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SHIKHAR Mains Day 3 - Answer Hindi

Updated : 7th Jun 2023
SHIKHAR Mains Day 3 - Answer Hindi

Q1. औद्योगिक क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? उन कारकों की व्याख्या कीजिये जिनके कारण औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत ब्रिटेन से हुई| (8 Marks) 

What do you understand by industrial revolution? Explain the factors responsible for the beginning of the Industrial Revolution in Britain. (8 Marks)

दृष्टिकोण:

  • भूमिका में औद्योगिक क्रान्ति को परिभाषित कीजिये।

  • मुख्य भाग में ब्रिटेन से औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत के कारणों को रेखांकित कीजिये।

  • अंतिम में उपरोक्त विवरण का निष्कर्ष देते हुए अन्य देशों में औद्योगीकरण की सूचना देकर उत्तर समाप्त कीजिये।

 

उत्तर -

              औद्योगीकरण मानव के विकास यात्रा में एक नए चरण का प्रतिनिधित्व करता है। औद्योगीकरण उत्पादन के तरीकों में व्यापक बदलाव को रेखांकित करता है। यह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है न कि किसी वर्ष विशेष में घटित होने वाली कोई घटना है। 18 वीं-19वीं सदी में उत्पादन के तरीकों में आमूलचूल परिवर्तन हुए  इसीलिए इसे औद्योगिक क्रान्ति भी कहते हैं। इसके अंतर्गत मशीनों के द्वारा उत्पादन, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुनाफे पर ध्यान में रख के उत्पादन, वाष्प की शक्ति के द्वारा मशीनों का संचालन आदि परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं। औद्योगीकरण ने आर्थिक जीवन के साथ-साथ राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को भी व्यापक तौर पर प्रभावित किया था। पूंजीवादी औद्योगीकरण की विकास यात्रा ब्रिटेन से प्रारम्भ हुई। वर्ष 1800 तक ब्रिटेन की गणना औद्योगिक राष्ट्रों में होने लगी थी| इसके लिए अनेक कारक उत्तरदायी थे।

 

औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत ब्रिटेन से ही क्यों?

कृषि में परिवर्तन(कृषि-क्रांति)

  • यूरोपीय राष्ट्रों में सर्वप्रथम ब्रिटेन में 18वीं सदी में कृषि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलता है जैसे: शस्यावर्तन, बीज बोने का यंत्र, बड़े-बड़े फार्मों पर कृषि, बाड़ाबंदी आंदोलन(सरकारी समर्थन से बड़े जमींदारों द्वारा औने-पौने दामों पर छोटे किसानों से जमीनों को खरीदना) आदि।

  • इन परिवर्तनों के कारण अधिशेष उत्पादन हुआ तथा जनसँख्या में वृद्धि हुयी तथा गैर-कृषि कार्यों में संलग्न लोगों को भोजन उपलब्ध हो पाया, साथ ही, श्रमिकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित हुयी थी|

जनसँख्या वृद्धि

  • खाद्यानों की उपलब्धता, चिकित्सा क्षेत्र में सुधार इत्यादि कारणों से ब्रिटिश जनसँख्या में तीव्र वृद्धि देखी गयी जैसे: 1750 से 1800 के बीच पश्चिम यूरोप के बीस शहरों की आबादी दोगुनी हुई उसमें 11 शहर ब्रिटेन के थें। जनसँख्या वृद्धि के कारण मांग भी बढ़ी और श्रमिकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो पायी।

व्यापारिक क्रांति का प्रभाव

  • 16वीं से 18वीं सदी का युग व्यापारिक क्रांति के कारण भी महत्व रखता है।

  • व्यापारिक क्रांति का लाभ लगभग सभी पश्चिमी यूरोपीय देशों को हुआ लेकिन 18वीं सदी के मध्य तक ब्रिटेन की स्थिति सर्वश्रेष्ठ थी।

  • इससे उद्योगों में निवेश के लिए पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित हुयी तथा बाजार एवं कच्चे माल के लिए उपनिवेश की भी उपलब्धता सुनिश्चित हो पायी।

परिवहन के क्षेत्र में परिवर्तन

  • 18वीं सदी के अंत तक ब्रिटेन उन्नत परिवहन के मामलों में भी अन्य यूरोपीय देशों से आगे था।

  • 1800 ई. तक सभी प्रमुख शहरों को नहरों से जोड़ दिया गया एवं लगभग 4000 मील नहरों का निर्माण हुआ था|

  • इसी प्रकार मैकडेन के द्वारा पक्की सड़कों के निर्माण की शुरुआत तथा 1820 के दशक में व्यावसायिक तौर पर रेलवे के संचालन ने भी परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव किये।

  • उन्नत परिवहन के कारण राष्ट्रीय बाजार का निर्माण हुआ, आयात-निर्यात सुगम हुआ तथा आधारभूत उद्योगों का विकास भी।

राजनीतिक कारण

  • यूरोपीय राष्ट्रों की तुलना में ब्रिटेन राजनीतिक रूप से ज्यादा स्थिर था जैसे-1688 की रक्तहीन क्रांति के पश्चात ब्रिटेन में अपेक्षाकृत स्थिर व्यवस्था थी तो दूसरी तरफ फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात या अन्य कारणों से भी यूरोपीय राष्ट्र संघर्षरत व अस्थिर थें|

  • राजनीतिक स्थिरता  आर्थिक विकास एवं निवेश के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करती है|

  • सरकार ने क्रेता के रूप में भी औद्योगिक प्रक्रियायों को समर्थन दिया तथा औद्योगीकरण के अनुकूल नीतियों का भी निर्माण किया जैसे- ब्रिटेन में एक प्रकार की मुद्रा, कानून, भाषा इत्यादि का विकास|

  • इसी के साथ-साथ अहस्तक्षेप की नीति, मुक्त व्यापार की नीति, उपनिवेशों की स्थापना, उपनिवेशों के लिए युद्ध इत्यादि कारकों के द्वारा भी राज्य ने औद्योगिक प्रक्रियाओं को समर्थन दिया| 

सामाजिक कारण

  • ब्रिटिश समाज में लोचशीलता, प्रगतिशीलता, समन्वयकारी दृष्टिकोण, वैज्ञानिक शिक्षा को महत्व इत्यादि विशेषताएं थी।

  • इससे समकालीन समाज में ब्रिटेन को एक अलग स्थान प्राप्त था जैसे- राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर संक्रमण अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा।

  • 1750 से 1800 के बीच हजारों नए अनुसंधान किए गए यहाँ तक कि अभिजात्य वर्ग ने भी उद्योगों में पैसे निवेश किए इत्यादि।

अन्य आर्थिक कारण

  • लोहे एवं कोयले की उपलब्धता; नदियों का नौगम्य होना।

  • विकसित बैंकिंग ढाँचा जैसे- 1800 ई. तक लगभग 300 क्षेत्रीय बैंक आदि के फलस्वरूप भी ब्रिटेन की स्थिति अन्य यूरोपीय राष्ट्रों के मुकाबले ज्यादा बेहतर थी।

तकनीकी विकास

  • तकनीकी विकास के मामले में भी ब्रिटेन अग्रणी राष्ट्र था|

  • ब्रिटेन के डर्बी परिवार ने लोहे को मनचाहा आकार देने के तकनीक का विकास किया तो मैकडेन ने पक्की सड़कों का वहीँ जेम्स वाट ने ईंजन का।

  • कपड़े के क्षेत्र में भी कई नई मशीनों का आविष्कार हुआ जैसे- वाटरफ्रेम, पॉवरलूम, स्पिनिंग जेनी आदि।

 

                               उपरोक्त कारकों के कारण ब्रिटेन की स्थिति अन्य यूरोपीय राष्ट्रों के मुकाबले औद्योगिक क्रांति हेतु ज्यादा अनुकूल थी। अतः औद्योगिक क्रान्ति का आरम्भ ब्रिटेन से हुआ। 19वीं सदी के मध्य तक फ्रांस, हॉलैंड, बेल्जियम आदि देशों की भी औद्योगिक राष्ट्र के रूप में पहचान बनी। 19वीं सदी के अंतिम दशकों तक अमेरिका जर्मनी जापान आदि देशों की गणना भी महत्वपूर्ण औद्योगिक राष्ट्रों के रूप में होने लगी थी।  ब्रिटेन में इस औद्योगिक क्रांति की वजह से आर्थिक, राजनीतिक क्षेत्र पर व्यापक सकारात्मक प्रभाव पड़ा वहीँ इससे ब्रिटेन के सामाजिक क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव भी दृष्टिगोचर हुए।

 

Q2.  प्रथम विश्व युद्ध के कारणों  की व्याख्या कीजिये। इस युद्ध के पश्चात शांति स्थापित करने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिए। (12 Marks)

Explain the causes of the First World War. Discuss the steps taken to establish peace after the war. (12 Marks)

दृष्टिकोण-

  • भूमिका में प्रथम विश्व युद्ध का परिचय दीजिए।

  • उत्तर के दूसरे भाग में इसके प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।

  • उत्तर के तीसरे भाग में युद्ध के बाद शांति के प्रयासों को लिखिए।

  • उत्तर के अंतिम भाग में  निष्कर्ष लिखते हुए उत्तर समाप्त कीजिए।   

उत्तर :-

          प्रथम विश्व युद्ध का प्रारम्भ 1914 में हुआ जो 1918 तक चला। इस युद्ध में एक तरफ मित्र राष्ट्र जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, रूस और अमेरिका शामिल थे तो  दूसरी तरफ जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी,  बुल्गारिया और तुर्की  शामिल थे । जिसमें मित्र राष्ट्र विजयी हुए।

