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SHIKHAR Mains 2023 Day 16 Model Answer - hindi

Updated : 27th Jun 2023
SHIKHAR Mains 2023 Day 16 Model Answer - hindi

Q1: नीतिशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसके साथ ही सार्वजनिक जीवन में नीतिशास्त्र का महत्त्व स्पष्ट कीजिये।
What do you understand by Ethics? Along with this, explain the importance of ethics in public life. 8 Marks

 

दृष्टिकोण:

  1. भूमिका में नीतिशास्त्र को परिभाषित कीजिये।

  2. मुख्य भाग में सार्वजनिक जीवन में नैतिकता के महत्त्व को स्पष्ट कीजिये।

  3. अंतिम में आवश्यकता स्पष्ट करते हुए उत्तर समाप्त कीजिये।

 

उत्तर:

नीतिशास्त्र का आशय मानवीय आचरण के आदर्शात्मक विज्ञान से है। आदर्शात्मक विज्ञान का सम्बन्ध मानवीय आचरण के उचित या अनुचित, शुभ या अशुभ से सम्बन्धित निर्णय को प्राप्त किये जाने से है। नीतिशास्त्र मानवीय आचरण का आकलन नैतिक मानकों के आधार पर करता है। अतः नीतिशास्त्र ऐसे मानकों या नियमों या परम्पराओं से भी सम्बन्धित है जिसके आधार पर मानवीय आचरण को उचित या अनुचित/शुभ या अशुभ होने की संज्ञा दी जा सकती है| नीतिशास्त्र ऐसे मानवीय आचरण के आकलन पर आधारित है जो कि व्यक्ति के ऐच्छिक क्रियाशीलता से सम्बन्धित हो अर्थात यदि व्यक्ति के पास चयन का विकल्प होता तो उस क्रियाशीलता को अन्य प्रकार से भी किया गया होता| इस प्रकार नीतिशास्त्र, नैतिक मानकों की सत्यता या मान्यता से भी सम्बन्धित होता है।

 

                              नीतिशास्त्र का सम्बन्ध व्यक्ति के व्यक्तिगत स्तर से सम्बन्धित न होकर व्यक्ति के मानव प्राणी, संगठन का सदस्य एवं समाज के सदस्य के रूप में व्यक्ति से है मानवीय मूल्यों को विकसित करने हेतु परिवार, समाज एवं शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका का विशेष महत्त्व है जो कि समाजीकरण के विभिन्न महत्त्वपूर्ण कारक हैं। नीतिशास्त्र, व्यक्ति की निर्णय प्रक्रिया को अधिक तीव्रता प्रदान करती है| यदि व्यक्ति नैतिक होगा तो उसके मन में असमंजस नहीं होगा, नैतिक व्यक्ति के मन-विचार-कर्म में एकरूपता होती है

 

नीतिशास्त्र का महत्त्व 

 

  • नीतिशास्त्र लोकसेवकों के स्वनिर्णय की शक्तियों के दुरूपयोग की संभावनाओं को कम करता है|

  • नीतिशास्त्र, व्यक्तियों/लोकसेवकों में उत्तरदायित्व की भावना को प्रोत्साहित करता है|

  • स्व-जवाबदेहिता को विकसित करने की दिशा में नीतिशास्त्र का एक विशेष महत्त्व है|

  • नीतिशास्त्र व्यक्तियों के परस्पर सम्बन्ध एवं व्यक्तियों और लोकसेवकों के पारस्परिक सम्बन्ध को अधिक सुचारू बनाने में सहायक सिद्ध होता है|

  • नीतिशास्त्र, लोकसेवकों/व्यक्तियों के उच्चतम आचरण को विकसित करती है| 

  • नीतिशास्त्र, समाज कल्याण, जन हित, सामाजिक हित एक संरक्षण एवं विकास को प्रोत्साहित करती है| 

