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SHIKHAR MAINS 2022 - DAY 20 Model Answer Hindi

Updated : 30th Aug 2022
SHIKHAR MAINS 2022 - DAY 20 Model Answer Hindi

Q1. सत्यनिष्ठा क्या है? लोक प्रशासन के संदर्भ मे सत्यनिष्ठा के महत्व की चर्चा कीजिए?

What is integrity? Discuss the importance of integrity in the context of public administration.

दृष्टिकोण

·        परिचय में सत्यनिष्ठा का उल्लेख करते हुए उसमें निहित मूल्यों का उल्लेख करें।

·        लोक प्रशासन के संदर्भ में सत्यनिष्ठा के महत्व को लिखिए।

उत्तर

           सत्यनिष्ठा एक गुणवत्त अवधारणा है जिसे मात्रात्मक तरीके से परिभाषित नहीं किया जा सकता।  सत्यनिष्ठा एक व्यापक एवं सर्वांगीण अवधारणा है ।  सामान्यतः सत्यनिष्ठा की कमी को भ्रष्टाचार के रूप में देखा जाता है । भ्रष्टाचार का संबंध सरकारी पद या लोक संसाधनों के दुरूपयोग निजी हितों के लिए या फायदें के लिए किए जाने से है । 

अतः सत्यनिष्ठा लोकसेवकों से अपेक्षित सारे मूल्यों को समाहित करती है जैसे - गैर-तरफदारी एवं भेदभावरहित, निष्पक्षता, समर्पण, सहानुभूति, सहनशीलता, संवेदना आदि । 

 लोक प्रशासन मे सत्यनिष्ठा का महत्व -

      ·        सत्यनिष्ठा इस बात की अपेक्षा करती है कि लोकसेवक का व्यवहार उस प्रकार का हो जो उसे लोकसेवक बनाता हो अर्थात लोकसेवक के संदर्भ में एक शोभनीय व्यवहार हो । 

·        सत्यनिष्ठ लोकसेवको  का व्यवहार प्रस्तावित आचरण संहिता के अनुरूप होता है ।

·        सत्यनिष्ठा एक परिपूर्ण अवधारणा है ।  इसलिए यह गैर-चयनित होता है एवं किसी प्रकार के समझौते से परे होता है । 

·        सत्यनिष्ठा लोकसेवक में  सिर्फ जनहित की भावना से कार्य करने को प्रेरित करती है ।  

·        लोकसेवक के द्वारा अपने कर्तव्यों का पालन एवं उसका व्यवहार एक पेशेवर के रूप मे होता है ताकि जनता का विश्वास बना रहे ।  

·        संसाधनों का समावेशी  प्रयोग    प्रभावी आधार पर होता है ।

·        सत्यनिष्ठ लोकसेवकको विधि का पालन तथा न्याय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है ।

·        सत्यनिष्ठा यह अपेक्षा करती है कि लोकसेवक के द्वारा अपनी शक्ति/प्राधिकार/विवेकाधिकार/स्वनिर्णय के शक्तियों का दुरूपयोग निजी हितों के लिए ना किया जाए ।

·        लोकसेवक के द्वारा किसी भी ऐसे उपहार को प्राप्त नहीं करना है जो उसके निर्णय या सत्यनिष्ठा के साथ कोई समझौता दिखे ।

·        एक सत्यनिष्ठ लोकसेवक के द्वारा बिना प्राधिकार के किसी भी सरकारी सूचना को उजागर नहीं किया जाना है और यह सिद्धांत लोकसेवकों के सेवानिवृत्ति के उपरांत भी लागू होता है|

·        सत्यनिष्ठा विचार, व्यक्तव्य एवं क्रियाशीलता/व्यवहार में एकीकरण एवं सामंजस्य पर बल देता है ।

 


 

Q2. भावनात्मक समझ को विकसित करने के उपायों पर चर्चा करते हुए शासन एवं प्रशासन में भावनात्मक समझ का अनुप्रयोग एवं उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए ?

 Discussing the ways to develop Emotional Intelligence, explain the application and utility of Emotional Intelligence in governance and administration.

