Q1. नैनो प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं? नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों का उल्लेख करते हुए, इस प्रौद्योगिकी से संबंधित चिंताओं की चर्चा कीजिए।
What do you understand about nanotechnology? Mentioning the applications of nanotechnology, discuss the concerns related to this technology.
दृष्टिकोण-
· सर्वप्रथम, नैनो प्रौद्योगिकी का एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
· तत्पश्चात, नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों का उल्लेख कीजिए।
· इसके बाद इस प्रौद्योगिकी से संबंधित चिंताओं की भी चर्चा कीजिए।
· अंत में एक या दो पंक्तियों में निष्कर्ष लिखते हुए उत्तर का समापन कीजिए।
उत्तर-
यह शब्द नैनो व तकनीक से मिलकर बना है जिसका अर्थ है "अति सूक्ष्म" अर्थात एक मीटर का एक अरबवां हिस्सा। यह विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत किसी पदार्थ के परमाणु या अणु स्तर पर अध्ययन किया जाता है। नैनो तकनीक रसायन विज्ञान व तकनीकी का संयोजन है जिसमें परमाणुओं को नैनो मीटर के स्तर पर संयोजित करने की तकनीक का अध्ययन होता है।
नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग:-
· चिकित्सा के क्षेत्र में: इससे कैंसर का उपचार संभव है। इससे ऐसी सूक्ष्म दवा बनाई जा सकेगी, जो कैंसर की करोड़ों कोशिकाओं में से किसी एक को पहचान कर उसका अलग से इलाज कर सकेगी। नैनो गोल्ड के रूप में।
· बायो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में: डीएनए नैनो चिप, नैदानिक परिक्षण में, प्रोटीन डीएनए आरएनए का उपयोग इत्यादि
· कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में: नैनो तकनीक का उपयोग हमारे कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में बहुत पहले से ही हो रहा है उदाहरण के लिए कंप्यूटर के सर्किट और प्रोसेसर को बनाने के लिए सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है जो कि एक अर्धचालक है। क्वांटम कंप्यूटिंग,नैनो चिप, क्वांटम डॉट टेक्नोलॉजी। आने वाले समय में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बल्ब में भी होगा किसके कारण बिजली की खपत भी कम होगी और रौशनी भी अधिक होगी।
· उपभोक्ता उत्पाद में: नैनो फ़िल्टर, नैनो फैब्रिक, नैनो शैम्पू, चश्मे, फेसवॉश इत्यादि में संभावनाएं।
· रक्षा के क्षेत्र में : बॉर्डर क्षेत्रो में नैनो रोबोट, नैनो कम्पोज़िट-लड़ाकू विमान बनाने में उपयोग किया जा सकता हैं।
· अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में: NASA द्वारा हल्का अंतरिक्ष यान बनाने की संभावनाएं।
· कृषि के क्षेत्र में: नैनो टेक्नोलॉजी से खाद बनाई जा सकती है जिससे फसल के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
नैनो तकनीक में किसी भी पदार्थ की मॉलीक्यूलर असेंबलिंग को समझ कर उसके आकार को आपके बाल के आकार जितना छोटा बनाया जा सकता है और इसकी प्रोसेसिंग क्षमता भी आज की तुलना में कई गुणा बेहतर होगी।
टेनिस की गेंद भी नैनो कम्पोसिट कोर से बनाई जाती हैं ताकि उनका बॉउंस अधिक हो और पुरानी तकनीक से बनी गेंदों की तुलना मे अधिक टिकाउ हो। पैकेजिंग जैसे की दूध आदि के कार्टन मे नैनो कण इस्तेमाल किये जाते हैँ ताकि दूध प्लास्टिक की थैली मे अधिक समय तक तरोताजा रहे। ये कुछ उदाहरण हैं उन वस्तुओँ के जिन्हे हम अपने दैनिक जीवन मे उपयोग मे लाते हैं।
नैनो तकनीक से सम्बंधित नकारात्मक पक्ष या चिंताएं :-
· पर्यावरणीय प्रदूषण:-अति सूक्ष्म कण तेज़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं जिससे प्रदूषण की अधिक संभावना। जैविक सांद्रण/ जैविक आवर्धन:- आहार श्रृंखला या खाद्य श्रृंखला में प्रवेश से पर्यावरण के साथ साथ स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव की चिंताएं।
