Back to Blogs

SHIKHAR MAINS 2022- DAY 46 Model Answer Hindi

Updated : 29th Sep 2022
SHIKHAR MAINS 2022- DAY 46 Model Answer Hindi

Q1. विद्युत गतिशीलता (ई-मोबिलिटी) के महत्व और भारत में विद्युत गतिशीलता (ई-मोबिलिटी) को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे क़दमों की व्याख्या कीजिए। 

Explain the importance of electric mobility and the steps being taken by the government to promote electric mobility in India.

दृष्टिकोण:

·        उत्तर की शुरुआत विद्युत गतिशीलता का सामान्य परिचय देते हुए कीजिए।

·        इसके पश्चात विद्युत गतिशीलता के महत्व की चर्चा करते हुए उत्तर को विस्तारित कीजिए।

·        अंत में विद्युत गतिशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए उत्तर का समापन कीजिए।

उत्तर:

विद्युत गतिशीलता में परिवहन के लिए एक या अधिक विद्युत चलित वाहनों का उपयोग करना शामिल है। वर्तमान में, विद्युत आधारित परिवहन छोटी दूरी की यात्राओं और कम वजन (साइकिल, स्कूटर और इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल के साथ) के साथ-साथ लंबी दूरी की यात्राओं तथा भारी वजन (इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन वाहनों के साथ) हेतु समाधान प्रदान करती है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती चिंताओं के कारण भारत में विद्युत चलित वाहनों की मांग बढ़ने की संभावना है।

मुख्य भाग:

भारत में विद्युत चलित वाहनों की बिक्री में वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में वित्त वर्ष 2019-2020 में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। हाल के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 2022 तक, भारत में अधिकांश उपभोक्ता विद्युत चलित वाहन खरीदने पर विचार करेंगे।

विद्युत गतिशीलता का महत्व:

·        विद्युत चलित वाहनों की संख्या में वृद्धि भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे वाहन लंबे समय में टिकाऊ और लाभदायक होते हैं।

·        विद्युत चलित वाहनों को अपनाने से कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी और घरेलू ऊर्जा स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी तथा कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।  

·        PM 2.5 सांद्रता के मामले में दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 शहर भारत के हैं। विद्युत गतिशील वाहनों को अपनाने से देश को लाभ होगा क्योंकि इससे वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में काफी कमी आएगी।

·        विद्युत चलित वाहनों को अपनाना आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से व्यवहार्य विकल्प है।

·        विद्युत चलित वाहनों को अपनाना शहरों को स्वच्छ रखने, नए बाजार बनाने और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में नई नौकरियों के लिए लोगों को कौशल प्रदान करने का एक दीर्घकालिक समाधान होगा।

सरकारी प्रयास - 

राष्‍ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020:

·        यह एक राष्ट्रीय मिशन दस्तावेज है जो देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और उन्हें अपनाने के लिए दृष्टिकोण और रोडमैप प्रस्तुत करता है।

·        यह योजना राष्ट्रीय ईंधन सुरक्षा को बढ़ाने, सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रदान करने और भारतीय मोटर वाहन उद्योग को वैश्विक विनिर्माण नेतृत्व में सक्षम करने हेतु तैयार की गई है।

·        NEMMP 2020 के तहत वर्ष 2020 तक 6-7 मिलियन हाइब्रिड और विद्युत चलित वाहनों की बिक्री करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है।

हाइब्रिड और विद्युत चलित वाहनों को तेजी से अपनाना और निर्माण करना:

·        फेम- I:

o   सरकार ने 2015 में INR 8.95 बिलियन (USD 130 मिलियन) के परिव्यय के साथ - फेम (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and EV-FAME) योजना शुरू की थी, जिसके अंतर्गत विद्युत चलित 2- और 3-व्हीलर, हाइब्रिड और ई-कारों एवं बसों के लिए सब्सिडी प्रदान की गई।

·        फेम-II:

o   सरकार ने 1 अप्रैल 2019 से शुरू हुई 3 वर्षों की अवधि के लिए 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ फेम योजना के द्वितीय चरण को मंजूरी दे दी है। कुल बजटीय सहायता में से लगभग 86 प्रतिशत निधि मांग प्रोत्साहन के लिए आवंटित की गई है।

देश में विद्युत चलित वाहनों की मांग उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहन;

v  सरकार ने 2022 तक वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उपयोग होने वाली इलेक्ट्रिक बसों, तिपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया है और चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए के लिए अलग से $135 मिलियन निर्धारित किए हैं।

v  फेम इंडिया योजना के चरण- I से प्राप्त अनुभव के आधार पर, यह देखा गया है कि योजना के अपेक्षित परिणाम हेतु पर्याप्त संख्या में चार्जिंग बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है, जिसे वर्तमान में फेम योजना के चरण- II में संबोधित किया जा रहा है।

नीति आयोग का प्रस्ताव:

·        नीति आयोग द्वारा बैटरी निर्माताओं के लिए 4.6 अरब डॉलर की सब्सिडी का प्रस्ताव किया गया है।

·        इन नीतियों में 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर चलाने का दृष्टिकोण अंतर्निहित हैं।

·        भारत में आधार स्थापित करने के लिए विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियों को आकर्षित करना:

·        प्रमुख जापानी ऑटोमोबाइल सुजुकी मोटर ने गुजरात में एक विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए जापानी ऑटोमोटिव घटक निर्माता डेंसो और बहुराष्ट्रीय समूह तोशिबा के साथ एक सहायता संघ का गठन किया है। यह इकाई लिथियम-आयन बैटरी और इलेक्ट्रोड के उत्पादन करेगी।

खनिज संपदा की खोज:

·        लिथियम की उपलब्धता तथा घरेलू बाजारों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों की आपूर्ति वाले संयुक्त उद्योग की संभावनाओं की सटीक सूचना के लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेज कर अग्रगामी कार्रवाई की है।

·        लिथियम और कोबाल्ट की स्थिर आपूर्ति को सुनिश्चित करने की आवश्यकता ने भारत की राष्ट्रीय एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) और मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MECL) को खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) नामक एक सहायता संघ बनाने के लिए प्रेरित किया। यह विदेशों में लिथियम और कोबाल्ट जैसी महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान करेगा ताकि व्यावसायिक उपयोग और बैटरी निर्माताओं की घरेलू आवश्यकता पूर्ति की जा सके।

उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI):

·        18,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन के साथ उन्नत रसायन सेल (ACC) के लिए सरकार की PLI योजना से निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है।  

निष्कर्ष:

भारत का लक्ष्य 2030 तक 100% विद्युत चलित वाहनों का उपयोग करना है। सरकारी सहायता में वृद्धि, प्रौद्योगिकी की घटती लागत, विद्युत चलित वाहनों में देश की बढ़ती रुचि, प्रदूषण के स्तर को कम करने जैसे कई कारक सामूहिक रूप से भारत के विद्युत चलित वाहनों में संक्रमण को बढ़ावा देंगे और सरकार को अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सक्षम बनाएंगे।

 


 

Q2. भारत में प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित प्रमुख कानूनों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।   

Briefly discuss the major laws related to pollution control in India.

दृष्टिकोण:

·        प्रदूषण को परिभाषित करते हुए भूमिका लिखिए।

·        प्रदूषण नियंत्रण में क़ानूनी प्रावधानों की भूमिका व महत्व को बताइए।

·        भारत में प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित प्रमुख कानूनों की बिन्दुवार चर्चा कीजिए।

उत्तर: 

              प्राकृतिक पर्यावरण में अवांछनीय पदार्थों के प्रवेश के कारण पर्यावरण के गुण-धर्म में होने वाला परिवर्तन जो प्राकृतिक असंतुलन पैदा करता है, प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण से वायु, जल, मिट्टी आदि में अवांछित पदार्थों का प्रविष्ट होता है, जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बिगड़ता है।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई वैधानिक व विधानेत्तर उपाय किये जाते हैं . विधानेतर उपायों में शिक्षा, जन जागरूकता तथा विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है तथापि वैधानिक या कानूनी उपायों के माध्यम से एक प्रभावी दबाव उत्पन्न किया जाता है और यह कानूनी रूप से जिम्मेदारियों को तय करती है तथा जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करने पर दंड का भी प्रावधान होता है, जो बहुत हद तक एक सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है।

भारत में प्रदूषण नियंत्रण हेतु पर्यावरणीय क़ानून : प्रदूषण नियंत्रण हेतु समय- समय पर भारतीय संसद द्वारा विभिन्न विधियों का निर्माण किया गया है।  इनमें प्रमुख विधियों को हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं-

1- पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986

·        यह एक अम्ब्रेला क़ानून है, जो पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण हेतु सरकार को वृहद् अधिकार प्रदान करता है।

·        इसकी धारा 3 के तहत केंद्र सरकार को विशेष अधिकार प्रदान किया गया है. जिसके द्वारा केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश , नियमों की अधिसूचना एवं वैधानिक संस्थाएं बनाया जाना। पर्यावरण सुरक्षा संबंधित दिशा निर्देश का अनुपालन एवं नियमों का पालन नहीं होने पर दंड का प्रावधान। नागरिक मुकदमा दायर करने का प्रावधान।

2- वायु प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण अधिनियम) ,1981

·        CPCB एवं SPCB को वायु प्रदूषण के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए विशेष अधिकार दिया गया है।

·        वायु की गुणवत्ता संबंधित मानक / मापदंड CPCB द्वारा किया जाना एवं प्रकाशित किया जाना।

·        वायु की गुणवत्ता का समय-समय पर निगरानी एवं डाटा इकठ्ठा CPCB द्वारा किया जाना एवं प्रकाशित किया जाना।

·        राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता कार्यक्रम , वाहन इंधन नीति , वायु गुणवत्ता सूचकांक आदि , AQI

·        ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण का प्रावधान।

·        कल-कारखाना / औद्योगिक इकाई का वायु प्रदूषण संबंधित मानदंड CPCB द्वारा निर्धारित किया जाना एवं उल्लंघन पर SPCB द्वारा नोटिस जारी करना तथा कार्यवाई करना।

3- जल प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974

·        केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( CPCB ) एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( SPCB ) की स्थापना इस अधिनियम के अंतर्गत किया गया।

·        जल प्रदूषण के रोथाम संबंधित दिशा निर्देश।

·        CPCB एवं SPCB द्वारा समय-समय पर कुआं, झरना, झील, नदी इत्यादि से जल के नमूने का जांच प्रयोगशाला में किया जाना।

·        कल-कारखाना / औद्योगिक इकाइयों के लिए मानक तैयार करना।

·        ऐसे कल-कारखाना / औद्योगिक इकाई जिसके द्वारा मानकों को पूरा नहीं किया जाना उसके खिलाफ़ दंड का प्रावधान एवं SPCB / CPCB द्वारा बंद किया जाना।

इसके अतिरिक्त वैधानिक संस्था के रूप में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ( NGT ) की स्थापना भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा है।