Q1. सुनामी की उत्पत्ति के कारणों की विवेचना कीजिए।
Dicuss the reasons for the origin of Tsunami. (8 Marks)
दृष्टिकोण:
भूमिका में सुनामी को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये|
इसके पश्चात सुनामी के कारणों को बताते हुए उत्तर का समापन कीजिये|
उत्तर:
समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है. इससे ऐसी लंबी और बहुत ऊंची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है जो ज़बरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ता है| इन्हीं लहरों के रेले को सूनामी कहते हैं। दरअसल सूनामी जापानी शब्द है जो सू और नामी से मिल कर बना है सू का अर्थ है समुद्र तट और नामी का अर्थ है लहरें। सुनामी समुद्र में उत्पन्न होने वाली क्रमबद्ध लहरों की एक श्रंखला है जो समुद्र के तल पर पैदा होने वाले भूकंप की वजह से होने वाले पानी के विस्थापन की वजह से होती है।
सूनामी के कारण:
भूकंप:
पृथ्वी के पिघले हुए कोर से निसृत ऊर्जा की वजह से टेक्टोनिक प्लेटों में संचरण होता है, और वे एक-दूसरे से टकराती हैं, जिससे घर्षण होता है। इस घर्षण के परिणामस्वरूप और अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, और अंततः जब यह ऊर्जा सतह की ओर निकलती है तो यह भूकंप का कारण बनती है।सबसे मजबूत भूकंप निम्नस्खलन जोन (subduction zones)में आते हैं जहां एक महासागर प्लेट महाद्वीपीय प्लेट या किसी अन्य छोटी महासागर प्लेट के नीचे की खिसकती है|
उदाहरण के लिए: ग्रेट चिलीयन अर्थक्वेक’ के नाम से जाना जाने वाला भूकंप ने 25 मीटर तक ऊंची लहरों वाली सूनामी उत्पन्न हुई और इसने दक्षिणी चिली के वालदीविया शहर को तबाह कर दिया था।
इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के तट पर 2004 की हिंद महासागर सुनामी 9.1 तीव्रता के समुद्र के नीचे के भूकंप के कारण ही आई थी।
भूस्खलन:
भूस्खलन को सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के बृहत संचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है। तट के किनारे बड़ी मात्रा में होने वाले भूस्खलन सुनामी उत्पन्न कर सकता है । यह प्रायः भूकंप, बाढ़ और ज्वालामुखी के साथ घटित होती हैं।
उदाहरण के लिए: 10 जुलाई, 1958 को दक्षिण पूर्व अलास्का - 7.8 तीव्रता के भूकंप के कारण भूस्खलन, चट्टान गिरने और बर्फ गिरने से सूनामी उत्पन्न हो गई ।
ज्वालामुखी विस्फोट:
जब समुद्र में ज्वालामुखी फटता है तो यह बड़ी मात्रा में समुद्री जल को विस्थापित कर देता है, जिसके कारण सुनामी पैदा होती है। 26 अगस्त, 1883 को इंडोनेशिया के सुंडा जलडमरूमध्य में क्राकताओ ज्वालामुखी के फटने से 40 मीटर ऊंची लहरें पैदा हुई थी। जावा और सुमात्रा दोनों द्वीपों में सुंडा जलडमरूमध्य के साथ तटीय कस्बों और गांवों को नष्ट कर दिया, जिससे 36, 417 लोग मारे गए। अभी हाल ही में 15 जनवरी, 2022 को, दक्षिण प्रशांत में टोंगा में ज्वालामुखी सुनामी का कारण बना।
अलौकिक टक्कर
अलौकिक टक्कर (यानी क्षुद्रग्रह, उल्का) के कारण होने वाली सुनामी एक अत्यंत दुर्लभ घटना है। हालांकि हाल के इतिहास में कोई उल्का/क्षुद्रग्रह प्रेरित सुनामी दर्ज नहीं की गई है, वैज्ञानिकों को पता है कि अगर ये आकाशीय पिंड समुद्र से टकराते हैं, तो निस्संदेह बड़ी मात्रा में पानी का विस्थापन होगा और सुनामी उत्पन्न हो सकता है ।वैज्ञानिकों ने गणना की है कि यदि 5-6 किमी व्यास वाला एक मध्यम आकार का क्षुद्रग्रह अटलांटिक महासागर जैसे बड़े महासागर के बेसिन के बीच से टकराता है, तो यह एक सुनामी पैदा करेगा जिसकी ऊंचाई अपलेशियन पर्वत होगी ।
