Q1: चक्रवात से आप क्या समझते हैं ? उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की सामान्य विशेषताओं की चर्चा कीजिए, और इसके उत्पत्ति के लिए अनुकूल दशाओं को भी समझाइये।
What do you understand by cyclone? Discuss the general characteristics of a tropical cyclone, and explain the favorable conditions for its origin.
दृष्टिकोण-
भूमिका में चक्रवात के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उत्तर की शरुआत कीजिये |
इसके पश्चात उष्णकटिबंधीय चक्रवात की सामान्य विशेषताओं को सूचीबद्ध कीजिये |
पुनः उष्णकटिबंधीय चक्रवात के विकास के लिए आवश्यक दशाओं का उल्लेख करते हुए उत्तर का समापन कीजिये |
उत्तर -
चक्रवात एक वायुमंडलीय विक्षोभ है जिसमें पवन की दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुई के विपरीत जबकि दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई की दिशा में लगभग वृत्ताकार पथ पर होती है| चक्रवात को अक्षांशीय अवस्थिति के अनुसार दो भागों में विभाजित किया जाता है यथा उष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात |
उष्णकटिबंधीय चक्रवात और उसकी विशेषताएं-
उष्णकटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंध क्षेत्र में निर्मित होता है| उष्णकटिबंधीय चक्रवातीय स्थिति निम्न वायुदाब का परिणाम होती है, इसमें पवन की गति न्यूनतम 33 किमी होनी चाहिए | निम्न वायुदाब की तीव्रता बढ़ने से अवदाब का निर्माण होता है इसकी तीव्रता बढ़ने से अवदाब भंवर का निर्माण होता है, अवदाब भंवर के बढ़ने पर चक्रवात का निर्माण होता है|
उष्णकटिबंधीय चक्रवात को धरातल पर टोर्नेडो जबकि समुद्र पर इसे जल स्तम्भ(water spout) कहते हैं| टोर्नेडो में पवन की गति को लगभग 600 किमी/घंटे माना जाता है |
चक्रवात में तीव्रता बढ़ने से दाब प्रवणता बल बढ़ेगा जिससे पवन की गति बढ़ेगी इसी के साथ साथ वर्षा की मात्रा बढती जायेगी इसी के साथ विनाश की डिग्री बढती जायेगी |
चक्रवात की तीव्रता बढ़ते जाने पर चक्रवात का क्षेत्रफल छोटा होता जाएगा अर्थात त्रिज्या छोटी होती जाती है |
उष्णकटिबंधीय चक्रवात में पवनें चारों ओर से आती हैं| सभी दिशा से आती पवनों को कोरियोलिस बल उनके दाहिनी ओर मोड़ देता है जिसे के कारण चक्रवात के अंदर की पवन घडी की सुई की दिशा के विपरीत चलती है |
चक्रवात आने के पूर्व मौसम शांत रहता है किन्तु चक्रवात आने पर(फ्रंट वाल) पहले दाब में कमी आती है इसी समय तापमान में भी कमी आती है चक्रवात आने के बाद ताप और दाब में वृद्धि होगी |
उष्णकटिबंधीय चक्रवात से कपासी मेघों का निर्माण होता है और तेज वर्षा होती है| इसके बाद चक्रवात की आँख की स्थिति आती है जिसमें मौसम शांत होता है |
इसके बाद चक्रवात की पिछली दीवाल आती है जिसमें फ्रंट वाल के समान ही मौसम रहता है लेकिन तीव्रता कम होती है |
चक्रवात की उत्पत्ति के लिए अनुकूल दशाएं -
समुद्र तल का तापमान न्यूनतम 26 से 27 डिग्री के आसपास होना चाहिए |