प्रथम विश्व युद्ध के कारण-

  • उपनिवेशों में प्रतिस्पर्द्धा: एकीकरण के पश्चात जर्मनी व इटली एक महान शक्ति के रूप में उभरे एवं इन्हे उपनिवेशों की आवश्यकता पड़ी। नए गुटों के निर्माण से रूसी साम्राज्यवादी प्रतिद्वंद्विता में तीव्रता आई।

  • प्रतिष्ठा का प्रश्न:  जर्मनी ने फ्रांस से अल्सास-लॉरेन का क्षेत्र लेकर क्षेत्रीय अखंडता को प्रभावित किया। फ्रांस अपने आप को कमजोर साबित नहीं होने देना चाहता था। इसके अतिरिक्त रूस और आस्ट्रिया ने के बीच प्रतिष्ठा को लेकर मतभेद जारी रहे।

  • गुटबंदी: आस्ट्रिया, जर्मनी और इटली ने आपस में मिलकर एक गुप्त संधि की। इसके माध्यम से वे फ्रांस को अलग-थलग रखना चाहते थे। इसके जवाब में एक प्रतिगुट का निर्माण हुआ जिसका नेतृत्व इंग्लैंड, फ्रांस व रूस ने किया।

  • सैन्यवाद:  प्रत्यक्ष रूप से सैन्यवाद विभिन्न यूरोपीय गुटों से जुड़ा था। इन गुप्त संधियों ने एक दूसरे के प्रति शंका व अविश्वास में और वृद्धि की। फ्रांस की क्रांति, जर्मनी-इटली के एकीकरण के पश्चात सैन्य प्रसार की आवश्यकता हुई।

  • अखबारों की भूमिका: लेखों के माध्यम से विभिन्न देशों के बारे में दुष्प्रचार को प्रसारित कर दिया। इसके पूर्वा विभिन्न क्रांतियों में भी इन समाचार पत्रों की भूमिका अतिव्यापक थी जिसके कारण लोगों ने इनके द्वारा प्रसारित संदेशों पर विश्वास किया।

  • तात्कालिक कारण : बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में आस्ट्रिया के राजकुमार फर्डीनेन्ड की हत्या ने प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत कर दी।

युद्ध पश्चात शांति के प्रयास: 

इस युद्ध में जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी एवं तुर्की आदि गुटों की पराजय हुई। विजयी देशों ने युद्धोत्तर काल की व्यवस्था स्थापित करने के लिए 1919 में पेरिस में शांति-सम्मेलन का आयोजन किया। इसके अंतर्गत कई प्रकार की संधियां की गयी :-

  • वर्साय की संधि: - यह संधि जर्मनी के साथ की गयी। इसके तहत प्रादेशिक, सैन्य व आर्थिक व्यवस्था में व्यापक बदलाव किया गया। इसका उद्देश्य मित्र देशों द्वारा अपने हितों को साधना था। इसी के तहत अल्सास लॉरेन क्षेत्र को जर्मनी से छीनकर पुनः फ्रांस को दे दिया गया। सैनिक क्षमता को भी सीमित किया गया। अधिकतम सैनिकों पर सीमा आरोपित कर दी गयी। नौसैनिक जहाज जब्त कर लिए गए। आर्थिक रूप से जर्मनी को युद्ध क्षति की भरपाई का जिम्मेदार ठहराया गया। यह संधि अनेक भेदभावों से युक्त थी जिसका परिणाम दूसरे विश्व युद्ध के रूप में हुआ।

  • अन्य संधियां: -आस्ट्रिया के साथ मित्र राष्ट्रों ने सेंट जर्मेन की संधि की जिसका उद्देश्य साम्राज्य को विखंडित करना था। इसके पश्चात हंगरी, पोलैंड आदि देशों को स्वतन्त्रता प्राप्त हो गयी। इसके अतिरिक्त हंगरी के साथ त्रियानो, बुल्गारिया के साथ निउली की संधि और तुर्की के साथ सेवर्स की संधि की गई।

  • लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना: युद्ध के पश्चात अंतराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा की आवश्यकता को महसूस करते हुए एक संगठन के रूप में इसे स्थापित किया गया।

इस प्रकार कुछ राष्ट्रों के साम्राज्यवादी हितों, सैन्यवाद, गुटबंदी आदि कारणों से एक यूरोपीय युद्ध प्रथम विश्व युद्ध में बदल गया। जिसका परिणाम अत्यंत ही व्यापक रहा जिसने आर्थिक, भौगोलिक, राजनीतिक क्षेत्रों पर प्रभाव डाले। इस युद्ध के पश्चात शांति के प्रयास हुए परंतु पूर्णतः सफल नहीं हो सके जिसका परिणाम द्वितीय विश्व युद्ध के रूप में देखने को मिला।