भारत ने सुनामी का शीघ्र पता लगाने और सुनामी के प्रभावों की तैयारी के लिए भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना प्रणाली केंद्र (INCOIS) विकसित किया है।
Q2: पवनों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिये| इसके साथ ही ग्लोब पर स्थित वायुदाब पेटियों के मध्य पवन संचलन का सचित्र विश्लेषण कीजिये| (12 Marks)
Give the classification of winds. Along with this, make a pictorial analysis of the wind movement between the pressure belts located on the globe. (12 Marks)
दृष्टिकोण
भूमिका में पवन को परिभाषित कीजिये|
प्रथम भाग में पवनों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिये|
दूसरे भाग में ग्लोब पर स्थित वायुदाब पेटियों के मध्य पवन संचरण का विश्लेषण करते हुए उत्तर समाप्त कीजिये|
उत्तर -
जब वायु का संचलन क्षैतिज दिशा में हो तो उसे पवन कहते हैं| लम्बवत दिशा में प्रवाहमान वायु को वायुधारा कहते हैं यह दो प्रकार की होती है यथा संवहनीय धारा एवं अवतलित धारा| पवनों को गति और स्वरुप के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है| सबसे कम गति की पवन को समीर कहते हैं जबकि मध्यम गति को पवन हैं| तीव्र गति वाली पवनों को धारा कहा जाता है|
स्वरुप के आधार पर पवन को 3 रूपों में वर्गीकृत किया जाता है।
प्राथमिक पवन को प्रचलित पवन / स्थायी पवन/ग्रहीय पवन/सनातनी पवन भी कहते हैं| यह साल भर चलती है, यह प्राथमिक वायुदाब पेटियों का परिणाम होती हैं और इनकी दिशा स्थायी होती है,समस्त ग्लोब को कवर करती है| इसके अंतर्गत व्यापारिक पवन, पछुआ एवं ध्रुवीय पूर्वा पवनें आती हैं|
इसके अतिरिक्त द्वितीयक पवनों को कालिक पवन भी कहते हैं| इनमे समय के साथ दिशा में परिवर्तन होता है, ये द्वितीयक पेटियों का परिणाम होती हैं| उदाहरण: मान्सून हवाएँ।
तृतीयक हवाएँ किसी छोटे क्षेत्र में दिन या वर्ष की किसी विशेष अवधि के दौरान ही चलती हैं। ये हवाएँ किसी विशिष्ट स्थान के तापमान और वायुदाब में अंतर के कारण चलती हैं। ये हवाएँ स्थानीय विशेषताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं, जैसे गर्म, ठंडी, बर्फ से भरी, धूल भरी। लू भारत के उत्तरी मैदानों की एक गर्म और शुष्क स्थानीय हवा है। अन्य मुख्य स्थानीय हवाओं में मिस्ट्रल, फोहेन, बोरा आदि शामिल हैं।
ग्लोब पर पवन संचरण
विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी और उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी के मध्य का क्षेत्र
उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी अपसरण का क्षेत्र है, इसमें चलने वाली पवनों को व्यापारिक पवन(उष्णकटिबंधीय पूर्वा) कहते हैं|
उत्तरी गोलार्ध में इनकी दिशा विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी की ओर उत्तर-पूर्व से दक्षिण पश्चिम की ओर होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में स्थिति इसके विपरीत होती है|
व्यापारिक पवनों का विक्षेपण, सभीपवनों /प्रचलित पवनों में न्यूनतम होता है क्योंकि वो विषुवत रेखा की ओर आ रही होती है जहाँ पर कोरियोलिस बल न्यूनतम होता जाता है|
