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SHIKHAR MAINS 2022- DAY 57 Model Answer

Updated : 12th Oct 2022
SHIKHAR MAINS 2022- DAY 57 Model Answer

Q1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िये और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

हमारे चारों और एक प्रत्यक्ष जगत् है। उसका ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमारी ज्ञानेन्द्रियों से लेकर सूक्ष्म वैज्ञानिक यन्त्रों तक एक विस्तृत कारण -जगत बन चुका है और बनता जा रहा है। बाह्य जगत के सम्बन्ध में विज्ञान और ज्ञान की  विचित्र स्थिति है। जहाँ तक विज्ञान का प्रश्न है, उसने इन्द्रियजन्य ज्ञान में सबसे पूर्ण प्रत्यक्ष को भी अविश्वसनीय प्रमाणित कर दिया है। अपनी अपूर्णता नहीं, पूर्णता में भी दृष्टि रंगों के अभाव में रंग ग्रहण करने की क्षमता रखती है और रूपों की उपस्थिति में भी उनकी यथार्थता बदल सकती है। इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष ज्ञान के ऊपर अनुमान, स्मृति आदि की प्रत्यक्ष छाया फैली रहती है। हमें यह विशिष्ट विज्ञान उपयोग के लिए चाहिए, पर उस उपयोग के भोग के लिए हम अपना सहज अनुभव ही चाहते रहेंगे। इसी कारण वैज्ञानिक ज्ञान को सीखकर भूलता है और कलाकार भूल कर सीखता है 

     (क) उपर्युक्त गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।                                                        

     (ख) उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर ज्ञान और विज्ञान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।                            

     () उपर्युक्त गद्यांश के रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।  

(i ) गद्यांश का भावार्थ-

इस जगत का ज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्ञानेन्द्रियों  के साथ  साथ विभिन्न वैज्ञानिक साधनों का सहारा लिया जाता है इतने खोजों के व्यवजूद भी यह संसार अभि भी अबूझ पहेली बनी हुई है । वैज्ञानिक ज्ञान इस दृश्यमान जगत की कुछ चीजों को अविश्वसनीय बना देता है। किसी यथार्थता को वैज्ञानिक ज्ञान बदल देता है लेकिन दृश्यमान ज्ञान पर अनुमान  आदि की छाया बनी रहती है । उपयोग के लिए विशेष ज्ञान की जरूरत पड़ती है। उसका उपयोग करने के लिए  हम अपना स्वाभाविक अनुभव ही चाहते हैं, वैज्ञानिक ज्ञान एवं कलाकार ज्ञान में सीखकर भूलना और भूलकर सीखना का अन्तर है। 

(ii ) ज्ञान और विज्ञान में अन्तर- 

वैज्ञानिक ज्ञान के माध्यम से खोजबीन की जाती है जबकि प्रत्यक्ष ज्ञान में खोजबीन नहीं की जाती है। वैज्ञानिक ज्ञान यन्त्र का सहारा लेता है और प्रत्यक्ष ज्ञान, अनुमान एवं यादगार का सहारा लेता है। विशुद्ध ज्ञान को विज्ञान कहा जाता है। विज्ञान के माध्यम से यन्त्रवत सहारा द्वारा जगत के यथार्थ को विज्ञान अविश्वसनीय प्रमाणित कर देता है। विज्ञान अपने ही रंग रूप को बदल देता है। अनुमान एवं स्मृति से प्रत्यक्ष ज्ञान आच्छादित रहता है। 

(iii) रेखांकित अंशों की व्याख्या 

उसका  ज्ञान प्राप्त .. …………………………….प्रमाणित कर दिया है। 

व्याख्या :- यह संसार ज्ञान प्राप्त करने के लिए इन्द्रियों एवं वैज्ञानिक यन्त्रों का व्यापक कारण बनता जा रहा है। इस बाहरी संसार के सम्बन्ध में विज्ञान एवं ज्ञान की अनोखी दशा है। वैज्ञानिक ज्ञान तो इन्द्रिय जन्य ज्ञान को विश्वास के अयोग्य बना देता है। विज्ञान के क्षेत्र में यन्त्रों के माध्यम से नूतन चीजें सप्रमाण विश्वास योग्य बन जाती हैं। 

 प्रत्यक्ष ज्ञान के.. …………………………………..फैली रहती है। 

व्याख्या :- विज्ञान तो यथार्थ दृश्यमान चीजों को अविश्वसनीय बना देता है, वह असम्भव को भी सम्भव बना देता है। प्रत्यक्ष ज्ञान पर अनुमान एवं यादगार आदि की छाया फैली रहती है। 

वैज्ञानिक ज्ञान………………………………………..कर सीखता है। 

व्याख्या :- वैज्ञानिक अपने यंत्रों के सहारे जो कुछ ज्ञान प्राप्त करता है वह उसे सीख कर भूल जाता है । वही कलाकार भूल जाने के बाद सीखता है । यह जो विशेष ज्ञान है वह उपयोग और अनुभव के लिए है ।   

 


    

 2. निम्नलिखित वाक्यों या पदबंधों के लिए एक-एक शब्द लिखिए।                                                

(i)     जिसका कोई दूसरा उपाय नहीं हो – अनन्योपाय

(ii)    पहले लिखे गए पत्र का स्मरण करते हुए लिखा गया पत्र – अनुस्मारक

(iii)  जीने की प्रबल इच्छा -  जिजीविषा

(iv)  जिस पर अभियोग लगाया गया हो - प्रतिवादी

(v)    प्रिय वचन बोलने वाली स्त्री-  प्रियंवदा