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SHIKHAR Mains Day 24 Answer Hindi

Updated : 17th Dec 2021
SHIKHAR Mains Day 24 Answer Hindi

Q1: गैर सरकारी संगठन से क्या अभिप्राय है ? जनकल्याण के संदर्भ में इनकी भूमिका को बताते हुए इनसे जुड़ी चिंताओ की भी चर्चा कीजिये|

एप्रोच -

  • भूमिका में गैर सरकारी संगठन को परिभाषित कीजिये|
  • उत्तर के दूसरे भाग में जनकल्याण के संदर्भ में इनके महत्व की चर्चा कीजिये|
  • उत्तर के तीसरे भाग मे इनसे जुड़ी चिंताओ की चर्चा कीजिये|
  • उत्तर के अंत में एक सकारात्मक निष्कर्ष दीजिये|

उत्तर :-

 गैर सरकारी संगठन(NGO) से तात्पर्य एक निजी संगठन से है जो लोगों का दुख-दर्द दूर करने, निर्धनों के हितों का संवर्द्धन करने, पर्यावरण की रक्षा करने, बुनियादी सामाजिक सेवाएँ प्रदान करने अथवा सामुदायिक विकास के लिये गतिविधियाँ चलाता है। ये लाभ का वितरण अपने मालिकों और निदेशकों के बीच नहीं करते बल्कि प्राप्त लाभ को संगठन में ही लगाना होता है। वे किसी सार्वजनिक उद्देश्य को लक्षित होते हैं।1860के सोसाइटी एक्ट के द्वारा कोई भी स्वैच्छिक समूह लोक हित में कार्य करना चाहता है तो उसे आवश्यक सहयोग सरकार और सिविल समाज द्वारा प्रदान किया जाता है ।

गैर सरकारी संगठन का महत्व :-

स्वतन्त्रता आंदोलन के समय जिस प्रकार से इन गैर सरकारी संगठनो ने समाज कल्याण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण ही स्वतन्त्रता पश्चात न सिर्फ सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट को लागू रखा गया।
ये इस संदर्भ में अति उपयोगी हो रहे हैं कि जहां पर मानव संसाधनो की कमी हो वहाँ पर शासन के सहयोगी बन सके।
शासन और नागरिकों के बीच राजनीतिक सम्प्रेषण द्वारा ये गैर सरकारी संगठन लोकतंत्र को और प्रभावी बना रहे हैं।
शोध आदि के माध्यम से ये सुशासन में एक निर्णयक भूमिका निभा रहे हैं। जिसमे नीतियो के लिए प्रारूप तैयार करना, उसके लिए आवश्यक सुधारो को रेखांकित करना तथा उचित अनुपालन हेतु डाटा प्रबंधन आदि प्रमुख हैं।
गैर सरकारी संगठनों की उपस्थिति नागरिकों की आवाज को अभिव्यक्ति देकर सहभागी लोकतंत्र को सक्षम बनाती है।
जागरूकता फैलाने, सामाजिक एकजुटता, सेवा वितरण, प्रशिक्षण, अध्ययन व अनुसंधान एवं सार्वजनिक अपेक्षा को स्वर देने में ये सहयोग करते हैं। सरकार के प्रदर्शन पर संवाद व निगरानी द्वारा वे राजनीतिक जवाबदेही सुनिश्चित कराते हैं।
भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार या मनरेगा और सबसे महत्त्वपूर्ण सूचना का अधिकार जैसे कई प्रमुख विधेयक गैर सरकारी संगठनों के हस्तक्षेप से ही पारित हुए।

उपरोक्त सकारात्मक कार्यो के साथ ही गैर सरकारी संगठनो के जुड़ी कुछ चिंताएँ भी है , जिसको निम्नलिखित बिन्दुओ से समझा जा सकता है :-

  • ये धनशोधन जैसी आपराधिक गतिविधियो में भी सम्मिलित हैं । इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार ये ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं जो राष्ट्रीय हितों के लिये नुकसानदेह हैं, सार्वजनिक हितों को प्रभावित कर सकते हैं या देश की सुरक्षा, वैज्ञानिक, सामरिक या आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार इनके कारण जीडीपी विकास पर प्रतिवर्ष 2-3 प्रतिशत का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।
  • बहुत सारे NGO द्वारा सरकारी धन का दुरुपयोग किया जाता है तथा अपने धन का सही व्यौरा आयकर विभाग को समय से उपलब्ध भी नही करवाया जाता है ।
                                                                                                                     गैर सरकारी संगठन समुदायों को सबल बनाते हैं, इसलिये उनके दमन की नहीं बल्कि उन्हें समर्थन देने की आवश्यकता है।सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं को भागीदार के रूप में कार्य करना चाहिये और साझा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये पूरक की भूमिका निभानी चाहिये जो परस्पर विश्वास व सम्मान के मूल सिद्धांत पर आधारित हो और साझा उत्तरदायित्व व अधिकार रखता हो। अतः वर्तमान समय में इस संदर्भ  में भी एक नियामक संस्था होनी चाहिए।