  • नीतिशास्त्र, लोकसेवक या व्यक्ति के व्यवहार के उस पक्ष या आयाम को नियंत्रित करता है जो कि औपचारिक विधि या नियम कानून के द्वारा संभव न हो|

  • नीतिशास्त्र, लोकसेवकों में कार्यकुशलता एवं प्रभावशीलता को प्रोत्साहित करता है| 

  • नीतिशास्त्र, समाज के दृष्टिकोण में लोकसेवकों की विश्वसनीयता को अधिक सुदृढ़ता प्रदान करती है| 

  • नीतिशास्त्र, लोकसेवकों एवं राजनीतिज्ञों के मध्य के पारस्परिक सम्बन्ध को अधिक सुचारू बनाती है| 

  • नीतिशास्त्र के माध्यम से व्यक्ति के द्वारा यह निर्णय किया जाना संभव हो पाता है कि उसके लिए क्या उचित या अनुचित है अथवा क्या शुभ या अशुभ है|

  • नीतिशास्त्र के माध्यम से लोकसेवकों के द्वारा लोकसंसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करने हेतु एक विशेष दायित्व उत्पन्न होता है|

  • नीतिशास्त्र मानवीय सह सम्बन्ध में परस्पर विश्वास एवं भरोसा उत्पन्न करने में सहायक है अतः नीतिशास्त्र समाज का एकीकरण करने में सहायक सिद्ध होता है| 

  • नीतिशास्त्र व्यक्तियों के मध्य नेतृत्व की भावना को उत्पन्न करती है| 

 

नीतिशास्त्र एक सर्वव्यापी प्रक्रिया होने के कारण इसका प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में एवं विभिन्न स्तरों पर देखने को मिलता है जैसे राजनीति, प्रशासनिक, संगठनात्मक, सामाजिक पर्यावरण, व्यवसाय, चिकित्सा, लोकसेवा, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध आदि 

कोई मानवीय आचरण बिना नैतिक मूल्यों के उचित नहीं हो सकता है|

 

 इस प्रकार स्पष्ट होता है कि नैतिकता सार्वजनिक जीवन के सुचारू रूप संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है|

 

 

Q2: मूल्यों के निर्माण में समाज की भूमिका पर प्रकाश डालिए ।साथ ही किसी व्यक्तिगत उदाहरण के साथ लिखिए कि किस प्रकार आर्जित मूल्यों ने आपको  मार्गदर्शित किया ।

Explain the role of society in imparting values. Also write a personal example how the acquired values ​​have guided you. 12 Marks

 

दृष्टिकोण:

  • एक बच्चे  के अंदर मूल्यों को विकसित करने में समाज कैसे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, स्पष्ट कीजिए।

  • एक ऐसे दृष्टांत की चर्चा कीजिए, जहां आप एक दुविधापूर्ण स्थिति में थे और घर या स्कूल से सीखे गए अर्जित मूल्यों का प्रयोग कर इससे बाहर आ गए।

  • संक्षिप्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

 

उत्तरः

समाज की विभिन्न इकाइयां बच्चों को उनके आगे के जीवन के लिए तैयार करने हेतु विभिन्न मूल्य प्रदान करती हैं। ये मूल्य उनके समाजीकरण के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में प्रदान किए जाते हैं। बच्चों के अंदर मूल्यों को विकसित करने में समाज की भूमिका निम्नलिखित रूप में स्पष्ट की गयी है:



  • घर बच्चे के लिए प्रथम स्कूल के रूप में कार्य करता है और माता-पिता प्रथम शिक्षक होते हैं। शिक्षा के आरंभिक बिंदु होने के नाते, वे बच्चे के अंदर नैतिक मूल्यों को विकसित करते हैं तथा बच्चे की भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विकास को भी सुनिश्चित करते हैं।