· स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव:-मानव शरीर में किसी प्रकार के रेडिकल द्वारा कोशिका क्षति की संभावना तथा कैंसर का खतरा भी एक चिंता का विषय है।
· सुरक्षा सम्बंधित खतरा:-नैनो हथियार जैसे एंथ्रेक्स, विषाणु के द्वारा शत्रु देश द्वारा उपयोग की संभावनाएं एवं चिंताएं। सरकारी खुपिया जानकारी में प्रयोग जैसे सायबर क्रिमिनल द्वारा नैनो सेंसर का उपयोग सम्भव है।
दीर्घकालीन चिन्ताएं जैसे समाज पर आर्थिक दुष्प्रभाव, जैसे विकसित और विकासशील राष्टों के बीच बढ़ती आर्थिक असमानताएं और अर्थव्यवस्था का पश्च-अभावग्रस्त(Post-depressant) अवस्था में जाना इत्यादि हैं।
हालाँकि इन चिंताओं के बावजूद इस प्रौद्योगिकी में निवेश की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। भविष्य में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा, जो नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करेगा। तकनीकी जानकारों का मानना है कि आने वाला समय नैनो टेक्नोलॉजी का होगा।
Q2. जैव-विविधता के महत्त्व को बताते हुए, अभ्यारण्य, राष्ट्रीय पार्क एवं जैव मंडल रिजर्व के मध्य अंतर को स्पष्ट कीजिये।
While explaining the importance of biodiversity, differentiate between Sanctuary, National Park and Biosphere Reserve.
दृष्टिकोण:-
· भूमिका में जैव विविधता को परिभाषित कीजिये।
· प्रथम भाग में जैव विविधता के महत्व को बताइये।
· दूसरे भाग में अभ्यारण्य, राष्ट्रीय पार्क और जैव मंडल रिजर्व के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिये।
· अंतिम में जैव विविधता के संरक्षण के महत्त्व को बताते हुए उत्तर समाप्त कीजिये।
उत्तर -
जैव-विविधता, जीवों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता है जो कि किसी प्रजाति विशेष के अंतर्गत, विभिन्न प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्रों की विविधता को भी समाहित करती है। जैव-विविधता तीन प्रकार की होती है यथा; आनुवांशिक विविधता, प्रजातीय विविधता तथा पारितंत्र विविधता। प्रजातियों में पायी जाने वाली आनुवांशिक (जीन आधारित) विभिन्नता को आनुवांशिक विविधता के नाम से जाना जाता है। यह आनुवांशिक विविधता जीवों के विभिन्न आवासों में विभिन्न प्रकार के अनुकूलन का परिणाम होती है। प्रजातियों में पायी जाने वाली विभिन्नता को प्रजातीय विविधता के नाम से जाना जाता है। पारितंत्र विविधता पृथ्वी पर पायी जाने वाली पारितंत्रों में उस विभिन्नता को कहते हैं जिसमें प्रजातियों का निवास होता है। पारितंत्र विविधता विविध जैव-भौगोलिक क्षेत्रों जैसे- झील, मरुस्थल, ज्वारनद्मुख आदि में प्रतिबिम्बित होती है। किसी भी विशेष समुदाय अथवा पारितंत्र के उचित रूप से कार्य के लिये प्रजातीय विविधता का होना अनिवार्य होता है।
जैव विविधता का महत्व:
· जैव-विविधता भोजन, कपड़ा, लकड़ी, ईंधन तथा चारा की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
· जैव-विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोगरोधी तथा कीटरोधी फसलों की किस्मों के विकास सहायक होती हैं।
· वानस्पतिक जैव-विविधता औषधीय आवश्यकताओं की पूर्ति भी करती है।
· जैव-विविधता पर्यावरण प्रदूषण के निस्तारण में सहायक होती है। प्रदूषकों का विघटन तथा उनका अवशोषण कुछ पौधों की विशेषता होती है।
· जैव-विविधता में संपन्न वन पारितंत्र कार्बन डाइऑक्साइड के प्रमुख अवशोषक होते है।
· जैव-विविधत मृदा निर्माण के साथ-साथ उसके संरक्षण में भी सहायक होती है। जैव-विविधता मृदा संरचना को सुधारती है, जल-धारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाती है।
· वानस्पतिक जैव-विविधता, भूमि में जल रिसाव को बढ़ावा देती है जिससे भूमिगत जलस्तर बना रहता है।
