1) Discuss the advantages and disadvantages of nuclear science and technology. Discuss the socio-economic applications of nuclear science and technology in India.
नाभिकीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लाभ एवं हानि की चर्चा कीजिए। भारत में नाभिकीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सामाजिक-आर्थिक अनुप्रयोगों की चर्चा कीजिए|
दृष्टिकोण-
- भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बताते हुए परिचय लिखिए।
- नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लाभ एवं हानि को बिन्दुवार लिखिए।
- भारत में नाभिकीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सामाजिक-आर्थिक अनुप्रयोगों को बिन्दुवार लिखिए।
- अंत में एक संतुलित निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर-
भारत में परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत नाभिकीय प्रौद्योगिकी का प्रयोग भविष्य के ऊर्जा संबंधी चुनौतियों, कृषि क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र, उद्योगों, अवशिष्ट निपटान, आदि समस्या के समाधान के लिए अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है|
नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लाभ को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:-
- कृषि क्षेत्र में नाभिकीय प्रौद्योगिकी के माध्यम खाद्य प्रसंस्करण में, उच्च उत्पादन वाले बीजों आदि का निर्माण किया जा सकता है।
- चिकित्सा क्षेत्र में विभिन्न रोगों का पता लगाने और उनका उपचार करने में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
- उद्योग क्षेत्र में रिसाव आदि का पता लगाने में इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है।
- परमाणु ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है।
- नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ी हानि को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:-
- परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से आने वाला रेडियोधर्मी कचरा/अवशिष्ट प्रकृति एवं मनुष्यों के लिए बड़ा खतरा होता है।
- राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को बढ़ावा तथा परमाणु युद्ध की ओर बढ़ना संभव हो जाएगा। जैसे- अमेरिका-रूस शीत युद्ध के समय क्यूबा मिसाईल संकट आदि।
- चिकित्सा क्षेत्र में स्वस्थ उत्तकों को नुकसान; कभी-कभी दिल/फेफड़ों जैसे अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव होता है|
- विकिरण तकनीक के माध्यम से जीएम फसलों के निर्माण से मानव स्वास्थ्य पर भविष्य में प्रतिकूल प्रभाव संभव है।
भारत में नाभिकीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सामाजिक-आर्थिक अनुप्रयोगों को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:-
चिकित्सा क्षेत्र में -
- रेडियो ट्रेसर द्वारा रोगों का पता लगाना | उदहारण - कैंसर का पता लगाना, उदर अल्सर, ह्रदय रोग, थायरायड रोग, हड्डियों का रोग, आदि |
- PET- पॉज़िट्रान एमिसन टोमोग्राफी तथा सिंगल फोटोन एमिसन कंप्यूटेड टोमोग्राफी, स्कैनिंग मशीनों की सहायता से कैंसर अथवा अन्य रोगों का पता लगाना |
- कैंसर के इलाज के लिए भाभाट्रोंन टेली -थेरेपी मशीन जोकि कोबाल्ट-60 रेडियो आइसोटोप के माध्यम से गामा-विकिरण उत्पन्न करता है |
- ग्रीन लेजर द्वारा डायबेटिक रेटिनोपैथी का इलाज |
कृषि क्षेत्र में -
- गामा- विकिरण द्वारा खाद्य प्रसंस्करण | इससे लाभ- खाद्य खराब नहीं होता, कीटाणुनाशक होता है, लम्बे समय तक संग्रह किया जा सकता है | उदहारण - गरम मसाला, रवा, सूजी, आम, मांस, मछली, आदि |
- उच्च पैदावार/उत्पादन फसलों को विकिरण तकनीक द्वारा विकसित करना | उदाहरण- मूंगफली, दूबराज, चावल, सरसों, जूट, दाल, आदि |
- सेस्बनिया रोस्ट्राटा - दलहनी पौधा है, जिसकी जड़ों की गांठों में सहजीवी राइजोबियम जीवाणु पाया जाता है | इसका उपयोग जैव-उर्वरक के रूप में किया जाता है |
उद्योग क्षेत्र में
- -रोलि कैमरा के उपयोग द्वारा धातुओं में किसी प्रकार का छोटा से छोटा क्षिद्र अथवा कच्चा तेल एवं गैस पाइपलाइन में रिसाव का पता लगाना |
- -लेजर का औद्योगिक उपयोग |
- -त्वरक एवं साइक्लोट्रोंन द्वारा इलेक्ट्रान/प्रोटान बीम उत्पन्न करना |
- -रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी की सहायता से धातुओं अथवा धातु रसायन/ रसायन मिश्रण का अध्ययन | साथ ही बंदरगाह में अवसाद/गाद का निक्षेपण का अध्ययन किया जाता है |
पर्यावरण के क्षेत्र में -
- IREMON - इंडियन रेडिएशन मोनिटरिंग नेटवर्क (भारतीय विकिरण निगरानी नेटवर्क) - नाभिकीय रिएक्टरों के आस-पास विकिरण सम्बंधित आंकड़ों का संग्रह करना एवं जानकारी उपलब्ध कराना|
- निसर्ण रूणा - नगरपालिका जैविक ठोस अपशिष्ट शुद्धिकरण - बायो-मिथिनेशन प्लांट जिससे मीथेन गैस बनता है, जिसका खाना पकाने में, पानी गर्म करने में, भाप द्वारा टरबाइन चलाकर विद्युत उत्पादन, आदि में उपयोग किया जा सकता है|
- इसके आलावा मीथेन गैस को वाहन के ईंधन के लिए उपयोग किया जा सकता है|
- शुद्धिकरण के बाद बचे हुए अवशिष्ट मलबा का खेती में खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है|
नाभिकीय प्रौद्योगिकी का विकास तथा अनुसंधान सावधानीपूर्वक करने से भविष्य की कई समस्यायों का समाधान किया जा सकता है। किन्तु शर्त यह है कि अनुसंधान कार्य मानव कल्याण के लिए किये जाए न कि अत्याधुनिक हथियारों के निर्माण कार्य में।
2) What do you understand by nanotechnology? Mentioning the applications of nanotechnology, also discuss the concerns related to this technology.
नैनो प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं? नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों का उल्लेख करते हुए, इस प्रौद्योगिकी से संबंधित चिंताओं की भी चर्चा कीजिए|
एप्रोच:-
- सर्वप्रथम, नैनो प्रौद्योगिकी का एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- तत्पश्चात, नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों का उल्लेख कीजिए।
- इसके बाद इस प्रौद्योगिकी से संबंधित चिंताओं की भी चर्चा कीजिए।
- अंत में एक या दो पंक्तियों में निष्कर्ष लिखते हुए उत्तर का समापन कीजिए।
उत्तर:-
यह शब्द नैनो व तकनीक से मिलकर बना है जिसका अर्थ है "अति सूक्ष्म" अर्थात एक मीटर का एक अरबवां हिस्सा। यह विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत किसी पदार्थ के परमाणु या अणु स्तर पर अध्ययन किया जाता है। नैनो तकनीक रसायन विज्ञान व तकनीकी का संयोजन है जिसमें परमाणुओं को नैनो मीटर के स्तर पर संयोजित करने की तकनीक का अध्ययन होता है।
नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग:-
- चिकित्सा के क्षेत्र में: इससे कैंसर का उपचार संभव है। इससे ऐसी सूक्ष्म दवा बनाई जा सकेगी, जो कैंसर की करोड़ों कोशिकाओं में से किसी एक को पहचान कर उसका अलग से इलाज कर सकेगी। नैनो गोल्ड के रूप में।
- बायो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में: डीएनए नैनो चिप, नैदानिक परिक्षण में, प्रोटीन डीएनए आरएनए का उपयोग इत्यादि
- कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में: नैनो तकनीक का उपयोग हमारे कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में बहुत पहले से ही हो रहा है उदाहरण के लिए कंप्यूटर के सर्किट और प्रोसेसर को बनाने के लिए सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है जो कि एक अर्धचालक है। क्वांटम कंप्यूटिंग,नैनो चिप, क्वांटम डॉट टेक्नोलॉजी। आने वाले समय में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बल्ब में भी होगा किसके कारण बिजली की खपत भी कम होगी और रौशनी भी अधिक होगी।
- उपभोक्ता उत्पाद में: नैनो फ़िल्टर, नैनो फैब्रिक, नैनो शैम्पू, चश्मे, फेसवॉश इत्यादि में संभावनाएं।
- रक्षा के क्षेत्र में : बॉर्डर क्षेत्रो में नैनो रोबोट, नैनो कम्पोज़िट-लड़ाकू विमान बनाने में उपयोग किया जा सकता हैं।
- अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में: NASA द्वारा हल्का अंतरिक्ष यान बनाने की संभावनाएं।
- कृषि के क्षेत्र में: नैनो टेक्नोलॉजी से खाद बनाई जा सकती है जिससे फसल के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
नैनो तकनीक में किसी भी पदार्थ की मॉलीक्यूलर असेंबलिंग को समझ कर उसके आकार को आपके बाल के आकार जितना छोटा बनाया जा सकता है और इसकी प्रोसेसिंग क्षमता भी आज की तुलना में कई गुणा बेहतर होगी।
टेनिस की गेंद भी नैनो कम्पोसिट कोर से बनाई जाती हैं ताकि उनका बॉउंस अधिक हो और पुरानी तकनीक से बनी गेंदों की तुलना मे अधिक टिकाउ हो। पैकेजिंग जैसे की दूध आदि के कार्टन मे नैनो कण इस्तेमाल किये जाते हैँ ताकि दूध प्लास्टिक की थैली मे अधिक समय तक तरोताजा रहे। ये कुछ उदाहरण हैं उन वस्तुओँ के जिन्हे हम अपने दैनिक जीवन मे उपयोग मे लाते हैं।
नैनो तकनीक से सम्बंधित नकारात्मक पक्ष या चिंताएं :-
पर्यावरणीय प्रदूषण:-
- अति सूक्ष्म कण तेज़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं जिससे प्रदूषण की अधिक संभावना।
- जैविक सांद्रण/ जैविक आवर्धन:- आहार श्रृंखला या खाद्य श्रृंखला में प्रवेश से पर्यावरण के साथ साथ स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव की चिंताएं।
स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव:-
मानव शरीर में किसी प्रकार के रेडिकल द्वारा कोशिका क्षति की संभावना तथा कैंसर का खतरा भी एक चिंता का विषय है।
सुरक्षा सम्बंधित खतरा:-
- नैनो हथियार जैसे एंथ्रेक्स, विषाणु के द्वारा शत्रु देश द्वारा उपयोग की संभावनाएं एवं चिंताएं।
- सरकारी खुपिया जानकारी में प्रयोग जैसे सायबर क्रिमिनल द्वारा नैनो सेंसर का उपयोग सम्भव है।
- दीर्घकालीन चिन्ताएं जैसे समाज पर आर्थिक दुष्प्रभाव, जैसे विकसित और विकासशील राष्टों के बीच बढ़ती आर्थिक असमानताएं और अर्थव्यवस्था का पश्च-अभावग्रस्त(Post-depressant) अवस्था में जाना इत्यादि हैं।
हालाँकि इन चिंताओं के बावजूद इस प्रौद्योगिकी में निवेश की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। भविष्य में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा, जो नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करेगा। तकनीकी जानकारों का मानना है कि आने वाला समय नैनो टेक्नोलॉजी का होगा।