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SHIKHAR Mains UPPSC 2021 Day 18 Answer Hindi

Updated : 24th Dec 2021
SHIKHAR Mains UPPSC 2021 Day 18 Answer Hindi

Q1: What do you understand by 'Gig Economy'? How does globalization has helped in the rise of Gig economy in India? 

  'गिग इकॉनमी' से आप क्या समझते हैं ? वैश्वीकरण ने भारत में गिग अर्थव्यवस्था के उदय में किस प्रकार सहयोग प्रदान की है ?

 

-भूमिका 

 

       गिग इकॉनामी को एक मुक्त बाजार प्रणाली के रूप में  परिभाषित किया गया है जिसमें स्वतंत्र कर्मचारी अस्थायी स्थिति में कम समय के लिए लगे हुए हैं। इसे ‘‘फ्रीलांसर अर्थव्यवस्था,’’ ‘‘फुर्तीली कार्यबल,’’ ‘‘ साझा अर्थव्यवस्था,’’ या स्वतंत्र कार्यबल के रूप में भी जाना जाता है। भारत में, दिल्ली भारत के तकनीकी सक्षम गिग अर्थव्यवस्था में शामिल होने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए शीर्ष गंतव्य के रूप में उभरा है।

 

गिग अर्थव्यवस्था मुख्यतः तीन घटकों से बनी है-

 

-गिग इकोनॉमी में भुगतान किए गए स्वतंत्र श्रमिक (जो किसी एक कार्य या एक परियोजना से सम्बंधित होते हैं) उन श्रमिकों के विपरीत होते हैं जो वेतन या प्रति घंटा का वेतन प्राप्त करते हैं।

-जिन उपभोक्ताओं को एक विशिष्ट सेवा की आवश्यकता होती है, उदाहरण के लिए उनके अगले गंतव्य के लिए सवारी, या किसी विशेष वस्तु की डिलीवरी।

-वे कंपनियाँ जो ऐप - आधारित प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म सहित प्रत्यक्ष तरीके से मजबूर को उपभोक्ता से जोड़ती हैं।

 

गिग इकोनॉमी के लाभ;

 

   ये डिजिटलाइजेशन का युग है जिसमे लोग कहीं भी सहज हो कर काम करना पसन्द करते हैं। इसने न केवल कर्मचारियों को वह काम करने में सक्षम किया है जो वे पसन्द करते हैं, बल्कि नौकरी के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम प्रतिभा का चयन करने के लिए नियोक्ताओं को स्वतंत्रता भी प्रदान की है। भौगोलिक स्थिति अब किसी परियोजना के लिए उपलब्ध प्रतिभाओं के दोहन के लिए बाधक नहीं है।

 

-गिग इकोनॉमी कारोबारी घरानों के लिए फायदेमंद है। बड़े कारोबारी घराने अपने संसाधनों को बचा सकते हैं। उदाहरण के लिए, भविष्य निधि, सशुल्क अवकाश और कार्यालय स्थान जैसे विभिन्न लाभों को बचाया जा सकता है।

-गिग अर्थव्यवस्था श्रमिकों को अधिक विकल्प प्रदान करती है परिणामस्वरूप लोग कई बार अपनी नौकरी बदल सकते हैं जब तक उन्हें अपनी पंसद का काम नहीं मिलता है।

-गिग अर्थव्यवस्था श्रमिकों को प्रयोग करने की गुंजाइश देती है।

-गिग अर्थव्यवस्था अधिक लाभदायक है क्योंकि एक व्यक्ति फ्रींलांसिंग के माध्यम से अतिरिक्त कमा सकता है।

-गिग इकोनॉमी के माध्यम से कोई महिला अपने व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन में सामंजस्य के साथ कार्य कर सकती है।

-गिग इकोनॉमी सेवानिवृत्ता लोगों के लिए भी मददगार है क्योंकि इसके माध्यम से उनकी उनके बच्चों पर निर्भरता कम होती है। तथा यह अकेलेपन के अवसाद से भी दूर रहने में सहायक होती है।

-स्टार्ट-अप जिनके पास वित्तीय प्रतिबंध हैं वे अधिकतर समय फ्रीलसंसरों और अंशकालिक श्रमिकों से मिलने वाले लाभों के कारण जीवित रहते हैं।

 

-गिग इकोनॉमी के समक्ष आने वाली चुनौतियां;

 

-गिग इकोनॉमी में रोजगार की सुरक्षा का अभाव है।

-यह ज्यादातर अनियमित है क्योकि इसके परिणामस्वरूप पारंपरिक अर्थिक प्रणाली की तुलना में कम लाभ है।

-गिग इकोनॉमी के कर्मचारियों को अपने प्रोफेशनल स्किल्स को अपग्रेड करने का खर्चा स्वंय वहन करना होगा। क्योंकि कंपनी ट्रेनिंग कर्मचारियों पर खर्च नहीं करती है।

-गिग इकोनॉमी में श्रमिकों को कभी भी सीमित किया जा सकता है।

-श्रमिक, पेंशन ग्रेच्युरी, भत्ते आदि के हकदार नहीं हैं जो पूर्णकालिक नौकरियों में उपलब्ध हैं।

-आय का स्थिर साधन न होने के कारण बैंक तथा वित्तीय संस्थान के पास ऋण देने हेतु कोई आधार उपलब्ध नहीं होता है।

-इसमें व्यवसाय और मुनाफे के स्वतंत्र तरीके को प्राथमिकता दी जाती है तथा सामाजिक कल्याण के उद्देश्यों को उपेक्षित किया जा सकता है।

-कुछ ऐसे कार्य जहाँ टीम वर्क आवश्यक होता है वहाँ गिग इकोनॉमी की आवश्यकता नहीं होती है।

 

                      भारत में रोजगार सृजन अल्प है। आबादी का एक वर्ग पूरी तरह गिग इकोनॉमी पर निर्भर है। इसलिए गिग इकोनॉमी को विनियमित करने के लिए नीतियों और एक मजबूत प्रणाली की आवश्यकता है। ताकि कामगार इस उभरती अर्थव्यवस्था में काम करके लाभान्वित हो सकें।



Q2: Asset Monetisation, holds the key to value creation in infrastructure. Discuss the statement in light of the recently launched National Monetisation pipeline.  

   संपत्ति मुद्रीकरण, बुनियादी ढांचे में मूल्य निर्माण की कुंजी है। हाल ही में शुरू की गई राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के आलोक में इस कथन पर चर्चा कीजिए ?

 

-भूमिका 

 

-हाल ही में भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP) की शुरुआत की है। NMP के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्ति में 6 लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रीकरण क्षमता मौजूद है।

 

-यह योजना प्रधानमंत्री की रणनीतिक विनिवेश नीति के अनुरूप है, जिसके तहत सरकार केवल कुछ ही विशिष्ट क्षेत्रों में उपस्थिति बनाए रखेगी और शेष को निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया जाएगा।

 

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन

 

इसका उद्देश्य ब्राउनफील्ड परियोजनाओं में निजी क्षेत्र को शामिल करना और उन्हें राजस्व अधिकार हस्तांतरित करना है, हालाँकि इसके तहत परियोजनाओं के स्वामित्व का हस्तांतरण नहीं किया जाएगा, साथ ही इसके माध्यम से उत्पन्न पूंजी का उपयोग देश भर में बुनियादी अवसंरचनाओं के निर्माण के लिये किया जाएगा।

NMP का प्राथमिक कार्य मुद्रीकरण के लिये एक स्पष्ट ढाँचा प्रदान करना और संभावित निवेशकों के लिये मुद्रीकरण हेतु उपलब्ध संपत्ति की एक सूची तैयार करना है।

केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत स्थायी बुनियादी अवसंरचना के वित्तपोषण हेतु मौजूदा सार्वजनिक बुनियादी अवसंरचना परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण को एक प्रमुख साधन के रूप में मान्यता दी गई थी।