· जैव-विविधता पारितंत्र को स्थिरता प्रदान कर पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखती है।
· मृदा की सूक्ष्मजीवी विविधता पौधों के मृत भाग तथा मृत जन्तुओं को विघटित कर पोषक तत्वों को मृदा में मुक्त कर देती है जिससे यह पोषक तत्व पुनः पौधों को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि जैव-विविधता का मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। जैव-विविधता के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन असंभव है।
अभ्यारण्य, राष्ट्रीय पार्क और जैव मंडल रिजर्व के मध्य अंतर:
अभ्यारण्य:
· विशेष प्रजाति के संरक्षण के लिए स्थापित किये जाते हैं, जैसे केवलादेव(साइबेरियन क्रेन के लिए), विक्रमशिला( गांगेय डालफिन के लिए), गहिरमाथा( ओलिव रिडले कछुए के संरक्षण के लिए) ।
· अभ्यारण्यों में स्थानीय निवासियों के लिए सीमित मानवीय हस्तक्षेप की अनुमति होती है।
· सामान्य तौर पर अभ्यारण्यों में पर्यटन की अनुमति होती है।
· इनको स्थापित करने की अधिसूचना राज्य और केंद्र सरकार दोनों द्वारा की जा सकती है। ध्यातव्य है कि संघ शासित प्रदेशों में स्थापित होने वाले अभ्यारण्यों की अधिसूचना केंद्र सरकार द्वारा जारी की जाती है।
राष्ट्रीय पार्क:
· राष्ट्रीय पार्क( राष्ट्रीय उद्यान) किसी संकटग्रस्त प्रजाति के संरक्षण के लिए स्थापित किये जाते हैं।
· यह एक प्रकार से सर्वाधिक संरक्षित क्षेत्र होते हैं, तथापि पर्यटन की अनुमति यहाँ भी होती है।
· राष्ट्रीय पार्कों में आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबन्ध होता है।
· राष्ट्रीय पार्कों में कोर एवं बफर क्षेत्र बनाए जाते हैं। कोर छेत्र में सामान्यतः उस प्रजाति का वास होता है जिसके लिए राष्ट्रीय पार्क स्थापित किये जाते हैं।
· राष्ट्रीय उद्यानों के कोर क्षेत्र में मानवीय आबादी की अनुमति नहीं लेकिन संक्रमण क्षेत्र में आबादी की अनुमति होती है।
· राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना की अधिसूचना मुख्यतः केंद्र सरकार द्वारा की जाती है तथापि राज्य सरकारें भी अधिसूचना जारी कर सकती हैं।
जीव मंडल रिजर्व:
· जीव मंडल रिजर्व स्थलीय एवं सागरीय पारितंत्र एवं विशेष जीनपूल के संरक्षण के लिए स्थापित किये जाते हैं।
· यूनेस्को द्वारा MAB कार्यक्रम जो 1971 से प्रारम्भ किया गया था, जीव मंडल रिजर्व की स्थापना इसी कार्यक्रम के अंतर्गत की जाती है।
· जीव मंडल रिजर्व में कोर क्षेत्र, बफर क्षेत्र और संक्रमण क्षेत्र होते हैं। कोर क्षेत्र में वैज्ञानिक अध्ययन, संरक्षण एवं जैव विविधता का प्रबंधन किया जाता है जबकि बफर क्षेत्र में प्रशिक्षण, शिक्षा, अनुसंधान,निगरानी एवं जन जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाते हैं।
· कोर क्षेत्र में जाने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है तथापि यह अनुमति जीव मंडल रिजर्व के केवल राष्ट्रीय पार्क एवं अभ्यारण क्षेत्र में ही होती है।
· जीव मंडल रिजर्व की स्थापना की अधिसूचना केवल केंद्र सरकार द्वारा की जा सकती है।
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि अभ्यारण्य, राष्ट्रीय पार्क और जैव मंडल रिजर्व के मध्य अनेक अंतर होते हैं। तथापि इन सभी प्रयासों का उद्देश्य जैव विविधता का संरक्षण होता है। जलवायु परिवर्तन की स्थिति में जैव-विवधता के ह्रास की दर बढती जा रही है। अतः इस तरह के संरक्षण उपायों की आवश्यकता है। भारत सरकार ने अनेकों अभ्यारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और जैव मंडल निचयों की स्थापना कर इस संदर्भ में अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट की है।
2021 Simplified Education Pvt. Ltd. All Rights Reserved