Q1: There is a serious problem of slums in the cities of India, especially in metropolitan cities. Discuss the ill effects of slums and the way forward to tackle the issue.
भारत के नगरों में विशेषतः महानगरों में मलिन बस्तियों की विकराल समस्या है।इस संदर्भ मे मलिन बस्तियों के दुष्परिणामों पर चर्चा करते हुए सुधार के उपायों पर चर्चा कीजिए|
Answer -
भारत में नगरीय जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत और महानगरों का लगभग 30 प्रतिशत मलिन बस्तियों में रहता है। जनगणना 1991 के अनुसार देश की लगभग 5 करोड़ नगरीय जनसंख्या मलिन बस्तियों में रहती थी।
भारतीय महानगरों की मलिन बस्तियों में निवास करने वाले व्यक्तियों का जीवन स्तर अत्यधिक खराब या निकृष्ट और पर्यावरण अस्वास्थ्यकर होता है। अल्पाय, निरक्षरता, अकुशलता आदि के कारण उनमें अनेक सामाजिक बुराइयां जैसे शराब पीना, जुआ खेलना, चोरी, हत्या आदि अनुषंगी बन जाती है। मलिन बस्तियों में मकान अव्यवस्थित, अधिक सघन, छोटे-छोटे कमरों और प्रायः कच्चे एवं झोपड़ी के रूप में पाए जाते हैं।जैसे -मुम्बई महानगर के विभिन्न भागों में बिखरी हुई मलिन बस्तियों में लगभग 44 प्रतिशत जनसंख्या का निवास हैं
जिस्टस और हालबर्ट ने मलिन बस्ती की परिभाषा इस प्रकार दी- “एक मलिन बस्ती निर्धन लोगों तथा मकानों का क्षेत्र है। यह संक्रमण का एवं गिरावट का क्षेत्र है। यह असंगठित क्षेत्र होता है, जो मानव अपशिष्ट से परिपूर्ण होता है। यह अपराधियों, दोषयुक्त, निम्न एवं त्यक्त लोगों के लिए सुविधाजनक क्षेत्र होता है।”
मलिन बस्तियों के दुष्परिणाम (Bad Effects of Slums)
मलिन बस्तियों के सुधार हेतु सुझाव -
महानगरों में आवास तथा मलिन बस्तियों की समस्या को हल करने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों, नगर निगमों, वित्त एवं बीमा कम्पनियों तथा स्वैच्छिक सामाजिक संगठनों द्वारा समयसमय पर प्रयास किये जाते रहे हैं। महानगरों में मलिन बस्तियों की समस्याओं के निराकरण हेतु कतिपय सुझाव निम्नांकित हैं:
2)We need smart villages more than smart cities. discuss?
हमें स्मार्ट शहरों से ज्यादा स्मार्ट गांवों की जरूरत है। चर्चा कीजिए ?
2017 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, बेहतर काम के अवसरों की तलाश में लगभग नौ मिलियन भारतीय हर साल शहरों की ओर पलायन करते हैं। प्रवासन में इस क्रमिक वृद्धि से शहरों के संसाधनों और बुनियादी ढांचे पर बोझ पड़ता है। 2050 तक, यह अनुमान है कि आधे से अधिक भारत शहरी भारत में रह रहे होंगे।
हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए आजीविका के अवसर और शहरी सुविधाएं प्रदान करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने जनवरी 2003 पूरा की अवधारणा को प्रस्तुत किया था । इसके तहत पानी और सीवरेज, गांव की सड़कों का निर्माण और रखरखाव, ड्रेनेज, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, कौशल विकास, गांव की स्ट्रीट लाइटिंग, दूरसंचार, बिजली उत्पादन, गांव से जुड़े पर्यटन आदि को बढ़ावा देना शामिल था ।
स्मार्ट गाँव की आवश्यकता -
श्यामा प्रसाद मुखर्जी आर-अर्बन मिशन के तहत 300 गांवों को अपग्रेड करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 2016 में स्मार्ट गांवों की अवधारणा को पेश किया गया था। इस मिशन के तहत, सरकार का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक और ढांचागत विकास प्रदान करना है जो इन गांवों को स्मार्ट ग्रोथ सेंटर बनाएगा। योजना को और बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने बाद में सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य गाँवों के चुनिंदा क्लस्टर का एकीकृत विकास करना है।
3 .What do you understand by the term urbanization? What steps can be taken to increase urbanization in Uttar Pradesh?
शहरीकरण शब्द से आप क्या समझते हैं? उत्तर प्रदेश में शहरीकरण को बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?चर्चा कीजिए ?
जब तक की वे सम्पूर्ण जनसंख्या के अधिकांश भाग को सम्मिलित नहीं कर लेते हैं और सम्पूर्ण समाज पर प्रकार्यात्मक और सांस्कृतिक आधिपत्य स्थापित नही कर लेते।
किसी राष्ट्र की जनसंख्या का बढ़ता हुआ आकार जब शहर की तरफ निवास के लिए जमा होता है तो उसे नगरीकरण या शहरीकरण कहते है।
शहरीकरण या नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत एक समाज के समुदाय के आकार और शक्ति में वृध्दि होती रहती है । शहरी क्षेत्रों के भौतिक विस्तार मसलन क्षेत्रफल, जनसंख्या जैसे कारकों का विस्तार शहरीकरण कहलाता है। शहरीकरण भारत समेत पूरी दुनिया में होने वाला एक वैश्विक परिवर्तन है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक़ ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का शहरों में जाकर रहना और वहाँ काम करना भी 'शहरीकरण' है। अर्थात किसी राष्ट्र की जनसंख्या का बढ़ता हुआ आकार जब शहर की तरफ निवास के लिए जमा होता है तो उसे नगरीकरण या शहरीकरण कहते है।
‘हालांकि नवीन भारत (New India)’ पहल को आगे बढ़ाने की दिशा में शहरी बुनियादी ढाँचों में सुधार के लिये शहरीकरण के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
शहरी क्षेत्र के मानक
उत्तर प्रदेश में शहरीकरण को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते है -
उत्तर प्रदेश में नगरीय अवस्थापना सुविधाएं यथा-ड्रेनेज़, सीवरेज़, जलापूर्ति, विद्युत आपूर्ति, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट तथा यातायात एवं परिवहन न केवल वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, बल्कि नगरों के भावी विस्तार की दृष्टि से भी अपर्याप्त हैं। शहरी जनसंख्या में हो रही तीव्र वृद्धि के कारण जहाँ एक ओर नगरीय सुविधाओं की कमी बनी हुई है, वही दूसरी ओर गरीबी एवं उक्त सुविधाओं से वंचित परिवारों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है
वर्तमान में प्रदेश के शहरीकरण का स्वरूप दिशाहीन है तथा शहरों का अव्यवस्थित विकास 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती प्रस्तुत करने जा रहा है। अधिकांश शहरों में जैव (आर्गेनिक) वृद्धि की प्रवृत्ति प्रभावी है तथा हाईवेज/ट्रॉन्जिट कॉरीडोर्स के साथ शहरों का अनियोजित प्रसार हो रहा है ।
शहरीकरण की चुनौतियों से निपटने के लिए क्षमता विकास में प्रदेश-व्यापी कमी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के 630 स्थानीय निकायों में से केवल 112 नगरों में ही शहरी नियोजन एवं विकास नियन्त्रण हेतु विधिक व्यवस्था है ।
उत्तर प्रदेश में शहरीकरण को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते है|
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