Q1) Mentioning the characteristics of Indian civil services, explain the role of civil service services in the public system.
भारतीय नागरिक सेवाओ की विशेषताओ का उल्लेख करते हुए लोक तंत्र मे नागरिक सेवा सेवाओ की भूमिका को स्पष्ट कीजिए |
भारतीय शासन पढ़यती लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर आधारित होने के कारण लोकतंत्र का हर स्तंभ बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और सभी के कार्य लोकतन्त्र को बनाए रखने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । इस दिशा में लोक सेवकों की भूमिका काफी संवेदनशील होती है, क्योंकि वे जनता और सरकार के बीच की कड़ी के रूप में काम करते हैं। सिविल सेवक किसी राजनैतिक व्यवस्था में रीढ़ की तरह होते हैं, जो सरकारी नीतियों और कानूनों के कार्यान्वयन, नीति-निर्माण, प्रशासनिक काम-काज और राजनेताओं के सलाहकार के रूप में काम करते हैं। इसके अलावा वे अपने तमाम भूमिकाओं के ज़रिए विधायी कार्य, अर्द्ध न्यायिक कार्य, कर और वित्तीय लाभों का वितरण, रिकॉर्ड रखरखाव और जनसंपर्क स्थापित करने जैसे दूसरे महत्वपूर्ण काम भी करते हैं।
भारतीय नागरिक सेवा की विशेषताएं:
नागरिक सेवा के लाभ:
नागरिक सेवा के समक्ष चुनौतियाँ:
भारत में नागरिक सेवकों में व्यवसायिकता का अभाव पाया जाता है जिससे उनका प्रदर्शन और क्षमता निम्नस्तरीय बनी रहती है|
अप्रभावी प्रोत्साहन प्रणाली: यह कर्मठ, मेधावी और ईमानदार सिविल सेवकों को हतोत्साहित करती है|
कठोर और नियमबद्धता नागरिक सेवकों को व्यक्तिगत निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न करती है जिससे वे अपनी कुशलता के अनुकूल प्रदर्शन नहीं कर पाते|
व्हिसल ब्लोइंग करने वाले अधिकारीयों एवं कर्मचारियों तथा नागरिकों को पर्याप्त सुरक्षा का अभाव है जो प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेहिता को बाधित करती है|
राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण नागरिक सेवकों का मनमाना स्थानांतरण एवं निलंबन एक अलग चुनौती को जन्म देता है|
भारत में विद्यमान पेट्रिमोनियालिज्म(ऐसा मानना कि हर चीज राजनीति से जुडी है अर्थात सभी शक्तियों का स्त्रोत एक राजनेता बन जाता है) एक ऐसी चुनौती को प्रस्तुत करती है जिसमें नागरिक सेवक स्वतः ही एक मंत्री के अधीन हो जाता है|
भारत के सिविल सेवकों के अंतर्गत अभिवृतिमूलक समस्या है जिससे देश में लालफीताशाही जैसी चुनौतियाँ उत्पन्न होती है|
Q2) Discuss need for Corporate Governance, and functions and challenges.
कॉर्पोरेट गवर्नेंस की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए इसके कार्यों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये ?
कोई भी संगठन चाहे वह लोक संगठन हो या फिर निजी उसका कामकाज नैतिकता के आधार पर संचालित होना चाहिये तथा उसके द्वारा अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन भली-भाँति किया जाना चाहिये। किसी भी कंपनी के कॉर्पोरेट शासन में मुख्य रूप से छह घटक (ग्राहक, कर्मचारी, निवेशक, वैंडर, सरकार तथा समाज) शामिल होते हैं जिन्हें ‘स्टेक होल्डर्स’ कहा जाता है। ।
कोई भी ऐसा संगठन जो सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में कार्य करता है तथा अपने कर्मचारियों, ग्राहकों, आम नागरिकों (समाज) तथा शेयरधारकों के प्रति अपनी जबावदेही को समझता है और संगठन के विकास के साथ-साथ इन सभी का भी ध्यान रखता है तो कहा जा सकता है कि ऐसे संगठन का कामकाज नैतिकता के आधार पर संचालित किया जा रहा है।
ऐसा गवर्नंस जिसके माध्यम से संस्थाओं का संचालन, विभिन्न हितधारकों के अधिकारों के हितों की रक्षा, दायित्वों का निर्धारण एवं कार्पोरेट के शेयर धारकों की संपत्ति में वृद्दि के उद्देश्य से संचालित किया जाता है।
· कॉर्पोरेट गवर्नेंस का आधार सिद्धांत- सुशासन (उत्तरदायित्व, पारदर्शिता, स्वायत्ता)
भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का विकास: सेबी की स्थापना, 1988 ,एसोचेम, फिक्की आदि की अनुशंषा पर SEBI ACT, 1992 निर्मित , कंपनियों को विनियमित करने हेतु उपबंध किये गए , नारायण मूर्ति समिति का गठन (2003) , वर्ष 2009 में कॉर्पोरेट गवर्नेंस स्वैच्छिक दिशानिर्देश (कम्पनी अधि.1956) , कम्पनी अधिनियम, 2013- कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व(CSR) का निर्धारण , उदय कोटक समिति का गठन (2017), इनसॉल्वेनसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2018 ,नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019।
भारत में कार्पोरेट गवर्नेंस की आवश्यकता:
कॉर्पोरेट गवर्नेंस के कार्य:
कॉर्पोरेट गवर्नेंस का महत्व:
कॉर्पोरेट गवर्नेंस की चुनौतियाँ:
हाँलाकि कॉर्पोरेट शासन प्रणाली अर्थव्यवस्था के लिये तथा शेयर धारकों के हित को सुरक्षित रखने में प्रभावशाली साबित हुई है, फिर भी हमें अभी और कुशल निगरानी, पारदर्शी आंतरिक लेखा परीक्षा प्रणाली, कुशल बोर्ड और प्रबंधन की आवश्यकता है जो एक प्रभावी कॉर्पोरेट प्रशासन को नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं। साथ ही उभरती नई कंपनियों के रणनीतिक प्रबंधन को बढ़ावा देने तथा बाज़ार को स्थिरता प्रदान करने में मददगार साबित हों।
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