वर्तमान में इसके तहत केवल केंद्र सरकार के मंत्रालयों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) की संपत्ति को ही शामिल किया गया है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि ब्राउनफील्ड संपत्तियाँ वे संपत्तियाँ हैं, जिन्हें सरकार द्वारा ‘जोखिम रहित’ माना गया है और इसलिये निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

सड़क, रेलवे और बिजली क्षेत्र की संपत्ति में मुद्रीकृत होने वाली संपत्ति के कुल अनुमानित मूल्य का 66% से अधिक शामिल होगा, इसके अलावा इसमें दूरसंचार, खनन, विमानन, बंदरगाह, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन, गोदाम और स्टेडियम भी शामिल हैं।

मूल्य के अनुसार वार्षिक चरणबद्धता के संदर्भ में चालू वित्त वर्ष में 0.88 लाख करोड़ रुपए के सांकेतिक मूल्य के साथ 15% परिसंपत्तियों को इसी वित्तीय वर्ष में मुद्रीकृत किया जाएगा।

‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ दिसंबर 2019 में घोषित 100 लाख करोड़ रुपए की ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ (NIP) के साथ-साथ क्रियान्वित की जाएगी।

मुद्रीकरण के माध्यम से जुटाई जाने वाली अनुमानित राशि ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ के तहत केंद्र के 43 लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावित परिव्यय का लगभग 14% है।

‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं पर एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करेगी, जो रोज़गार पैदा करने, जीवनयापन में सुधार और सभी के लिये बुनियादी अवसंरचना तक समान पहुँच सुनिश्चित करने में मददगार होगी, जिससे विकास अधिक समावेशी हो सकेगा। इसमें मुख्यतः आर्थिक और सामाजिक बुनियादी अवसंरचना परियोजनाएँ शामिल हैं।

बुनियादी अवसंरचना विकास से संबंधित अन्य पहलों में ‘राज्यों के पूंजीगत व्यय हेतु विशेष सहायता योजना’ और ‘औद्योगिक गलियारे’ आदि शामिल हैं।

संबंधित चुनौतियाँ:

-विभिन्न संपत्तियों में पहचान योग्य राजस्व धाराओं का अभाव।

-एयर इंडिया और BPCL समेत सरकारी कंपनियों में निजीकरण की धीमी रफ्तार।

-इसके अलावा ट्रेनों में हाल ही में शुरू की गई PPP पहल में कम-से-कम उत्साहजनक बोलियों से यह संकेत मिलता है कि निजी निवेशकों की रुचि को आकर्षित करना इतना आसान नहीं है।

संपत्ति-विशिष्ट चुनौतियाँ;

-गैस और पेट्रोलियम पाइपलाइन नेटवर्क में क्षमता उपयोग का निम्न स्तर।

-विद्युत क्षेत्र की परिसंपत्तियों में विनियमित टैरिफ।

-फोर लेन से नीचे के राष्ट्रीय राजमार्गों के लिये निवेशकों में कम दिलचस्पी।

-उदाहरण के लिये कोंकण रेलवे में राज्य सरकारों सहित कई हितधारक हैं, जिनकी कंपनी में हिस्सेदारी है।

आगे की राह

क्रियान्वयन ही सफलता की कुंजी है: सरकार ने NMP ढाँचे में बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण कई चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश की है, योजना का क्रियान्वयन इसकी सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है।

विवाद निवारण तंत्र: इसके अलावा एक कुशल विवाद समाधान तंत्र की आवश्यकता है।

बहु-हितधारक दृष्टिकोण: बुनियादी ढाँचे की विस्तार योजना की सफलता अन्य हितधारकों संबंधी उनकी उचित भूमिका निभाने पर निर्भर करेगी।

इनमें राज्य सरकारें और उनके सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम व निजी क्षेत्र शामिल हैं।

इस संदर्भ में पंद्रहवें वित्त आयोग ने केंद्र और राज्यों के वित्तीय उत्तरदायित्व कानून की फिर से जाँच करने के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त अंतर-सरकारी समूह की स्थापना की सिफारिश की है।