Q1. सुनामी की उत्पत्ति के कारणों की विवेचना कीजिए।
Discuss the reasons for the origin of Tsunami.
दृष्टिकोण:
- भूमिका में सुनामी को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- इसके पश्चात सुनामी के कारणों को बताते हुए उत्तर का समापन कीजिये।
उत्तर:
समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है। इससे ऐसी लंबी और बहुत ऊंची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है जो ज़बरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ता है। इन्हीं लहरों के रेले को सूनामी कहते हैं। दरअसल सूनामी जापानी शब्द है जो सू और नामी से मिल कर बना है सू का अर्थ है समुद्र तट और नामी का अर्थ है लहरें। सुनामी समुद्र में उत्पन्न होने वाली क्रमबद्ध लहरों की एक श्रंखला है जो समुद्र के तल पर पैदा होने वाले भूकंप की वजह से होने वाले पानी के विस्थापन की वजह से होती है।
सूनामी के कारण:
भूकंप:
- पृथ्वी के पिघले हुए कोर से निसृत ऊर्जा की वजह से टेक्टोनिक प्लेटों में संचरण होता है, और वे एक-दूसरे से टकराती हैं, जिससे घर्षण होता है। इस घर्षण के परिणामस्वरूप और अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, और अंततः जब यह ऊर्जा सतह की ओर निकलती है तो यह भूकंप का कारण बनती है।सबसे मजबूत भूकंप निम्नस्खलन जोन (subduction zones) में आते हैं जहां एक महासागर प्लेट महाद्वीपीय प्लेट या किसी अन्य छोटी महासागर प्लेट के नीचे की खिसकती है।
उदाहरण के लिए: ग्रेट चिलीयन अर्थक्वेक’ के नाम से जाना जाने वाला भूकंप ने 25 मीटर तक ऊंची लहरों वाली सूनामी उत्पन्न हुई और इसने दक्षिणी चिली के वालदीविया शहर को तबाह कर दिया था।
- इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के तट पर 2004 की हिंद महासागर सुनामी 9.1 तीव्रता के समुद्र के नीचे के भूकंप के कारण ही आई थी।
भूस्खलन:
- भूस्खलन को सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के बृहत संचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है। तट के किनारे बड़ी मात्रा में होने वाले भूस्खलन सुनामी उत्पन्न कर सकता है। यह प्रायः भूकंप, बाढ़ और ज्वालामुखी के साथ घटित होती हैं। उदाहरण के लिए: 10 जुलाई, 1958 को दक्षिण पूर्व अलास्का - 7.8 तीव्रता के भूकंप के कारण भूस्खलन, चट्टान गिरने और बर्फ गिरने से सूनामी उत्पन्न हो गई ।
ज्वालामुखी विस्फोट:
- जब समुद्र में ज्वालामुखी फटता है तो यह बड़ी मात्रा में समुद्री जल को विस्थापित कर देता है, जिसके कारण सुनामी पैदा होती है। 26 अगस्त, 1883 को इंडोनेशिया के सुंडा जलडमरूमध्य में क्राकताओ ज्वालामुखी के फटने से 40 मीटर ऊंची लहरें पैदा हुई थी। जावा और सुमात्रा दोनों द्वीपों में सुंडा जलडमरूमध्य के साथ तटीय कस्बों और गांवों को नष्ट कर दिया, जिससे 36, 417 लोग मारे गए। अभी हाल ही में 15 जनवरी, 2022 को, दक्षिण प्रशांत में टोंगा में ज्वालामुखी सुनामी का कारण बना।
अलौकिक टक्कर:
- अलौकिक टक्कर (यानी क्षुद्रग्रह, उल्का) के कारण होने वाली सुनामी एक अत्यंत दुर्लभ घटना है। हालांकि हाल के इतिहास में कोई उल्का/क्षुद्रग्रह प्रेरित सुनामी दर्ज नहीं की गई है, वैज्ञानिकों को पता है कि अगर ये आकाशीय पिंड समुद्र से टकराते हैं, तो निस्संदेह बड़ी मात्रा में पानी का विस्थापन होगा और सुनामी उत्पन्न हो सकता है ।वैज्ञानिकों ने गणना की है कि यदि 5-6 किमी व्यास वाला एक मध्यम आकार का क्षुद्रग्रह अटलांटिक महासागर जैसे बड़े महासागर के बेसिन के बीच से टकराता है, तो यह एक सुनामी पैदा करेगा जिसकी ऊंचाई अपलेशियन पर्वत होगी ।
भारत ने सुनामी का शीघ्र पता लगाने और सुनामी के प्रभावों की तैयारी के लिए भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना प्रणाली केंद्र (INCOIS) विकसित किया है।
Q2. समुद्री धाराएँ क्या होती हैं? ये तटीय क्षेत्रों की जलवायु को कैसे प्रभावित करती हैं? व्याख्या कीजिए।
What are ocean currents? How do they affect the climate of coasts? Illustrate.
दृष्टिकोण:
- सबसे पहले उन सभी कारक को स्पष्ट कीजिए जो महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति एवं रूपांतरण के लिए जिम्मेदार हैं और उसके बारे में संक्षेप में बताएं।
- फिर, उदाहरण सहित विस्तार से बताएं कि कैसे महासागरीय धाराएं आसपास के क्षेत्रों की जलवायु का निर्धारण करती हैं।
उत्तर:
महासागरीय धराएं- महासागरीय धराएं महासागरों में नदी प्रवाह के समान है। ये निश्चित मार्ग व दिशा में जल के नियमित प्रवाह को दर्शाते हैं।
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति और रूपांतरण के लिए जिम्मेदार कारक निम्नलिखित हैं:
- उत्पत्ति - यह महासागरीय जल के विभिन्न परतों के घनत्व में भिन्नता के कारण होता है। भारी जल में नीचे की ओर बैठने की प्रवृति होती है और इसके कारण बहुत ज्यादा क्षेत्र में जल अपने स्थान के लिए प्रवाहित होते हैं। यह वैश्विक महासागरीय परिसंचरण को जन्म देता है।
- अन्य कारक- पूर्वी तटों पर जल का संचय गुरुत्वाकर्षण प्रेरित ढलान के अनुकूल गति के लिए प्रेरित करता है।
- ऊष्मा के कारण विस्तार यद्यपि जल को व्यावहारिक रूप असंपीड्यमान माना जाता है तथापि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अतिरिक्त सौर ऊष्मा के कारण मामूली फैलाव से सूक्ष्म ढाल का निर्माण होता है और इस ढाल के अनुरूप जल प्रवाहित होती है।
- रूपांतरण- पवन, तट रेखा, जलप्लावन, बड़ी नदियों का जल विसर्जन, आंशिक रूप से बंद संलग्न समुद्र की उपस्थिति।
- तापन और संचयन के कारण आवधिक व्युत्क्रम वस्तुतः रूपांतरण का कारण बन सकता है, जैसे कि मजबूत प्रति विषुवतीय धारा के कारण एल-नीनो धारा।
- कोरिओलिस बल - यह बल जल को उत्तरी गोलार्द्ध में दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर विक्षेपित करता है। यह सभी महासागरीय बेसिनों में बड़े चक्रीय धाराओं को उत्पन्न करता है। इनमें से एक चक्रीय धारा सारगेसो सागर है।
महासागरीय धाराओं का अपने संबंधित क्षेत्रों की जलवायु पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव होता है। इसे निम्न रूप में समझा जा सकता है:
- उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय महाद्वीपों के पश्चिमी तट ठंडी महासागरीय धाराओं से घिरे रहते हैं। उनका औसत तापमान संकीर्ण दैनिक और वार्षिक परास के साथ अपेक्षाकृत कम होता है, वहां सामान्यतः कोहरे पाए जाते हैं लेकिन शुष्क प्रभाव के कारण ये क्षेत्र शुष्क होते है और इससे तटीय क्षेत्रों में मरुस्थल का निर्माण होता है। उदाहरण- ठंडी पेरू धारा - अटकामा मरुस्थल।
- मध्यम और उच्च अक्षांशों में महाद्वीपों के पूर्वी तट गर्म धाराओं से घिरे होते हैं जो एक विशिष्ट समुद्री जलवायु का कारण होते हैं। वे गर्मियों में ठंडी और अपेक्षाकृत मृदु सर्दियों की विशेषता वाला है। उत्तरी अटलांटिक बहाव जो एक गर्म महासागरीय धारा है, नॉर्वे और यूके की जलवायु को अपेक्षाकृत गर्म रखती है।
- गर्म महासागरीय धाराएं उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अक्षांशों में महाद्वीपों के पूर्वी तटों के लिए समानांतर प्रवाहित होते हैं। इसके परिणामस्वरूप यहाँ गर्म और वर्षावाली जलवायु होती है। जैसे - फ्लोरिडा
- गर्म और ठंडे धारा के मिश्रण वाले क्षेत्रों में कुहरायुक्त मौसम और बूंदा-बांदी होती है।