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SHIKHAR Mains 2023 Day 17 Model Answer Hindi

Updated : 28th Jun 2023
SHIKHAR Mains 2023 Day 17 Model Answer Hindi

Q1: लोक प्रशासन में अनुनय-विनय (या समझाना-बुझाना) महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चर्चा कीजिए। साथ ही, प्रभावी अनुनय-विनय के विभिन्न तत्वों पर भी प्रकाश डालिए। 

Persuasion plays an important role in public administration. Discuss. Also highlight the various elements of effective persuasion.

 

दृष्टिकोण:

  • अनुनय को संक्षेप में परिभाषित कीजिए तथा लोक प्रशासन में इसकी भूमिका के बारे में लिखिए।

  • एक प्रभावी अनुनय के विभिन्न तत्वों पर प्रकाश डालिए।

  • उचित रूप से निष्कर्ष निकालें।

 

उत्तर:

अनुनय दूसरों के दृष्टिकोण/विश्वास को बदलने का एक सचेत प्रयास है। यह लोगों के 'दिल और दिमाग' को जीतने का प्रयास करता है और उनके दृष्टिकोण, इरादे, प्रेरणा या व्यवहार को प्रभावित करता है। इसमें बल या धमकियों का उपयोग करना शामिल नहीं है बल्कि सूचना, भावनाओं, या तर्क, या उनके संयोजन को व्यक्त करने के लिए लिखित या बोले गए शब्दों का उपयोग करके किसी को समझाना शामिल है।

 

लोक प्रशासन में अनुनय की भूमिका

  • व्यवहार परिवर्तन लाना: सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की सफलता के लिए व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, स्वच्छ भारत अभियान में लोगों को खुले में शौच करने के बजाय नियमित रूप से शौचालय का उपयोग करने के लिए राजी करने की आवश्यकता है।

  • नौकरशाही में आंतरिक परिवर्तन: सरकारी नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए लोक प्रशासकों को पहले अपने कर्मचारियों को मनाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, विभाग के अपने नागरिक चार्टर आदि को लागू करना।

  • सामाजिक न्यायः बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, छुआछूत, धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के प्रति भेदभाव आदि बुराइयों को मिटाकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में अनुनय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

  • कानून और व्यवस्था बनाए रखना: कई बार, जैसे कि मॉब लिंचिंग या सांप्रदायिक दंगों के दौरान, लोगों को कानून और व्यवस्था को अपने हाथ में लेने और शांति बहाल करने के लिए राजी करने की आवश्यकता होती है।

  • देश के कानूनों का पालन करना : अनुनय-विनय करके जनता को जागरूक एवं सक्रिय नागरिक बनाकर जैसे यातायात नियमों का पालन करना आदि कानूनों का बेहतर अनुपालन किया जा सकता है।



अनुकूल परिवर्तन लाने के लिए अनुनय प्रभावी होना चाहिए। इसकी प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि "कौन किससे क्या कह रहा है" अर्थात स्रोत, संदेश और लक्ष्य- तीनों ही सफल अनुनय के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

 

एक प्रभावी अनुनय के विभिन्न तत्व निम्नलिखित हैं:

 

  • एक साझा आधार स्थापित करना: प्रेरक को लक्षित लोगों के साथ सकारात्मक संबंध और विश्वसनीयता स्थापित करनी चाहिए।

  • लाभों की ओर इशारा करते हुए: परिवर्तन के लिए दबाव डालने की कोशिश करने के बजाय, प्रेरक को बदले हुए व्यवहार या दृष्टिकोण के प्रमुख लाभों को उजागर करना चाहिए।

  • आपत्तियों को ताकत में बदलना: परिवर्तन के लिए आपत्तियां स्वाभाविक हैं लेकिन प्रेरक को उन्हें अवसरों में बदलना चाहिए। इसके लिए, वह संभावना की आपत्ति से सहमत हो सकता है और फिर यह बता सकता है कि प्रस्तावित परिवर्तन से इसे आसानी से कैसे दूर किया जा सकता है।