Q2: ग्रामीण विकास के लिए स्वयं सहायता समूहों की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए इनके द्वारा सामना की जा रही प्रमुख चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए।

दृष्टिकोण -

  • स्वयं सहायता समूह के बारे में लिखते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए|
  • उत्तर के पहले भाग में ग्रामीण विकास के लिए स्वयं सहायता समूह की आवश्यकता लिखिए|
  • इसके बाद सामना की जा रही चुनौतियों के बारे में बताइये|
  • सुझाव देते हुए उत्तर समाप्त कीजिए|

उत्तर -

           स्वयं सहायता समूह निर्धन लोगों का समूह है जो किसी सामान्य उद्देश्य के लिए साथ आते हैं और समस्याओं के समाधान करने, विकास करने के लिए आर्थिक सहयोग की भावना से जुड़े होते हैं। इसके लिए समूह के सदस्य बचत के माध्यम से लघु फ़ंड का निर्माण करते हैं।

स्वयं सहायता समूहों की आवश्यकता;

  • वंचित समूहों के बीच बैंकिंग सुविधा से संबन्धित व्याप्त अंतर को कम करने का काम करते हैं।
  • समूहों में वित्तीय जागरूकता के प्रसार का प्रयास करते हैं।
  • ये समूह अपने सदस्यों को छोटी बचतों के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
  • SHG  को संस्थागत ऋण आसानी से प्राप्त हो जाता है, जिससे उसके सदस्यों को साहूकारों या अन्य गैर-संस्थागत स्रोतों  पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
  • स्वयं सहायता समूह रोज़गार के अवसर सृजित करने के साथ-साथ उद्यम को भी प्रोत्साहित करते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को अधिकार प्राप्त करते हैं। अतिरिक्त आय प्राप्त करने का एक माध्यम प्रदान करते हैं।

SHG द्वारा सामना की जा रही चुनौतियाँ;

  • सदस्यों में कौशल का अभाव। विशेषज्ञता की कमी के कारण उचित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं|
  • ग्रामीण क्षेत्र में पर्याप्त अवसंरचना का अभाव है। परिवहन, संचार के साधनों का अभाव इनकी प्रगति में बाधक है|
  • जाति और लिंग आधारित भेदभाव ने भी इनके गठन में समस्या उत्पन्न की है|
  • आवश्यक रोजगार के लिए प्रशिक्षण संस्थाओं का भी अभाव है|

सुझाव:

  • विमल जालान समिति की सिफ़ारिशें:
  • SHG के सदस्यों के लिए बायोमेट्रिक अनिवार्य करना
  • लाभार्थियों को सूचना और विकल्पों की जानकारी के लिए बैंकों को निर्देशित करना।
  • कौशल प्रशिक्षण के लिए प्रावधान करना।
  • महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा के प्रसार के साथ जमीनी स्तर पर योजनाओं की जानकारी प्रदान करना।"

Q3: आर्थिक असमानता कल्याणकारी राज्य की बड़ी समस्या है। विभिन्न रिपोर्ट ने भारत में आर्थिक असमानता की स्थिति को संवेदनशील मुद्दे के रूप में चिन्हित किया है। इस कथन के संदर्भ को स्पष्ट करते हुए भारत में विद्यमान इस समस्या के कारणों और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का विवरण दीजिए। 

दृष्टिकोण:

  • विभिन्न रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • इसके बाद भारत में आर्थिक असमानता के कारणों को लिखिए
  • अंत में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर -

                              आर्थिक असमानता धारित संपत्ति, प्राप्त आय अथवा किये गए व्ययों में अंतर के रूप में परिभाषित की जाती है| इन्ही चरों के आधार पर आर्थिक असमानता को प्रदर्शित भी किया जाता है| ऑक्सफेम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में आर्थिक असमानता पिछले तीन दशकों से बढ़ रही है| रिपोर्ट के अनुसार 2017 में देश में अर्जित कुल संपत्ति का 73 प्रतिशत भाग देश की एक प्रतिशत जनसंख्या के खाते में गया है| इसी सर्वे में यह भी बताया गया है की 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में केवल 1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है| इन आंकड़ों से भारत में व्यापक आर्थिक असमानता की स्थिति का पता चलता है|

