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SHIKHAR MAINS 2022- DAY 38 Model Answer Hindi

Updated : 20th Sep 2022
SHIKHAR MAINS 2022- DAY 38 Model Answer Hindi

Q1. पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण एक मिथक नहीं बल्कि वास्तविकता है। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये?

Women empowerment through Panchayati Raj Institutions is not a myth but a reality. Critically analyze?

दृष्टिकोण-

                  उत्तर की शुरुआत भूमिका में पंचायती राज व्यवस्था मे महिलाओ की भागीदारी को लिखिए।

                  पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण- वास्तविकता के रूप में लिखिए।

                  पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण- एक मिथक के रूप मे लिखिए।

                  आगे की राह लिखकर निष्कर्ष लिखिए। 

उत्तर-

            लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण की दिशा में 73वां संविधान संशोधन अधिनियम मील का पत्थर साबित हुआ है । विकेन्द्रीकरण की इस प्रक्रिया से समाज के सभी वर्गों को नेतृत्व में हिस्सेदारी प्राप्त हुई।विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली से लोगो की भागीदारी को सुनिश्चित करने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण और समावेशी विकास को बढ़ावा देने मे पंचायती राज व्यवस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।   

महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य - महिलाओं द्वारा लिए गए निर्णयों की स्वतन्त्रता से है । अर्थात महिलाओं की शिक्षा और स्वतन्त्रता को समाहित करते हुए सामाजिक सेवाओं में समान अवसर प्राप्त करने के साथ-साथ,राजनीतिक और आर्थिक नीतियों के निर्धारण में भागीदारी सुनिश्चित करना हैं। महिलाओं को यह महसूस हो सके की स्वतंत्र भारत की राजनीति में वैसे ही भागीदार है, जैसे- पुरुष।

पंचायतों मे महिला आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 243 D के आधार पर महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया। इस अनुच्छेद के तहत महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया गया। हालांकि कुछ राज्यों मे  इसे बढ़ाकर 50 फीसदी तक का भी प्रावधान किया है।  

पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण- वास्तविकता के रूप में;

                  पहली बार पंचायती राज के माध्यम से महिलाओं को प्रशासनिक अधिकार मिले । इससे उनमे आत्मविश्वास का संचार हुआ और राजनीतिक सक्रियता के साथ-साथ स्थानीय क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान हेतु प्रयास करने प्रारम्भ किए ।

                  अनेक महिला प्रधानो ने महिला सरपंचों की सहायता से दहेज, शराब खोरी, अंधविश्वास, रूढ़िगत परम्पराओं का विरोध किया। जैसे- बिहार जैसे प्रदेशों में शराब बंदी में महिलाओं ने, महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

                  पंचायती राज व्यवस्था मे 50 फीसदी के आरक्षण हो जाने से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में जहां राजनीतिक चेतना उत्पन्न हुई ,वहीं उनमें अपने अधिकारों को लेकर जागरूकता भी बढ़ी । 

पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण- एक मिथक के रूप में;

                  भारत मे भले ही महिलाओं के लिए स्थानीय  स्वशासन में  भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया, परंतु इसका वास्तविक लाभ इन्हे प्राप्त नही हो पाता। ज़्यादातर महिला सरपंचो की जगह उनके पति या भाई या सगे संबंधियों द्वारा निर्णय लिया जाता है । निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र नहीं है।

                  कभी-कभी निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के साथ हिंसक घटनाओं तथा यौन उत्पीड़न और समूहिक बलात्कार की भी घटनाएँ सामने आती रही है। 

पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को वास्तविक रूप में बदलने के लिए निम्न लिखित प्रयास किए जाने चाहिए;

                  महिलाओं को शिक्षित करना;

                  पंचायती राज प्रणाली के विषय में प्रशिक्षण प्रदान करना;

                  जागरूकता का प्रचार करना;

                  सामाजिक और कानूनी सहायता  प्रदान करना;

                  परिवार की भूमिका सिर्फ सहयोगात्म्क होनी चाहिए न की निर्णयात्मक;

               निष्कर्षतः कहा जाए, तो पंचायती राज व्यवस्था से ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार तो आया है। परन्तु अभी भी वह महिलाऐं इतनी सशक्त नहीं हुई हैं कि इस व्यवस्था में अपनी जोरदार भूमिका निभा सके। इसके लिए महिलाओं को भी निडर होकर आगे आना होगा, साथ ही सरकार को इसमें व्याप्त कमियों पर ध्यान देकर इससे और सशक्त करने की पहल को बनाये रखना होगा।

 

 


 

Q2. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के कार्यों और शक्तियों की चर्चा कीजिए।

Discuss the functions and powers of the National Commission of Backward classes.

दृष्टिकोण:

                  राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के विषय में बताते हुए  भूमिका की शरुआत कीजिए ।

                  मुख्य भाग में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के कार्य लिखिए ।

                  राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की शक्तियों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर :

                  राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की स्थापना वर्ष 1993 में मंडल मामले के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार किया गया था।

                  इसके पश्चात् , वर्ष 2018 के 102वें संशोधन अधिनियम के अनुसार  इस आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया । इसके लिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 338-B लाया गया।

                  इस संशोधन के साथ आयोग एक वैधानिक निकाय से एक संवैधानिक निकाय बन गया।

संरचना:- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होते हैं। जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इनकी सेवा की शर्तें और कार्यकाल भी राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के कार्य -

आयोग के कार्य निम्नलिखित हैं:-

                  सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए संवैधानिक और अन्य कानूनी सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच और निगरानी करना और उनके कार्यों  का मूल्यांकन करना है।

                  सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा करना और सुरक्षा उपायों से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जांच करना है।

                  सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के सामाजिक आर्थिक विकास में भाग लेना और सलाह देना तथा संघ या राज्य के तहत उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना है।

                  राष्ट्रपति को वार्षिक रूप से या  ऐसे अन्य समयों पर प्रस्तुत करना जो वह उचित समझे, उन रक्षोपायों के कार्यकरण पर रिपोर्ट प्रदान करना है।

                  सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संघ या राज्य द्वारा किए जाने वाले उपायों के बारे में सिफारिशें करना और सामाजिक तथा  शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अन्य उपाय करना है।

                  सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के संरक्षण, कल्याण, विकास और उन्नति के संबंध में ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना, जो राष्ट्रपति निर्दिष्ट कर सकते हैं।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की शक्तियां: -

आयोग को अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्ति प्राप्त है। आयोग, किसी भी मामले की जांच करते समय या किसी शिकायत की जांच करते समय, एक मुकदमे की सुनवाई करने वाले सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां रखता है, जो  विशेष रूप से निम्नलिखित मामलों के संबंध में हैं :-

                  भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को बुलाना और हाजिर कराना तथा  शपथ पर उसका परीक्षण  करना।

                  आवश्यकता होने पर किसी दस्तावेज़ की खोज करना ।

                  हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त करना।

                  किसी भी अदालत या कार्यालय से किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड की मांग करना।

                  दस्तावेजों और गवाहों के परीक्षाण  के लिए समन जारी करना।

                  अन्य  किसी मामला में ,जो राष्ट्रपति निर्धारित कर सकता हो।