  • परिवार के सदस्य/शिक्षक बच्चे के तात्कालिक रोल मॉडल होते हैं, बच्चे अपना व्यवहार उन्हीं की भांति दोहराते हैं। उदाहरण के लिए, सामाजिक नियमों के प्रति दृष्टिकोण, एक विशेष जाति या धर्म के बारे में रूढ़िवादी धारणा, दूसरों के लिए सम्मान, ईमानदारी आदि।

  • स्कूल में, बच्चा सहयोग और खेल-भावना को सीखता है, मतभेदों को स्वीकार करता है तथा मित्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत करने के बाद अनुकूली बनता है। यह बच्चे के अंदर एक बड़े सामाजिक समूह के प्रति प्रतिबद्धता और एकीकरण की भावना को विकसित करने में सहायता प्रदान करता है।

  • एक सहयोगी प्रतिवेश बच्चे को जरूरत के समय एक-दूसरे की सहायता और समर्थन के महत्व की शिक्षा देता है।

  • एक सामंजस्यपूर्ण और बहु-सांस्कृतिक समाज में, बच्चा भाईचारा, अन्य लोगों के धार्मिक विश्वास एवं सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान, सहिष्णुता, अनेकता में एकता जैसे मूल्यों के महत्व को सींखता है।

  • बच्चा समाज के प्रतिष्ठित सदस्यों से अखंडता, ईमानदारी, करुणाआदि जैसे मूल्यों को भी सीखता है। उदाहरण के लिए, डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने छात्रों को विनम्रता, निस्वार्थ सेवा; समानुभूति आदि का महत्व सिखाया।

 

जब मैं सातवीं कक्षा में था तब मुझे एक दुविधापूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ा था। मेरे एक सहपाठी ने क्रोध से वशीभूत होकर स्कूल संपत्ति को नष्ट कर दिया और मैं उसके इस गुस्से का साक्षी था। उसने मुझे धमकी दी कि यदि मैंने किसी को इस बारे में बताया तो मुझे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। वह पहले भी अन्य छात्रों के साथ मारपीट कर चुका था तथा लड़के और लड़कियों दोनों के प्रति हिंसक व्यवहार कर सकता था। जब शिक्षक को पता चला और स्कूल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के बारे पूछताछ हुई, तो शुरू में भय के कारण मैंने बोलने में संकोच किया।

 

लेकिन बाद में मुझे पता चला कि पूरी कक्षा को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा और हमारे माता-पिता को सामूहिक रूप से नुकसान की भरपाई करनी होगी। तब मैंने सच्चाई बता दी, क्योंकि सच्चाई न बताने का अर्थ होता कि एक गुंडे के सामने सिर झुकाना तथा स्वयं के साथ-साथ अपने साथियों और शिक्षक को धोखा देना। इसके अतिरिक्त, मुझे प्रत्येक स्थिति में सच्चाई का साथ देने की सीख दी गई थी, क्योंकि ईमानदारी का अभाव केवल अप्रत्याशित समस्याओं को ही उत्पन्न करता है। इस प्रकार, घर और स्कूल से वर्षों के दौरान अर्जित मूल्यों के कारण मैंने सच्चाई बताई और शेष कक्षा को आरोपित होने से बचा लिया।

इस प्रकार, परिवार के सदस्य और स्कूल के शिक्षक बच्चों के अंदर ईमानदारी, सच्चाई, निष्ठा और सत्यनिष्ठा जैसे नैतिक मूल्यों को विकसित करते हैं, जो भविष्य में उनके एक उत्तरदायी व्यक्ति और देश का ज़िम्मेदार नागरिक बनने में सहायक होते हैं।

 

इस प्रकार, परिवार के सदस्य और स्कूल के शिक्षक बच्चों के अंदर ईमानदारी, सच्चाई, निष्ठा और सत्यनिष्ठा जैसे नैतिक मूल्यों को विकसित करते हैं, जो भविष्य में उनके एक उत्तरदायी व्यक्ति और देश का ज़िम्मेदार नागरिक बनने में सहायक होते हैं।