उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019
कृषि का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जी०एस०डी०पी०) में 25.7% (वर्तमान लागत पर 2017- 18 में और 22.7% स्थिर कीमत में) का अंशदान है। प्रदेश का खाद्यान्न, गन्ना, आलू, दूध, मांस तथा बागवानी में देश में पहला स्थान है।राष्ट्रीय कृषि निर्यात में उत्तर प्रदेश का 7.35% योगदान है। वर्तमान में वर्ष 2018-19 में निर्यात की गई मात्रा की दृष्टि से भारत से कुल कृषि निर्यात में उत्तर प्रदेश का भैंस के मांस में 50.34%, गेंहूँ में 37.88% प्राकृतिक शहद में 26.59% आदि का योगदान रहा है।
किसान की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने तथा किसानों को अपने उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए कृषि उत्पादों के निर्यात पर जोर दिया जा रहा है ।
नीति का दृष्टिकोण-
"कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नये ढांचे की व्यवस्था करना, कृषि फसलों एवं उत्पादों के निर्यात की क्षमता का सदुपयोग करना तथा किसानो एवं अन्य हितधारकों की आय पर्याप्त रूप से बढ़ाना"
कार्यान्वयन के लिए रणनीति
- संस्थागत कार्यप्रणाली, विभागों के बीच ज्यादा तारतम्य को मजबूत करना और मौजूदा संस्थागत ढांचे का प्रभावी उपयोग करना।
- राज्य से कृषि निर्यात की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचे को सक्षम बनाना और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना और सभी स्तर पर आवश्यक मानक बनाए रखना ।
- हितधारकों के लिए संपर्क बिंदु के रूप में राज्य स्तरीय कृषि निर्यात सुविधा केन्द्र स्थापित करना।
- कृषि फसलों और उत्पादों के निर्यातकों के लिए व्यवसाय को सुगम बनाने के तरीकों को बढ़ावा देना और सुविधाजनक बनाना ।
- आधुनिक मूल्य श्रृंखला बनाने के लिए निजी क्षेत्र के निवेशों को प्रोत्साहित करना जो वैश्विक बाजार से अच्छी तरह से एकीकृत हों।
- अच्छी कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना, रोग मुक्त क्षेत्रों को विकसित करना और ताजे फल और सब्जियों के निर्यात के लिए लंबी दूरी के समुद्री प्रोटोकॉल को बढ़ावा देना।
- कार्मिकों और हितधारकों की क्षमता का विकास करना ।
- नवोन्मेष और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए व्यवस्थाएं स्थापित करना ।
- राज्य को अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अवसरों से जोड़ने के लिए बढ़ावा देने के कार्यक्रम आयोजित करना।
- ज्यादा निवेश के लिए व्यवसाय आकर्षित करना और राज्य के ब्रांड का प्रचार करने पर जोर देना।
- जिले या जिलों के समूह में क्षेत्रों के क्लस्टर बनाते हुए क्लस्टर पद्धति के माध्यम से राज्य से कृषि निर्यात को बढ़ाना, ऐसे क्षेत्रों के क्लस्टर जिनमें निर्यात योग्य कृषि उत्पाद पारंपरिक रूप से उत्पादित या प्रसंस्कृत किया जा रहा है या जो इस उद्देश्य के लिए उपयुक्त है।
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर की संस्थाओं के सहयोग से अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना।