DAY 31
Que 1
Deep Ocean Mission (DOM) is an important mission of the Ministry of Earth Sciences. Mention its main components and mention its advantages?
डीप ओशन मिशन (DOM) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का एक महत्वपूर्ण मिशन है । इसके प्रमुख घटको का उल्लेख करते हुए लाभों को स्पष्ट कीजिए ?
'डीप ओशन मिशन
गहरे समुद्र में ऊर्जा, खनिज तथा जैव विविधता की खोज और अनुसन्धान के लिए भारत सरकार के केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा 4,077 करोड़ रुपए से 5 वर्षो के लिए शुरू की गई की एक योजना है जिसे डीप ओशन मिशन कहा गया है। इसे (Ocean Services, Technology, Observations, Resources Modelling and Science-O-SMART) के तहत वित्तपोषित किया जाएगा। जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के जलस्तर के बढ़ने सहित गहरे समुद्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे मे भी अध्ययन कार्य करेगा।
डीप ओशन मिशन को दो चरणों में पूरा किया जायेगा। इसका प्रथम चरण 2021-24 तक 3 वर्षों के लिए कार्यकारी रहेगा।
डीप ओशन मिशन के प्रमुख घटक
1 गहरे समुद्र में खनन, मानव पनडुब्बी और पानी के भीतर रोबोटिक्स के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास करना
2 महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास करना
3 गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार का विकास करना
4 डीप ओशन सर्वे एंड एक्सप्लोरेशन
5 यह मिशन उन्नत तकनीकों के द्वारा महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी प्राप्त करना
6 समुद्री जीव विज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन की स्थापना
डीप ओशन मिशन का भारत के लिए महत्व
आधुनिक तकनीक और विज्ञान के बावजूद करीब 95.8% गहरे समुद्र में आज भी इंसानों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। समुद्र में 6 हजार मीटर के नीचे कई तरह के खनिज पाए जाते हैं। इन खनिजों का अभी तक अध्ययन नहीं किया गया है। इस मिशन के तहत इन खनिजों के बारे में अध्ययन और सर्वेक्षण कार्य किया जाएगा।।
इससे ब्लू इकॉनमी को बल मिलेगा । ब्लू इकोनोमी का उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और आजीविका के संरक्षण या सुधार को बढ़ावा देना है, साथ ही साथ महासागरों और तटीय क्षेत्रों की पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।
भारत अरब सागर , हिन्द महासागर तथा बंगाल की खाड़ी के साथ जुड़ा हुआ है इसका तात्पर्य यह हुआ कि भारत के पास तीन अलग-अलग जल राशियों में जैव विविधता, समुद्री परिस्थितियों तथा अनुसन्धान के अवसर हैं।
भारत अपनी 7,517 किमी. लंबी समुद्री तटरेखा और नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों के साथ तीन दिशाओं से समुद्र से घिरा हुआ है। भारत की लगभग 30% आबादी समुद्र पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर करती है।
अभी तक केवल अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन तथा जापान ही ऐसे देश हैं। जो समुद्री अनुसन्धान के लिए इस तरह के मिशन का क्रियान्वयन कर रहे हैं। अतः भारत के पास विशाल समुद्र मे जीवन की असीम संभावनाओं, खनिज , ऊर्जा भंडारों को खोज निकालने का एक अच्छा मौका है। ।
डीप ओशन मिशन के लाभ
अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) द्वारा पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के दोहन के लिए भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन में 75,000 वर्ग किलोमीटर की एक साइट आवंटित की गई है। इससे भारतीय उद्योगों में रोजगार के अवसर भी प्रदान होगा
देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती है। मत्स्य पालन और जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका और समुद्री व्यापार में महासागर एक प्रमुख आर्थिक कारक है।
महासागर भोजन, ऊर्जा, खनिज, औषधियों के भंडार के साथ-साथ मौसम और जलवायु के न्यूनाधिक और पृथ्वी पर जीवन के आधार हैं जिससे भारत को लाभ होगा ।
डीप ओशन मिशन के तहत समुद्री अनुसन्धान कार्यों के लिए विशेष उपकरणों, जहाजों के डिजाइन, विकास, निर्माण आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना से एमएसएमई और स्टार्ट-अप के विकास को गति मिलने की उम्मीद भी है।
भारत अपने सुदूर समुद्री अभियानों की मदद से अपनी समुद्री सीमा में होने वाली हलचलों पर नजर बनाये रख सकता है। भारत की अखंडता एवं सुरक्षा की दृष्टि से भी यह योजना लाभकारी है
यह ऑन-साइट बिजनेस इनक्यूबेटर सुविधाओं के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान को औद्योगिक अनुप्रयोगों और उत्पाद विकास में बदल देगा। इससे समुद्री जीव विज्ञान, नीला व्यापार और समुद्री निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि डीप ओशन मिशन में संभावित चुनौतियाँ भी विद्यमान है जैसे समुद्री जीवो पर प्रभाव और समुद्री खाद्य शृंखला पर नकारात्मक प्रभाव , बेहतर तकनीकी और प्रौद्योगिकी का अभाव ,वित्त और संसाधनो की आपूर्ति आदि फिर भी भारत जैसे देश के लिए अपार संभावनाओ का द्वार है । इससे देश की अर्थव्यवस्था के विकास के साथ -साथ मानव जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है ।वैश्विक रणनीतिक भूमिका की दृष्टि से भी यह मिशन बहुत महत्वपूर्ण है । इससे भारत की वैश्विक साख मे बृद्धि होगी ।
2 ). Give a brief account of the marine resources of India in the Exclusive Economic Zone of India.
भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में भारत के समुद्री संसाधनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए ?
भारत सरकार ने 25 अगस्त 1976 को समुद्री क्षेत्र अधिनियम बनाया जो 15 जनवरी 1977 को लागू हुआ । इस क्षेत्र में भारत को समुद्र में जीवित तथा अजीवित दोनों ही संसाधनों के अन्वेषण तथा दोहन द्वारा उनका उपयोग करने का विशेष कानूनी अधिकार प्राप्त है। इस अनन्य समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा तथा राष्ट्रीय विधियों का प्रवर्तन और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये भारतीय तटरक्षक की स्थापना की गई थी। भारत ने जून 1995 में संयुक्त राष्ट्र की अन्तरराष्ट्रीय समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओसी) पर हस्ताक्षर किए और साथ ही इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (आईएसबीए) और कमीशन ऑन द लिमिट्स ऑफ कांटीनेंटल शेल्फ (सीएलसीएस) में भी शामिल हुआ। भरता का अनन्य क्षेत्र अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूहों और लक्षदीप द्वीपसमूहों के समुद्रतट समूहों सहित भारत की कुल समुद्री तटरेखा लगभग 7500 किलोमीटर है, जिसके कारण भारत का अनन्य आर्थिक क्षेत्र लगभग 23.7 लाख वर्ग किलो मीटर है। भारत का ईईज़ेड विश्व के बारहवें सबसे बड़े अनन्य आर्थिक क्षेत्र में आता है।
अनन्य आर्थिक क्षेत्र
यूएनसीएलओसी के अनुच्छेद 76 के प्रावधानों के अनुसार किसी देश का अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) उस देश की समुद्री तटरेखाओं से 200 समुद्री मील (370 किलोमीटर) तक विस्तारित समुद्री क्षेत्र होता है।
अलग-अलग देशों के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की लंबाई उनके भूगोल के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
यदि किसी देश का ईईजेड किसी दूसरे देश के ईईज़ेड पर अतिव्यापित हो रहा है तो ऐसी स्थिति में देशों के बीच वास्तविक ईईज़ेड क्षेत्र का बँटवारा किया जाता है।
प्रत्येक देश अपने ईईज़ेड में समुद्री संसाधनों के अन्वेषण, दोहन, विकास, प्रबन्धन एवं संरक्षण करने का पूर्ण अधिकारी होता है।
अनन्य आर्थिक क्षेत्र में भारत के समुद्री संसाधन-
खनिज संसाधन - भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में हाइड्रोकार्बनों के प्रचुर भण्डारों के साथ-साथ इलेमनाइट, रुटाइल, ज़िरकॉन, मोनाज़ाइट एवं मेग्नेटाइट जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों के भण्डार भी मिलते हैं।
खाद्य संसाधन - कुल जनसंख्या के लगभग 30 प्रतिशत लोगों के लिए महासागर खाद्य पदार्थों का प्रमुख स्रोत साबित हो सकते हैं। महासागर प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का असीम स्रोत हैं। महासागर में उपलब्ध शैवाल यानी काई भी एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। कुछ शैवालों में आयोडिन मौजूद होता है, तो कई शैवालों का उपयोग उद्योगों में भी किया जाता है।
ऊर्जा संसाधन -महासागर से असीमित ऊर्जा के भंडार है । महासागरों से नवीकरणीय और परंपरागत ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है । समुद्री तापीय ,ज्वारभाटे और लहरों से ऊर्जा की प्राप्ति की जा सकती है ।समुद्र के ऊपरी सतह का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस होता है । इसपर फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाकर ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है ।
समुद्री जीव संसाधन - समुद्री वनस्पतियों का उपयोग भोजन, जंतुओं का चारा, औषधियों का निर्माण, उर्वरक, श्रृंगार, प्रसाधन, रंजको का निर्माण इत्यादि में किया जा रहा है। इसके अलावा कुछ महत्वपूर्ण समुद्री वनस्पतियों में आरेम, बलेडररैक, डलस, हाइजिकी, कैल्प, कोम्बू, नोरी तथा बाकेम है।
समुद्री क्षेत्र में विविध प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। जिनका उपयोग भोजन, औषधियों का निर्माण, श्रृंगार प्रसाधन का निर्माण जैसे कार्यों में किया जाता है। प्रवाल भित्तियां कैल्शियम युक्त समुद्री जीवो के अवशेषों से निर्मित समुद्री संरचना एवं विशिष्ट स्थलाकृतियां हैं। प्रवाल भित्तियां उथले उष्णकटिबंधीय समुद्र में परिवर्तनशील, रंगीन एवं मनमोहक पारितंत्र का निर्माण करती हैं।
भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र मे अपार संभावनाओ को देखते हुए भारत सरकार द्वारा डीप ओशन निशान की शुरुआत की गई । इससे ब्लू इकॉनमी को बल मिलेगा तथा आर्थिक विकास के साथ साथ सामाजिक समावेश और आजीविका के संरक्षण या सुधार को बढ़ावा मिलेगा और महासागरों और तटीय क्षेत्रों की पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित होगी ।
Que 3)।
COVID 19 exposed the real situation of internal migration.