वायु के अपसरण में निरन्तरता होने से ही चक्रवात के आधारतल के पास वायु का अभिसरण हो पाता है अतः चक्रवात के सम्पूर्ण विकसित तंत्र के विकास लिए अपसरण का होना चक्रवात की सबसे बड़ी आवश्यकता है |
इससे तापमान क्षेत्र का सीमांकन हो जाता है परिणामस्वरुप यह सीमित क्षेत्र में ही निर्मित हो पाता है| इतना तापमान केवल उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में हो पाता है इसीलिए इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहते हैं |
यदि सागर का आकार छोटा होगा तो तापमान अधिक होगा और चक्रवात की तीव्रता और बारंबारता दोनों अधिक होगी चक्रवात में आवश्यक नमी की मात्रा की आपूर्ति तटवर्ती पवन में ही होती है |
कोरिओलिस बल की पर्याप्त मात्रा-
चक्रवात में पवनों का संचलन लगभग वृत्ताकार पथ पर होता है जिसे प्रवणता पवन(वृत्ताकार समदाब रेखा के समानांतर) कहते हैं, के निर्माण के लिए कोरियोलिस बल की आवश्यकता होती है |
चक्रवात के ऊपर की वायुमंडलीय स्थिति
चक्रवात के ऊपर की वायुमंडलीय स्थिति अपसरण के लिए अनुकूल हो अर्थात उपरी वायुमंडल में प्रति चक्र्वातीय स्थिति की उपस्थिति आवश्यक है |
यदि किसी क्षेत्र में जेट धारा या इस प्रकार की प्रतिकूल स्थिति हो तो चक्रवात का विकास नहीं हो पाता है |
तीव्र निम्न वायुदाब क्षेत्र
एक बड़े निम्न वायुदाब क्षेत्र के भीतर एक छोटे परन्तु अपेक्षाकृत तीव्र निम्न वायुदाब क्षेत्र की उपस्थिति आवश्यक है जो धीरे धीरे विकसित हो कर चक्रवात में परिवर्तित हो जाए |
उष्णकटिबंधीय चक्रवात में समदाब रेखाएं बहुत पास-पास और वृत्ताकार रूप में होती हैं अर्थात यहाँ दाब प्रवणता बल अधिक होता है जिससे तीव्र गति की पवन विनाश की तीव्रता को बढ़ा देता है| चक्रवात वायुमंडलीय परिसंचलन के क्षेत्रीय रूप/परिणाम हैं जो मौसमी बदलाव/परिवर्तन, वर्षा की मात्रा, वर्षा का वितरण करके मानव की गतिविधियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं
Q12. भूकम्प के उत्पत्ति के कारकों को बताइए | साथ ही भूकम्प के वैश्विक वितरण को प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के आधार पर स्पष्ट कीजिये |
Explain the factors of origin of earthquake. Also, give an account of the global distribution of earthquakes based on plate tectonics theory.
दृष्टिकोण-
उत्तर की शुरुआत प्लेट विवर्तनिकी की चर्चा करते हुए कीजिये |
इसके पश्चात भूकम्प के उत्पत्ति के कारकों का परिचय देते हुए उत्तर को विस्तारित कीजिये|
अंत में भूकम्प के वैश्विक वितरण को बताते हुए उत्तर का समापन कीजिये |
उत्तर -
प्लेट विवर्तनिकी एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो पृथ्वी के स्थलमण्डल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। साथ ही महाद्वीपों, महासागरों और पर्वतों के रूप में धरातलीय उच्चावच के निर्माण तथा भूकंप और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं के भौगोलिक वितरण की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करता है।
