Q1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िये और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
हमारे चारों और एक प्रत्यक्ष जगत् है। उसका ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमारी ज्ञानेन्द्रियों से लेकर सूक्ष्म वैज्ञानिक यन्त्रों तक एक विस्तृत कारण -जगत बन चुका है और बनता जा रहा है। बाह्य जगत के सम्बन्ध में विज्ञान और ज्ञान की विचित्र स्थिति है। जहाँ तक विज्ञान का प्रश्न है, उसने इन्द्रियजन्य ज्ञान में सबसे पूर्ण प्रत्यक्ष को भी अविश्वसनीय प्रमाणित कर दिया है। अपनी अपूर्णता नहीं, पूर्णता में भी दृष्टि रंगों के अभाव में रंग ग्रहण करने की क्षमता रखती है और रूपों की उपस्थिति में भी उनकी यथार्थता बदल सकती है। इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष ज्ञान के ऊपर अनुमान, स्मृति आदि की प्रत्यक्ष छाया फैली रहती है। हमें यह विशिष्ट विज्ञान उपयोग के लिए चाहिए, पर उस उपयोग के भोग के लिए हम अपना सहज अनुभव ही चाहते रहेंगे। इसी कारण वैज्ञानिक ज्ञान को सीखकर भूलता है और कलाकार भूल कर सीखता है।
(क) उपर्युक्त गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(ख) उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर ज्ञान और विज्ञान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
(ग) उपर्युक्त गद्यांश के रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
2. निम्नलिखित वाक्यों या पदबंधों के लिए एक-एक शब्द लिखिए।
(i) जिसका कोई दूसरा उपाय नहीं हो।
(ii) पहले लिखे गए पत्र का स्मरण करते हुए लिखा गया पत्र।
(iii) जीने की प्रबल इच्छा।
(iv) जिस पर अभियोग लगाया गया हो।
(v) प्रिय वचन बोलने वाली स्त्री।
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