Back to Blogs

SHIKHAR MAINS 2022 - DAY 31 Model Answer Hindi

Updated : 12th Sep 2022
SHIKHAR MAINS 2022 - DAY 31 Model Answer Hindi

Q1. मंदिर स्थापत्य की द्रविड़ शैली की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करते हुए द्रविड़ शैली के विकास को स्पष्ट कीजिये|

While explaining the main features of Dravidian style of temple architecture, also discuss the development of Dravidian style.    

दृष्टिकोण-

  • भूमिका में भारत में मंदिर निर्माण की तीनों शैलियों के बारे में सामान्य जानकारी दीजिये
  • प्रथम भाग में द्रविड़ शैली के बारे में बताते हुए इसकी सामान्य विशेषताएं बताइये,
  • दूसरे भाग में विशेषताओं के साथ द्रविड़ शैली के विकास की चरणबद्ध जानकारी दीजिये
  • अंतिम में द्रविड़ शैली के महत्त्व के संदर्भ में निष्कर्ष देते हुए उत्तर समाप्त कीजिये|

उत्तर -

                      पूर्व मध्यकालीन भारत में मंदिर निर्माण कला की तीन बड़ी शैलियों का विकास देखने को मिलता है यथा नागर शैली, द्रविड़ शैली और वेसर शैली| नागर शैली का प्रचलन हिमालय और विन्ध्य पर्वत के मध्य के भाग में पाया जाता है जबकि वेसर शैली विन्ध्य पर्वत के दक्षिण और कृष्णा नदी के बीच के प्रदेश में विकसित हुई| द्रविड़ शैली का विकास मुख्यतः कृष्णा और कावेरी नदियों के मध्य के क्षेत्र में देखने को मिलता है|

द्रविड़ शैली, हिन्दू मंदिर स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। यह शैली दक्षिण भारत में विकसित होने के कारण द्रविड़ शैली कहलाती है। तमिलनाडु व निकटवर्ती क्षेत्रों के अधिकांश मंदिर इसी श्रेणी के होते हैं। इस शैली की कुछ सामान्य विशेषताएं इसे मंदिर निर्माण की अन्य शैलियों के समक्ष विशिष्टता प्रदान करती हैं, इन्हें हम निम्नलिखित बिन्दुओं से समझ सकते हैं-

द्रविड शैली के मंदिरों की सामान्य विशेषताएं :-  

  • नागर शैली से अलग द्रविड़ शैली में चारदीवारी के भीतर समूहों में मंदिरों का निर्माण किया जाता है,
  • यहाँ चारदीवारी में गोपुरम (प्रवेश द्वार) का निर्माण किया जाता था, ये प्रवेश द्वार(गोपुरम) पिरामिड की तरह होते थे।
  • नागर शैली के विपरीत द्रविड़ शैली के मंदिरों के निर्माण में अधिष्ठान/जगती के साक्ष्य अपवाद स्वरुप ही मिलते हैं।
  • नागर शैली में गर्भ गृह के ऊपर के भाग में जहाँ शिखर का निर्माण किया जाता था वहीं द्रविड़ मंदिरों में गर्भ गृह के ऊपर के भाग को विमान कहते हैं यह भी पिरामिड नुमा होता है।
  • मंदिर परिसर में विभिन्न देवताओं के मंदिरों के साथ अलग-अलग उद्देश्यों से मंदिरों का भी निर्माण किया जाता है।
  • द्रविड़ शैली में मंदिर परिसर में ही जलाशय बनाये जाते हैं।

द्रविड़ मंदिर स्थापत्य शैली का विकास

द्रविड़ मंदिर स्थापत्य शैली का विकास पल्लव शासकों के काल में शुरू हुआ; इसके बाद चोलों,पांड्यों, विजयनगर तथा मदुरा के नायकों के संरक्षण में द्रविड़ शैली का विकास जारी रहा| द्रविड़ मंदिर स्थापत्य शैली के विकास को निम्नलिखित शीर्षकों के माध्यम से देखा जा सकता है-

पल्लव काल में द्रविड़ स्थापत्य का विकास

  • द्रविड़ मंदिर स्थापत्य का प्रारंभिक विकास सातवीं से दसवीं सदी के मध्य पल्लवों के शासनकाल में हुआ| पल्लव शासक कला के महान संरक्षक एवं उत्साही निर्माता थे| पल्लव काल में विभिन्न शासकों के समय विकासात्मक शैलियों का उद्भव हुआ।
  • सर्वप्रथम महेंद्रवर्मन शैली (610 से 640 ईस्वी)का विकास हुआ, इसमें पहाड़ों को काट कर मंदिरों का निर्माण किया जाता था जिन्हें मंडप कहा जाता है उदाहरणार्थ- पंचपांडव मंदिर।
  • महेंद्रवर्मन शैली के बाद विकसित महामल्ल शैली/नरसिंहवर्मन शैली (640 से 674 ईस्वी ) में एकाश्मक पत्थर से मंदिरों का निर्माण किया जाता था जिन्हें रथ कहा जाता है जैसे महाबलीपुरम में सप्त पैगोडा रथ, पंच पांडव रथ, आदि।
  • राजसिंह शैली (674 से 800 ईस्वी)के चरण में पल्लव मंदिरों से द्रविड़ स्थापत्य से सम्बन्धित सभी विशेषताओं के साक्ष्य मिलने लगते हैं |यहाँ से संरचनात्मक मंदिरों का निर्माण भी प्रारम्भ हो जाता है जैसे कांची का कैलाश मंदिर एवं महाबलीपुरम का शोर/तटीय मंदिर।
  • नन्दिवर्मन शैली (800-900 ईस्वी ) के अंतर्गत भी द्रविड़ विशेषताओं के साथ संरचनात्मक मंदिरों का निर्माण जारी रहा, जैसे कांची का मुक्तेश्वर मंदिर आदि|

चोल काल में द्रविड़ स्थापत्य का विकास

  • यद्यपि द्रविड़ स्थापत्य से सम्बंधित सभी विशेषताओं का विकास चोल काल में भी जारी रहा,तथापि विशाल संरचनात्मक मंदिरों का निर्माण निर्माण चोल काल की प्रमुख विशेषता है।
  • इस दौर में गोपुरम एवं विमानों के निर्माण में विशालता एवं अलंकरण को अत्याधिक महत्त्व दिया गया।
  • इस काल में निर्मित शैव मंदिरों में नदी मंडप का निर्माण एवं एकाश्मक पत्थर से निर्मित नंदी के साक्ष्य भी मिलते हैं।
  • मंदिरों में तक्षण कार्यों पर अत्यधिक बल दिया जाता था, तक्षण के माध्यम से पौराणिक कहानियों का चित्रांकन किया जाता था।
  • इसके साथ ही मंदिरों की दीवारों पर रामायण, महाभारत आदि से सम्बन्धित विषयों का चित्रण किया जाता था।
  • तंजौर में चोल शासक राजराज प्रथम द्वारा निर्मित बृहदेश्वर मंदिर तथा राजेन्द्र प्रथम द्वारा निर्मित गंगइकोंडचोलपुरम मंदिर चोल काल निर्मित में प्रमुख मंदिर हैं|

विजयनगर एवं मदुरा के नायकों के समय विकास (14वीं से 17वीं सदी)

  • विजयनगर शैली में द्रविड़ स्थापत्य से सम्बन्धित और अब तक विकसित सभी विशेषताएं उपस्थित थीं,
  • विजयनगर शैली में अलंकरण पर प्रमुख बल देखने को मिलता है।
  • नवीनता के तौर पर यहाँ चारों दिशाओं में गोपुरम के निर्माण को देख सकते हैं।
  • विजयनगर शैली में मंदिर समूहों में दो नये मंडपों का निर्माण किया जाने लगा, अब देवताओं के विवाह के लिए कल्याण मंडप और उपदेवताओं के लिए अम्मान मंडप का भी निर्माण किया जाने लगा था।
  • विजयनगर शैली में बने द्रविड़ मंदिरों के सर्वाधिक साक्ष्य कर्नाटक के हम्पी से मिलते हैं जैसे विरूपाक्ष मंदिर, हजारा मंदिर, विट्ठल स्वामी मंदिर आदि।
  • विजयनगर के पश्चात मदुरा के नायकों के समय में भी द्रविड़ शैली में मंदिर स्थापत्य की परम्परा जारी रही
  • इस समय मंदिरों के प्रांगण में विभिन्न आवासीय भवन एवं बाजारों का भी निर्माण किया जाने लगा जैसे मदुरा का मीनाक्षी मंदिर आदि| मदुरा के नायकों के समय तक द्रविड़ मंदिर स्थापत्य अपने विशुद्ध रूप से विकसित क्लासिकल स्वरुप को प्राप्त कर चुका था। 

                         इस प्रकार हम देख सकते हैं कि द्रविड़ मंदिर स्थापत्य कला का विकास सातवीं सदी से शुरू होकर 17वीं सदी तक किसी न किसी रूप में होता रहा| द्रविड़ स्थापत्य, भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है| यह पूरे दक्षिण भारत और पड़ोसी द्वीपों में प्रचलित है| इनके महत्त्व को देखते हुए वर्ष 1987 में यूनेस्को ने चोल कालीन मंदिरों विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था|

 


Q2. औद्योगिक क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? उन कारकों की व्याख्या कीजिये जिनके कारण औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत ब्रिटेन से हुई|

What do you understand by industrial revolution? Explain the factors responsible for the beginning of the Industrial Revolution in Britain.

 

दृष्टिकोण:-

  • भूमिका में औद्योगिक क्रान्ति को परिभाषित कीजिये।
  • मुख्य भाग में ब्रिटेन से औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत के कारणों को रेखांकित कीजिये।
  • अंतिम में उपरोक्त विवरण का निष्कर्ष देते हुए अन्य देशों में औद्योगीकरण की सूचना देकर उत्तर समाप्त कीजिये।

उत्तर -

              औद्योगीकरण मानव के विकास यात्रा में एक नए चरण का प्रतिनिधित्व करता है। औद्योगीकरण उत्पादन के तरीकों में व्यापक बदलाव को रेखांकित करता है। यह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है न कि किसी वर्ष विशेष में घटित होने वाली कोई घटना है। 18 वीं-19वीं सदी में उत्पादन के तरीकों में आमूलचूल परिवर्तन हुए  इसीलिए इसे औद्योगिक क्रान्ति भी कहते हैं। इसके अंतर्गत मशीनों के द्वारा उत्पादन, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुनाफे पर ध्यान में रख के उत्पादन, वाष्प की शक्ति के द्वारा मशीनों का संचालन आदि परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं। औद्योगीकरण ने आर्थिक जीवन के साथ-साथ राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को भी व्यापक तौर पर प्रभावित किया था। पूंजीवादी औद्योगीकरण की विकास यात्रा ब्रिटेन से प्रारम्भ हुई। वर्ष 1800 तक ब्रिटेन की गणना औद्योगिक राष्ट्रों में होने लगी थी| इसके लिए अनेक कारक उत्तरदायी थे।

औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत ब्रिटेन से ही क्यों?

कृषि में परिवर्तन(कृषि-क्रांति)

  • यूरोपीय राष्ट्रों में सर्वप्रथम ब्रिटेन में 18वीं सदी में कृषि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलता है जैसे: शस्यावर्तन, बीज बोने का यंत्र, बड़े-बड़े फार्मों पर कृषि, बाड़ाबंदी आंदोलन(सरकारी समर्थन से बड़े जमींदारों द्वारा औने-पौने दामों पर छोटे किसानों से जमीनों को खरीदना) आदि।
  • इन परिवर्तनों के कारण अधिशेष उत्पादन हुआ तथा जनसँख्या में वृद्धि हुयी तथा गैर-कृषि कार्यों में संलग्न लोगों को भोजन उपलब्ध हो पाया, साथ ही, श्रमिकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित हुयी थी|

जनसँख्या वृद्धि

  • खाद्यानों की उपलब्धता, चिकित्सा क्षेत्र में सुधार इत्यादि कारणों से ब्रिटिश जनसँख्या में तीव्र वृद्धि देखी गयी जैसे: 1750 से 1800 के बीच पश्चिम यूरोप के बीस शहरों की आबादी दोगुनी हुई उसमें 11 शहर ब्रिटेन के थें। जनसँख्या वृद्धि के कारण मांग भी बढ़ी और श्रमिकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो पायी।

व्यापारिक क्रांति का प्रभाव

  • 16वीं से 18वीं सदी का युग व्यापारिक क्रांति के कारण भी महत्व रखता है।
  • व्यापारिक क्रांति का लाभ लगभग सभी पश्चिमी यूरोपीय देशों को हुआ लेकिन 18वीं सदी के मध्य तक ब्रिटेन की स्थिति सर्वश्रेष्ठ थी।
  • इससे उद्योगों में निवेश के लिए पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित हुयी तथा बाजार एवं कच्चे माल के लिए उपनिवेश की भी उपलब्धता सुनिश्चित हो पायी।

परिवहन के क्षेत्र में परिवर्तन

  • 18वीं सदी के अंत तक ब्रिटेन उन्नत परिवहन के मामलों में भी अन्य यूरोपीय देशों से आगे था।
  • 1800 ई. तक सभी प्रमुख शहरों को नहरों से जोड़ दिया गया एवं लगभग 4000 मील नहरों का निर्माण हुआ था|
  • इसी प्रकार मैकडेन के द्वारा पक्की सड़कों के निर्माण की शुरुआत तथा 1820 के दशक में व्यावसायिक तौर पर रेलवे के संचालन ने भी परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव किये।
  • उन्नत परिवहन के कारण राष्ट्रीय बाजार का निर्माण हुआ, आयात-निर्यात सुगम हुआ तथा आधारभूत उद्योगों का विकास भी।

राजनीतिक कारण

  • यूरोपीय राष्ट्रों की तुलना में ब्रिटेन राजनीतिक रूप से ज्यादा स्थिर था जैसे-1688 की रक्तहीन क्रांति के पश्चात ब्रिटेन में अपेक्षाकृत स्थिर व्यवस्था थी तो दूसरी तरफ फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात या अन्य कारणों से भी यूरोपीय राष्ट्र संघर्षरत व अस्थिर थें|
  • राजनीतिक स्थिरता  आर्थिक विकास एवं निवेश के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करती है|
  • सरकार ने क्रेता के रूप में भी औद्योगिक प्रक्रियायों को समर्थन दिया तथा औद्योगीकरण के अनुकूल नीतियों का भी निर्माण किया जैसे- ब्रिटेन में एक प्रकार की मुद्रा, कानून, भाषा इत्यादि का विकास|
  • इसी के साथ-साथ अहस्तक्षेप की नीति, मुक्त व्यापार की नीति, उपनिवेशों की स्थापना, उपनिवेशों के लिए युद्ध इत्यादि कारकों के द्वारा भी राज्य ने औद्योगिक प्रक्रियाओं को समर्थन दिया

सामाजिक कारण

  • ब्रिटिश समाज में लोचशीलता, प्रगतिशीलता, समन्वयकारी दृष्टिकोण, वैज्ञानिक शिक्षा को महत्व इत्यादि विशेषताएं थी।
  • इससे समकालीन समाज में ब्रिटेन को एक अलग स्थान प्राप्त था जैसे- राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर संक्रमण अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा।
  • 1750 से 1800 के बीच हजारों नए अनुसंधान किए गए यहाँ तक कि अभिजात्य वर्ग ने भी उद्योगों में पैसे निवेश किए इत्यादि।

अन्य आर्थिक कारण

  • लोहे एवं कोयले की उपलब्धता; नदियों का नौगम्य होना।
  • विकसित बैंकिंग ढाँचा जैसे- 1800 ई. तक लगभग 300 क्षेत्रीय बैंक आदि के फलस्वरूप भी ब्रिटेन की स्थिति अन्य यूरोपीय राष्ट्रों के मुकाबले ज्यादा बेहतर थी।

तकनीकी विकास

  • तकनीकी विकास के मामले में भी ब्रिटेन अग्रणी राष्ट्र था|
  • ब्रिटेन के डर्बी परिवार ने लोहे को मनचाहा आकार देने के तकनीक का विकास किया तो मैकडेन ने पक्की सड़कों का वहीँ जेम्स वाट ने ईंजन का।
  • कपड़े के क्षेत्र में भी कई नई मशीनों का आविष्कार हुआ जैसे- वाटरफ्रेम, पॉवरलूम, स्पिनिंग जेनी आदि।

                               उपरोक्त कारकों के कारण ब्रिटेन की स्थिति अन्य यूरोपीय राष्ट्रों के मुकाबले औद्योगिक क्रांति हेतु ज्यादा अनुकूल थी। अतः औद्योगिक क्रान्ति का आरम्भ ब्रिटेन से हुआ। 19वीं सदी के मध्य तक फ्रांस, हॉलैंड, बेल्जियम आदि देशों की भी औद्योगिक राष्ट्र के रूप में पहचान बनी। 19वीं सदी के अंतिम दशकों तक अमेरिका जर्मनी जापान आदि देशों की गणना भी महत्वपूर्ण औद्योगिक राष्ट्रों के रूप में होने लगी थी।  ब्रिटेन में इस औद्योगिक क्रांति की वजह से आर्थिक, राजनीतिक क्षेत्र पर व्यापक सकारात्मक प्रभाव पड़ा वहीँ इससे ब्रिटेन के सामाजिक क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव भी दृष्टिगोचर हुए।