Q1. अभिशासन में ईमानदारी(Probity in Governance) से आप क्या समझते हैं? साथ ही, अभिशासन में ईमानदारी को सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कुछ आधारभूत सिद्धांतों पर चर्चा कीजिये।
What do you understand by Probity in Governance? Also, discuss some of the basic principles needed to ensure probity in governance.
दृष्टिकोण:
· अभिशासन में ईमानदारी (Probity in Governance) तथा उसकी आवश्यकता के बारे में संक्षिप्तता से बताते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिये।
· अगले भाग में, अभिशासन में ईमानदारी को सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कुछ आधारभूत सिद्धांतों पर चर्चा कीजिये।
· निष्कर्षतः, अभिशासन में ईमानदारी/शुचिता सुनिश्चित करने हेतु कुछ उपायों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
ईमानदारी का अर्थ व्यापक अर्थों में लिया जाता है जिसमें न्यायनिष्ठा, सत्यनिष्ठा तथा स्पष्टवादिता जैसे सद्गुणों को शामिल किया जाता है। अभिशासन में ईमानदारी किसी दी गयी प्रक्रिया में व्यक्ति के नैतिक व्यवहार का साक्ष्य होता है। यह अंग्रेजी में लैटिन भाषा के Probity शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ सिद्ध सत्यनिष्ठा होता है। अभिशासन में ईमानदारी चरित्र का वह संयुक्त/संयोजित रूप है जिसके तहत व्यक्ति अपने व्यवहार में सशक्त एवं उच्चतर मानकीय मूल्यों यथा- सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और भद्र/शिष्ट व्यवहार को प्रतिबिंबित करता है। यह जोखिम प्रबंधन दृष्टिकोण से जुड़ा है जिसके तहत सत्यनिष्ठ प्रक्रियाओं का सहारा लेकर संभावित जोखिम की पहचान करने और उसके समाधान के लिए रणनीति बनाने का प्रयास होता है।
अभिशासन तथा सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठ होना आवश्यक है। सरकारी क्षेत्र में ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करना प्रत्येक लोकसेवक का कर्तव्य होना चाहिए एवं यह प्रशासन के प्रत्येक स्तर में जैसे- कार्यप्रणाली, पद्धति तथा आचरण में परिलक्षित होना चाहिए ताकि प्रशासन में नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करके नैतिक अभिशासन की प्राप्ति की जा सके। अभिशासन में ईमानदारी नैतिक अभिशासन का आधारस्तंभ है। यह ना सिर्फ गुणात्मक लोकतंत्र के लिए आवश्यक है अपितु यह सत्तत विकास लक्ष्यों को भी प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
इस दिशा में नोलन समिति द्वारा दिए गये सार्वजनिक जीवन के 7 सिद्धांतों का अपना महत्त्व है-
· जबावदेहिता(Accountability)- लोकसेवकों को अपने द्वारा लिए गये निर्णयों या कर्तव्यों के निर्वहन के तरीकों के औचित्य की व्याख्या करने में सक्षम होना चाहिए तथा पद से जुड़ी प्रत्येक जांच के लिए तैयार रहना चाहिए।
· पारदर्शिता(Transparency) ताकि प्रशासनिक मशीनरी के समुचित संचालन से सभी हितधारकों का प्रणाली में भरोसा और विश्वास हो(अपवादस्वरूप- राष्ट्र की सुरक्षा हेतु गोपनीयता);
· गोपनीयता/विश्वसनीयता(Confidentiality)- संवेदनशील जानकारी के संदर्भ में सभी सार्वजनिक अधिकारियों विशेषकर कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों के निष्पादन के लिए उत्तरदायी सार्वजनिक अधिकारियों में सूचनाओं की गोपनीयता बरकरार रहने का गुण होना चाहिए। हालाँकि पारदर्शिता तथा गोपनीयता के बीच सूक्ष्म संतुलन बनाते हुए प्रशासनिक न्याय की अवधारणा पर उन्हें आगे रहना चाहिए।
· निःस्वार्थता- स्वंय अपने, अपने परिवार या मित्रों के लिए वित्तीय या अन्य लाभ प्राप्त करने से बचते हुए पूर्णतः सार्वजनिक हित में निर्णय लेना चाहिए।
· सत्यनिष्ठता- स्वंय को बाहरी व्यक्तियों/संगठनों के प्रति किसी भी वित्तीय या अन्य दायित्व से संबद्ध नहीं करना जिससे आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में प्रभाव आने की आशंका हो।
· वस्तुनिष्ठता- सार्वजनिक नियुक्तियों, ठेका/अनुबंध प्रदान करने, पारितोषिक/लाभ के लिए अनुशंसा करते समय योग्यता के आधार पर चयन;
· ईमानदारी- सार्वजनिक कर्तव्यों से जुड़े किसी भी प्रकार की निजी हित की घोषणा करना तथा सार्वजनिक हितों की पूर्ति के मार्ग में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने के लिए कदम उठाना;
हितों के संघर्ष का प्रबंधन
· हितों का संघर्ष- ऐसी परिस्थिति जिसमें किसी व्यक्ति/लोकसेवक/संगठन द्वारा अपने निजी संकीर्ण हितों को पूरा करने का प्रयास तथा इस कोशिश में सामान्य हित पर नकारात्मक असर;
· लोककर्तव्य एवं व्यक्तिगत हित के बीच संघर्ष- एक लोक पदाधिकारी द्वारा अपने सार्वजनिक या संगठनात्मक पद का दुरूपयोग कर उद्देश्य साधने का प्रयास।
