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SHIKHAR Mains Day 9 Answer - Hindi

Updated : 28th Nov 2021
SHIKHAR Mains Day 9 Answer - Hindi

Q1- मानवीय क्रियाकलापो मे नीतिशास्त्र की भूमिका की व्यख्या कीजिए ?

Answer -

मानवीय क्रियाकलापो से तात्पर्य मुशयों द्वारा किए गए कार्यों से है अर्थात मनुष्य के सभी कार्य वैयक्तिक या समूहिक कार्य मानवीय कृकलापों के अंतर्गत आते है । इस संदर्भ मे नीतिशास्त्र मनुष्य के क्रियाओं का आकलन करता है । 
नीतिशास्त्र मनुष्य के चरित्र तथा उसके आचरण का परीक्षण करता है और उसे परिमार्जित करने का प्रयास करता है । 
 शुभ - अशुभ , सही -गलत , उचित- अनुचित आदि नैतिक तत्वों  के परिप्रेक्ष्य में किसी व्यक्ति  का नैतिक मूल्यांकन करता है । 
चूंकि नैतिकता का विकास समाजीकरण की प्रक्रिया से होता है । इस संदर्भ मे व्यक्ति के चरित्र तथा आचरण का निर्माण समाज मे व्याप्त परम्पराओ मूल्यों के आधार पर होता है ।
मनुष्यों का क्रियाकलाप मुख्यत: सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों तक सीमित है । 
जब हम कोई गलत  कार्य करते है तो अंत:कारण की आवाज से रोकने का प्रयास करती है या हमे कार्य पश्चात आत्म ग्लानि होने लगती है । 
कभी -कभी जब हमारा व्यवहार समाज द्वारा बनाए गए नैतिक परम्पराओ के विचलित हो जाता है तो समाज हमे बहिष्कृत कर देता है । 

 

Q2: लोक सेवा के क्षेत्र मे नीतिशास्त्र की भूमिका  को स्पष्ट कीजिये ?

Answer -

किसी भी लोक सेवक को जनहित /सामाजिक कार्य करने के लिए संकल्प की स्वतन्त्रता के साथ-  साथ एक उछ नैतिक आचरण की आवश्यकता होती है । कई बार लोक सेवको को नैतिक दुविधा  और जटिल निर्णयों का  सामना करना पड़ता है । इस दृष्टिकोण से नीतिशास्त्र व्यक्तिक आचरण को विकसित करने तथा लोक सेवको मे धैर्य बनाए रखने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । 

लोक सेवा के क्षेत्र मे नीतिशास्त्र की भूमिका

  • लोकसेवकों के स्वनिर्णय की शक्तियों के दुरूपयोग होने की संभावना को युक्तियुक्त प्रतिबंधित करता है ।
  • लोक सेवको मे उत्तरदायित्व की भावना के विकास को प्रोत्साहित करता है|
  • स्व-जवाबदेहिता को विकसित एवं प्रोत्साहित करने मे नीति शस्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।  
  • यह नीति परक उच्च आचरण को बनाए रखने मे मदद करता है ।
  • समाजकल्याण, जनहित एवं सामाजिक हित के संबंध मे सही निर्णय लेने को प्रोत्साहित करता है
  • लोक सेवको मे कार्यकुशलता एवं प्रभावशीलता का विकास करता है ।
  • उचित- अनुचित /शुभ -अशुभ के निर्णय लेने मे सहयोग प्रदान करता है ।
  • लोकसेवकों के प्रति सामाजिक विश्वास एवं मान्यता को सुदृढ़ करती है|
  • लोकसेवकों की विश्वसनीयता को अधिक सुदृढ़ता प्रदान करता है|
  • नीतिशास्त्र के माध्यम से लोकसेवकों के द्वारा लोकसंसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करने हेतु एक विशेष दायित्व उत्पन्न होता है|
  • सामाजिक एकरूपता को बनाए रखने में लोकसेवकों को विशेष भूमिका अदा करने हेतु प्रोत्साहित करता है|

अत: नीतिशास्त्र समाज मे एकीकरण के साथ साथ एक नई दिशा प्रदान करने मे सहायक होता है । मानवीय संबंधो को नैतिक आधार प्रदान कर सामाजिक सुरक्षा तथा शांति  बनाए रखने मे सहयोगात्मक भूमिका निभाता है । 

Q3: मूल्यों के विकास मे परिवार ,समाज और शैक्षिक संस्थानो की भूमिका को स्पष्ट कीजिए ?

Answer -

मूल्य किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास के आधारभूत तत्व है । मूल्यों का विकास  हमारे समाज , परिवार मित्र विध्यालय आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । जो हमारे सही और गलत के निर्णय को आधार प्रदान करते है । 
मूल्य समाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा विकसित होते है । अर्थात यह प्रक्रिया जन्म  के समय से शुरू होकर जीवन पर्यंत चलती रहती है ।

मानवीय मूल्यों का विकास मे परिवार , समाज और शैक्षिक संस्थानो की भूमिका 

    • परिवार किसी व्यक्ति के जीवन की प्रथम पाठशाला है । यही एक पीढ़ी के संस्कार और संस्कृति, दूसरे पीढ़ी तक हस्तांतरित होते है ।
    • यदि परिवार लोकतान्त्रिक मूल्यों , सहिष्णुता , धर्मनिरपेक्षता जैस  मूल्यों पर पर विश्वास करता है , तो व्यक्ति या बालक के अंदर उसी प्रकार के मूल्यों का विकास होता है ।
    • परिवार से  सीखे गए मूल्यों का परीक्षण समाज की पाठशाला मे ही होता है ।
    • जिस प्रकार का समाज होता है उसी प्रकार के मूल्यों के विकास की पूरी संभवना होती है ।  जब कोई बालक जैसे- जैसे  समाज  के संपर्क मे आता  है वैसे -वैसे उसके मूल्यों का विकास और परिवर्तन होता रहता है । 
      सोशल मीडिया ,विभिन्न सामाजिक समूह ,विभिन्न प्रकार के परम्पराए आदि के कारण समाज की नैतिक मानदंडो उसकी  प्रकृति आदि पर प्रभाव पड़ता है । ,
    • विभिन्न प्रकार के धार्मिक समूहो , जातियों व सांस्कृतिक विविधता वाले समाज मे सहिष्णुता , धैर्य , समरसता , लोकतान्त्रिक विचार आदि को विकसित करना आसान होता है ।  
    • मानवीय मूल्यों के विकास में शिक्षा नीति व शैक्षणिक संस्थानो का विशेष महत्त्व है|
    • वर्तमान समय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020  मे  शैक्षणिक प्रणाली मे नैतिक मूल्यों की विकसित  करने पर विशेष बल दिया गया है|
    • शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य विध्यार्थियों के अंदर तार्किक भावन का विकास , वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ साथ सहानुभूति , करुणा , समानुभूति, ईमानदारी ,लोकतान्त्रिक मूल्य , स्वतन्त्रता सत्यनिष्ठा जैसे मूल्यों का विकास करना होता है ।

शैक्षणिक संस्थानो के माध्यम से संवैधानिक तथा सामाजिक मूल्यों का विकास की संभावना होती है । इससे  समावेशी और बहुलतावादी समाज का बेहतर निर्माण किया जा  सकता है ।