005 में OCA (ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया) अवॉर्ड ऑफ मेरिट, 2006 में ANOC से मेरिट अवॉर्ड, और 2014 में ओलंपिक ऑर्डर, सिल्वर से सम्मानित किया गया।


एशियाई ओलंपिक परिषद (OCA)

  1. एशियाई ओलंपिक परिषद (OCA) एशिया के भीतर खेलों को बढ़ावा देने और ओलंपिक आदर्शों को प्रोत्साहित करने वाली एक प्रमुख खेल संस्था है। 

  2. स्थापना - इसकी स्थापना 16 नवंबर 1982 को नई दिल्ली, भारत में हुई थी. 

  3. सदस्य - OCA में एशिया के 45 राष्ट्रीय ओलंपिक समितियां (NOCs) सदस्य हैं

  4. मुख्यालय - OCA का मुख्यालय कुवैत सिटी, कुवैत में स्थित है।



केजे बेबी

  • केजे बेबी एक प्रसिद्ध लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने वायनाड के आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। उनका  70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 

  • वे अपने कार्यों और सामाजिक सेवा के लिए जाने जाते थे, विशेष रूप से 'कनव' नामक अपरंपरागत स्कूल के लिए, जिसे उन्होंने 1991 में आदिवासी बच्चों की शिक्षा के उद्देश्य से स्थापित किया था।

साहित्य के क्षेत्र में उनके प्रमुख योगदानों में शामिल हैं:

  1. 'नादुगाधिका'

  2. 'मावेलीमन्त्रम' (इस कृति ने 1994 में केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता था और इसे मलयालम दलित साहित्य में मील का पत्थर माना जाता है)

  3. 'बेसपुरक्काना'

  4. 'गुडबाय मालाबार'

उनका साहित्य दलित और आदिवासी जीवन के संघर्षों और उनके सांस्कृतिक इतिहास को प्रकट करता है, जो उनकी रचनाओं को अद्वितीय बनाता है। उनकी लेखनी और सामाजिक कार्य आदिवासी समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

कावासाकी रोग में वृद्धि

  • हाल ही में, बेंगलुरु के एक डॉक्टर ने खुलासा किया कि उन्होंने COVID-19 की विनाशकारी दूसरी लहर के बाद बच्चों में कावासाकी रोग में वृद्धि देखी।

कावासाकी सिंड्रोम के विषय में 

  • कावासाकी सिंड्रोम, जिसे म्यूकोक्यूटेनियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है. 

  •  यह  दुर्लभ बीमारी है जो मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है।

प्रभावित अंग - 

  • इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से रक्त वाहिकाओं पर हमला करती है, जिससे उनमें सूजन हो जाती है। 

  • यह खासकर कोरोनरी धमनियों को प्रभावित करता है, जो हृदय की मांसपेशियों तक रक्त पहुंचाती हैं, और बच्चों में अधिगृहित हृदय रोग का एक आम कारण है।

रोग के लक्ष्ण 

  • इस रोग के लक्षणों में बुखार, दाने, हाथ-पैरों में सूजन, आंखों की जलन और लालिमा, सूजी हुई लिम्फ ग्रंथियां, और मुंह-गले में सूजन शामिल होते हैं। 

कारण- 

  • इसका कारण अभी भी अज्ञात है, लेकिन इसके मामले अक्सर सर्दियों के अंत और वसंत के आरंभ में देखे जाते हैं। 

पृष्ठभूमि - 

  • इसका पहला वर्णन 1967 में जापानी बाल रोग विशेषज्ञ टॉमिसाकु कावासाकी ने किया था, और जापान के बाहर इसका पहला मामला 1976 में हवाई में दर्ज हुआ।


कोरोनरी धमनियां (coronary arteries)-

कोरोनरी धमनियां (coronary arteries) हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली प्रमुख धमनियां होती हैं। ये धमनियां ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय की मांसपेशियों (myocardium) तक पहुंचाती हैं, जिससे हृदय को काम करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।

मुख्य रूप से दो कोरोनरी धमनियां होती हैं:

  1. दाईं कोरोनरी धमनी (Right Coronary Artery - RCA): यह हृदय के दाईं ओर की मांसपेशियों और निचले हिस्से में रक्त की आपूर्ति करती है।

  2. बाईं कोरोनरी धमनी (Left Coronary Artery - LCA): यह बाईं ओर की मांसपेशियों और हृदय के अधिकांश हिस्सों में रक्त पहुंचाती है। बाईं कोरोनरी धमनी आगे जाकर दो शाखाओं में विभाजित होती है:

    • लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग (LAD): यह हृदय के सामने वाले हिस्से में रक्त पहुंचाती है।

    • सर्कमफ्लेक्स आर्टरी (Circumflex Artery): यह हृदय के बाईं ओर और पीछे की ओर रक्त पहुंचाती है।

जब इन धमनियों में कोई अवरोध या संकुचन होता है, जैसे कि कोरोनरी धमनी रोग (Coronary Artery Disease), तो हृदय को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता, जिससे दिल का दौरा (myocardial infarction) या अन्य हृदय समस्याएं हो सकती हैं।