  • धीरे-धीरे कदम और निरंतरता: प्रेरक को बड़े उद्देश्यों को छोटे लक्ष्यों में तोड़ना चाहिए, उन्हें लगातार व्यवहार करने और बड़े विचार से सहमत होने का समय देना चाहिए।

  • पारस्परिकता सिद्धांत का प्रयोग करें: सिद्धांत का तात्पर्य है कि जब कोई हमारे लिए कुछ करता है तो हम एहसान वापस करने के लिए बाध्य महसूस करते हैं। इसमें बदले हुए व्यवहार/रवैये के लिए लक्षित आबादी को उचित रूप से पुरस्कृत करना शामिल हो सकता है।

  • सामाजिक प्रमाण तकनीक: लोग दूसरों (बैंडवैगन प्रभाव) का अधिक अनुसरण करते हैं, जब उनके पास स्वयं निर्णय लेने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। यह सुझाए गए परिवर्तन से दूसरों के लिए लाभ प्रदर्शित करके काम करता है। उदाहरण के लिए, स्वयं टीका लगवाकर COVID टीकाकरण के प्रति लोगों की झिझक को बदलना।

 

इस प्रकार, मोटे तौर पर अनुनय का वांछनीय स्रोत (विश्वसनीयता वाला) और साथ ही होना चाहिए वांछनीय संदेश विशेषताओं (डर, तर्कसंगत और भावनात्मक अपील वाले) प्रभावी होने के लिए।

 

Q2: अभिवृत्ति और व्यवहार इतनी घनिष्ठता से गुथे हुए हैं कि एक में परिवर्तन अनिवार्य रूप से दूसरे को प्रभावित करता है। उदाहरणों के साथ इस कथन की व्याख्या कीजिए।

Attitude and behaviour are so closely interwoven that a change in one inevitably influences the other. Explain the statement with examples.

 

दृष्टिकोण:

  • अभिवृत्ति और व्यवहार को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।

  • अभिवृत्ति एवं व्यवहार द्वारा एक दूसरे पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या कीजिए।

  • अभिवृत्ति और व्यवहार के मध्य विसंगतियों को स्पष्ट कीजिए।

  • जहां भी आवश्यक हो, उपयुक्त उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।

 

उत्तर:

अभिवृत्ति किसी विषय-वस्तु के प्रति सहमति या असहमति की भावना, विश्वास या विचार को संदर्भित करती है। व्यवहार एक क्रिया या प्रतिक्रिया होती है जो किसी घटना या आंतरिक उत्तेजनाओं की अनुक्रिया स्वरूप घटित होती है।

 

अतः अभिवृत्ति कुछ भावनाओं के प्रति एक पूर्वाग्रह है जबकि व्यवहार, क्रिया या निष्क्रियता द्वारा उन भावनाओं की अभिव्यक्ति है।

 

व्यवहार पर अभिवृत्ति का प्रभाव

 

यह माना जाता है कि अभिवृत्ति सामान्यतः विषयों, स्थानों और वस्तुओं के प्रति मानवीय व्यवहार को निर्देशित करती है। उदाहरण के लिए, एक खेल के प्रति उत्साही व्यक्ति से यह अपेक्षा की जा सकती है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद उस खेल को खेलने या देखने के लिए समय निकाले।

इसी प्रकार, नकारात्मक अभिवृत्तियां व्यक्ति को कुछ कार्यों में भागीदारी करने से रोकती हैं, जैसे कि किसी देश के लोकतांत्रिक संस्थानों या चुनाव में भाग ले रहे उम्मीदवार के प्रति अनास्था लोगों को बोट न देने के लिए प्रेरित कर सकती है।

 

न केवल व्यक्तिगत अभिवृत्ति बल्कि सामाजिक अभिवृत्ति भी व्यक्तिगत व्यवहार की प्रभावित करती है। उदाहरण- समाज में विज्ञान विषय के पक्ष में पूर्वाग्रह अनेक छात्रों को इन विषयों के चयन हेतु बाध्य करता हैं, जबकि उनकी रुचि कुछ मानविकी विषयों में होती है।