भारत में व्यापक आर्थिक असमानता के लिए उत्तरदायी कारक

  • भारत में भूमि एवं संपत्ति के स्वामित्व में व्यापक असमानता देखने को मिलती है| स्वामित्व में असमानता के कारण लोगों की आय और व्यय में व्यापक अंतर देखने को मिलता है| इसके कारण आर्थिक असमानता में वृद्धि हुई है|
  • आय अंतराल लोगों की शिक्षा तथा प्रशिक्षण तक पहुँच को भी प्रभावित करता है| अधिक आय वर्ग के लोगों की  उचित एवं आवश्यक शिक्षा तक आसानी से पहुँच होती है जबकि निम्न आय वर्ग के लोग अपेक्षित शिक्षा & प्रशिक्षण को नहीं प्राप्त कर पाते| इसका प्रभाव उनके द्वारा अवसरों तक पहुँच पर पड़ता है| अवसरों तक पहुँच में असमानता आर्थिक असमानता का रूप धारण कर लेती है|
  • भारत में पूँजी संसाधन की कमी का प्रभाव भारत की अवसंरचना पर पड़ता है जो अंततः विकास प्रक्रिया को बाधित करता है| कुछ क्षेत्रों में बेहतर अवसंरचना का विकास जबकि कुछ क्षेत्रों में अवसंरचना का निम्न विकास लोगों की आय में अंतर को उत्पन्न करता है जिससे आर्थिक असमानता बढ़ने लगती है|
  • भारत की अधिकाँश जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है| कृषि उत्पादन में अन्तर, भूमि की उत्पादकता में अंतर, आगतों की उपलब्धता आदि कारणों से कृषि आय में अंतर आता है| इससे आर्थिक असमानता बढ़ती है|
  • भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है| भारतीय अर्थव्यवस्था के अनेकों क्षेत्रों में अभी तकनीकी पिछड़ेपन को देखा जा सकता है| तकनीकी पिछडापन उत्पादन में कमी के लिए उत्तरदायी है| इसके साथ ही कुछ क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीकों का भी प्रयोग किया जा रहा है| तकनीकी प्रयोग में अंतर भी आर्थिक असमानता के प्रमुख कारणों में से एक है|

भारत में विभिन्न आय वर्ग हैं| इन वर्गों की क्षमताएं इनकी आय के अनुरूप हैं| क्षमताओं में अंतर आर्थिक असमानता की वृद्धि में सहायक है|
विकासात्मक व्ययों में रिसाव की समस्या, समावेशी विकास को बाधित करती है| सरकारी सुविधाओं तक पहुँच में असमानता आर्थिक असमानता की वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारकों में से एक है, इसी प्रकार भारत में बेरोजगारी और गरीबी की समस्या भी व्यापक आर्थिक असमानता के लिए उत्तरदायी हैं|

आर्थिक असमानता में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा किये गए प्रयास

  • भूमि सुधार कार्यक्रम के माध्यम से संपत्ति एवं भूमि पर स्वामित्व की असमानता को कम करने का प्रयास किया गया है|
  • कल्याणकारी स्वरुप के अंतर्गत भारत सरकार ने कल्याण के दृष्टिकोण से सार्वजनिक क्षेत्रक की स्थापना की है| यह आर्थिक असमानता में कमी लाने के लिए सहायक है|
  • संसाधनों के संकेन्द्रण को रोकने के लिए तथा गरीबों की सहज वित्त की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया है|
  • सामाजिक-आर्थिक असमानता में कमी लाने के लिए भारत सरकार ने सकारात्मक भेदभाव की नीति अपनाई है और इसके अंतर्गत वंचित अथवा कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी है|
  • भारत एक कल्याणकारी राज्य है| कल्याण कार्यों के सुचारू संचालन के लिए राजस्व की आवाश्यकता होती है| राजस्व प्राप्ति के लिए भारत सरकार ने प्रगतिशील कराधान की प्रणाली अपनाई है|
  • सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों में अधिकतम रोजगार सृजन की क्षमता होती है| अधिकतम रोजगार सृजन लोगों के आय स्तर में वृद्धि करने में सहायक होगा| इसी उद्देश्य से भारत सरकार MSME का संरक्षण और प्रोत्साहन कर रही है
  • इनके अतिरिक्त भारत सरकार विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रम,वित्तीय समावेशन, कृषि विकास, सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम,कौशल विकास कार्यक्रम तथा निर्धनता उन्मूलन एवं रोजगार सृजन कार्यक्रमों का संचालन कर रही है।

उपरोक्त प्रयासों के बाद भी भारत में अभी भी व्यापक आर्थिक असमानता देखने को मिलती है| इससे स्पष्ट होता है कि आर्थिक असमानता में कमी लाने के लिए भारत सरकार को और प्रभावी प्रयास करने की आवश्यकता है|इस दिशा में कौशल विकास, क्षमता संवर्धन, सशक्तिकरण आदि उपाय प्रभावी हो सकते हैं |