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SHIKHAR Mains UPPSC 2021 Day 32 Answer Hindi

Updated : 30th Dec 2021
SHIKHAR Mains UPPSC 2021 Day 32 Answer Hindi

Q1: There is a serious problem of slums in the cities of India, especially in metropolitan cities. Discuss the ill effects of slums and the way forward to tackle the issue.
भारत के नगरों में विशेषतः महानगरों में मलिन बस्तियों की विकराल समस्या है।इस संदर्भ मे मलिन बस्तियों के दुष्परिणामों पर चर्चा करते हुए सुधार के उपायों पर  चर्चा कीजिए|

Answer

भारत में नगरीय जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत और महानगरों का लगभग 30 प्रतिशत मलिन बस्तियों में रहता है। जनगणना 1991 के अनुसार देश की लगभग 5 करोड़ नगरीय जनसंख्या मलिन बस्तियों में रहती थी।

भारतीय महानगरों की मलिन बस्तियों में निवास करने वाले व्यक्तियों का जीवन स्तर अत्यधिक खराब या निकृष्ट और पर्यावरण अस्वास्थ्यकर होता है। अल्पाय, निरक्षरता, अकुशलता आदि के कारण उनमें अनेक सामाजिक बुराइयां जैसे शराब पीना, जुआ खेलना, चोरी, हत्या आदि अनुषंगी बन जाती है। मलिन बस्तियों में मकान अव्यवस्थित, अधिक सघन, छोटे-छोटे कमरों और प्रायः कच्चे एवं झोपड़ी के रूप में पाए जाते हैं।जैसे -मुम्बई महानगर के विभिन्न भागों में बिखरी हुई मलिन बस्तियों में लगभग 44 प्रतिशत जनसंख्या का निवास हैं

जिस्टस और हालबर्ट ने मलिन बस्ती की परिभाषा इस प्रकार दी- “एक मलिन बस्ती निर्धन लोगों तथा मकानों का क्षेत्र है। यह संक्रमण का एवं गिरावट का क्षेत्र है। यह असंगठित क्षेत्र होता है, जो मानव अपशिष्ट से परिपूर्ण होता है। यह अपराधियों, दोषयुक्त, निम्न एवं त्यक्त लोगों के लिए सुविधाजनक क्षेत्र होता है।”

 

मलिन बस्तियों के दुष्परिणाम (Bad Effects of Slums)

  1.  स्वास्थ्य में ह्रास - मलिन बस्तियों में सफाई, शुद्ध पेयजल, आदि के अभाव तथा प्रदूषित पर्यावरण के कारण यहां अनेक प्रकार की बीमारिया फैलती रहती हैं।  
  2. कार्य क्षमता में ह्रास - प्रदूषित पर्यावरण के कारण मलिन बस्तियों के निवासियों का स्वास्थ्य प्रायः अच्छा नहीं रहता और वे किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होते रहते हैं। स्वास्थ्य अच्छा न रहने और विश्राम के लिए पर्याप्त एवं उपयुक्त स्थान के अभाव में श्रमिकों की कार्य क्षमता घट जाती है।
  3.  व्यापक अशिक्षा के कारण अधिकांश श्रमिक अकुशल होते हैं
  4.  नैतिक पतन तथा अपराध में वृद्धि - दूषित पर्यावरण, अशिक्षा तथा असामाजिक तत्वों की संगति आदि के कारण बहुत से बालक और युवक अपराधी बन जाते हैं। मलिन बस्तियों में चोरी, शराब पीने, जुआ खेलने, वेश्यावृति, हत्या, बाल अपराध, बलात्कार आदि सामाजिक बराइयां फैली होती हैं जिसके परिणामस्वरूप इसके निवासियों का नैतिक पतन होता है । 
  5. जीवन-स्तर में ह्रास -  आय कम होने तथा भौतिक एवं सामाजिक रूप से प्रदूषित पर्यावरण में रहते हुए लोगों का जीवन-स्तर अत्यंत निम्न और दयनीय हो जाता है। अल्पायु के कारण अधिकांश लोग परिवार की दैनिक आवश्यक आवश्यकताओं को भी पूरा करने में असमर्थ होते हैं।
  6.  पारिवारिक एवं सामाजिक विघटन - मलिन बस्ती के निवासी श्रमिकों को मनोरंजन, विश्राम आदि की आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं जिससे वे मानसिक चिन्ता, बेचैनी, निराशा आदि के शिकार हो जाते हैं और मादक वस्तओं का सेवन करने लगते हैं। इससे पारिवारिक कलह और विघटन हो जाता है । 

