दीपा करमाकर
दीपा करमाकर, जिन्हें 'स्मॉल वंडर' के नाम से जाना जाता है, ने हाल ही में जिमनास्टिक से संन्यास लेने की घोषणा की है.
ओलंपिक में भागीदारी:दीपा करमाकर 2016 के रियो ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट हैं। उन्होंने वॉल्ट स्पर्धा में हिस्सा लिया, जहां वह पदक से चूक गईं।
कॉमनवेल्थ गेम्स:दीपा करमाकर ने 2014 के ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में जिमनास्टिक में कांस्य पदक जीता, जिससे वह इस खेल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
विश्व कप सफलता:
उन्होंने 2018 में तुर्की के मर्सिन में आयोजित आर्टिस्टिक जिमनास्टिक विश्व कप में महिलाओं की वॉल्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय जिमनास्टिक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं।
2018 में, उन्होंने जर्मनी के कॉटबस में विश्व कप में कांस्य पदक भी जीता।
एशियाई चैंपियनशिप:
दीपा ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आयोजित 2024 एशियाई महिला कलात्मक जिमनास्टिक चैंपियनशिप में वॉल्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी स्थिति को और मजबूत किया।
पद्म श्री (2017):दीपा करमाकर को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म श्री से सम्मानित किया गया.
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार (2016):दीपा को यह पुरस्कार (जिसे उस समय राजीव गांधी खेल रत्न कहा जाता था) उनकी अद्वितीय खेल उपलब्धियों के लिए दिया गया।
अर्जुन पुरस्कार (2015):
दीपा करमाकर को 2015 में भारतीय खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
जीवनी - "दीपा करमाकर: द स्मॉल वंडर" उनकी प्रेरक यात्रा और संघर्षों की कहानी है, जिसे सह-लेखक दिग्विजय सिंह देव, विमल मोहन, और दीपा के कोच बिश्वेश्वर नंदी ने लिखा है।
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