Q1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निर्देशानुसार उत्तर लिखिए।
शारीरिक श्रम से मनुष्य को सन्तोष तो मिलता ही है, उसका शरीर भी स्वस्थ रहता है। श्रम से उसकी माँसपेशियाँ सुदृढ़ हो जाती हैं। जो लोग श्रम नहीं करते आलसी बने पड़े रहते हैं, उनका तो भोजन भी नहीं पचता और उनके शरीर को अनेक व्याधियाँ घेरे रहती हैं। शारीरिक श्रम हर एक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। शारीरिक श्रम करने वाले लोग दीर्घजीवी होते हैं। शारीरिक श्रम के साथ-साथ ही मानसिक श्रम करने वाले का ही बौद्धिक विकास होता है। वह गम्भीर-से-गम्मीर तथ्य सहज ही ग्रहण कर लेता है। विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो जाने पर भी घबराता नहीं, बल्कि साहस से उनका सामना कर लेता है। वह हर एक समस्या का आसानी से समाधान खोज लेता है। मानसिक श्रम के महत्त्व को समझ कर हमारे ऋषि-मुनि चिंतन में लीन रहते थे और उसके लिए लोगों को उत्साहित करते थे। हमारा उपनिषद् साहित्य हमारे मानसिक श्रम का ही परिणाम है। श्रम का एक विशिष्ट अर्थ भी इस अर्थ में श्रम कुछ उत्पादक होता है और कुछ अनुत्पादक भी। किसान परिश्रम से खेती करता, उसका श्रम उत्पादक श्रम है, इसी प्रकार सभी उद्योग-धन्धों में लगे व्यक्ति श्रम करते हैं। यह सब उत्पादक श्रम कहा जाएगा। कुछ लोग व्यायाम करते हैं। खेल खेलने में श्रम करते हैं। यह अनुत्पादक श्रम होता है। इसका भी अपना महत्त्व है, इसमें श्रम करने वालों का मनोरंजन तो होता ही है, मानसिक श्रम करने वालों के लिए इस प्रकार का अनुत्पादक श्रम आवश्यक है, इससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है। गांधीजी का कहना था कि जब श्रम करना है तो उत्पादक श्रम ही क्यों न किया जाएं। वे तो सभी प्रकार के श्रम में आनंद का अनुभव करते थे।
(क) प्रस्तुत गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
श्रम की महत्ता
(ख) उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर श्रम के प्रकार और महत्व को बताते हुए उनका विशिष्ट अर्थ भी लिखिए ।
श्रम दो प्रकार के होते हैं- (1) उत्पादक श्रम (2) अनुत्पादक श्रम । किसान परिश्रम से खेती करता है, उसका श्रम उत्पादक श्रम है, इसी तरह सभी उद्योग-धन्धों में लगे व्यक्ति श्रम करते हैं। यह सब श्रम उत्पादक कहा जाएगा। खेल-खेलना, व्यायाम करना आदि अनुत्पादक श्रम हैं। अनुत्पादक श्रम का भी अपना महत्त्व है। इसमें श्रम करने वाले का मनोरंजन तो होता ही है, इससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है । मानसिक श्रम करने वालों के लिए इस प्रकार का अनुत्पादक श्रम आवश्यक होता है ।
(ग) उपर्युक्त गद्यांश का संक्षेपण कीजिए।
शारीरिक श्रम से मनुष्य को सन्तोष मिलता है व मांसपेशियां सुदृढ़ होती हैं। शारीरिक श्रम से अनेक बीमारियों से बचकर दीर्घजीवी बना जा सकता है। शारीरिक श्रम के साथ मानसिक श्रम भी महत्त्वपूर्ण है। मानसिक श्रम से बुद्धि का विकास हो जाता है जिससे मनुष्य विषम- से-विषम परिस्थितियों में भी घबराता नहीं है व समस्या का उपाय ढूंढ़ लेता है। हमारे उपनिषद् व साहित्य मानसिक श्रम के ही फल हैं। श्रम भी उत्पादक (कृषक व उद्योग का श्रम) व अनुत्पादक (व्यायाम व खेल आदि में श्रम) होता है।अनुत्पादक श्रम भी स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। गांधीजी उत्पादक श्रम के पक्षधर थे।
2. (क) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए ।
दुर् - दुर्दशा
चौ - चौराहा
बा - बाकायदा
वाइस - वाइसराय
स - सकर्मक
(ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को विलग कीजिए ।
माननीय- अनीय
ज़हरीला- ईला
घरेलू- एलू
गेय- य
मर्दाना- आना
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