 

मलिन बस्तियों के सुधार हेतु सुझाव -

महानगरों में आवास तथा मलिन बस्तियों की समस्या को हल करने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों, नगर निगमों, वित्त एवं बीमा कम्पनियों तथा स्वैच्छिक सामाजिक संगठनों द्वारा समयसमय पर प्रयास किये जाते रहे हैं। महानगरों में मलिन बस्तियों की समस्याओं के निराकरण हेतु कतिपय सुझाव निम्नांकित हैं:

  1.  विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था - बड़े-बड़े नगरों के रूप में जनसंख्या का संकेद्रण केन्द्रीकृतअर्थव्यवस्था का परिणाम है। उद्योग, व्यापार आदि आर्थिक क्रियाओं के कुछ विशिष्ट स्थानों (महानगरों) में केन्द्रीभूत हो जाने के कारण इन स्थलों पर जनसंख्या पूंजीभूत (संकेन्द्रित) होती रहती है।
  2.  बहुमुखी ग्रामीण विकास - महानगरों में आवासीय गृहों की कमी और मलिन बस्तियों के विकास के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी कारक है जिससे ग्रामों से नगरों की ओर जनसंख्या का स्थानांतरण होता है । इसको रोकने के लिए बहुमुखी ग्रामीण विकास की आवश्यकता है । 
  3. निम्न आय वर्ग के लिए कालोनियों का निर्माण - मलिन बस्तियों की समस्या से ऐसी आवास योजनाओं के क्रियान्वयन की महती आवश्यकता है जिससे मलिन बस्तियों का सुधार किया जा सके ।  सड़कों तथा नालियों  , पेयजल, औषधालय, स्कूल, खेल के मैदान, पार्क आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराकर मलिन बस्तियों के निवासियों के जीवन-स्तर में सुधार लाया जा सकता है। 
  4. ऋण की समस्या - लघु भवनों के निर्माण तथा पुराने भवनों की मरम्मत के लिए आवश्यकतानुसार ऋण प्रदान करने की व्यवस्था की जा सकती है। आसान किस्तों पर सुगमता से ऋण प्राप्त हो जाने पर अनेक परिवार स्वयं ही आवासीय समस्याओं को दूर करने में समर्थ  बनाना होगा । 



2)We need smart villages more than smart cities. discuss?

हमें स्मार्ट शहरों से ज्यादा स्मार्ट गांवों की जरूरत है। चर्चा कीजिए ?

 

2017 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, बेहतर काम के अवसरों की तलाश में लगभग नौ मिलियन भारतीय हर साल शहरों की ओर पलायन करते हैं। प्रवासन में इस क्रमिक वृद्धि से शहरों के संसाधनों और बुनियादी ढांचे पर बोझ पड़ता  है। 2050 तक, यह अनुमान है कि आधे से अधिक भारत शहरी भारत में रह रहे होंगे।

हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए आजीविका के अवसर और शहरी सुविधाएं प्रदान करने के लिए  पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने जनवरी 2003 पूरा की अवधारणा को प्रस्तुत किया था । इसके तहत पानी और सीवरेज, गांव की सड़कों का निर्माण और रखरखाव, ड्रेनेज, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, कौशल विकास, गांव की स्ट्रीट लाइटिंग, दूरसंचार, बिजली उत्पादन, गांव से जुड़े पर्यटन  आदि को बढ़ावा देना शामिल था ।

 