कोविड 19 ने आंतरिक प्रवास वास्तविक स्थिति को उजागर किया । स्पष्ट कीजिये?
भारत के आंतरिक प्रवासी, जो कम विकसित क्षेत्रों से बेहतर जीवन की तलाश में बड़े, औद्योगिक शहरों और शहरों की यात्रा करते हैं। जनगणना के अनुसार, 2011 में, भारत मेंआंतरिक प्रवासियों की संख्या 45.6 करोड़ थी, जो कि इसकी आबादी का लगभग एक तिहाई था। भारत में कोविड-19 का मुक़ाबला करने के लिए लॉकडाउन लागू करने की घोषणा के बाद बहुत से दिहाड़ी मज़दूरों के पास कोई कामकाज व रोज़गार न होने के कारण बेदखली का सामना करना पड़ा ।
CSDS के अनुमानों के अनुसार कुल प्रवासियों में सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश (25%) और फिर बिहार (14%) राजस्थान (6%) और मध्य प्रदेश (5%) का स्थान आता है।
आंतरिक प्रवास के कारण
मानव प्रवास के कारणों को सामान्यतः दो वर्गों में रखा जाता है –
पुस फैक्टर -रोजगार के अवसरों की कमी, प्राकृतिक असंतुलन, राजनैतिक प्रभाव और भय, सामाजिक-राजनीतिक भेदभाव इत्यादि ऐसे push factors होते है ।
पुल फैक्टर -रोजगार, जीवन की अनुकूल दशाएँ, शिक्षा के अधिक अवसर, बेहतर जीवन-स्तर, परिवार और संबधियों से संपर्क इत्यादि ऐसे pull फ़ैक्टर्स होते हैं।
गरीबी, रोजगार के अवसरों की कमी, सामाजिक संरचना, प्राकृतिक आपदाएँ, सुरक्षा व्यवस्था इत्यादि कई कारण रहे हैं। इसी कारण कुछ क्षेत्र मे प्रवासन या यूँ कहे, पलायन ज्यादा हुआ है, जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, झारखण्ड, वेस्ट बंगाल आदि।
इन सभी क्षेत्र में रोजगार और शिक्षा के अवसर नहीं है। ये सभी राज्य प्राकृतिक आपदाओं से सर्वाधिक प्रभावित रहने वाले राज्य हैं। बिहार का उत्तरी भाग बाढ़ प्रभावित रहा है। ये आर्थिक रूप से भी पिछड़े हैं। सरकारों ने रोजगार केंद्रित विकास पर कभी ध्यान नहीं दिया।
इस महामारी ने आंतरिक प्रवास को और बढ़ा दिया । इससे प्रवासियों को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । जैसे कई पास किसी भी स्थान पर अपने निवास को प्रमाणित करने वाला कोई दस्तावेज नहीं थे ।इसके अभाव मे सरकार द्वारा चलाये जा रही योजनाओ का लाभ नही मिल पाया । जैसे सरकार ने शिक्षा, उन्नत स्वास्थ्य देखभाल, बैंक खाते, रोजगार और यहां तक कि एक मोबाइल फोन कार्ड जैसी सार्वजनिक सेवाओं और लाभों तक पहुंचने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2018 के फैसले में इनमें से कई आवश्यकताओं को उलट दिया, फिर भी कुछ संस्थानों ने सेवा प्राप्त करने की आवश्यकता के रूप में कार्ड पर जोर देना जारी रखा है। कहने की जरूरत नहीं है कि आधार के बिना शरणार्थियों और आंतरिक प्रवासियों दोनों ने खुद को बहिष्कृत पाया है।
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