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SHIKHAR Mains UPPSC 2021 Day 8 Answer Hindi

Updated : 24th Dec 2021
SHIKHAR Mains UPPSC 2021 Day 8 Answer Hindi

Q1: Explain the difference between revenue deficit and fiscal deficit, discuss the measures to reduce fiscal deficit?

राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटे मे अंतर को स्पष्ट करते हुए राजकोषीय घाटे को कम करने से संबन्धित उपायों की चर्चा कीजिये ? (125 words, 8 Marks)

 

राजस्व घाटा तब होता है जब सरकार के कुल खर्च उसकी अनुमानित आय से ज्‍यादा होते हैं।  अर्थात    सरकार के राजस्व खर्च और राजस्व प्राप्तियों के बीच के अंतर को राजस्व घाटा कहा जाता है। 

राजकोषीय घाटा किसी देश की आर्थिक स्थिति की सही तस्वीर प्रस्तुत करती है । यह सरकार की सम्पूर्ण देयताओ को प्रदर्शित करती है । वस्तुत: राजकोषीय घाटा सरकार की सकाल आय और सकाल व्यय के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते है । 

राजकोषीय घाटे से उत्पन्न दुष्प्रभाव -

अधिक सार्वजनिक ऋण के कारण debt trap की स्थिति उत्पन्न हो सकती है । 

अधिक सार्वजनिक वाया से मुद्रा स्फीति की समस्या उत्पन्न हो सकती है । 

क्रोवडिंग आउट इफैक्ट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है । इससे निवेश हतोत्साहित होने की संभवना बनी रहती है । 

सार्वजनिक ऋणों की पूर्ति के लिए सरकार टैक्स की दर को बढ़ा देती है जिससे कराघात जनता पर पड़ता है । इससे महंगाई बढ्ने की संभावना बनी रहती है । 

राजकोषीय घाटे को कम करने के उपाय -

सरकार द्वारा सार्वजनिक ऋण और व्यय का समुचित प्रबंधन किया जाना चाहिए । 

जनता को प्रदान की जाने वाली सहायिकी को तर्क संगत बनाना चाहिए । 

कर प्रबंधन को युक्तियुक्त बनाने का प्रयास करना चाहिए । 

विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष धायन दिया जाना चाहिए । 

मानव संसाधनो का कुशलतम प्रबंधन । 

पूंजीगत निवेश को प्रोत्साहन 

सार्वजनिक रुग्ण इकाइयों का विनिवेश जिससे सरकार पर से वित्तीय दायित्व की कमी हो सके । 

बजट 2021 मे राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8%लक्षित है । इसे 2025 -26 तक जीडीपी का 4.5% तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। 

 

Q2: Artificial intelligence is revolutionizing agriculture. Comment. 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता कृषि में क्रांति ला सकती  है। टिप्पणी कीजिये। (200 Words , 12 Marks)

भारत मे ज्यातर हिस्सो मे कृषि कार्य जीवन निर्वाह के लिए किया जाता है । भू जोतो का सीमित आकार ,बाज़ार व्यवस्था और आपूर्ति शृंखला का उचित प्रबंधन का अभाव , सीमांत किसानो को विभिन्न योजनाओ तथा तकनीकी के संबंध जागरूकता  की कमी है । हालाकि सरकार  द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधार और ग्रामीण विकास के लिए बेहतर मार्ग बनाने के लिए नई पहलों और कृषि कार्यक्रमों के साथ काम कर रही है ।  

कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग:

कृषि डेटा का विश्लेषण मे AI का इस्तेमाल -

: कृषि के विभिन्न घटकों में प्रतिदिन सैकड़ों और हज़ारों प्रकार के डेटा (जैसे-मृदा, उर्वरकों की प्रभाविकता, मौसम, कीटों या रोग से संबंधित देता आदि) उपलब्ध होते हैं। AI की सहायता से किसान प्रतिदिन वास्तविक समय में कई तरह  के डेटा (जैसे- मौसम की स्थिति, तापमान, पानी के उपयोग या अपने खेत से एकत्रित मिट्टी की स्थिति आदि) विश्लेषण और समस्याओं की पहचान कर बेहतर निर्णय ले सकेंगे।  

मौसम का पूर्वानुमान  लगाने में AI की भूमिका - विश्व के विभिन्न हिस्सों में कृषि सटीकता में सुधार और उत्पादकता बढ़ाने के लिये किसानों द्वारा मौसम के पूर्वानुमान का मॉडल तैयार करने के लिये AI का उपयोग किया जा रहा है।   

कृषि में सटीकता का अनुमान लगाने में AI की भूमिका - कृषि में अधिक सटीकता लाने हेतु पौधों में बीमारियों, कीटों और पोषण की कमी आदि का पता लगाने के लिये कृषि एआई तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

मृदा एवं फसल स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली में AI की भूमिका -

एक जर्मन-आधारित टेक स्टार्ट-अप PEAT ने प्लांटिक्स नामक एक AI- आधारित एप्लिकेशन विकसित किया है जो पौधों के कीटों और बीमारियों सहित मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी की पहचान कर सकता है जिससे किसानों को उर्वरक का उपयोग करने का एक विचार भी मिल सकता है जो फसल की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। 

ट्रेस जीनोमिक्स एक मशीन लर्निग आधारित कंपनी है जो किसानों को मिट्टी का विश्लेषण करने मे मदद करता है । 

कृषि रोबोटिक्स का इस्तेमाल कर खेती मे मनुष्यों की तुलना में अधिक तेजी से खरपतवारों को नियंत्रित करने और फसल कटाई मे किया जा सकता है । 

 AI कृषि बाॅट्स  (AI Agriculture Bots) एक उपयुक्त समाधान हो सकते हैं

AI आधारित चैटबाटस की भूमिका  - कृषि से जुड़े परामर्श के लिए चैट बाट की इस्तेमाल किया जा सकता है । कृषि  विशेषज्ञों की भूमिका माध्यम से किसानो के सवालो का जबाब दिया जाता है । 

 

कृषि मे AI सिमट किसानो को कम लागत मे गुणवत्ता युक्त उच्च फसल उत्पादन , सटीक खेती प्रदान कर खेती मे बदलाव ल सकता है । इससे न केवल उत्पदन मे वृद्धि होगी बल्कि 2022 तक कृषको की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी ।