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SHIKHAR MAINS 2022- DAY 47 Model Answer Hindi

Updated : 30th Sep 2022
SHIKHAR MAINS 2022- DAY 47 Model Answer Hindi

Q1. भारत में साइबर सुरक्षा के लिए क्या चुनौतियाँ हैं? साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख कीजिए ।

What are the challenges to cyber security in India? Also mention the steps taken by government to ensure cyber security.

दृष्टिकोण:

·        उत्तर की शुरुआत साइबर सुरक्षा को परिभाषित करते हुए कीजिये।

·        इसके बाद साइबर सुरक्षा के समक्ष चुनौतियों को बताते हुए उत्तर को विस्तारित कीजिये।

·        पुनः साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाये गए क़दमों को बताइए।

·        अंत में साइबर सुरक्षा के संदर्भ में आगे की राह बताते हुए उत्तर का समापन कीजिये।

उत्तर:

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अनुसार, “साइबर सुरक्षा से सूचना, उपस्कर, कंप्यूटर संसाधन, संचार युक्ति और उनमें संग्रहित/भंडारित सूचना को अप्राधिकृत पहुंच, उपयोग, प्रकटन, विच्छिन्न, उपांतरण या नाश से संरक्षित करना अभिप्रेत है।”

साइबर सुरक्षा के समक्ष चुनौतियाँ -

·        साइबर अपराध के मामले में अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे नंबर पर है। आज भारत की बड़ी आबादी डिजिटल जिंदगी जी रही है। अधिकांश लोग बैंक खाते से लेकर निजी गोपनीय जानकारी तक कंप्यूटर और मोबाइल फोन में रखने लगे हैं तथा हैकिंग की वारदातें भी बढ़ती जा रही हैं।

·        देश में अनेक ऐसी विदेशी कंपनियां सेवाएं दे रही हैं जिनका सर्वर अपने देश में नहीं है। ऐसी कंपनियों को निगरानी की जद में रखना एक बड़ी चुनौती है।

·        अगर साइबर अपराध पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो साइबर हमलावर न्यूक्लियर प्लांट, रेलवे, ट्रांसपोर्टेशन और अस्पतालों जैसी महत्वपूर्ण जगहों पर कंट्रोल कर सकते हैं, जिसके नतीजे में पावर फेलियर, वाटर पॉल्युशन, बाढ़ जैसी गंभीर समस्या उत्पन हो सकती है।

·        हम डिजिटल इंडिया और कैशलेस अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं, पर डिजिटल प्राइवेसी और डेटा की सुरक्षा के लिए हमारा कानूनी ढांचा बहुत ही प्रारंभिक या निम्न स्तर का है।

·        इसकी एक चुनौती यह भी है कि हमलावर को खोजना या उनका पता लगाना कठिन होता है। यहाँ तक कि हमलावर, लक्ष्य (जिस पर हमला किया गया है) को भ्रमित कर यह भी प्रतीत करवा सकते हैं कि हमला कहीं और से हुआ है।

·        किसी भी प्रकार की भौगोलिक बाधाओं की अनुपस्थिति, हमलावरों को विश्व भर में कहीं से भी हमला करने में सक्षम बनाती है।

·        अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता: राष्ट्रीय हित के दृष्टिकोण से भी देखें तो साइबर स्पेस की प्रकृति मूल रूप से अंतर्राष्ट्रीय है। यदि किसी भी देश को अपने नागरिकों के लिए प्रासंगिक साइबर स्पेस की कार्यक्षमता का संरक्षण करना हो तो उसके लिए साइबर स्पेस के किसी भी भाग में घटित होने वाली घटनाओं की उपेक्षा करना संभव नहीं है।

·        वैश्विक घटनाक्रम पर निगरानी रखने, विकसित होते प्रतिद्वंद्वियों और प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकी हेतु निवेश, कुशल श्रमशक्ति और एक अनुकूल पारितंत्र की आवश्यकता होती है।

साइबर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम :

·        सरकार ने अलग-अलग माध्यमों के जरिए प्रचार के लिए MyGov से अनुबंध किया. इसके अलावा युवाओं के लिए हैंडबुक छापी गई. वहीं पुलिस विभाग की मदद से सी-डैक के माध्यम से साइबर सुरक्षा जागरुकता सप्ताह का आयोजन किया गया. साइबर स्पेस के लिए साइबर स्वच्छता- क्या करें और क्या ना करें का मैनुअल जारी किया गया।

·        भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केन्द्र (आई4सी) - साइबर क्राइम के विरुद्ध लड़ने में नोडल बिंदु के रूप में कार्य करता है|

·        साइबर क्राइम को रोकने के लिए सरकार ने साइबर दोस्त ट्विटर हैंडल को लॉन्च किया और इस पर अबतक 1066 से ज्यादा साइबर सुरक्षा टिप्स साझा किए जा चुके हैं. इस ट्विटर अकाउंट के 3.64 लाख से ज्यादा के फॉलोवर हैं।

·        भारत में ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000’ पारित किया गया जिसके प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के प्रावधान सम्मिलित रूप से साइबर हमलों के प्रभाव से निपटने के लिये पर्याप्त हैं।

·        सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धाराएँ 43, 43, 66, 66बी, 66सी, 66डी, 66, 66एफ, 67, 67, 67बी, 70, 72, 72ए और 74 हैकिंग और साइबर अपराधों से संबंधित हैं।

·        सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013’ जारी की गई जिसके तहत अति-संवेदनशील सूचनाओं के संरक्षण के लिये ‘राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure protection centre-NCIIPC) का गठन किया।

·        इसके अंतर्गत 2 वर्ष से लेकर उम्रकैद तथा दंड अथवा जु़र्माने का भी प्रावधान है।

·        विभिन्न स्तरों पर सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में मानव संसाधन विकसित करने के उद्देश्य से सरकार ने ‘सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता’ (Information Security Education and Awareness: ISEA) परियोजना प्रारंभ की है।

·        साइबर सुरक्षा के खतरों का विश्‍लेषण करने, अनुमान लगाने और चेतावनी देने के लिये भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया टीम (CERT-IN) को नोडल एजेंसी बनाया गया।

·        भारत सूचना साझा करने और साइबर सुरक्षा के संदर्भ में सर्वोत्तम कार्य प्रणाली अपनाने के लिये अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों के साथ समन्वय कर रहा है।  

·        देश में साइबर अपराधों से समन्वित और प्रभावी तरीके से निपटने के लिये 'साइबर स्वच्छता केंद्र' भी स्थापित किया गया है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology-MeitY) के तहत भारत सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम का एक हिस्सा है।

·        सरकार ने साइबर सुरक्षा से संबंधित फ्रेमवर्क का अनुमोदन किया है। इसके लिये राष्‍ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को नोडल एजें‍सी बनाया गया है।

·        हालांकि, भारत में साइबर सुरक्षा की जांच के लिए ये उपाय महत्वपूर्ण तो हैं परन्तु पर्याप्त नही हैं इसलिए हमें इन पहलुओं पर आगे कार्य करने की आवश्यकता है।

आगे की राह:

·        जागरुकता पैदा करना: साइबर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता और महत्व के विषय में लोगों और संस्थानों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है, जिससे वे ऐसे हमलों की तुरंत रिपोर्ट कर सके, ताकि त्वरित कार्रवाई की जा सके।

·        संसाधनों को सशक्त बनाना: वित्त और मानव शक्ति के संदर्भ में इस क्षेत्र को पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए।

·        आक्रामक क्षमता: केवल रक्षात्मक होने की बजाय आक्रामक क्षमताओं को भी विकसित करने की आवश्यकता है।

·        इंटीग्रेटेड साइबर सिक्‍यूरिटी कमांड: वर्तमान में, हम साइबर सुरक्षा की क्षेत्र-विशिष्ट नीति का पालन करते हैं, जो समन्वित प्रयासों को बाधित करती हैं।

·        इसलिए हमें एक इंटीग्रेटड साइबर सेक्यूरिटी कमांड की आवश्यकता है।

·        देश में साइबर कानून को कठोर बनाने की आवश्यकता है।

 


 

Q2. भारत में संगठित अपराध को नियंत्रित करने से संबद्ध प्रमुख मुद्दे कौन-से हैं? चर्चा कीजिए कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई में संगठित अपराध से निपटना कैसे एक महत्वपूर्ण कदम है।

What are the major issues in controlling organized crime in India? Discuss how tackling organized crime is an important step in India’s fight against terrorism.

दृष्टिकोण:

·        परिचय में संगठित अपराध का संक्षेप में वर्णन कीजिये।

·        भारत में संगठित अपराध को नियंत्रित करने से सम्बंधित चुनौतियों को चिह्नित कीजिये और उनका विस्तृत विवरण दीजिये।

·        संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंधों को स्पष्ट कीजिये और साथ ही यह भी समझाइये कि किस प्रकार संगठित अपराध को समाप्त करना आतंकवाद के उन्मूलन हेतु महत्वपूर्ण है।

उत्तर:

संगठित अपराध संचालन का दायरा अवैध रूप से संरक्षण की अर्थव्यवस्था ( illegal protection economies) और जबरन वसूली रैकेट से लेकर साइबर अपराध, तेल चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, जालसाजी, समुद्री पायरेसी और अवैध रूप से दवाओं, मानव, बंदूकों और वन्यजीवों की तस्करी तक विस्तृत है। इन गतिविधियों ने राजनीतिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थिरता को कमजोर किया; निवेशकों को नुकसान पहुंचाया; स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा को अवरुद्ध किया; अंतरराज्यीय और विदेशी वाणिज्य पर बोझ बढाया; घरेलू सुरक्षा को खतरा उत्पन्न किया और लोगों के व्यापक कल्याण को नुकसान पहुंचाया है।

भारत में संगठित अपराध को नियंत्रित करने से सम्बंधित प्रमुख चुनौतियाँ:

·        संगठित अपराधों का सामना करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की समन्वय एजेंसी का अभाव है जो संगठित अपराधों से संबंधित खुफिया सूचनाएं एकत्र करने, कानून प्रवर्तन अधिकारियों को प्रशिक्षित करने तथा पीड़ितों के बचाव और पुनर्वास कार्यो में समन्वय करने में सक्षम हो ।

·        कमजोर आपराधिक न्याय प्रणाली: राज्य आपराधिक न्याय प्रणाली एजेंसियों के लिए पर्याप्त संसाधनों को मुहैया कराने की स्थिति में नहीं हैं। पुलिस कर्मियों की संख्या अपर्याप्त है। जांच के लिए प्रशिक्षण सुविधाओं का अभाव है। गवाहों की सुरक्षा और लम्बित मामलों की बढ़ती संख्या इत्यादि स्थिति को और भी विकट बना देती हैं।

·        लोगों की कम भागीदारी: पुलिस उत्पीड़न या अपराधियों के भय से लोग पुलिस की मदद करने के लिए तैयार नहीं है ।

·        वैश्वीकरण- इसने संगठित अपराधों को सीमा रहित कर दिया है जिसके फलस्वरूप इसका पता लगाना और इनकी निगरानी करना अत्यधिक कठिन हो गया है।

·        संगठित अपराधियों का तकनीकी विशेषज्ञताओं से युक्त होना: नई प्रौद्योगिकियों के आगमन ने अपराधियों द्वारा परंपरागत तरीकों से किये जाने वाले वित्तीय अपराधों को नए तरीकों से करने हेतु कई नवीन संभावनाएं उत्पन्न की हैं।

·        अपराधी, राजनीतिज्ञ और नौकरशाही के बीच गठजोड़ : भ्रष्टाचार से प्रभावित राज्य नशीले पदार्थों की तस्करी, मनी  लॉन्डर्स आदि का शिकार हो जाते हैं। यह स्थिति अराजकता को प्रोत्साहित करती है। इस प्रक्रिया में विधि का शासन तथा लोकतांत्रिक परम्पराएं कमजोर होने लगती हैं।

·        छिद्रिल सीमाएं (Porous borders) - नशीली दवाओं और मानवों की तस्करी- दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम एशिया के बीच भारत की रणनीतिक अवस्थिति (strategic location), भारत  में अवैध अफीम की आपूर्ति का मुख्य आधार है । इन कारकों के कारण भारत नशीली दवाओं के व्यापार के पारगमन  का क्षेत्र बन जाता है।

·        वित्तीय प्रणाली की कमजोरी - नकद अर्थव्यवस्था की व्यापकता, हवाला के माध्यम से समानांतर लेनदेन, मनी लॉन्ड्रिंग आदि।

आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए संगठित अपराध से निपटना:

संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच एक निकट सहजीविता (close symbiotic) का संबंध है। आतंकवादी समूह को, चाहे वह स्वदेशी हो या बाहर के राज्यों द्वारा प्रायोजित हों, सुरक्षा बलों के विरुद्ध उनकी लड़ाई के लिए हथियारों और धन की आवश्यकता होती है। जबकि संगठित अपराध समूहों को ग्राहकों और वाहकों की आवश्यकता होती है जो उन्हें भुगतान कर सके तथा विभिन्न देशों एवं क्षेत्रों में नशीली दवाओं, मानवों और हथियारों की तस्करी कर सके। भारतीय सन्दर्भ में, इन दोनों के बीच संबंध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर मौजूद है। उदाहरण के लिए:

·        उत्तर-पूर्व में आतंकवादी संगठन अवैध नशीली दवाओं, हथियार और मानव तस्करी के माध्यम से धन जुटाते हैं।

·        कश्मीर में आतंकवादी नकली मुद्रा के मुख्य वाहक हैं, जहाँ से यह पुरे भारत में प्रसारित होती है। 1993 के मुंबई बम विस्फोट, 26/11 के मुंबई हमले आदि ने आतंकवाद और संगठित अपराध के बीच संबंध को उजागर किया है।

इसलिए, आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए संगठित अपराध को रोकना भी आवश्यक है। हालांकि संगठित अपराध 1990 के दशक की तुलना में कम हुए हैं किन्तु अभी भी आपराधिक समूह देश के विभिन्न भागों में कार्यरत हैं। सरकार द्वारा काले धन, बेनामी संपत्तियों, मनी लॉन्डरिंग, UAPA, विशेष अदालतों आदि द्वारा संगठित अपराध को रोकने का प्रयास किया गया है। हालांकि, इस सम्बन्ध में और भी बहुत कुछ किया जा सकता है:

·        खुफिया सूचनाएं जुटाने के लिए CCTNS (Crime and Criminal Tracking Network & Systems) को लागू करना और विभिन्न एजेंसियों के बीच इन सूचनाओं को साझा करना ।

·        राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र (National Counter Terrorism Centre : NCTC) को संघीय आतंक विरोधी एजेंसी के रूप में विकसित करना ।

·        पुलिस और जांच एजेंसियों की क्षमता को मजबूत बनाना।

·        POCA, लोकपाल आदि के प्रभावी कार्यान्वयन द्वारा भ्रष्टाचार पर रोक लगा कर अपराधी - राजनीतिज्ञ नौकरशाही गठजोड़ को तोड़ा जा सकता है।

·        गवाहों की सुरक्षा और इनके प्रति पुलिस की संवेदनशीलता।

·        लोगों की भागीदारी जिसमे लोग सुरक्षा एजेंसियों के नाक और कान बन कर उनकी मदद कर सकें ।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र को संगठित अपराध जांच एजेंसी (Organized Crime Investigating Agency: OCIA) की स्थापना के निर्देश दिए। यह संगठित अपराध से निपटने में एक सकारात्मक कदम हो सकता है, परिणामतः इससे आतंकवाद को रोकने में सहायता प्राप्त होगी।