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SHIKHAR MAINS 2022 - DAY 21 Model Answer Hindi

Updated : 31st Aug 2022
SHIKHAR MAINS 2022 - DAY 21 Model Answer Hindi

Q1. कॉर्पोरेट गवर्नेंस की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए इसके कार्यों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये?

Discuss need for Corporate Governance, its functions and challenges.

दृष्टिकोण:

      भूमिका में कॉर्पोरेट गवर्नेन्स  की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये ।

      भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेन्स की आवश्यकता को लिखिए ।

      कॉर्पोरेट गवर्नेन्स के कार्यों, महत्व और चुनौतियों को लिखिए।

      भारत में कारपोरेट गवर्नेंस की सार्थकता के संदर्भ में निष्कर्ष दीजिये ।

उत्तर:

        कोई भी संगठन चाहे वह लोक संगठन हो या फिर निजी उसका कामकाज नैतिकता के आधार पर संचालित होना चाहिये तथा उसके द्वारा अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन भली-भाँति किया जाना चाहिये। किसी भी कंपनी के कॉर्पोरेट शासन में मुख्य रूप से छह घटक (ग्राहक, कर्मचारी, निवेशक, वैंडर, सरकार तथा समाज) शामिल होते हैं जिन्हेंस्टेक होल्डर्सकहा जाता है।

        कोई भी ऐसा संगठन जो सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में कार्य करता है तथा अपने कर्मचारियों, ग्राहकों, आम नागरिकों (समाज) तथा शेयरधारकों के प्रति अपनी जबावदेही को समझता है और संगठन के विकास के साथ-साथ इन सभी का भी ध्यान रखता है तो कहा जा सकता है कि ऐसे संगठन का कामकाज नैतिकता के आधार पर संचालित किया जा रहा है। 

       ऐसा गवर्नंस जिसके माध्यम से संस्थाओं का संचालन, विभिन्न हितधारकों के अधिकारों के हितों की रक्षा, दायित्वों का निर्धारण एवं कार्पोरेट के शेयर धारकों की संपत्ति में वृद्दि के उद्देश्य से संचालित किया जाता है। 

कॉर्पोरेट गवर्नेंस का आधार सिद्धांत- सुशासन (उत्तरदायित्व, पारदर्शिता, स्वायत्ता) ।

भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का विकास: सेबी की स्थापना, 1988 ,एसोचेम, फिक्की आदि की अनुशंषा पर SEBI ACT, 1992 निर्मित , कंपनियों को विनियमित करने हेतु उपबंध किये गए , नारायण मूर्ति समिति का गठन (2003) , वर्ष 2009 में कॉर्पोरेट गवर्नेंस स्वैच्छिक दिशानिर्देश (कम्पनी अधि.1956) , कम्पनी अधिनियम, 2013- कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व(CSR) का निर्धारण , उदय कोटक समिति का गठन (2017),  इनसॉल्वेनसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2018 ,नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 

भारत में कार्पोरेट गवर्नेंस की आवश्यकता:

      भारत में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व का अभाव कार्पोरेट जगत में भी पाया जाता है ।

      कॉर्पोरेट की दक्षता वृद्धि के उपयुक्त प्रावधानों का नहीं होना 

      निजी क्षेत्र का सीमित विकास । 

      मानदंडों का प्रकटीकरण हेतु उपयुक्त नियम नहीं । 

      खातों की गलत जानकारी देना ।

      अवैध कंपनियों (शेल कंपनियों) की बड़ी संख्या ।

 कॉर्पोरेट गवर्नेंस के कार्य:

       कॉर्पोरेट का प्रबंधन। 

       निर्धारित लक्ष्यों को आधार बनाकर प्रक्रिया एवं मशीनरी का निर्धारण ।

      जवाबदेहिता(सक्रिय शेयरधारक एवं निष्क्रिय शेयरधारक) ।

      हितधारकों की रक्षा ।

      कार्पोरेट की संरचनाओं को विकसित, सुरक्षित एवं निरंतर बनाये रखना । 

      विश्वसनीयता का विकास ।

कॉर्पोरेट गवर्नेंस का महत्व:

      जोखिम शमन की क्षमता बढ़ जाती है ।

      शेयरों की कीमत को बढ़ता है ।

      शेयरधारकों की विश्वसनीयता में वृद्धि होती है ।

      आर्थिक मंदी के दौरान कार्पोरेट गवर्नेंस कार्पोरेट को स्थायित्व प्रदान करता है ।

      बेहतर संगठनात्मक दक्षता को बढ़ता है । 

      विलय और अधिग्रहण की प्रक्रियाओं को सरल कर देता है ।

      विदेशी निवेश को आमंत्रित करने में सहयोग उत्पन्न होता है ।

कॉर्पोरेट गवर्नेंस की चुनौतियाँ:

      कार्पोरेट जगत में धोखाधडी विद्यमान है, बैलेंस शीट का सही नहीं होना । 

      निवेशकों में विश्वास का अभाव ।

      आर्थिक भगौड़ों की संख्या में वृद्धि । 

      भारतीय लोगों के अन्दर भ्रष्टाचार के प्रति व्यापक सहनशीलता विद्यमान है ।

      मानवीय मूल्यों के प्रति कार्पोरेट जगत स्वैच्छिक रूप में उत्तरदायित्वों का निर्वहन नहीं करता जैसे- पर्यावरण के प्रति सक्रियता का अभाव ।

      भारत में कार्पोरेट वस्तु उत्पादन में नैतिकता के विपरीत कदम उठाता है जैसे- वस्तुओं में मिलावट इसका उदाहरण है ।

हाँलाकि कॉर्पोरेट शासन प्रणाली अर्थव्यवस्था के लिये तथा शेयर धारकों के हित को सुरक्षित रखने में प्रभावशाली साबित हुई है, फिर भी हमें अभी और कुशल निगरानी, पारदर्शी आंतरिक लेखा परीक्षा प्रणाली, कुशल बोर्ड और प्रबंधन की आवश्यकता है जो एक प्रभावी कॉर्पोरेट प्रशासन को नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं। साथ ही उभरती नई कंपनियों के रणनीतिक प्रबंधन को बढ़ावा देने तथा बाज़ार को स्थिरता प्रदान करने में मददगार साबित हों।

 


 

Q2.  लोक सेवा के क्षेत्र मे नीतिशास्त्र की भूमिका  को स्पष्ट कीजिये?

 Explain the role of ethics in the field of public service?

 दृष्टिकोण:

·        भूमिका में लोक सेवकों के सामने उपस्थित जटिलताओं  के संदर्भ में लिखिए।

·        लोक सेवा के क्षेत्र में नीतिशास्त्र   की भूमिका बताते हुए  निष्कर्ष लिखिए ।

उत्तर:

            किसी भी लोक सेवक को जनहित /सामाजिक कार्य करने के लिए संकल्प की स्वतन्त्रता के साथ-  साथ एक उच्च नैतिक आचरण की आवश्यकता होती है । कई बार लोक सेवको को नैतिक दुविधा  और जटिल निर्णयों का  सामना करना पड़ता है । इस दृष्टिकोण से नीतिशास्त्र व्यक्तिक के आचरण को विकसित करने तथा लोक सेवको मे धैर्य बनाए रखने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । 

 लोक सेवा के क्षेत्र मे नीतिशास्त्र की भूमिका:

      ·        लोकसेवकों के स्वनिर्णय की शक्तियों के दुरूपयोग होने की संभावना को युक्तियुक्त प्रतिबंधित करता है ।

·        लोक सेवको मे उत्तरदायित्व की भावना के विकास को प्रोत्साहित करता है ।

·        स्व-जवाबदेहिता को विकसित एवं प्रोत्साहित करने मे नीतिशास्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।  

·        यह नीति परक उच्च आचरण को बनाए रखने मे मदद करता है ।

·        समाजकल्याण, जनहित एवं सामाजिक हित के संबंध मे सही निर्णय लेने को प्रोत्साहित करता है ।

·        लोक सेवको मे कार्यकुशलता एवं प्रभावशीलता का विकास करता है ।

·        उचित- अनुचित /शुभ -अशुभ के निर्णय लेने मे सहयोग प्रदान करता है ।

·        लोकसेवकों के प्रति सामाजिक विश्वास एवं मान्यता को सुदृढ़ करती है ।

·        लोकसेवकों की विश्वसनीयता को अधिक सुदृढ़ता प्रदान करता है ।

·        नीतिशास्त्र के माध्यम से लोकसेवकों के द्वारा लोकसंसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करने हेतु एक विशेष दायित्व उत्पन्न होता है ।

·        सामाजिक एकरूपता को बनाए रखने में लोकसेवकों को विशेष भूमिका अदा करने हेतु प्रोत्साहित करता है ।

अत: नीतिशास्त्र समाज मे एकीकरण के साथ साथ एक नई दिशा प्रदान करने मे सहायक होता है । मानवीय संबंधो को नैतिक आधार प्रदान कर सामाजिक सुरक्षा तथा शांति  बनाए रखने मे सहयोगात्मक भूमिका निभाता है ।