यूपी कृषि में महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक भूमि जोत का विखंडन है।
अधिकांश किसानों के पास छोटी और खंडित भूमि होती है, जिससे आधुनिक कृषि पद्धतियों, मशीनीकरण और बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को अपनाना मुश्किल हो जाता है।
इससे खेती के संचालन में उत्पादकता और अक्षमता कम होती है।
उत्तर प्रदेश में औसत कृषि जोत का आकार 0.9 हेक्टेयर है ।
कृषि उत्पादकता में तीव्र वृद्धि अतः आवश्यकतानुसार उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से 1966-67 में हरी क्रांति की शुरुआत हुई I देश में हरिक्रांति प्रारंभ करने का श्रेय नॉर्मन ई. बोरलॉग तथा एमएस स्वामीनाथन को दिया जाता है I
हरिक्रांति रासायनिक उर्वरकों,कीटनाशकों,तथा कृषि यंत्रों की मदद से कृषि उपज बढ़ाने का अभियान था, तथा इसमें काफी हद तक सफलता भी प्राप्त हुई, परंतु इसका अधिक लाभ गेहूँ, चावल, मक्का,आलू जैसे कुछ फसलों की ही हुआ I
किसी निश्चित क्षेत्रफल पर निश्चित अवधि के लिए भूमि की उर्वरता बनाए रखने के उद्देश्य से फसलों को अदल-बदल कर उगाने की प्रक्रिया को फसल चक्र कहते हैंI अर्थात किसी निश्चित क्षेत्र में एक नियत अवधि में फसलों को इस क्रम में उगाया जाना की भूमि की उर्वरा शक्ति को कम से कम ह्रास हो, फसल चक्र कहलाता है I
UPPCS Mains कृषि संबंधित टॉपिक्स:
· उत्तर प्रदेश की कृषि एवं सामाजिक वानिकी।
· उत्तर प्रदेश में कृषि का व्यावसायीकरण एवं कृषि फसलों का उत्पादन।
· उत्तर प्रदेश में कृषि विविधता, कृषि की समस्याएँ एवं उनका समाधान।
· उत्तर प्रदेश में मत्स्य, अंगूर, रेशम, फूल, बागवानी एवं पौध उत्पादन तथा उत्तर प्रदेश के विकास में इनका प्रभाव।