 दृष्टिकोण:

   भूमिका में भावनात्मक समझ स्पष्ट कीजिये ।

   भावनात्मक समझ विकसित करने के उपायों का उल्लेख करें।

   शासन में भावनात्मक समझ के उपयोगिता को लिखिए ।

   प्रशासन में भावनात्मक समझ के उपयोगिता को लिखिए।

   निष्कर्ष में बताइये कि यदि शासन और प्रशासन में भावनात्मक समझ का अभाव हो  तो क्या स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

 उत्तर:

        कुछ मौलिक सिद्धांतों के आधार पर भावनात्मक समझ/बुद्धिमता को विकसित किया जा सकता है । यह  एक निरंतर प्रक्रिया है एवं इस प्रक्रिया में निम्नांकित सिद्धांतों से संबंधित दक्षता को विकसित करने का प्रयास किया जाता है -

       ·        स्वजागरूकता का विकास करना तथा  अपनी भावनाओ का उचित प्रबंधन करना । 

·        सहानुभूति को विकसित करने हेतु अन्य की भावनाओं  तथा दृष्टिकोण का सम्मान करना । |  

·        स्वविनियमन का विकास तभी होगा  जब किसी व्यक्ति को अपनी भावनात्मक कमजोरी और मजबूती का पता हो । 

·        व्यक्ति को अपने किए  गए सकारात्मक कार्यों से लगातार मोटिवेशन प्राप्त  करते रहना चाहिए । इससे कार्य करने कि इच्छा शक्ति तथा कार्य दक्षता मे सुधार होगा । 

·        सामाजिक दक्षता का विकास  व्यक्ति में अंतः परस्पर सम्बन्ध के आधार पर विकसित होती है ।  इससे उचित निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा । 

 शासन मे भावनात्मक समझ का अनुप्रयोग और उपयोग

·        सरकार के द्वारा किए जाने वाले विविध सुधारात्मक प्रयासों के प्रति जन सहयोग एवं जन समर्थन  प्राप्त करने हेतु भावनात्मक समझ का होना आवश्यक है । इसके माध्यम से सरकार के निर्णय एवं क्रियाकलापों को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त होती है ।

·        विभिन्न दवाब समूहों का प्रबंधन करने मे ।  

·        विभिन्न धार्मिक समूहो के बीच समन्वय करने मे ।  

·        नक्सलवादी, उग्रवादी आदि जैसे उग्र विचारधारा वाले गैर राज्यकारी तत्वो का प्रबंधन करने मे । 

·        सांप्रदायिकता की भावना पर नियंत्रण लगाने मे भूमिका । 

·        सामाजिक विभेदता को समाप्त कर समावेशी विकास को बढ़वा देना मे ।  

·        विधियों और नीतियों के बीच समन्वय साथपित करना -जैसे समान नागरिक संहिता । 

प्रशासन मे भावनात्मक समझ का अनुप्रयोग और उपयोग:

·        भावनात्मक समझ के द्वारा प्रशानिक अधिकारी अपने संदेशो को सरलतम तरीके से लोगो तक प्रेषित सकता है। 

·        भावनात्मक समझ लोगो की आकांक्षाओ को समझने मे सहयोग प्रदान करती है । जिससे प्रशासन की कार्य शैली बेहतर होगी । 

·        भावनात्मक समझ के विकास से कर्मचारियों के बीच बेहतर संबंधो का विकास किया जा सकता है। जिससे शासन के समूहिक लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है । 

·        सिविल सेवकों को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के रुचियों, क्षमताओ तथा कमजोरियों को समझ कर प्राशन के कार्यों का आवंटन करना होता है । इसके लिए भावनात्मक समझ की आवश्यकता होती है । 

·        अपने कार्यों को लोकतान्त्रिक तरीके संचालन के लिए भावनात्मक समझ की आवश्यकता होती है। जिससे जनता के पीड़ाओ को समझ कर उसका उचित समाधान किया जा सके ।

 

समाज में विभिन्न प्रकार की विसंगतियां मौजूद हैं। इन विसंगतियों के कारण सामाजिक व्यवस्था में नकारात्मक प्रवृत्तियों  के विकास को बल मिला है। जहां एक ओर  शासन  में विभिन्न प्रकार के गैर-राज्यकर्ताओ  द्वारा  समाज को विघटित  करने का प्रयास किया जाता हैं, तो दूसरी ओर लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण होता है। किसी भी राज्य की सामासिक  संस्कृति, लोकतांत्रिक मूल्यों, सतत और समावेशी विकास को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि शासन और प्रशासन में भावनात्मक समझ को विकसित किया जाय । इससे न केवल समाज का विकास होगा बल्कि मानवीय मूल्यों के संरक्षण को भी बल मिलेगा ।