स्मार्ट गाँव  की आवश्यकता -

  1. स्मार्ट विलेज में आम आदमी को रोजगार मिलेगा इससे उसके आय में वृद्धि होगी और बच्चों को अच्छी शिक्षा अच्छे कपड़े और अच्छा भोजन गाँव मे ही प्राप्त होंगे  जिससे उसके जीवन स्तर में वृद्धि होगी और कई आधुनिक सुविधाओं का लाभ लेगा |
  2. स्मार्ट विलेज में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी कई प्रकार के रोजगार प्राप्त होंगे  जिससे महिलाओं के जीवन स्तर में वृद्धि होगी और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा ।
  3. आम आदमी के पास आय में वृद्धि होगी जिससे वह आधुनिक सुख सुविधाओं का लाभ  उठा सकेगा और पौष्टिक भोजन की प्राप्ति से कुपोषण की समस्या भी समाप्त होगी । 
  4. आज गाँवों मे किसानों की समस्या ,गरीबी ,बेरोजगारी,अशिक्षा आदि अनेकों समस्या भारत में विद्यमान है । इन सब समस्याओं के कारण भारत तीव्र गति से विकास नहीं कर पा रहा है। स्मार्ट विलेज निर्माण से इन सब समस्याओं का समाधान किया जाता सकता है और देश का तीव्र गति से विकास किया जा सकता है 
  5. गाँवों मे रोजगार चिकित्सा आदि जैसे सुविधाओ के न होने से महानगरों की ओर प्रवसन की समस्या बढ़ती जा रही है । ज़्यादातर प्रवसित लोग मलिन बस्तियों मे रहने के लिए अभिशप्त है । भारतीय महानगरों की मलिन बस्तियों में निवास करने वाले व्यक्तियों का जीवन स्तर अत्यधिक खराब या निकृष्ट और पर्यावरण अस्वास्थ्यकर होता है। अल्पाय, निरक्षरता, अकुशलता आदि के कारण उनमें अनेक सामाजिक बुराइयां जैसे शराब पीना, जुआ खेलना, चोरी, हत्या आदि अनुषंगी बन जाती है।स्मार्ट गाँव के निर्माण से प्रवसन पर अंकुश लगेगा । 
  6. स्मार्ट विलेज के निर्माण से हम काफी सस्ती वस्तु उत्पादित कर सकते हैं इसके निर्माण से सस्ती जमीन बिजली पानी आदि जैसी आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है जिससे हम सस्ती वस्तुओं का उत्पादन कर सकते हैं |
  7. स्मार्ट विलेज से पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा जैसे -
    1. वृक्षों की कटाई पर पूर्णता नियंत्रण
    2. जल प्रदूषण पर नियंत्रण
    3. वायु प्रदूषण पर नियंत्रण
    4. भूमि प्रदूषण पर नियंत्रण आदि

 

श्यामा प्रसाद मुखर्जी आर-अर्बन मिशन के तहत 300 गांवों को अपग्रेड करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 2016 में स्मार्ट गांवों की अवधारणा को पेश किया गया था। इस मिशन के तहत, सरकार का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक और ढांचागत विकास प्रदान करना है जो इन गांवों को स्मार्ट ग्रोथ सेंटर बनाएगा। योजना को और बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने बाद में सांसद आदर्श ग्राम योजना  की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य गाँवों के चुनिंदा क्लस्टर का एकीकृत विकास करना है। 

 

3 .What do you understand by the term urbanization? What steps can be taken to increase urbanization in Uttar Pradesh?

शहरीकरण शब्द से आप क्या समझते हैं?  उत्तर प्रदेश में शहरीकरण को बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?चर्चा कीजिए ?