 

अभिवृत्ति पर व्यवहार का प्रभाव

 

  • किसी व्यक्ति का व्यवहार किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या घटना के प्रति उसकी अभिवृत्ति को भी निर्धारित करता है। उदाहरणस्वरूप: नियोक्ता-कर्मचारी के संबंधों में सुधार हेतु अपनाई गई "भूमिका निर्वहन (role playing)" तकनीक इस सिद्धांत पर आधारित है कि जब व्यक्ति किसी भूमिकी का निर्वहन स्वयं करके देखता है तो उसे इस बात की अनुभूति होती है कि उसकी अभिवृत्ति कैसे किसी विशेष व्यक्ति या नौकरी के प्रति सही नहीं है। इससे अंततः उसकी अभिवृत्ति में परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त होता है।

  • इस बात के प्रति सचेत होने से भी पूर्व कि उन्होंने एक अभिवृत्ति विकसित कर ली है, लोग अपने समक्ष आने वाली प्रत्येक वस्तु के लिए "अच्छे" या "बुरे" के रूप में त्वरित एवं स्वतःस्फूर्त प्रभाव का अनुभव करते हैं। उदाहरण के लिए, विज्ञापन, राजनीतिक अभियान, सामाजिक संदेश जैसे बीमा पॉलिसी, धूम्रपान छोड़ना तथा अन्य प्रेरक मीडिया संदेश आदि सभी इस आधार पर बनाए जाते हैं कि व्यवहार अभिवृत्ति का अनुसरण करता है और अभिवृत्ति को उचित रीति से प्रेषित सही सूचनाओं द्वारा प्रभावित किया जा सकता है।

  •  इसी प्रकार, कई बार व्यक्ति नए अनुभवों और तरीकों को सीखने हेतु प्रयासरत रहता है और समाज के प्रति अपनी अभिवृत्तियों को परिवर्तित करने के क्रम में नए व्यवहारों को अपनाता है। यह विशेष रूप से उन बच्चों के लिए सत्य है जो दूसरों के कार्यों का अनुकरण करते हैं तथा एक सीमा तक यह सीखा हुआ व्यवहार उनकी अभिवृत्ति और विश्वास को आधार प्रदान करता है।

  • किसी वस्तु के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन के अनुसार भी व्यक्ति अपनी अभिवृत्ति को परिवर्तित करता है। उदाहरण- मदिरा को नापसंद करने वाला कोई व्यक्ति उस दशा अपनी अभिवृत्ति को परिवर्तित कर सकता है जब वह स्वयं इसका सेवन प्रारंभ कर दे, भले ही प्रारम्भ में उसने यह कदम सहकर्मियों के दबाव में उठाया हो।

 

अभिवृत्ति और व्यवहार के मध्य असंगतता:

 

कभी-कभी अभिवृत्ति और व्यवहार एक-दूसरे के विरोधाभासी भी हो सकते हैं। मानसिक अभिवृत्ति की उदारवादी प्रवृत्ति सहनशीलता को प्रदर्शित करती है, हालाँकि पाखंड (hypocrisy) भी इसी असंगतता का परिणाम है। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति रख सकता है लेकिन व्यवसायिक लेन-देन करते समय (जैसे कि एक दुकानदार और एक ग्राहक के मध्य) वह इनसे पूर्णतया उपयुक्त ढंग से व्यवहार कर सकता है।

 

एक व्यक्ति उदारवादी प्रकृति के आधार पर किसी अन्य धर्म से संबंधित धार्मिक गतिविधियों का विरोध करता है जबकि स्वतंत्रता के आधार पर अपने स्वयं के धर्म के प्रतिगामी आदेशों (regressive diktats) पर सहमति प्रदान करता है। ऐसे मामलों में, व्यवहार और अभिवृत्ति के मध्य की विसंगतियों को चिन्हित करना, व्यवहार को पुनर्निर्देशित करके उसे अभिवृत्ति के साथ समन्वित करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।