भूकंप की उत्पत्ति के कारक -
भूकंप का मूल कारण धरातल पर संतुलन में अव्यवस्था का उत्पन्न होना है| इस अव्यवस्था को उत्पन्न करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
ज्वालमुखी क्रिया- ज्वालामुखीयता के दौरान मैग्मा, विस्फोटक गैसें एवं जलवाष्प ऊपर की ओर आने की कोशिश करते हैं और इस दौरान वे क्रष्ट पर तीव्र धक्के के साथ विस्फोट उत्पन्न करते हैं, जिससे चट्टानों में कम्पन्न उत्पन्न होता है | कई बार मैग्मा बाहर आने का प्रयास करता है लेकिन कठोर चट्टानों के अवरोध के कारण वह बाहर नहीं आ पाता और ऊपर स्थित चट्टानों में कम्पन्न पैदा कर देता है | इस प्रकार ज्वालामुखी क्षेत्रों में कई बार, बिना ज्वालामुखी विस्फोट के भी भूकंप आ जाते हैं |
वलन एवं भ्रंशन- इनका सम्बन्ध चट्टानों में उत्पन्न होने वाले संपीडन और तनाव से है, जिनके परिणामस्वरूप भूकम्प की उत्पत्ति होती है | तनाव के कारण चट्टानों में भ्रंश का निर्माण होता है एवं भ्रंश तल के सहारे चट्टानों के खिसकाव से कम्पन्न उत्पन्न हो जाता है |
भू-संतुलन में अव्यवस्था पृथ्वी की ऊपरी सियाल परत, हल्की होने के कारण, सीमा पर उत्प्लावित है| इस सियाल परत ने अपना संतुलन कायम कर रखा है लेकिन जब उच्च भागों का अपरदित पदार्थ निम्न भागों में निक्षेपित होने लगता है तो यह संतुलन बिगड़ने लगता है |
प्लेट विवर्तनिकी- विश्व के अधिकाँश भूकम्प एवं ज्वालामुखी विभिन्न प्लेट किनारों पर घटित होते हैं | भूकम्प प्लेट के तीनों किनारों क्रमशः अपसारी, अभिसारी और संरक्षी पर घटित होते हैं | सबसे अधिक ज्वालामुखी और भूकम्प प्रशांत महासागर के चारों ओर एक वृत्ताकार क्षेत्र में सक्रिय हैं,जिसे अग्निवलय पट्टी कहते हैं | - अपसारी सीमा, अभिसारी सीमा एवं संरक्षी सीमा |
जलीय भार एवं प्रत्यास्थ पुनश्चलन आदि भी भूकम्प के उत्पत्ति के कारण बन सकते हैं |
भूकंप का वैश्विक वितरण -
परि-प्रशांत पेटी - इस क्षेत्र में उत्तर अमेरिका का तटीय किनारा, दक्षिण अमेरिका और पूर्व एशिया के तटीय किनारे सम्मिलित हैं | ये क्षेत्र प्रशांत महासागर के क्रमशः पूर्वी और पश्चिमी किनारे पर स्थित हैं, और विश्व के कुल भूकम्प के लगभग 65 प्रतिशत भूकम्प इस क्षेत्र में आते हैं |
मध्य- महाद्वीपीय पेटी - इस पेटी को भूमध्यसागरीय पेटी भी कहते हैं | इस क्षेत्र में प्रायः संतुलनमूलक एवं विवर्तनिकी भूकम्प आते हैं | इस भूकम्पीय पेटी में यूरोप का अल्पाइन पर्वत और उसके अन्य-भाग, भूमध्य सागर, उत्तरी अफ्रीका,पूर्वी अफ्रीका और हिमालय के भूकम्पीय क्षेत्र सम्मिलित हैं |
मध्य-अटलांटिक कटक पेटी - इसके अंतर्गत मध्य अटलांटिक कटक एवं पास स्थित अनेक द्वीप भी सम्मिलित हैं |
अन्य क्षेत्र - एक पेटी नील नदी से होकर अफ्रीका के पूर्वी भाग में दक्षिण तक फैली है | इसमें पूर्वी अफ्रीका के भ्रंश घाटी का भूकम्पीय क्षेत्र सम्मिलित है | लाल सागर, मृत सागर तथा हिन्द महासागर में भी कुछ भूकंप आते है |
2021 Simplified Education Pvt. Ltd. All Rights Reserved