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SHIKHAR MAINS 2022- DAY 43 Model Answer Hindi

Updated : 26th Sep 2022
SHIKHAR MAINS 2022- DAY 43 Model Answer Hindi

Q1. सतत विकास लक्ष्य(SDGs) क्या हैं? भारत में सतत विकास लक्ष्य को पूरा करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख कीजिये।        

What are Sustainable Development Goals (SDGs)? Mention the measures taken to meet the Sustainable Development Goals in India.

दृष्टिकोण:

·        पहले भाग में सतत विकास लक्ष्य की पृष्ठभूमि को संक्षिप्तता से बताते हुए लक्ष्यों एवं उसके उद्देश्यों के बारे में संक्षिप्त रूप से बताईये।

·        दूसरे भाग में, भारत में इन लक्ष्यों को पूरा करने हेतु किये जा रहे प्रयासों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिय।

उत्तर:

              सतत विकास एक ऐसा विकास है जो आने वाली पीढ़ियों के हितों से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करता है। सतत विकास की संकल्पना पर्यावरण एवं विकास पर विश्व आयोग के द्वारा दी गयी थी। वर्ष  1992 के पृथ्वी शिखर सम्मेलन में सतत विकास की प्राप्ति हेतु एजेंडा 21 नामक कार्ययोजना अपनाई गई थी। उसके बाद रियो+10(जोहांसबर्ग सम्मेलन)- 2002 में सहस्राब्दी विकास लक्ष्य(एमडीजी) को लागू करने का लक्ष्य रखा गया। सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन(रियो+20) में 7 क्षेत्रों को चिन्हित किया गया था जिनपर प्राथमिकता देकर सतत विकास की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है। इस दस्तावेज में सतत विकास लक्ष्यों(एसडीजी) को विकसित करने हेतु समर्थन प्रदान किया गया था। सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों(जो कि 2015 में समाप्त हो गया था) के स्थान पर आगे का विकास एजेंडा अंगीकृत करने के लिए 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सहस्राब्दी सतत विकास लक्ष्य 2030 को अंगीकृत किया। इसका उद्देश्य 2015 से 2030 तक गरीबी और भुखमरी को समाप्त करके तथा लैंगिक समानता सुनिश्चित करके समावेशी विकास को बढ़ावा देना है। इसमें अगले 15 साल के लिए(2015-2030) 17 लक्ष्य तथा 169 प्रयोजन तय किए गए।

सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने हेतु भारत द्वारा किए गए प्रयास:

·        भारत ने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के दिशा में जलवायु परिवर्तन संबंधी संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा अभिसमय(UNFCCC) तथा जैव विविधता संबंधी अभिसमय(सीबीडी) पर हस्ताक्षर किया है।

·        राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2006 के द्वारा स्वच्छ पर्यावरण तथा पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन;

·        पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को दूर करने हेतु राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम 2010 के माध्यम से एनजीटी का गठन;

·        भारत में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यापक नीतियां और कार्यक्रम बनाए गए हैं। जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत 8 उप मिशन के द्वारा बहुआयामी एवं व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है।

o   राष्ट्रीय सौर मिशन- 2022 तक 100 गीगावॉट नवीकरणीय सौर ऊर्जा उत्पादन; अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाएं;ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर; अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन आदि।

o   राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन- 2022 तक 10000 मेगावाट ऊर्जा बचत का लक्ष्य;

o   राष्ट्रीय सतत पर्यावास मिशन - नगरीय परिवहन,ऊर्जा दक्षता,ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आदि पर ध्यान; ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता; अमृत; स्मार्ट सिटी आदि;

o   राष्ट्रीय जल मिशन -  जल उपयोग की दक्षता बढ़ाना, बेसिन प्रबंधन आदि;

o   हिमालय पारितंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय अभियान

o   राष्ट्रीय हरित भारत मिशन- वनारोपण;

o   राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन

o   राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन रणनीतिक ज्ञान मिशन;

इसके अलावा सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए और अभियान/कार्यक्रम चलाए गए हैं-

·        मनरेगा

·        राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान

·        राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

·        इंटीग्रेटेड वॉटरशड मैनेजमेंट प्रोग्राम

·        परफॉर्म अचीव ट्रेड योजना

·        सोलर रूफटॉप इन्वेस्टमेंट कार्यक्रम

·        प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

·        स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम  

·        आयुष्मान भारत

·        स्वच्छ भारत अभियान एवं अन्य।

           भारत को यदि एजेंडा 2030 में तय लक्ष्यों को प्राप्त करना है, तो इस तरह की नीति बनानी पड़ेगी जो सभी क्षेत्रों में क्रियान्वित नीतियों से सामंजस्य स्थापित करती हो। साथ ही प्रशासनिक एवं छोटे स्तर पर इन नीतियों के क्रियान्वयन हेतु सामंजस्य तथा भागीदारी पर ध्यान देना होगा। गौरतलब है कि हम सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों को वर्ष 2015 तक नहीं प्राप्त कर सके थे तो इसका मुख्य कारण यह था कि इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिये तय नीतियों का क्रियान्वयन सशक्त नहीं था। सतत विकास के लक्ष्यों को यदि हम 2030 तक प्राप्त कर लेते हैं तो भारत एक विकसित तथा समृद्ध राष्ट्र बन सकता है।

 


 

Q2. आर्थिक विकास एवं समावेशी विकास में अंतर स्पष्ट करते हुए समावेशी विकास के विभिन्न घटकों का उल्लेख कीजिये।

Explaining the difference between economic development and inclusive development, discuss the various components of inclusive development.

 

दृष्टिकोण  -

·        प्रश्न के प्रथम भाग में आर्थिक विकास व समावेशी विकास को परिभाषित करते हुए  अवधारणा को स्पस्थ कीजिये।     

·        द्वितीय भाग में इनके बीच अंतर स्थापित कीजिये।

·        निष्कर्ष में दोनों के संबंध की चर्चा कर सकते हैं।

उत्तर:

             किसी देश के द्वारा अपनी वास्तविक आय को बढ़ाने के लिए सभी उत्पादक साधनों का कुशलतम प्रयोग आर्थिक विकास कहलाता है। यह एक लगातार या निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें साधनों की पूर्ति एवं वस्तु संबंधी मांग समय-समय पर बदलती रहती है। आर्थिक विकास में सामान्य जनता के जीवन-स्तर में सुधार होता है तथा सरकार द्वारा कल्याणकारी कार्यों में वृद्धि की जाती है। आर्थिक विकास से वास्तविक राष्ट्रीय व प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है।

          समावेशी विकास: समान अवसरों के साथ विकास करना ही समावेशी विकास है। दूसरे शब्दों में ऐसा विकास जो न केवल नए आर्थिक अवसरों को पैदा करे, बल्कि समाज के सभी वर्गो के लिए सृजित अवसरों की समान पहुंच को भी सुनिश्चित करे, उस विकास को हम समावेशी विकास कह सकते हैं। यह समाज के सभी सदस्यों की इसमें भागीदारी और योगदान को सुनिश्चित करता है। विकास की इस प्रक्रिया का आधार समानता है। जिसमें लोगों की परिस्थितियों को ध्यान में नहीं रखा जाता है।

आर्थिक विकास एवं समावेशी विकास में अंतर:

1.      आर्थिक विकास मुख्य रूप में आर्थिक वृद्धि द्वारा जनता के विकास की आकांक्षा की जाती है। जबकि समावेशी विकास, आर्थिक वृद्धि हेतु अवसरों के सृजन को भी प्रोत्साहित करता है।

2.      समावेशी विकास समाज के सभी वर्गों को लक्षित करता है। जबकि आर्थिक विकास विशेष रूप से लक्षित नहीं करता है।

3.      आर्थिक विकास का आधार आर्थिक संवृद्धि है जबकि समावेशी विकास का आधार समानता है।

4.      आर्थिक विकास में लोगों की परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा जाता है जबकि समावेशी विकास में लोगों की परिस्थितियों का ध्यान रखा जाता है।

5.      आर्थिक विकास समावेशी विकास को सुनिश्चित नहीं करता है।

6.      आर्थिक विकास यदि आय असमानता को उत्पन्न करता है तो समावेशी विकास दुर्लभ हो जाता है।

7.      किसी देश के दीर्घकालिक विकास के लिए समावेशी विकास आवश्यक होता है।  

भारत जैसे विकासशील देश में दोनों की अपेक्षा की जाती है। आर्थिक विकास को समावेशी विकास के रूप में स्थापित करके जनता के कल्याण के साथ साथ देश का दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।