 

जब तक की वे सम्पूर्ण जनसंख्या के अधिकांश भाग को सम्मिलित नहीं कर लेते हैं और सम्पूर्ण समाज पर प्रकार्यात्मक और सांस्कृतिक आधिपत्य स्थापित नही कर लेते।

किसी राष्ट्र की जनसंख्या का बढ़ता हुआ आकार जब शहर की तरफ निवास के लिए जमा होता है तो उसे नगरीकरण या शहरीकरण कहते है।

 

शहरीकरण या नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत एक समाज के समुदाय के आकार और शक्ति में वृध्दि होती रहती है । शहरी क्षेत्रों के भौतिक विस्तार मसलन क्षेत्रफल, जनसंख्या जैसे कारकों का विस्तार शहरीकरण कहलाता है। शहरीकरण भारत समेत पूरी दुनिया में होने वाला एक वैश्विक परिवर्तन है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक़ ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का शहरों में जाकर रहना और वहाँ काम करना भी 'शहरीकरण' है। अर्थात किसी राष्ट्र की जनसंख्या का बढ़ता हुआ आकार जब शहर की तरफ निवास के लिए जमा होता है तो उसे नगरीकरण या शहरीकरण कहते है।

‘हालांकि नवीन भारत (New India)’ पहल को आगे बढ़ाने की दिशा में शहरी बुनियादी ढाँचों में सुधार के लिये शहरीकरण के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

 

शहरी क्षेत्र के मानक 

  1. भारतीय समाज में किसी क्षेत्र को शहरी क्षेत्र माने जाने के लिये आवश्यक है कि किसी मानव बस्ती की आबादी में 5000 या इससे अधिक व्यक्ति निवास करते हों।
  2. इस मानव आबादी में कम से कम 75% लोग गैर-कृषि व्यवसाय में संलग्न हों।
  3. जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से कम नहीं होना चाहिये।
  4. इसके अतिरिक्त कुछ अन्य विशेषताएँ मसलन उद्योग, बड़ी आवासी बस्तियाँ, बिजली और सार्वजनिक परिवहन जैसी व्यवस्था हो तो इसे शहर की परिभाषा के अंतर्गत माना जाता है।

 

उत्तर प्रदेश में शहरीकरण को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते है - 

उत्तर प्रदेश में नगरीय अवस्थापना सुविधाएं यथा-ड्रेनेज़, सीवरेज़, जलापूर्ति, विद्युत आपूर्ति, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट तथा यातायात एवं परिवहन न केवल वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, बल्कि नगरों के भावी विस्तार की दृष्टि से भी अपर्याप्त हैं। शहरी जनसंख्या में हो रही तीव्र वृद्धि के कारण जहाँ एक ओर नगरीय सुविधाओं की कमी बनी हुई है, वही दूसरी ओर गरीबी एवं उक्त सुविधाओं से वंचित परिवारों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है

 

वर्तमान में प्रदेश के शहरीकरण का स्वरूप दिशाहीन है तथा शहरों का अव्यवस्थित विकास 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती प्रस्तुत करने जा रहा है। अधिकांश शहरों में जैव (आर्गेनिक) वृद्धि की प्रवृत्ति प्रभावी है तथा हाईवेज/ट्रॉन्जिट कॉरीडोर्स के साथ शहरों का अनियोजित प्रसार हो रहा है ।

शहरीकरण की चुनौतियों से निपटने के लिए क्षमता विकास में प्रदेश-व्यापी कमी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के 630 स्थानीय निकायों में से केवल 112 नगरों में ही शहरी नियोजन एवं विकास नियन्त्रण हेतु विधिक व्यवस्था है ।

 

उत्तर प्रदेश में शहरीकरण को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते है|

 

  1. पर्याप्त पानी की आपूर्ति
  2. निश्चित विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था करना 
  3. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता का विशेष प्रबंध करना 
  4. कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना 
  5. किफायती आवास, विशेष रूप से गरीबों के लिए
  6. सुदृढ़ आई टी कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण को बढ़ावा 
  7. सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
  8. टिकाऊ पर्यावरण का विकास 
  9. नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा, और
  10. स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़वा देना  तथा लोगो तक पहुँच को सुनिश्चित करना
  11. औद्योगिक नीति को उद्योगो के अनुकूल बनाना जिससे उद्योगो का विकास हो सके ।
  12. बुनियादी अवसंरचनाओ का विकास करना ।