दोनों ओर से आती हवाओं का विषुवत रेखा के निकट अभिसरण होता है अतः इस क्षेत्र को अंतः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) कहते हैं|
विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी को शांत क्षेत्र भी कहा जाता है क्योंकि अभिसरण क्षेत्र के मध्य भाग में पवने अनुपस्थित होती हैं| दोनों व्यापारिक पवनें अभिसरण क्षेत्र के बाहरी किनारे से ही ऊपर उठना आरम्भ हो जाती हैं|
इसके परिणामस्वरूप ये व्यापारिक पवनें मध्य भाग में नहीं पहुच पाती हैं|
पवन रहित क्षेत्र होने के कारण इसे डोलड्रम या शांत क्षेत्र कहा जाता है |
हालांकि नवीन खोज में कुछ जगहों पर पश्चिम से पूर्व चलने वाली विषुवतीय पछुआ पवन की जानकारी मिलती है जो महासागर के ऊपर पश्चिमी किनारे से पूरब की ओर संचलित होती है|
यदि महासागर के पश्चिमी तट पर महाद्वीप इस प्रकार से उपस्थित हो कि वह अभिसरण के क्षेत्र में वायु के जमाव के लिए अनुकूल स्थित उत्पन्न करता हो तो शांत क्षेत्र में पश्चिम से पूरब की ओर दाब प्रवणता बल का निर्माण होता है| जिससे विषुवतीय पछुआ पवन की उत्पत्ति होती है| विषुवतीय पछुआ पवन अटलांटिक महासागर में अधिक विकसित है| यह अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में चलती है|
उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी और उपध्रुवीय निम्न वायु दाब पेटी के मध्य का क्षेत्र
इस क्षेत्र में जो पवन प्रवाहित होती है उसे पछुआ पवन कहते हैं|
वे पवन जो उपोष्णकटिबंधीय उच्च वायुदाब से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर चलती है उसे पछुआ पवन कहते हैं|
मध्य अक्षांश में अवस्थित होने के कारण इसमें विक्षेपण की दर व्यापारिक पवनों से अधिक होती है इसीलिए धीरे धीरे यह लगभग पश्चिम से पूर्व की दिशा में संचलन करने लगती है परन्तु पूर्णतः पश्चिम से पूर्व की दिशा नहीं प्राप्त होती है|
दक्षिणी गोलार्ध की पछुआ पवनें अधिक सशक्त तथा विक्षेपित होती हैं क्योंकि महासागर पर चलने के कारण घर्षण बल कम होता है जबकि नमी अधिक होती है| घर्षण बल कम होने से गति अधिक होती है जिसके कारण विक्षेपण अधिक होता है|
वायु में नमी/जलवाष्प की उपस्थिति उसे और हल्का कर देती है जो इसकी गति को और बढ़ा देता है अर्थात दक्षिणी गोलार्ध की पवनें उत्तरी गोलार्ध से बहुत अधिक शक्तिशाली होती हैं|इसीलिए इसे दहाड़ता चालीसा, प्रचंड पचासा और चीखता साठा कहते हैं|
ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी और उपध्रुवीय निम्न वायु दाब पेटी के मध्य का क्षेत्र
यह ध्रुवीय पूर्वा पवन का क्षेत्र है|
इसमें अधिकतम विक्षेपण होता है, क्योंकि यह अधिकतम कोरियोलिस बल वाले क्षेत्र से निकलती है|
उपध्रुवीय निम्न वायु दाब पेटी एक विशेष प्रकार का अभिसरण क्षेत्र है जहाँ पर दो अलग-अलग भौतिक गुणों वाली वायुराशियों का अभिसरण होता है| इस के परिणामस्वरुप ये वायुराशियाँ आपस में आसानी से नही मिल पाती हैं और एक संक्रमण क्षेत्र का निर्माण करती हैं जहाँ ऊर्जा का आदान-प्रदान होता है| इसी संक्रमण क्षेत्र को वाताग्र कहा जाता है जहाँ पर शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात का निर्माण होता है|
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