हितों के संघर्ष के 3 प्रकार
· वास्तविक हित संघर्ष- लोकसेवक की विधिक जिम्मेदारी और व्यक्तिगत हित के बीच संघर्ष;
· ज्ञात हित संघर्ष- एक लोकसेवक के व्यक्तिगत हित द्वारा सोची-समझी रणनीति के तहत संगठनात्मक प्रदर्शन को अनुचित तरीके से प्रभावित करना;
· संभावित हित संघर्ष- लोक पदाधिकारी द्वारा भविष्य में किसी निजी हित का विकास करना जिससे कार्यालयी व्यवहार पर प्रभाव;
संगठन में हितों के संघर्ष के प्रबंधन और उसके समाधान के तरीके
· चक्रीय व्यवहार के तहत हित संघर्ष के कारणों की पहचान करना और उसी अनुरूप संघर्ष समाधान की प्रक्रिया निर्धारित करना;
· नेतृत्व की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना ताकि उचित संगठनात्मक संस्कृति का विकास;
· कर्मचारियों/अधीनस्थों में सहभागिता/भागीदारी की भावना विकसित करना;
· हितसंघर्ष से संबंधित प्रभावशाली नीति की घोषणा करना एवं प्रभावशाली निगरानी तंत्र का विकास करना;
भ्रष्टाचार को रोकने तथा प्रशासन को दक्ष, लक्ष्योन्मुखी एवं जनकेंद्रित बनाकर नैतिक अभिशासन की प्राप्ति के लिए ईमानदारी या शुचिता एक आवश्यक तथा महत्वपूर्ण कदम है। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा भी इस संबंध में कई सिफारिशों को प्रस्तुत किया गया है। इस संदर्भ में, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम(1988, 2018 में संशोधित), सूचना का अधिकार अधिनियम(2005), व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम(2014), बेनामी लेनदेन(निषेध) अधिनियम(1988, 2016 में संशोधित), केंद्रीय सतर्कता आयोग, लोकपाल तथा लोकायुक्त आदि की भी अहम् भूमिका है। साथ ही, इस दिशा में सार्वजनिक कार्यालयों में ईमानदारी को बनाये रखने के लिए सरकार को अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है जिसमें कड़े कानूनों के साथ-साथ लोकसेवकों में नैतिक भावनाओं को बढ़ाने की दिशा में भी कार्य करना होगा।
Q2. निम्नलिखित मे विभेद कीजिए:
(a) नैतिक संहिता (Code of Ethics) और आचार संहिता (Code of conduct)
(b) अभिवृति और अभिक्षमता
Differentiate between the following:
(a) Code of ethics and code of conduct
(b) Attitude and Aptitude
उत्तर -
(a) नैतिक संहिता (Code of Ethics) और आचार संहिता (Code of conduct)
तुलना के आधार |
नैतिक संहिता |
आचार संहिता |
अर्थ |
यह संगठन के मूल नैतिक मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों वाले दिशानिर्देशों का एक समूह है। यह एक सामान्य विचार प्रस्तुत करता है कि किसी व्यवसाय या संगठन में किस प्रकार के व्यवहार और निर्णय स्वीकार्य और प्रोत्साहित होते हैं। |
यह कर्मचारियों या सदस्यों को विशिष्ट परिस्थितियों में कैसे कार्य करना चाहिए पर अधिक केंद्रित है और उसे परिभाषित करता है। यह विशिष्ट प्रथाओं और व्यवहार को रेखांकित करता है जो संगठन के तहत आवश्यक या प्रतिबंधित हैं। |
प्रकृति |
सामान्य एवं अमूर्त |
विशिष्ट एवं मूर्त |
दायरा |
व्यापक |
संकुचित |
प्रकटीकरण (Disclosure) |
यह बहुत छोटा तथा सभी के लिए होता है । |
तुलनात्मक रूप से लंबा होता है परंतु इसका दायरा सीमित होता है, यह अधिकतम क्रियाओं को आच्छादित करता है। केवल कर्मचारी या संगठन से जुड़े व्यक्तियों के विशिष्ट समूह के लिए होता है । |
शासन |
यह निर्णय लेने से संबंधित है |
यह क्रियाओं को नियंत्रित करता है |
केंद्रित |
मूल्य और सिद्धांत |
अनुपालन और नियम |
(b) अभिवृति और अभिक्षमता
तुलना के आधार |
अभिवृत्ति |
अभिक्षमता |
परिभाषा |
अभिवृत्ति से तात्पर्य उस प्रवृत्ति या पूर्ववृत्ति या रुचि से है जो किसी के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक या तटस्थ प्रतिक्रिया करता है। |
अभिक्षमता से तात्पर्य किसी व्यक्ति की किसी कार्य को करने की क्षमता, सीखने की क्षमता से है |
प्रभाव |
अभिवृत्ति के 3 भाग होते हैं - भावात्मक, संज्ञानात्मक और व्यवहरात्मक । अभिवृत्ति व्यवहार या व्यक्तित्व को प्रभावित करती है। |
अभिक्षमता का संबंध बुद्धि के है । |
उत्पत्ति |
अभिवृत्ति पिछले अनुभवों, रूढ़ियों, सहकर्मी समूह और परिवार के प्रभाव और शिक्षा का परिणाम है। |
अभिरुचि स्वभाव में जन्मजात होती है |
पैमाना /स्तर |
यह आमतौर पर अच्छा या बुरा, सकारात्मक या नकारात्मक होता है। |
यह योग्यता का पैमाना है, इसलिए यह सापेक्ष नहीं है। |
प्रकृति |
परिस्थितियों और अनुभवों के संबंध में अभिवृत्ति बदलती रहती है। |
चूंकि अभिक्षमता बुद्धि से संबंधित है, यह अपेक्षाकृत कठोर है और इसमें अत्यधिक परिवर्तन नहीं होता है। |
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